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वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 | 04 Aug 2022 | जैव विविधता और पर्यावरण

प्रिलिम्स के लिये:

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, CITES

मेन्स के लिये:

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा ने वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया, जो वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)  के कार्यान्वयन का प्रावधान करता है।

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021:

उल्लंघन के प्रकार 

अधिनियम, 1972

विधेयक, 2021

सामान्य उल्लंघन

25,000 रुपए तक

1,00,000 रुपए तक

विशेष रूप से संरक्षित जानवर

कम-से-कम 10,000 रुपए

कम-से-कम 25,000 रुपए

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न : यदि किसी विशेष पौधे की प्रजाति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची VI के तहत रखा गया है, तो इसका क्या निहितार्थ है? (2020)

(a) उस पौधे की खेती के लिये लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
(b) ऐसे पौधे की खेती किसी भी परिस्थिति में नहीं की जा सकती है।
(c) यह आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल का पौधा है।
(d) ऐसा पौधा पारिस्थितिकी तंत्र के लिये आक्रामक और हानिकारक है।

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 पौधों और जानवरों की प्रजातियों के संरक्षण के लिये अधिनियमित किया गया है। अधिनियम में जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों की सुरक्षा का प्रावधान है। इसमें छह अनुसूचियाँ हैं, जो अलग-अलग सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • अनुसूची I और अनुसूची II के भाग II पूर्ण संरक्षण प्रदान करते हैं, इनके तहत अपराधों को उच्चतम दंड निर्धारित किया जाता है।
    • अनुसूची III और अनुसूची IV में सूचीबद्ध प्रजातियाँ भी संरक्षित हैं, लेकिन उलंघन करने पर दंड का प्रावधान बहुत कम है।
    • अनुसूची V में वे जानवर शामिल हैं जिनका शिकार किया जा सकता है।
    • अनुसूची VI में निर्दिष्ट स्थानिक पौधों को खेती और रोपण से प्रतिबंधित किया गया है।
  • अनुसूची VI में पौधे:
    • बेडडोम्स साइकैड (साइकस बेडडोमी),
    • ब्लू वांडा (वांडा सोरुलेक),
    • कुथ (सौसुरिया लप्पा),
    • लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड (पैपिओपेडिलम एसपीपी)
    • पिचर प्लांट (नेपेंथेस खासियाना),
    • रेड वांडा
  • हालाँकि आगे यह भी कहा गया है कि बिना लाइसेंस के निर्दिष्ट पौधों की खेती प्रतिबंधित है। अधिनियम की धारा 17सी के अनुसार, कोई भी व्यक्ति निर्दिष्ट पौधे की खेती नहीं करेगा, जब तक मुख्य वन्य जीव वार्डन या इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा दिये गए लाइसेंस उपलब्ध न हो।

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस