भारत में बेरोज़गारी के जाल का निराकरण | 03 Oct 2025

प्रिलिम्स के लिये: अल्प-रोज़गार, सकल घरेलू उत्पाद, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, बेरोज़गारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, MSME, स्टार्टअप इंडिया, उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ                                   

मेन्स के लिये: भारत में बेरोज़गारी की स्थिति, बेरोज़गारी के कारण और परिणाम, रोज़गार के लिये सरकारी पहलें और बेरोज़गारी का निराकरण करने हेतु आवश्यक उपाय।

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

एक अग्रणी वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म के अनुसार, भारत को इसके युवा वर्ग हेतु पर्याप्त रोज़गार सृजित करने और अल्प-रोज़गार की समस्या का समाधान करने के लिये लगभग दोगुनी गति (लगभग 12%) से विकास करना अत्यावश्यक है, जबकि इसकी तुलना में, RBI ने वित्त वर्ष 2025 के लिये केवल 6.5% GDP संवृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 10-वर्ष के औसत 6.1% से थोड़ा अधिक है, जो विकास-रोज़गार के बीच महत्त्वपूर्ण अंतराल को उजागर करता है।

भारत में बेरोज़गारी की स्थिति क्या है?

  • परिचय: बेरोज़गारी का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जब कोई व्यक्ति जो बेरोज़गार है और रोज़गार की तलाश में है, उसे कार्य का अवसर नहीं मिलता। बेरोज़गारी किसी भी अर्थव्यवस्था की स्थिति  का एक प्रमुख संकेतक है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है:
    • बेरोज़गारी दर = (बेरोज़गार श्रमिकों की संख्या/कुल श्रम बल) × 100
      • कुल श्रम बल में कार्य में नियोजित और बेरोज़गार दोनों प्रकार के व्यक्तियों को शामिल किया जाता है, जबकि वे लोग जो न तो नियोजित हैं और न ही रोज़गार की तलाश में हैं—जैसे विद्यार्थी—इसमें शामिल नहीं हैं।
  • भारत में बेरोज़गारी की स्थिति:
    • युवाओं में उच्च बेरोज़गारी: नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, भारत की समग्र बेरोज़गारी दर घटकर 5.1% हो गई, लेकिन 15-29 वर्ष के युवाओं में यह दर 14.6% के उच्च स्तर पर बनी रही।
      • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की भारत रोज़गार रिपोर्ट 2024 के अनुसार भारत में प्रत्येक तीन में से एक बेरोज़गार व्यक्ति युवा वर्ग से है।
    • तुलनात्मक संदर्भ: एशिया में युवा बेरोज़गारी दर 16% है, जो अमेरिका की 10.5% से अधिक है और भारत, चीन, तथा इंडोनेशिया में युवाओं के सामने सबसे अधिक रोज़गार संबंधी चुनौतियाँ हैं।
  • बेरोज़गारी के प्रकार: 

भारत में बेरोज़गारी के क्या कारण हैं?

  • जनसांख्यिकीय दबाव: विश्व बैंक चेतावनी देता है कि भारत सहित दक्षिण एशिया अपनी जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरी तरह लाभ नहीं उठा पा रहा है, क्योंकि वर्ष 2000–2023 के दौरान रोज़गार केवल 1.7% वार्षिक बढ़ा, जबकि कार्य-आयु जनसंख्या में 1.9% की वृद्धि हुई, जिससे रोज़गार अंतर बढ़ गया।
  • कौशल बेमेल: केवल 4.7% भारतीय श्रम शक्ति ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिसके परिणामस्वरूप कार्यबल का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। उद्योग-संबंधी कौशल में शिक्षा प्रणाली की कमी ने उच्च बेरोज़गारी के साथ-साथ प्रतिभा की कमी का विरोधाभास उत्पन्न किया है।
    • शिक्षित युवा अक्सर शारीरिक श्रम या फैक्ट्री और निर्माण जैसे ब्लू-कॉलर कार्यों के बजाय कार्यालयीन और प्रबंधकीय जैसे वाइट-कॉलर नौकरियों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे उच्च शिक्षित बेरोज़गारी उत्पन्न होती है।
  • बेरोज़गारी विकास: भारत की 6.5–7.8% की आर्थिक वृद्धि पर्याप्त रोज़गार सृजन नहीं कर रही है, विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र में, क्योंकि भारत का केवल 1.8% वैश्विक निर्यात हिस्सा विनिर्माण रोज़गार को सीमित करता है।
  • लैंगिक असमानता: शहरी महिलाओं में बेरोज़गारी दर (आयु 15–29 वर्ष) 25.7% है, जो पुरुषों की 15.6% दर से कहीं अधिक है और यह कार्यबल में भागीदारी के सामाजिक और संरचनात्मक अवरोधों को उजागर करती है।
  • आगामी तकनीकी व्यवधान: स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उदय से भारत में 69% तक नौकरियों को खतरा है (विश्व बैंक), विशेषकर विनिर्माण, डेटा एंट्री और ग्राहक सेवा क्षेत्रों में, जिससे पुनःकौशल विकास और नीतिगत अनुकूलन अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
  • मौसमी रोज़गार और कृषि पर निर्भरता: वर्ष 2022–23 में, भारत की लगभग 45.76% श्रम शक्ति कृषि और संबंधित क्षेत्रों में थी, जो मुख्यतः मौसमी और कम वेतन वाली नौकरियाँ प्रदान करती थी, जबकि सीमित गैर-कृषि अवसरों ने ग्रामीण अल्परोज़गार और प्रवासन दबाव को और बढ़ा दिया।

बेरोज़गारी अर्थव्यवस्था और समाज को कैसे प्रभावित करती है?

  • आर्थिक निष्क्रियता: बेरोज़गारी से GDP का नुकसान और मानव पूंजी की बर्बादी होती है, जिससे मांग कम होती है और घटते उपभोक्ता खर्च के कारण व्यवसायों में और कटौती करने का चक्र बन जाता है।
  • गरीबी और असमानता में वृद्धि: बेरोज़गारी सीधे गरीबी का कारण बनती है और आय अंतर को बढ़ाती है, क्योंकि स्थिर आय के बिना परिवार बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये संघर्ष करते हैं।
  • सामाजिक अस्थिरता: उच्च बेरोज़गारी, विशेषकर युवाओं में, व्यापक निराशा और अलगाव के कारण सामाजिक अशांति, अपराध और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य और कौशल में कमी: लंबे समय तक बेरोज़गारी रहने से व्यक्ति में मानसिक तनाव और कौशल में कमी उत्पन्न हो जाती है, जिससे समय के साथ उसकी रोज़गार क्षमता और आत्म-सम्मान दोनों प्रभावित होते हैं।
  • सरकार पर राजकोषीय बोझ: बेरोज़गारी के कारण कल्याणकारी लाभों पर सरकारी खर्च बढ़ जाता है, जबकि कर राजस्व में कमी आती है, जिससे राजकोषीय घाटा और अधिक बढ़ जाता है।

रोज़गार सृजन के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदम

भारत में बेरोज़गारी से निपटने के लिये किन सुधारों की आवश्यकता है?

  • श्रम-प्रधान विनिर्माण को बढ़ावा देना: व्यापार समझौतों के माध्यम से निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करते हुए वस्त्र, परिधान, चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली जैसे उच्च रोज़गार गुणक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • कौशल अंतराल को कम करना: शिक्षा को बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाते हुए व्यावसायिक और व्यावहारिक कौशल (जैसे AI, डेटा एनालिटिक्स, IoT) को सम्मिलित किया जाए तथा भविष्य के लिये  तैयार कार्यबल हेतु प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसे पुनः कौशल (Reskilling) और उन्नत कौशल (Upskilling) कार्यक्रमों का विस्तार किया जाना चाहिये।
  • MSME को समर्थन: MSME के लिये ऋण तक पहुँच को आसान बनाना और अनुपालन को कम करना, साथ ही स्टार्टअप इंडिया, मेंटरशिप, पेटेंट समर्थन तथा एक मज़बूत उद्यम पूंजी इकोसिस्टम के माध्यम से स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना।
  • कृषि में अल्परोज़गारी की समस्या का समाधान: कृषि आधारित उद्योगों, खाद्य प्रसंस्करण और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विविधता लाना तथा पशुपालन, मत्स्यन एवं मधुमक्खी पालन जैसी वैकल्पिक आजीविका को मज़बूत करना।
  • रणनीतिक सरकारी पहल: बुनियादी ढाँचे (सड़क, रेलवे, बंदरगाह, आवास) में सार्वजनिक निवेश को बनाए रखना और विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा रोज़गार सृजन के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं जैसी प्रमुख योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना।

निष्कर्ष

भारत में बेरोज़गारी, विशेषकर युवाओं एवं शहरी महिलाओं के बीच, बेरोज़गारी विहीन वृद्धि, कौशल असंतुलन, अल्प-रोज़गार और तकनीकी व्यवधान के कारण एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इस समस्या से निपटने के लिये  उच्च सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि, श्रम-प्रधान विनिर्माण, कौशल विकास, MSME समर्थन, ग्रामीण विविधीकरण और स्थायी रोज़गार तथा जनसांख्यिकीय लाभांश के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने वाली रणनीतिक सरकारी पहलों की आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में 'बेरोज़गारी विहीन वृद्धि' की परिघटना का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। आर्थिक वृद्धि को और अधिक रोज़गार-प्रधान बनाने के उपाय सुझाइये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. बेरोज़गारी क्या है?
बेरोज़गारी तब होती है जब प्रचलित मज़दूरी पर कार्य करने के इच्छुक और सक्षम व्यक्ति रोज़गार नहीं पा पाते।

2. 'बेरोज़गारी विहीन वृद्धि' का क्या अर्थ है?
बेरोज़गारी विहीन वृद्धि उस स्थिति को कहते हैं जहाँ अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ती है, लेकिन आनुपातिक रोज़गार के अवसर पैदा नहीं कर पाती, विशेषकर विनिर्माण क्षेत्र में।

3. समग्र और युवा बेरोज़गारी दरों के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों है?
भारत में कुल बेरोज़गारी 5.1% है, जबकि कौशल असंतुलन, तेज़ी से कार्यबल विस्तार और संगठित क्षेत्रों में प्रवेश स्तर पर अपर्याप्त रोज़गार सृजन के कारण युवा बेरोज़गारी 14.6% है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है?  (2016) 

(a) लघु उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना
(b) निर्धन कृषकों को विशेष फसलों की कृषि के लिये ऋण उपलब्ध कराना
(c) वृद्ध एवं निस्सहाय लोगों को पेंशन प्रदान करना
(d) कौशल विकास एवं रोज़गार सृजन में लगे स्वयंसेवी संगठनों का निधियन करना

उत्तर: (a)


प्रश्न: प्रच्छन्न बेरोज़गारी का आमतौर पर अर्थ होता है- (2013)

(a) बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार रहते हैं
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नहीं है
(c) श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य है
(d) श्रमिकों की उत्पादकता कम है

उत्तर:(c)


मेन्स

प्रश्न: भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धतियों का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023)

प्रश्न. हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015)