ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट: विश्व बैंक

प्रिलिम्स के लिये

ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट, विश्व बैंक

मेन्स के लिये 

वैश्विक प्रवासन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और इससे संबंधित सुझाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी अद्यतित ‘ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट’ ने संकेत दिया है कि जलवायु परिवर्तन विश्व के छह प्रमुख क्षेत्रों में 216 मिलियन लोगों को वर्ष 2050 तक अपने देशों से स्थानांतरित करने के लिये मज़बूर कर सकता है।

  • जलवायु प्रवास के आंतरिक हॉटस्पॉट वर्ष 2030 की शुरुआत में ही सामने आ सकते हैं, जबकि वर्ष 2050 तक इनकी संख्या में तेज़ी से वृद्धि होगी।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के विषय में
    • पहली ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट: इसे वर्ष 2018 में प्रकाशित किया गया था और यह मुख्यतः तीन क्षेत्रों यथा- उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए भविष्य के जलवायु प्रवास के पैमाने, प्रक्षेपवक्र एवं स्थानिक पैटर्न को समझने हेतु एक मज़बूत एवं नवीन मॉडलिंग दृष्टिकोण का उपयोग करती है। 
    • दूसरी ग्राउंड्सवेल रिपोर्ट: यह पहली रिपोर्ट का विस्तार है,जिसमें तीन नए क्षेत्रों: ‘मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका’, ‘पूर्वी एशिया एवं प्रशांत’ और ‘पूर्वी यूरोप व मध्य एशिया’ को भी शामिल किया गया है।
      • साथ ही इसमें ‘मशरेक’ (अरब जगत का पूर्वी हिस्सा) और ‘लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों’ (SIDS) में जलवायु से संबंधित गतिशीलता का गुणात्मक विश्लेषण भी प्रदान किया जाता है।
    • महत्त्व
      • दो रिपोर्टों का संयुक्त निष्कर्ष, वैश्विक स्तर पर आंतरिक जलवायु प्रवास के संभावित पैमाने की एक वैश्विक तस्वीर प्रदान करता है।
  • परिणाम:
    • आंतरिक जलवायु प्रवासी: विश्व के छह क्षेत्रों (2050 तक) में कम-से-कम 216 मिलियन लोग आंतरिक जलवायु प्रवासी हो सकते हैं। यह इन क्षेत्रों की कुल अनुमानित जनसंख्या का लगभग 3% है।
      • उप-सहारा अफ्रीका: 85.7 मिलियन आंतरिक जलवायु प्रवासी (कुल जनसंख्या का 4.2%)।
      • पूर्वी एशिया और प्रशांत: 48.4 मिलियन (2.5%)।
      • दक्षिण एशिया: 40.5 मिलियन (1.8%)।
      • उत्तरी अफ्रीका: 19.3 मिलियन (9%)।
      • लैटिन अमेरिका: 17.1 मिलियन (2.6%)।
      • पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया: 5.1 मिलियन (2.3%)।
    • सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र: आंतरिक जलवायु प्रवास का पैमाना सर्वाधिक कमज़ोर और जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में सबसे बड़ा होगा।
      • उप-सहारा अफ्रीका: मरुस्थलीकरण, नाजुक तटरेखा और कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता के कारण सर्वाधिक कमज़ोर क्षेत्र में सबसे अधिक प्रवासी दिखाई देंगे।
      • उत्तरी अफ्रीका: यहाँ पर जलवायु प्रवासियों का सबसे बड़ा अनुपात (9%) होने का अनुमान है।
        • यह काफी हद तक जल की गंभीर कमी के साथ-साथ घनी आबादी वाले तटीय क्षेत्रों और नील डेल्टा में समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभावों के कारण है।
    • दक्षिण एशिया: दक्षिण एशिया में बांग्लादेश विशेष रूप से बाढ़ और फसल खराब होने से प्रभावित है, जो अनुमानित जलवायु प्रवासियों का लगभग आधा हिस्सा है, जिसमें 19.9 मिलियन लोग शामिल हैं, इसमें महिलाओं का बढ़ता अनुपात, वर्ष 2050 तक निराशावादी परिदृश्य के तहत आगे बढ़ रहा है।
  • नीतिगत सिफारिशें:
    • उत्सर्जन कम करें:
      • पेरिस समझौते के पाँच वर्ष बाद दुनिया अभी भी वर्ष 2100 तक कम-से-कम 3 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग की ओर अग्रसर है।
      • वैश्विक उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिये महत्त्वाकांक्षी कार्रवाई प्रमुख संसाधनों, आजीविका प्रणालियों और शहरी केंद्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बोझ को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है जो लोगों को संकट में पलायन करने हेतु प्रेरित कर सकते हैं।
    • समावेशी और अनुकूलित विकास मार्ग:
      • विकास योजना में आंतरिक जलवायु प्रवास को एकीकृत करना गरीबी के कारकों को संबोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है जो लोगों को विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं, जैसे कि व्यवहार्य आजीविका विकल्पों की कमी और निम्न गुणवत्ता वाली संपत्ति।
    • प्रवासन के प्रत्येक चरण के लिये योजना: आंतरिक जलवायु प्रवासन की योजना का अर्थ है प्रवास के सभी चरणों हेतु लेखांकन (प्रवास के पहले, प्रवास के दौरान और इसके बाद)।
      • प्रवास से पहले, स्थानीय अनुकूलन समाधान समुदायों को उस स्थान पर बने रहने में मदद कर सकता है जहाँ स्थानीय अनुकूलन विकल्प व्यवहार्य हैं।
      • प्रवास के दौरान, नीतियाँ और निवेश उन लोगों के लिये गतिशीलता को सक्षम कर सकते हैं जिन्हें अपरिहार्य जलवायु जोखिमों से दूर जाने की आवश्यकता होती है।
      • प्रवास के बाद, नियोजन यह सुनिश्चित कर सकता है कि भेजने और प्राप्त करने वाले दोनों क्षेत्र अपनी आबादी की ज़रूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये अच्छी तरह से सुसज्जित हैं।
    • निवेश: क्षेत्रीय और देश स्तर पर आंतरिक जलवायु प्रवासन को बेहतर ढंग से समझने के लिये नए एवं अधिक सटीक डेटा स्रोतों और विभेदित जलवायु परिवर्तन प्रभावों सहित बड़े पैमाने पर अनुसंधान में अधिक निवेश की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन और प्रवासन चुनौतियों का समाधान करने हेतु वैश्विक प्रयास   

