प्रिलिम्स फैक्ट्स: 27 अक्तूबर, 2021 | 27 Oct 2021

बोवाइन मास्टिटिस के लिये नई दवा

New Medicine for Bovine Mastitis

हाल ही में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) ने डेयरी मवेशियों में मास्टिटिस (दुग्ध ग्रंथियों की सूजन) के इलाज के लिये मस्तिरक जेल नामक एक पॉली-हर्बल दवा विकसित की है।

प्रमुख बिंदु

  • मस्तिरक जेल का महत्व:
    • दुधारु पशुओं की संक्रमित दुग्ध ग्रंथियों की सतह पर इस जेल के अनुप्रयोग से उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है। 
    • यह जेल थन के हानिकारक सूजन को कम करने में सहायक है।
    • यह एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम करने के साथ ही कम लागत पर बीमारी के प्रभावी प्रबंधन में मदद करता है।
      • संक्रमित जानवरों का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं से करना वर्तमान समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा बन गया है।
  • मास्टिटिस:
    • परिचय:
      • मास्टिटिस या दुग्ध ग्रंथियों की सूजन दुनिया भर में डेयरी मवेशियों की सबसे आम और सबसे खर्चीली बीमारी है।
        • कई प्रकार के बैक्टीरिया अलग-अलग मास्टिटिस संक्रमण का कारण बनते हैं।
      • मास्टिटिस के इलाज में एंटीबायोटिक दवाएँ केवल नैदानिक उपचार प्रदान करती हैं लेकिन जीवाणु के संक्रमण को समाप्त नहीं कर सकती हैं।
    • कारण:
      •  मास्टिटिस जैसी बीमारी बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों (कवक, खमीर और संभवतः वायरस) के संक्रमण से होती है। इसके अलावा तनाव और शारीरिक चोटें भी दुग्ध ग्रंथि की सूजन का कारण बन सकती हैं।
      • संक्रमण तब शुरू होता है जब सूक्ष्मजीव टीट कैनाल में प्रवेश करके दुग्ध ग्रंथि में वृद्धि करते हैं।
    • निवारण:
      • टीट एंड पर रोगजनकों की उपस्थिति को कम करने के लिये प्रबंधन प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर नए संक्रमणों को रोका जा सकता है।
      • नए संक्रमणों के संचरण को रोकने के लिये एकमात्र महत्त्वपूर्ण प्रबंधन साधन के तौर पर एक पोस्ट मिल्क टीट डिप के रूप में प्रभावी रोगाणुनाशक का उपयोग करना है।
    • प्रभाव:
      • यह रोग दूध की गुणवत्ता में गिरावट के कारण कृषि उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है जिससे आय-सृजन संबंधी गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती है।
      • यह दुग्ध उत्पादन को कम करने के साथ ही उत्पादन की लागत को बढ़ाता है तथा दूध की गुणवत्ता को कम करता है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप: चरण- II

Mahatma Gandhi National Fellowship: Phase- II

हाल ही में  सरकार ने ‘संकल्प’ (स्किल एक्विजिशन एंड नॉलेज अवेयरनेस फॉर लाइवलीहुड प्रमोशन) प्रोग्राम के तहत ‘महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप’ के दूसरे चरण की शुरुआत की है।

संकल्प

  • ‘संकल्प’ प्रोग्राम जनवरी 2018 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया विश्व बैंक का एक ऋण सहायता कार्यक्रम है।
  • ‘संकल्प’ प्रोग्राम देश भर में कुशल जनशक्ति की आपूर्ति और मांग के बीच असंतुलन को कम करने हेतु ज़िला कौशल समितियों (DSCs) से संबद्ध है, ताकि युवाओं को काम करने और आय अर्जित करने के पर्याप्त अवसर प्रदान किये जा सकें।

प्रमुख बिंदु 

  • महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप:
    • यह दो वर्षीय फेलोशिप कार्यक्रम है, जो ज़मीनी स्तर पर कौशल विकास को बढ़ाने में योगदान देकर युवाओं के लिये अवसर पैदा करता है।
      • महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप चरण- I (पायलट): इसे वर्ष 2019 में ‘भारतीय प्रबंध संस्थान, बंगलूरू’ के साथ अकादमिक भागीदार के रूप में लॉन्च किया गया और इसमें कुल 69 फेलो शामिल हैं, जो वर्तमान में 6 राज्यों के 69 ज़िलों में तैनात हैं।
      • महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप चरण- II (राष्ट्रीय रोल आउट): इसे अक्तूबर 2021 में 661 फेलोज़ के साथ लॉन्च किया गया, जिन्हें देश के सभी ज़िलों में तैनात किया जाएगा। साथ ही इसमें 8 अन्य IIMs को शामिल किया गया है, जिससे इस कार्यक्रम में कुल 9 IIMs हो गए हैं।
    • यह विश्वसनीय योजना बनाने, रोज़गार तथा आर्थिक उत्पादन बढ़ाने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को बढ़ावा देने में बाधाओं की पहचान करने हेतु ज़िला स्तर पर अकादमिक भागीदार आईआईएम के माध्यम से कक्षा सत्रों को व्यापक स्तर पर ज़मीनी सर्वेक्षण के साथ संयोजित करने का प्रयास करता है।
    • स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कौशल विकसित करने पर ध्यान देना ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहन देता है और एक उद्योग-प्रासंगिक कौशल आधार का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में मददगार होगा।
  • पात्रता:
    • फेलोशिप हेतु 21-30 वर्ष आयु-समूह के युवाओं का चयन किया जाएगा, जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की हो और उसे भारत का नागरिक होना चाहिये।
    • फील्डवर्क की स्थिति में आधिकारिक भाषा में प्रवीणता अनिवार्य होगी।

राजकुमारी ‘हे ह्वांग-ओके’

Queen Heo Hwang-ok

हाल ही में अयोध्या में सरयू के तट पर राम कथा पार्क का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही इसका नाम बदलकर ‘क्वीन हे ह्वांग-ओके’ मेमोरियल पार्क कर दिया जाएगा। 

  • इस स्मारक पार्क में अब रानी और राजा के पवेलियन शामिल हैं, जहाँ उनकी प्रतिमाएँ मौजूद हैं और राजकुमारी ‘सुरीरत्न’ की यात्रा को चिह्नित करने हेतु एक तालाब भी बनाया गया है।
  • वर्ष 2000 में भारत और दक्षिण कोरिया ने ‘अयोध्या’ और ‘गिम्हे’ को ‘सिस्टर सिटीज़’ के रूप में विकसित करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
  • इससे पहले मार्च 2021 में भारतीय रक्षा मंत्री और दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री ने दिल्ली छावनी में एक समारोह में भारत-कोरिया फ्रेंडशिप पार्क का उद्घाटन किया।

India-600-BC

प्रमुख बिंदु

  •  रानी ‘हे ह्वांग-ओके’:
    • वह कोरियाई रानी थीं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनका जन्म अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्न, राजा पद्मसेन और इंदुमती की पुत्री के रूप में हुआ था।
      • राजा पद्मसेन ने प्राचीन राज्य ‘कौसल’ (कोसल) पर शासन किया था, जो कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश से ओडिशा तक फैला हुआ है।
    • उनकी कहानी ‘समगुक युसा’ (तीन राज्यों की यादगार) में वर्णित है।
      • यह कोरिया के तीन राज्यों- गोगुरियो, बैक्जे और सिला तथा कुछ अन्य क्षेत्रों की किंवदंतियों, लोककथाओं व इतिहास का 13वीं शताब्दी का एक संग्रह है।
    • 48 ईसा पूर्व में राजकुमारी ने 'अयुता' की प्राचीन भूमि से कोरिया की यात्रा की और दक्षिण-पूर्वी कोरिया में ‘ग्यूमगवान गया’ के संस्थापक और राजा ‘किम सुरो’ से विवाह किया।
      • 'अयुता' के स्थान को लेकर इतिहासकारों में सहमति नहीं है, क्योंकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजकुमारी वास्तव में थाईलैंड के ‘अयुत्या’ साम्राज्य से हो सकती है।
      • जबकि लोकप्रिय रूप से यह उत्तर प्रदेश में अयोध्या से जुड़ा हुआ है, हालाँकि इस किंवदंती का कोई भारतीय ऐतिहासिक स्रोत नहीं है।
  • भारत से कोरिया तक राजकुमारी की यात्रा:
    • राजकुमारी ने अपने पिता द्वारा भेजे गए एक दल के साथ नाव से यात्रा की। माना जाता है कि राजकुमारी के पिता ने राजा ‘सुरो’ से राजकुमारी के विवाह का सपना देखा था।
    • कहा जाता है कि एक शिवालय, जिसे समुद्र के देवताओं को शांत करने के लिये राजकुमारी द्वारा लाया गया था, को उनके मकबरे के साथ में रखा गया है।
    • किंवदंती के अनुसार, राजकुमारी कोरिया में एक ‘गोल्डन एग’ ले गई थी, अतः इस पार्क में ग्रेनाइट से बना अंडा शामिल है।

मिज़ोरम के लिये ADB अनुदान ऋण

ADB Grants Loan for Mizoram

हाल ही में भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने मिज़ोरम में शहरी गतिशीलता का समर्थन करने के लिये 4.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रोजेक्ट रेडीनेस फाइनेंसिंग (PRF) ऋण पर हस्ताक्षर किये।

  • इससे पहले ADB और भारत सरकार ने तमिलनाडु में चेन्नई-कन्याकुमारी औद्योगिक कॉरिडोर (सीकेआईसी) में परिवहन कनेक्टिविटी एवं औद्योगिक विकास में सुधार के लिये 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किये।
  • PRF उन परियोजनाओं के लिये उच्च कार्यान्वयन तत्परता का समर्थन करता है जिन्हें ADB द्वारा वित्तपोषित किये जाने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • मिज़ोरम के प्रशासनिक और सेवा उद्योग के केंद्र आइज़ोल में तीव्र और अनियोजित शहरीकरण के कारण शहरी गतिशीलता गंभीर रूप से बाधित है।
      • इसके परिणामस्वरूप संकरी सड़क पर यातायात के कारण जाम की स्थिति रहती है और सड़क सुरक्षा, लोगों व सामानों की आवाज़ाही में दक्षता एवं पर्यावरणीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
      • आगामी परियोजना, प्रोजेक्ट रेडीनेस फाइनेंसिंग के माध्यम से विकसित की जा रही है, जो स्थायी शहरी गतिशीलता समाधानों को अपनाकर शहर की परिवहन समस्याओं को हल करेगी।
      • यह राज्य के शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन विभाग की पूर्व-कार्यान्वयन तथा परियोजना तैयारी गतिविधियों में संस्थागत क्षमता विकसित करने में मदद करेगा।
      • PRF आइज़ोल के लिये एक व्यापक गतिशीलता योजना (CMP) विकसित करेगा जो शहरी परिवहन विकास रणनीति की रूपरेखा तैयार करती है और राज्य में शहरी विकास योजना पहल के साथ तालमेल स्थापित करती है, इसके हस्तक्षेपों में जलवायु एवं आपदा लचीलापन व लैंगिक समावेशन को बढ़ावा देना है।
        • CMP प्रासंगिक परियोजनाओं में पूंजी के एक अनुकूलित उपयोग की सुविधा प्रदान करेगी और रसद तथा नौकरियों, बुनियादी सेवाओं, शिक्षा आदि तक पहुँच में सुधार करके शहरों की आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाएगी।
    • एशियाई विकास बैंक (ADB):
      • एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर, 1966 को हुई थी। ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है।
      • ADB में कुल 68 सदस्य शामिल हैंI
        • भारत ADB का संस्थापक सदस्य है।
      • 31 दिसंबर, 2019 तक ADB के पाँच सबसे बड़े शेयरधारकों में जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका (प्रत्येक कुल शेयरों के 15.6% के साथ), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (6.4%), भारत (6.3%) और ऑस्ट्रेलिया (5.8%) शामिल हैं।
      • एशियाई विकास आउटलुक (ADO) एशियाई विकास बैंक (ADB) के विकासशील सदस्य देशों (DMC) पर वार्षिक आर्थिक रिपोर्टों की एक शृंखला है।