राजस्थान की सांभर झील में फ्लेमिंगो | 06 Jun 2025

चर्चा में क्यों?

फ्लेमिंगो सामान्यतः नवंबर से मार्च के बीच सांभर झील में प्रवास करते हैं, लेकिन वर्ष 2025 में भोजन की प्रचुरता और जलवायु परिस्थितियों में बदलाव के कारण, अनुकूल आवास मिलने पर वे यहाँ असामान्य रूप से अधिक समय तक रुके

मुख्य बिंदु

  • पक्षी जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि:
    • जनवरी 2025 में की गई गणना में सांभर झील में 1.04 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी दर्ज किये गए, जिनमें बड़ी संख्या में छोटे और बड़े फ्लेमिंगो भी शामिल थे, जो वर्ष 2024 में दर्ज 7,147 पक्षियों की तुलना में काफी अधिक है।
    • यह बेहतर पर्यावरणीय परिस्थितियों को दर्शाता है, जिससे प्रवासी प्रजातियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण विश्रामस्थल और भोजनस्थल के रूप में झील की भूमिका बढ़ गई है।
    • भारत में प्रतिवर्ष 250 से अधिक प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ आती हैं, जिनके प्रमुख स्थलों में चिल्का झील, खीचन और भरतपुर शामिल हैं।
  • सांभर झील का पारिस्थितिक महत्त्व:
    • यह राजस्थान के अधिकांश नमक उत्पादन का स्रोत भी है।
    • सांभर झील, मध्य एशियाई फ्लाईवे पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है, जो विश्व के प्रमुख पक्षी प्रवास मार्गों में से एक है।
    • यह एक खारी आर्द्रभूमि है, जो राजस्थान के नागौर और जयपुर ज़िलों में अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है।
    • इसके पारिस्थितिक महत्त्व के कारण इसे वर्ष 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया।

फ्लेमिंगो 

  • परिचय: यह फोनीकोप्टेरिडे (Phoenicopteridae) परिवार से संबंधित है।
    • फ्लेमिंगो की छह प्रजातियाँ हैं, जिनके नाम हैं ग्रेटर फ्लेमिंगो (गुजरात का राज्य पक्षी), चिली फ्लेमिंगो, लेसर फ्लेमिंगो, कैरेबियन फ्लेमिंगो, एंडियन फ्लेमिंगो और पुना फ्लेमिंगो, जो अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप की झीलों, कीचड़युक्त भूमियों और उथले लैगूनों में पाए जाते हैं।
  • विशिष्ट स्वरूप: अपने चमकीले गुलाबी पंखों के लिये जाने जाने वाले फ्लेमिंगो के पैर और गर्दन लंबे होते हैं, पैर जालीदार होते हैं तथा नीचे की ओर मुड़ी हुई विशिष्ट चोंच होती है, जो फिल्टर-फीडिंग हेतु अनुकूलित होती है।
    • फ्लेमिंगो के आवास और भोजन के स्रोत स्थान तथा मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं, जिसके कारण उनका रंग गहरे या चमकीले गुलाबी से लेकर नारंगी, लाल या शुद्ध सफेद तक होता है।
  • अनुकूलन: फ्लेमिंगो ने उच्च लवणता और तापमान वाले चरम वातावरण के लिये अनुकूलन कर लिया है, जहाँ उनके शिकारी सीमित हैं।
  • पारिस्थितिक भूमिका: वे अपने आहार संबंधी गतिविधियों के माध्यम से अपने आवास के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिका निभाते हैं, जो पोषक चक्रण और शैवाल आबादी को प्रभावित करता है।
  • संरक्षण की स्थिति: