विकसित भारत@2047 के लिये परिवर्तनकारी सुधार | 19 Aug 2025
चूँकि भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगाँठ मनाने की तैयारी कर रहा है, इसलिये विकसित भारत@2047 विज़न का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से राष्ट्र को 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है।
विकसित भारत@2047 के विज़न को साकार करने के लिये भारत में कौन से सुधार अनिवार्य हैं?
शासन और नौकरशाही सुधार
- स्मरण सूत्र (Mnemonic): CIVIC.
- C- (Cut the Compliance Burden) अनुुपालन बोझ कम करना: भारत में 1,500 से अधिक कानूनों के तहत 69,000+ से अधिक अनुपालन संबंधी मामले हैं। कई प्रक्रियाएँ अब भी पुरानी और जटिल हैं, जिससे सुधार में बाधा आती है। ऐसे में एक डिजिटल और फेसलेस प्रणाली को अपनाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि नियमन सरल हो, समय बचे तथा व्यापार करना आसान हो सके।
- विनियामक प्रभाव मूल्यांकन (Regulatory Impact Assessment - RIA) यह मूल्यांकन करने में मदद करता है कि क्या नीतियाँ ज़मीनी स्तर पर प्रभावी हैं। यह निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और नियामकीय विफलताओं को रोकने में सहायक होता है।
- I – (Institutions for Accountability) जवाबदेही केे लियेे संंस्थान: नौकरशाही का आधुनिकीकरण करना, जिसमें लेटरल एंट्री (बाहरी विशेषज्ञों की भर्ती) और एक स्वतंत्र सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना शामिल हो, जो नियुक्तियों और स्थानांतरणों की निगरानी करना, जिससे राजनीतिक हस्तक्षेप को कम किया जा सके।
- अधिक न्यायाधीशों के साथ न्यायपालिका को सशक्त करना, 'तारीख पर तारीख' मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिये तेज़ी से सुनवाई करना और तकनीक-सक्षम अनुबंध प्रवर्तन को बढ़ावा देना।
- V - (Voter & Electoral Reforms) मतदाता एवंं चुुनाव सुुधार: गलत सूचना और हेरफेर के खिलाफ नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए मतदाता शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
- साथ ही चुनावी वित्तपोषण में पारदर्शिता बढ़ाना आवश्यक है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों ने औसतन ₹57.23 लाख प्रति व्यक्ति खर्च किये, जिनमें से अधिकांश धनराशि अपारदर्शी स्रोतों से आई थी। यह स्थिति चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ाने के लिये सुधारों की आवश्यकता को उजागर करती है।
- I- (Inclusive Cities & Federalism) समावेशी शहर तथाा संंघवाद: रहने योग्य शहरों का निर्माण करना, जहाँ किफायती आवास, स्वच्छता, 24x7 बुनियादी सुविधाएँ और शहरी हरित मानदंड (Urban Green Codes) सुनिश्चित किये जाएँ।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने केंद्र–राज्य सहयोग की ताकत को प्रदर्शित किया है, लेकिन भविष्य के सुधारों के लिये करों के अधिक न्यायसंगत बँटवारे और राज्यों की राजकोषीय अनुशासन व व्यय के प्रति अधिक ज़िम्मेदारी की आवश्यकता है।
- C - (Cyber & Digital Public Infra) साइबर तथाा डिजिटल सार्वजनिक अवसंंरचना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित शासन के साथ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का विस्तार करें। केंद्रीय 'नो योर कस्टमर' (CKYC) प्रणाली को पुनर्गठित करना, ताकि सभी नागरिकों को त्वरित, सुरक्षित और सार्वभौमिक वित्तीय पहुँच मिल सके।
- सुरक्षित, लचीले और नागरिक-केंद्रित डिजिटल प्रणालियों को आगे बढ़ाना जो विभाजन को कम करना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना।
आर्थिक सुधार
- स्मरण सूत्र: LIBERATE.
