विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 | 30 Dec 2025

प्रिलिम्स के लिये: लोकसभा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, वास्तुकला परिषद (COA), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC, 1956), सकल नामांकन अनुपात (GER), G20, विश्व आर्थिक मंच, वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, वैश्विक नवाचार सूचकांक, भारत कौशल रिपोर्ट, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF), GIFT सिटी, अटल नवाचार मिशन, स्टार्टअप इंडिया। 

मेन्स के लिये: विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 के मुख्य प्रावधान और इसका महत्त्व, भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के सामने चुनौतियाँ और आवश्यक सुधारात्मक उपाय।

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) विधेयक, 2025 को संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया और इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया।

  • इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये भारत की उच्च शिक्षा नियामक व्यवस्था का व्यापक पुनर्गठन करना है।

सारांश

  • यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के सुधारों को लागू करने के लिये बिखरी हुई नियामक संस्थाओं को एक एकीकृत, प्रौद्योगिकी-संचालित ढाँचे में समाहित करता है, जिसमें मानक निर्धारण, विनियमन और प्रत्यायन के लिये तीन स्वतंत्र परिषदें प्रस्तावित हैं।
  • इसका उद्देश्य सकल नामांकन अनुपात (GER), अनुसंधान, रोज़गार योग्यता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना है, साथ ही बहुविषयक, अनुकूल और छात्र-केंद्रित उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करना भी है।

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 क्या है?

  • परिचय: यह भारत में उच्च शिक्षा के लिये एक एकीकृत नियामक ढाँचा तैयार करने हेतु प्रस्तावित एक नया कानून है, जिसे संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 66 (उच्च शिक्षा के मानकों का निर्धारण) के अंतर्गत तैयार किया गया है।
  • विधेयक की आवश्यकता: NEP 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा के नियामक ढाँचे का सुधार करना, जिसमें अधिकार क्षेत्रों के आपसी अतिव्यापन को समाप्त करना, नियमों का सरलीकरण और अनुपालन भार में कमी लाना शामिल हो, ताकि संस्थान अकादमिक उत्कृष्टता पर अधिक ध्यान दे सकें।
  • प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन: 
    • एक नए सर्वोच्च निकाय की स्थापना: विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान को सर्वोपरि प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया जाएगा। वास्तुकला परिषद (COA) NEP 2020 में परिकल्पित व्यावसायिक मानक निर्धारण निकाय (PSSB) के रूप में कार्य करेगी।
    • तीन विशेष परिषदों का गठन करता है:
      • विकसित भारत शिक्षा विनियमन परिषद: मानकों के समन्वय और रखरखाव के लिये नियामक परिषद।
      • विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद: स्वतंत्र प्रत्यायन परिषद
      • विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद: न्यूनतम शैक्षणिक मानकों को निर्दिष्ट करने के लिये मानक परिषद।
    • मौजूदा निकायों का प्रतिस्थापन: विधेयक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC, 1956), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE, 1987) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE, 1993) को नियंत्रित करने वाले अधिनियमों को निरस्त करने का प्रावधान करता है।
      • वर्तमान में इन निकायों के अंतर्गत आने वाले सभी HEI मानक-निर्धारण के लिये विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के अंतर्गत आएंगे।

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 का महत्त्व क्या है?

