विश्व जनसंख्या दिवस 2025 और भारत का युवा वर्ग | 12 Jul 2025

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व जनसंख्या दिवस, जनसांख्यिकी लाभांश, राष्ट्रीय युवा नीति 2014, स्टार्टअप इंडिया, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), बेरोज़गारी, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना।               

मेन्स के लिये:

भारत में युवा जनसंख्या से जुड़े अवसर और चुनौतियाँ तथा उन्हें सशक्त बनाने हेतु आवश्यक कदम।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य जनसंख्या से जुड़े मुद्दों और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

  • विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम है: "युवाओं को एक निष्पक्ष और उम्मीद भरी दुनिया में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिये सशक्त बनाना (Empowering young people to create the families they want in a fair and hopeful world)", जिसका उद्देश्य युवाओं को यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। 

भारत में युवाओं की स्थिति क्या है?

  • युवा जनसंख्या प्रोफाइल: UNICEF के अनुसार, भारत में विश्व की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है, जिसमें 15 से 29 वर्ष की आयु वर्ग के 371 मिलियन लोग शामिल हैं।
    • जनसंख्या प्रक्षेपण पर तकनीकी समूह (2021) के अनुसार, वर्ष 2021 में 15 से 29 वर्ष की आयु वाले युवा देश की कुल जनसंख्या का 27.2% थे, लेकिन अनुमान है कि यह अनुपात वर्ष 2036 तक घटकर 22.7% रह जाएगा।
  • जनसांख्यिकीय महत्त्व: युवाओं की बड़ी जनसंख्या श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाती है और निर्भरता अनुपात को कम करती है, जिससे देश को जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) प्राप्त होता है। 
  • नीति एवं शासन: युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अधीन युवा मामले विभाग युवाओं से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों के लिये नोडल एजेंसी है।
    • इसके दो उद्देश्य हैं - व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र निर्माण
  • युवा नीति का विकास:
    • राष्ट्रीय युवा नीति, 1988: यह भारत की पहली संगठित युवा नीति थी, जिसने युवाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को रेखांकित किया और उनके व्यक्तित्व तथा कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया।
    • राष्ट्रीय युवा नीति 2003: यह नीति वर्ष 1988 की नीति का स्थान लेने के लिये लाई गई थी। इसमें युवाओं की आयु सीमा 13 से 35 वर्ष के रूप में परिभाषित की गई और इसका उद्देश्य था देशभक्ति, सामाजिक न्याय तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।
    • राष्ट्रीय युवा नीति 2014: यह नीति वर्ष 2003 की नीति का स्थान लेने के लिये लाई गई थी। इसमें युवाओं की आयु सीमा 15 से 29 वर्ष निर्धारित की गई है। इसका उद्देश्य युवाओं को इस प्रकार सशक्त बनाना है कि वे अपनी पूर्ण क्षमताओं का विकास कर सकें और भारत को वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाने में योगदान दे सकें। इस नीति में 5 प्रमुख उद्देश्य और 11 प्राथमिकता वाले क्षेत्र निर्धारित किये गए हैं।
    • राष्ट्रीय युवा नीति 2024: सरकार ने राष्ट्रीय युवा नीति (NYP) 2014 को अद्यतन किया है और NYP 2024 के लिये एक मसौदा जारी किया है, जिसमें सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप युवा विकास के लिये 10-वर्षीय दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:   

 

  • वर्ष 2030 तक युवा विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया गया है।
  • कॅरियर और जीवन कौशल को बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के साथ समन्वय किया गया है।
  • नेतृत्व, स्वयंसेवा (वॉलंटियरिंग) और प्रौद्योगिकी-संचालित सशक्तीकरण को प्रोत्साहित किया गया है।
  • मानसिक और प्रजनन स्वास्थ्य, खेल तथा फिटनेस पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
  • हाशिये पर मौजूद युवाओं के लिये सुरक्षा, न्याय और सहायता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।

भारत की युवा जनसंख्या क्या अवसर प्रस्तुत करती है?

  • जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ: युवाओं की बहुलता वाली जनसंख्या से निर्भरता अनुपात घटता है और आर्थिक रूप से सक्रिय नागरिकों की संख्या बढ़ती है, जिससे GDP तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि संभव होती है।
    • विश्व बैंक और नीति आयोग के अनुसार, यदि इस संभावना का सही उपयोग किया जाए तो वर्ष 2030 तक भारत की GDP में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है।
  • नवाचार और उद्यमिता: युवा उद्यमियों की अगुवाई में भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेज़ी  से विकसित हुआ है। स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने युवा-केंद्रित नवाचार संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
  • वैश्विक कार्यबल में बढ़त: भारत की युवा श्रम शक्ति, तकनीक, स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिभा की कमी को पूरा कर सकती है। कम श्रम लागत के चलते भारत उत्पादन और सेवा क्षेत्रों का वैश्विक केंद्र बनता जा रहा है। 
    • उदाहरण के लिये, वृद्ध होती जनसंख्या की बढ़ती चुनौती का सामना कर रहे जर्मनी और जापान जैसे देश अब कुशल श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिये भारत के युवाओं की ओर रुख कर रहे हैं।
  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव: भारतीय युवा पारंपरिक रूढ़ियों को चुनौती दे रहे हैं, लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रहे हैं और सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत बन रहे हैं। साथ ही, वे फिल्मों, संगीत और डिजिटल सामग्री के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर को भी विस्तार दे रहे हैं।
    • उदाहरण के लिये, पिंजरा तोड़ (Pinjra Tod) जैसे युवा-नेतृत्व वाले आंदोलन महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
  • लोकतंत्र को सशक्त बनाना: राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) जैसी पहलों के माध्यम से युवाओं को शामिल करना नागरिक जागरूकता, नेतृत्व क्षमता और लोकतांत्रिक जवाबदेही को मज़बूत करता है।
    • उदाहरण के लिये, स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से प्रधानमंत्री ने युवाओं को स्वच्छता, व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक नेतृत्व के प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में संगठित किया।

भारत में युवाओं के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ: भारत में अनचाहे गर्भधारण (36%) और अपूर्ण प्रजनन लक्ष्यों (30%) की उच्च दर है, जिसमें 23% महिलाएँ दोनों समस्याओं से पीड़ित हैं
    • हालाँकि बाल विवाह में कमी आई है, फिर भी यह NFHS-5 के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर 23.3% है।
  • लैंगिक असमानता: पितृसत्तात्मक सामाजिक मान्यताएँ युवा महिलाओं की शिक्षा, रोज़गार और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को सीमित करती हैं। कई महिलाएँ लैंगिक-संवेदनशील कार्यस्थल, कौशल प्रशिक्षण और आर्थिक आत्मनिर्भरता से वंचित रहती हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य संकट:  युवा वर्ग बढ़ते तनाव, दुश्चिंता तथा अवसाद के साथ-साथ सहायता की पहुँच सीमित और निरंतर कलंक के कारण मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है।
  • वर्ष 2020–22 के बीच भारत में 15–29 वर्ष की आयु के 60,700 से अधिक युवाओं की आत्महत्या से मृत्यु हुई, जो विश्व में सबसे अधिक है।
  • रोज़गार संकट: शिक्षा और नौकरी के बीच कौशल का अंतर बढ़ता जा रहा है, जिससे शिक्षित युवाओं में बेरोज़गारी बढ़ रही है। कई युवा मज़बूरी में गिग इकोनॉमी की अस्थिर नौकरियों में कार्य कर रहे हैं, जिनमें लाभ और सुरक्षा की कमी होती है।
  • मादक द्रव्यों का सेवन: युवा वर्ग साथियों के दबाव और तनाव के कारण नशीले पदार्थों की लत के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहा है तथा पर्याप्त पुनर्वास सुविधाओं की कमी के कारण यह समस्या और भी बदतर हो रही है।

युवाओं से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें:

भारत में युवाओं को सशक्त बनाने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये?

  • शिक्षा में क्रांति: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत रटकर याद करने की प्रणाली को बदलकर आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमता को बढ़ावा देना, डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करना तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Training) को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना है।
  • रोज़गार से जुड़ा कौशल विकास: प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्द्धन योजना (PM-NAPS) के अंतर्गत बड़ी कंपनियों में शिक्षुता के अवसरों को प्रोत्साहित करना, उभरते क्षेत्रों में कौशल उन्नयन मिशन शुरू करना और वित्तीय सहायता के माध्यम से युवा उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच: सुलभ मानसिक स्वास्थ्य सहायता स्थापित करना, पौष्टिक भोजन के माध्यम से पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क गर्भनिरोधकों के साथ प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाना।
  • खेल और कला क्षेत्र में अवसंरचना विकास: ग्रामीण प्रशिक्षण सुविधाओं को मज़बूत करके, युवा कलाकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करके और प्रतिभाशाली युवाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर खेल एवं कला अवसंरचना का विस्तार करना।
  • डिजिटल सशक्तीकरण: इंटरनेट पहुँच का विस्तार करके, युवाओं में डिजिटल कौशल का निर्माण करके और समावेशी डिजिटल विकास के लिये डिजिटल इंडिया को मज़बूत करके डिजिटल विभाजन को कम करना। 

निष्कर्ष

भारत का युवा वर्ग विश्व में सबसे बड़ा है और परिवर्तनकारी जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करता है। इस संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिये भारत को बेरोज़गारी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और लैंगिक असमानता जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा, साथ ही शिक्षा, कौशल एवं नवाचार को भी बढ़ावा देना होगा। रणनीतिक नीतियाँ और समावेशी विकास युवाओं को सशक्त बना सकते हैं, जिससे वे भारत की वैश्विक प्रगति के अग्रदूत बन सकें तथा सतत् विकास एवं समान प्रगति सुनिश्चित हो सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत के युवाओं को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन चुनौतियों को अवसरों में बदलने के उपाय सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: प्रच्छन्न बेरोज़गारी का आमतौर पर अर्थ होता है- (2013)

(a) बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार रहते हैं
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नहीं है
(c) श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य है
(d) श्रमिकों की उत्पादकता कम है

उत्तर:(c)


मेन्स 

प्रश्न: भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धतियों का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023)

प्रश्न. हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015)