  • कैनकन अनुकूलन ढाँचा (2010) :
    • संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) औपचारिक रूप से 2010 के कैनकन अनुकूलन ढाँचे (Cancun Adaptation Framework) में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में गतिशीलता को शामिल किया गया है, जिसमें देशों को जलवायु-प्रेरित विस्थापन, प्रवास और नियोजित स्थानांतरण के संबंध में उनकी सामान्य लेकिन अलग-अलग ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए "समझ, समन्वय एवं सहयोग बढ़ाने के उपायों" के लिये आह्वान किया गया है।
  • विस्थापन पर यूएनएफसीसीसी टास्क फोर्स (2013):
    • विस्थापन पर UNFCCC टास्क फोर्स, वारसॉ फ्रेमवर्क/मैकेनिज़्म के तहत स्थापित किया गया।
    • वारसॉ इंटरनेशनल मैकेनिज़्म फॉर लॉस एंड डैमेज, गतिशीलता पर प्रभाव सहित अचानक और धीमी गति से शुरू होने वाले जलवायु परिवर्तन प्रभावों से नुकसान और क्षति को रोकने और समाधान करने पर केंद्रित है। 
  • पेरिस समझौता (2015):
    • पेरिस समझौते की प्रस्तावना में कहा गया है कि "जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिये कार्रवाई करते समय पार्टियों को प्रवासियों पर अपने संबंधित दायित्वों का सम्मान, प्रचार और विचार करना चाहिये।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क (2015-30):
    • सेंदाई फ्रेमवर्क आपदा जोखिमों की रोकथाम, जोखिम कम करने हेतु कार्रवाई के लिये लक्ष्यों और प्राथमिकताओं की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें शासन के माध्यम से आपदा-रोधी तैयारी को बढ़ावा देना तथा पुनः प्राप्ति, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण शामिल है।
    • यह तीन क्षेत्रों पर आपदा जोखिम में कमी और प्रबंधन में प्रवासियों को शामिल करने की आवश्यकता को स्पष्ट करता है।
  • शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक समझौता (2016):
  • सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के लिये संयुक्त राष्ट्र वैश्विक समझौता (2018):
    • यह संयुक्त विश्लेषण को मज़बूत करने और बेहतर मानचित्रण, समझ एवं अनुमानों के ज़रिये प्रवासी गतिविधियों का समाधान करने हेतु जानकारी साझा करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, जैसे कि अचानक आने वाली और धीमी गति से शुरू होने वाली प्राकृतिक आपदाएँ जो जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के परिणामस्वरूप भी घटित हो सकती हैं। प्रवासन पर संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन और लचीली रणनीतियों का विकास करना।
  • UNFCCC पक्षकारों के 24वें सम्मेलन का निर्णय (2018):
    • COP24 निर्णय (विस्थापन पर UNFCCC टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट द्वारा सूचित) प्रवासियों एवं विस्थापित व्यक्तियों, मूल समुदायों, पारगमन एवं गंतव्य की आवश्यकताओं पर विचार करने और श्रम गतिशीलता के माध्यम से नियमित प्रवास मार्गों के अवसरों में वृद्धि करके जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में व्यवस्थित, सुरक्षित, नियमित एवं उत्तरदायित्त्वपूर्ण प्रवासन तथा आवागमन की सुविधा के लिये UNFCCC पक्षकारों को आमंत्रित करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