  • नियामक एकीकरण एवं सरलीकरण: UGC (1956), AICTE (1987) और NCTE (1993) अधिनियमों को निरस्त कर यह विधेयक बिखरे हुए और परस्पर विरोधी नियमन को समाप्त करता है तथा उसके स्थान पर एक एकीकृत नियामक ढाँचा स्थापित करता है। इससे अनुपालन की जटिलता में उल्लेखनीय कमी आएगी, संस्थानों का ध्यान शैक्षणिक उत्कृष्टता पर केंद्रित होगा और संचालन की सुगमता के लिये एकल-खिड़की आधारित इंटरैक्टिव प्रणाली लागू की जाएगी।
  • संचालन में स्पष्टता: विधेयक मानक निर्धारण, विनियमन और प्रत्यायन को एक सर्वोच्च निकाय के अधीन तीन स्वतंत्र परिषदों में विभाजित करता है। यह संरचनात्मक विभाजन निष्पक्षता को बढ़ाता है, हितों के टकराव को कम करता है तथा गुणवत्तापूर्ण शासन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता में सुधार करता है।
  • पारदर्शिता और विश्वास-आधारित शासन: एक सार्वजनिक डिजिटल प्रकटीकरण पोर्टल इस नई व्यवस्था की आधारशिला होगा, जो हितधारकों को सहज रूप से उपलब्ध डेटा के आधार पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा। सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण पर बल देने से जवाबदेही सुदृढ़ होगी और गुणवत्ता मानकों पर समकक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे निरंतर सुधार के लिये मज़बूत प्रेरणा उत्पन्न होगी।
  • NEP 2020 और विकसित भारत के साथ संतुलन: यह विधेयक स्वायत्तता, बहुविषयकता और भारतीय ज्ञान प्रणालियों के मूल सिद्धांतों को समाहित करते हुए NEP 2020 की उच्च शिक्षा संबंधी परिकल्पना को साकार करने का प्रमुख विधायी माध्यम है। अनुसंधान, नवाचार और  सकल नामांकन अनुपात (GER) को प्रोत्साहित कर यह उच्च गुणवत्ता वाली ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहायक होगा और विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को मज़बूती प्रदान करेगा।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना: विधेयक में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाले संस्थानों और एक विश्वसनीय मान्यता प्रणाली की स्थापना का प्रावधान किया गया है, ताकि भारत की वैश्विक शिक्षा प्रतिष्ठा को सुदृढ़ किया जा सके। इसका उद्देश्य विश्व-स्तरीय घरेलू अवसर उपलब्ध कराकर तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित कर प्रतिभा पलायन को रोकना है, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर को भी मज़बूती मिलेगी।

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • निम्न सकल नामांकन अनुपात (GER): भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा प्रणाली होने के बावजूद लगभग 28% GER के साथ G20 देशों में सबसे कम स्थान पर है। इसके अतिरिक्त, विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2024 में तृतीयक शिक्षा नामांकन के मामले में भारत 146 देशों में 129वें स्थान पर है।
  • शिक्षक कमी और रिक्ति संकट: प्रतिष्ठित संस्थान भी गंभीर शिक्षक अभाव से जूझ रहे हैं—IITs में 40% और IIMs में 31% पद रिक्त हैं। साथ ही, भारत के केवल 36.7% उच्च शिक्षण संस्थान स्नातकोत्तर कार्यक्रम और मात्र 3.6% संस्थान PhD कार्यक्रम संचालित करते हैं, जिससे योग्य शिक्षकों की आपूर्ति शृंखला गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
    • हालाँकि IIT दिल्ली और IIT बॉम्बे शीर्ष 150 में शामिल हुए, फिर भी QS रैंकिंग 2024 के शीर्ष 100 में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय स्थान नहीं बना सका।
  • अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास (R&D) निवेश: भारत का शोध व्यय लगभग GDP का 0.7% है, जो चीन (2.4%) और अमेरिका (3.5%) से काफी कम है। शोध गुणवत्ता के मामले में भी भारत H-इंडेक्स और उद्धरण संख्या में पिछड़ा हुआ है तथा वैश्विक नवाचार सूचकांक 2025 में 38वें स्थान पर है।
  • कम स्नातक रोज़गारयोग्यता और उद्योग से कमज़ोर जुड़ाव: वर्ष 2023 में भारत की कुल रोज़गारयोग्यता 50.8% थी, जबकि इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार ML इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, DevOps इंजीनियर और डेटा आर्किटेक्ट जैसे प्रमुख पदों पर 60–73% की मांग–आपूर्ति असमानता मौजूद है। ग्लोबल एम्प्लॉयबिलिटी यूनिवर्सिटी रैंकिंग एंड सर्वे 2025 में स्नातक रोज़गारयोग्यता के लिहाज से शीर्ष 250 वैश्विक विश्वविद्यालयों में केवल 10 भारतीय संस्थान शामिल हैं।
  • पुराना और अपरिवर्तनीय पाठ्यक्रम: भारत की उच्च शिक्षा का पाठ्यक्रम पुराना, संकीर्ण और 21वीं सदी की अंतःविषय कौशलों से असंबंधित है। अधिकांश विश्वविद्यालयों में AI और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों के लिये उपयुक्त पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं हैं तथा 5% से भी कम छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा का अनुभव मिलता है, जो NEP 2020 द्वारा वर्ष 2025 तक निर्धारित 50% लक्ष्य के विपरीत है।

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली का पुनरोद्धार कैसे किया जा सकता है?

  • पहुँच और GER में वृद्धि: छात्रों का अनुकूलन बढ़ाने और ड्रॉपआउट दर कम करने के लिये भारत को मल्टीपल एंट्री–एग्जिट (MEME) ढाँचे का विस्तार करना चाहिये, जो वर्तमान में 153 विश्वविद्यालयों में प्रवेश तथा 74 में निकास के लिये लागू है। साथ ही, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स और UGC की द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली को प्रभावी रूप से लागू कर शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  • शिक्षक विकास और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र: शिक्षकों की कमी दूर करने और गुणवत्ता सुधारने के लिये भारत को राष्ट्रीय शिक्षक विकास मिशन शुरू करना चाहिये, जो अकादमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर (API) जैसे वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।
    • साथ ही, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश को वर्तमान लगभग 0.7% से बढ़ाकर कम-से-कम 2% GDP तक किया जाना चाहिये, जिसमें राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) के नेतृत्व में AI, स्वच्छ ऊर्जा और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर रणनीतिक फोकस हो।
  • समता, पहुँच और समावेशन: डिजिटल पहुँच और डिजिटल साक्षरता के माध्यम से समता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। इसके लिये NEP 2020 के जेंडर इन्क्लूजन फंड, विशेष शिक्षा क्षेत्र तथा SC, ST, OBC और SEDG (सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह) छात्रों हेतु सुदृढ़ राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का समर्थन आवश्यक है।
  • अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: GIFT सिटी मॉडल के तहत तथा NEP 2020 के अंतर्गत MOU के माध्यम से विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश को सुगम बनाया जाएँ। संयुक्त डिग्री, शिक्षक विनिमय और सीमापार अनुसंधान पहल को SPARC (शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग संवर्धन योजना) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएँ।
  • कौशल एकीकरण और रोज़गारयोग्यता: रोज़गारयोग्यता बढ़ाने के लिये पाठ्यक्रमों को इंडस्ट्री 4.0 से संबंधित कौशलों के अनुरूप बनाया जाएँ, साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय में नवाचार क्लस्टर और स्टार्ट-अप सेल स्थापित किये जाएँ, जिन्हें अटल इनोवेशन मिशन और स्टार्टअप इंडिया से जोड़ा जाएँ। इसके अतिरिक्त, रोज़गार परिणामों की निगरानी और समयानुकूल पाठ्यक्रम अद्यतन हेतु राष्ट्रीय स्नातक ट्रैकिंग प्रणाली का गठन किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 खंडित नियमन के स्थान पर एक एकीकृत और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। इसका उद्देश्य NEP 2020 की परिकल्पना को साकार करना, अनुसंधान और रोज़गारयोग्यता को बढ़ावा देना तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को सुदृढ़ करना है, जिससे भारत की उच्च शिक्षा को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप पुनर्जीवित किया जा सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय उच्च शिक्षा के समक्ष मौजूद संरचनात्मक और प्रणालीगत चुनौतियों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये तथा इसके पुनरुद्धार हेतु समग्र रणनीतियाँ सुझाइए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 का उद्देश्य क्या है?
उच्च शिक्षा के नियमन को एकीकृत करना, उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) को सशक्त बनाना तथा NEP 2020 के सुधारों को लागू कर गुणवत्ता, स्वायत्तता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना।

2. विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 किन मौजूदा नियामक संस्थाओं का स्थान लेगा?
यह UGC (1956), AICTE (1987) और NCTE (1993) को निरस्त कर उनकी सभी भूमिकाओं को विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के अंतर्गत समेकित करता है।

3. विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 के तहत प्रस्तावित तीन परिषदें कौन-सी हैं?
विनियमन परिषद, गुणवत्ता परिषद और मानक परिषद

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न.  भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

राज्य नीति के निदेशक तत्त्व  

 ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय  

 पाँचवीं अनुसूची  

 छठी अनुसूची  

 सातवीं अनुसूची

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

केवल 1 और 2

केवल 3, 4 और 5

केवल 1, 2 और 5

1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (d)

मेन्स 

प्रश्न.  भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020)

प्रश्न.  जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों को विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021)