- L- (Labour & Land) श्रम और भूूमि: श्रम संंहितााओंं को लाागूू करना, भूूमि अधिग्रहण कोो सुुव्यवस्थित करना।
- I – (Inflation Targeting): मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बास्केट को मज़बूत करना और बेहतर मूल्य स्थिरता के लिये रेपो रेट का प्रभावी संप्रेषण सुनिश्चित करना।
- B – (Banks & Bankruptcy) बैंंक और दिवालियापन: वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिये बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करना और दिवाला एवं धन शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत समाधान प्रक्रिया को तेज़ करना।
- E – (Ease of Doing Business) व्यापार सुुगमता: वर्ष 2023 के जन विश्वास अधिनियम (Jan Vishwas Act) को शीघ्र लागू करना ताकि छोटे व्यापारिक अपराधों को अपराधमुक्त किया जा सके।
- R – (Research & Development) अनुुसंंधाान एवंं विकास: R&D पर व्यय को GDP का 2% तक बढ़ाना और निजी क्षेत्र को नवाचार पारिस्थितिक तंत्र में शामिल करना।
- A – (Asset Sales) परिसंंपत्ति बिक्री: हानि में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के रणनीतिक विनिवेश और संतुलित तरीके से निजीकरण करें ताकि पूंजी मुक्त हो सके।
- T – (Tax Reform) कर सुुधाार- जीएसटी: GST को सरल बनाना और इसे धीरे-धीरे ईंधन, शराब, बिजली और अचल संपत्ति जैसे क्षेत्रों तक विस्तार करना।
- E – (Empower Consumers & Investors) उपभोक्ताओं और निवेेशकोंं को सशक्त बनाना: पारदर्शी बाज़ार, मज़बूत संरक्षण तंत्र तथा प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली सुनिश्चित करके विश्वास एवं भागीदारी बढ़ाना, जिससे वित्तीय समावेशन व सतत् निवेश विकास को बढ़ावा मिले।
औद्योगिक एवं विनिर्माण सुधार
- स्मरणीय सूत्र: MADE (“भारत में निर्मित”)
- M – (MSMEs & Markets) एमएसएमई और बाज़ार: MSME की वृद्धि को पुनर्जीवित करना, बेहतर ऋण सुविधा प्रदान करना और भारतीय कंपनियों के लिये GIFT IFSC के माध्यम से वैश्विक लिस्टिंग के अवसर उपलब्ध कराना।
- A – (Atmanirbhar in Defence) रक्षा क्षेेत्र मेंं आत्मनिर्भर: रक्षा व्यय को GDP के 3% तक बढ़ाना, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और निजी–सार्वजनिक साझेदारी को प्रोत्साहित करना ताकि आयात निर्भरता कम हो तथा भारत को रक्षा निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाया जा सके।
- D – (Deregulation) अविनियमन: भारत में फैक्ट्री स्थापित करने के लिये बहुत अधिक कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है। एक प्रभावी सिंगल-विंडो सिस्टम की आवश्यकता है, जो राज्य और केंद्र सरकार की स्वीकृतियों को ऑनलाइन एकीकृत करना और सख्त समय सीमाएँ सुनिश्चित करना।
- छोटे शहरों को अपने औद्योगिक क्षेत्र स्वयं निर्धारित करने चाहिये तथा उन्हें सरल क्षेत्रीय कानून बनाने चाहिये, ताकि वे अगले विनिर्माण केंद्र बन सकें।
- E- (Energy & Exports) ऊर्जा और निर्यात: नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को मज़बूत करना, ऊर्जा उपयोग को अनुकूल बनाना और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं (Rare Earth Metals) के लिये विशेष औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करना। इन क्षेत्रों में सरल स्वीकृतियाँ, प्रोत्साहन, तथा रणनीतिक धातुओं हेतु ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग की व्यवस्था हो, ताकि ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये विदेशी निर्भरता को कम किया जा सके।
- स्वीकृति और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये उच्च मूल्य वाले निर्यात में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO)/भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणन को बढ़ावा देना।
कृषि सुधार
- स्मरणीय सूत्र: FARM
- F – (Finance & Fertility) वित्त और उर्ववरता: कृषि ऋण तक किसानों की पहुँच बेहतर बनाना। इनपुट सब्सिडी को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (Direct Cash Transfers) से प्रतिस्थापित करना। सिंचाई, यंत्रीकरण, जलवायु-रोधी बीज किस्में और जलवायु-स्मार्ट कृषि के माध्यम से भूमि की उर्वरता को बढ़ावा देना।
- भारत खेतों और मंडियों में शीत भंडारण में निवेश करके कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 6-12% तक कम कर सकता है।
- A - (Agri Markets & Export) कृृषि बाज़ार और निर्यात: APMC (कृषि उपज बाज़ार समिति) कवरेज का विस्तार करना, निजी खरीद और अनुबंध खेती की अनुमति देना।
- भारत चावल, मसाले, फल और सब्जियों जैसी उच्च क्षमता वाली वस्तुओं के लिये मूल्य शृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करके कृषि निर्यात को 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकता है।
- R- (Rural Livelihoods) ग्रामीण आजीविका: आय में विविधता लाने के लिये डेयरी, मुर्गीपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना।
- भारत को किसानों की आय बढ़ाने के लिये इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना चाहिये, जिससे वे 'अन्नदाता' के साथ-साथ 'ऊर्जादाता' भी बन सकें।
- हालाँकि भारत को खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा में संतुलन बनाना होगा, क्योंकि 20% इथेनॉल मिश्रण से अनाज और गन्ने का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे खाद्यान्न की कमी का खतरा उत्पन्न हो जाता है।'
- भारत को किसानों की आय बढ़ाने के लिये इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना चाहिये, जिससे वे 'अन्नदाता' के साथ-साथ 'ऊर्जादाता' भी बन सकें।
- M- (Market & Land Security) बाज़ार और भूूमि सुुरक्षा: MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के स्थान पर बाज़ार मूल्यों और आपदाओं को कवर करने वाला व्यापक बीमा लागू किया जाए।
- डिजिटलीकरण के माध्यम से स्पष्ट भूमि स्वामित्व सुनिश्चित करना तथा डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) में ब्लॉकचेन को एकीकृत करना।
शैक्षणिक सुधार
- स्मरणसूत्र: LEARN
- L – साक्षरता और अधिगम (Literacy & Learning): भारत को सार्वजनिक शिक्षा पर GDP का 6% व्यय करना चाहिये, मूलभूत कौशल, शिक्षक प्रशिक्षण और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- E – शिक्षा नियमन (Education Regulation): उच्च शिक्षा नियामकों जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को सुदृढ़ करें ताकि प्रशासनिक बोझ कम हो तथा संस्थान गुणवत्ता, अनुसंधान एवं नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
- A – प्रारंभ में कौशल अर्जित करना (Acquire Skills Early): स्कूलों में व्यावसायिक प्रशिक्षण को शामिल करें ताकि अकादमिक और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच अंतर को कम किया जा सके।
- R – वैश्विक मानकों तक पहुँच (Reach Global Standards): शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित करें, किसी भारतीय विश्वविद्यालय को वैश्विक शीर्ष 100 में लाने का लक्ष्य रखना और स्कूलों में खेल सुविधाओं में सुधार करना।
- N – नवाचार और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना (Nurture Innovation & Digital Learning): पाठ्यक्रमों को डिजिटल बनाना, कक्षाओं में तकनीक का लाभ उठाना, विश्वविद्यालयों में निजी पूंजी को प्रोत्साहित करना और PARAKH जैसी पहलों द्वारा समर्थित परीक्षण तंत्र में सुधार करना।
स्वास्थ्य सुधार
- स्मरणसूत्र: CURE
- C – कवरेज और देखभाल (Coverage & Care): आयुष्मान भारत योजना के तहत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के माध्यम से स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित करना।
- U – एकीकृत मानक (Unified Standards): अस्पताल मान्यता को अनिवार्य करना और स्वास्थ्य उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा तथा सामर्थ्य के लिये स्पष्ट लेबलिंग लागू करना।
- R – अभिलेख और अधिकार (Records & Rights): आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) के तहत स्वास्थ्य डेटा का स्वामित्व, मरीज की स्पष्ट सहमति, डिजिटल सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वास्थ्य जानकारी के लिये मज़बूत निगरानी सुनिश्चित करना।
- E – नवाचार को प्रोत्साहित करना (Encourage Innovation): घरेलू MedTech स्टार्टअप्स को बढ़ावा दें, प्रारंभिक चरण के नवाचारों का समर्थन करें और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये नेशनल ट्रॉमा केयर ग्रिड तैयार करें।
पर्यावरण और सतत् विकास सुधार
- स्मरणसूत्र: GREEN
- G – हरित निर्माण और हाइड्रोजन (Green Manufacturing & Hydrogen): पर्यावरण- अनुकूल औद्योगिक प्रथाओं को अनिवार्य करें, हरित हाइड्रोजन अपनाने को बढ़ावा दें और स्टील, सीमेंट तथा धातु जैसे प्रमुख क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करें।
- R – नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरी अनुसंधान एवं विकास (Renewable Energy & Battery R&D): नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करना, भविष्य की बैटरी तकनीक में निवेश करना और ऊर्जा भंडारण के लिये आयात पर निर्भरता कम करना।
- E – उत्सर्जन और कार्बन ट्रेडिंग (Emissions & Carbon Trading): संरचित कार्बन बाज़ार, स्वैच्छिक क्रेडिटिंग तंत्र तथा नीतियाँ विकसित करना ताकि डबल काउंटिंग और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
- E – पर्यावरण संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन (Environmental Protection & Waste Management): ज़िला-स्तरीय निगरानी सुधार कर वायु प्रदूषण से निपटना।
- रिसाइकलिंग और ई-वेस्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना और पुन:प्रयुक्त अपशिष्ट के लिए मार्केटप्लेस तैयार करना।
- N – प्रकृति और जलवायु-प्रतिरोधी शहरी योजना (Nature & Climate-Resilient Urban Planning): स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जलवायु-प्रतिरोधी शहरों की योजना बनाएँ, सतत् शहरी विकास को प्रोत्साहित करना और नगरपालिका को अनुदान देने के लिये इसे स्वच्छता तथा नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने से जोड़ना, जिससे भारत के ग्रीन ट्रांज़िशन के लिये मार्ग प्रशस्त हो।
बुनियादी अवसंरचना सुधार
- स्मरणसूत्र: TRIP
- T – परिवहन आधुनिकीकरण (Transport Modernisation): भविष्य में रेल गतिशीलता के लिये हाइपरलूप, बुलेट और ड्राइवरलेस ट्रेन में निवेश की आवश्यकता होगी, साथ ही किराया तर्कसंगत बनाने तथा निजी निवेश के लिये नीतिगत सुधार एवं सामर्थ्य बनाए रखना भी आवश्यक होगा।
- सार्वजनिक परिवहन में कुशल बस, रैपिड रेल और मोनोरेल सिस्टम तथा अंतिम संपर्क कनेक्टिविटी की आवश्यकता है ताकि राज्य सेवाओं में सुधार हो सके।
- R – नियमन और तर्कसंगत बनाना (Regulate & Rationalise): कम-कार्बन लॉजिस्टिक्स के लिये मल्टीमॉडल हब और इलेक्ट्रिक ट्रक के साथ हरित माल ढुलाई को बढ़ावा देना।
- निर्माण, उत्सर्जन और सुरक्षा अनुमोदनों के लिये सिंगल-विंडो वाहन मंजूरी की प्रणाली लागू करना।
- I – बुनियादी अवसंरचना सूचकांक (Infrastructure Indexing): नीति मार्गदर्शन और समान विकास सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, नागरिक सुविधाएँ तथा डिजिटल परिसंपत्तियों को ट्रैक करने वाला सार्वजनिक ज़िला-स्तरीय बुनियादी अवसंरचना डैशबोर्ड तैयार करना।
- P – बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स (Ports & Logistics): भारत के व्यापार का लगभग 95% मात्रा के हिसाब से और 65% मूल्य के हिसाब से समुद्री परिवहन के माध्यम से होता है।
- भारत जब वर्ष 2047 तक 10,000 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) पोर्ट क्षमता का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है, तो इसके लिये विश्वस्तरीय बंदरगाहों, डिजिटाइज्ड कार्गो सिस्टम, हरित माल ढुलाई समाधान और कुशल लॉजिस्टिक्स हब का विकास आवश्यक है।
प्रौद्योगिकी और डिजिटल सुधार
- स्मरणसूत्र: IDEAS
- I – AI और उभरती प्रौद्योगिकी में निवेश (Invest in AI & Emerging Technologies): मज़बूत सार्वजनिक कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर, चिप निर्माण सुविधाएँ और सॉवरेन क्लाउड बनाकर भारत के घरेलू AI इकोसिस्टम का विस्तार करना, ताकि तकनीकी आत्मनिर्भरता तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सुनिश्चित हो सके।
- D – डिजिटल अधिकार और उपभोक्ता सुरक्षा (Digital Rights & Consumer Protection): डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 को शीघ्र लागू करना, ताकि उपयोगकर्त्ताओं को डेटा पर नियंत्रण मिले, कंपनियों को जवाबदेह ठहराया जा सके और सुरक्षित डेटा स्थानांतरण सुनिश्चित हो, जिससे गोपनीयता तथा विश्वास बनाए रखा जा सके।
- E – भविष्य के लिये शिक्षा और कौशल (Education & Skills for the Future): STEM में नैतिकता, कला, जलवायु एवं डिजिटल सिविक्स को शामिल करना, ताकि समीक्षा-आधारित सोच और ज़िम्मेदार नवाचार को पोषित किया जा सके।
- A – प्रौद्योगिकी में ऑडिट और नैतिकता (Audits & Ethics in Technology): स्टार्टअप्स के लिये टेक इम्पैक्ट असेसमेंट अनिवार्य करना तथा नैतिक एवं व्याख्यायोग्य AI कानून लागू करना, जिसमें पूर्वाग्रह जाँच, डेटा सहमति और पारदर्शिता शामिल हों।
- S – सुरक्षा, क्रिप्टो और नवाचार (Security, Crypto & Innovation): भारत को आधुनिक साइबर सुरक्षा ढाँचा तैयार करना चाहिये जो भविष्य की AI-आधारित साइबर वारफेयर क्षमताओं से निपट सके।
- भारत को कराधान, अनुपालन तथा उपभोक्ता सुरक्षा पर स्पष्ट क्रिप्टो नियम स्थापित करने चाहिये, ताकि नवाचार और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।
निष्कर्ष
विकसित भारत@2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये शासन, अर्थव्यवस्था, कृषि, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में साहसिक सुधारों की आवश्यकता है। ये परिवर्तनकारी उपाय समावेशी विकास, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता, सतत् विकास को बढ़ावा देंगे और भारत की विश्वगुरु के रूप में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति को मज़बूत करेंगे।
मेन्स के लिये की-वर्ड्स
- “फ्रॉम रेड टेप टू रेड कार्पेट” – ऐसे सुधार जो व्यवसाय और नागरिक सहभागिता को सुगम बनाते हैं।
- “अनुपालन घटाएँ, संवृद्धि बढ़ाएँ” – पुरानी और अप्रभावी नियमों को कम करके शासन को कुशल बनाना।
- “मज़बूत संस्थाएँ, मज़बूत भारत” – जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये नौकरशाही और न्यायपालिका का आधुनिकीकरण।
- “ मेक MSME राइज, मेक इंडिया शाइन” – लघु उद्योगों का समर्थन और वैश्विक बाज़ार तक पहुँच का विस्तार।
- “अधिगम, नवाचार, नेतृत्व” – भविष्य की कार्यबल के लिये शिक्षा, कौशल और नवाचार में सुधार।
- “हरित ऊर्जा, स्वच्छ भविष्य” – नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु-प्रतिरोधी शहर और सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- “जवाबदेही से क्रियान्वयन तक” – मापनीय और प्रभावी शासन।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने के लिये आवश्यक सुधारों पर चर्चा कीजिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
मेन्स
प्रश्न. सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014)