छत्तीसगढ़ में आदिवासी युवाओं हेतु शिक्षा कार्यक्रम | 27 Jun 2025

चर्चा में क्यों?

भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक NMDC लिमिटेड ने दो महत्त्वपूर्ण कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहलों की घोषणा की है, जिनका उद्देश्य पूर्णतः प्रायोजित शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाना है

  • ये कार्यक्रम 'बालिका शिक्षा योजना' तथा 'चिकित्सा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम' क्षेत्र के आदिवासी युवाओं और वंचित छात्रों को शैक्षणिक अवसर प्रदान करने पर केंद्रित हैं।

मुख्य बिंदु

  • बालिका शिक्षा योजना के बारे में:
    • NMDC बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोंडागाँव, बीजापुर तथा नारायणपुर ज़िलों की आदिवासी लड़कियों को पूर्णतः वित्तपोषित नर्सिंग शिक्षा प्रदान कर रहा है। 
    • इसका उद्देश्य प्रतिष्ठित संस्थानों में नर्सिंग शिक्षा को पूर्णतः प्रायोजित करना है तथा प्रति छात्रा लगभग 12–15 लाख रुपए का निवेश किया जाएगा।
    • आवेदिका का संबंध अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय से होना अनिवार्य है।
  • चिकित्सा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के बारे में:
    • अपोलो विश्वविद्यालय, चित्तूर के साथ साझेदारी में, NMDC दंतेवाड़ा और बस्तर के अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिये संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान में पूर्णतः प्रायोजित बी.एससी. कार्यक्रम की पेशकश कर रहा है ।
    • इस कार्यक्रम में विशेषीकृत पाठ्यक्रमों में 90 सीटें शामिल हैं, जिनमें 60% सीटें लड़कियों तथा 40% लड़कों के लिये आरक्षित हैं।
    • प्रत्येक चयनित छात्र को 12–15 लाख रुपए की प्रायोजन राशि प्रदान की जाएगी, जिसमें समस्त शैक्षणिक शुल्क तथा आवासीय व्यय सम्मिलित होंगे।
  • आदिवासियों के लिये शैक्षिक योजनाएँ

छत्तीसगढ़ में जनजातियाँ

  • छत्तीसगढ़ में कुल 42 जनजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें सबसे प्रमुख गोंड जनजाति है।
  • इसके अतिरिक्त राज्य में कंवर, ब्रिंजवार, भैना, भतरा, उराँव, मुंडा, कमार, हल्बा, बैगा, संवरा, कोरवा, भारिया, नागेशिया, मंगवार, खरिया तथा धनवार जनजाति की भी महत्त्वपूर्ण आबादी निवास करती है।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR)

  • परिचय:
    • CSR का तात्पर्य समाज और पर्यावरण के प्रति कंपनी की ज़िम्मेदारी से है। यह एक स्व-विनियमन मॉडल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय कल्याण पर अपने प्रभावों के लिये जवाबदेह बने रहें।
    • CSR को अपनाने से कंपनियाँ सतत् विकास में अपनी व्यापक भूमिका के प्रति अधिक जागरूक हो जाती हैं।
  • कानूनी ढाँचा: 
    • भारत कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत CSR व्यय को अनिवार्य बनाने वाला पहला देश है, जो पात्र गतिविधियों के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान करता है।
  • प्रयोज्यता: 
    • CSR नियम उन कंपनियों पर लागू होते हैं जिनकी पिछले वित्तीय वर्ष में निवल संपत्ति 500 ​​करोड़ रुपए से अधिक या कारोबार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक या निवल लाभ 5 करोड़ रुपए से अधिक हो।
    • ऐसी कंपनियों को अपने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (या यदि हाल ही में स्थापित की गई हैं तो उपलब्ध वर्षों) के औसत निवल लाभ का कम से कम 2% कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों पर व्यय करना आवश्यक है।