जैव चिकित्सा अनुसंधान कार्यक्रम के माध्यम से भारत के भविष्य का संरूपण | 13 Oct 2025

स्रोत: पी.आई.बी.  

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) के तीसरे चरण को स्वीकृति दे दी है, जो जैव चिकित्सा/बायोमेडिकल अनुसंधान के माध्यम से विज्ञान में भारत की भविष्य की नीतियों को आकार देगा और विकसित भारत 2047 के अनुरूप देश की नवाचार क्षमता का वर्द्धन करेगा।

बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) क्या है?

  • परिचय: BRCP वर्ष 2008-09 में शुरू की गई एक प्रमुख भारत-ब्रिटेन पहल है। इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार और वेलकम ट्रस्ट, यूनाइटेड किंगडम द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
    • BRCP, आत्मनिर्भर भारत, स्वस्थ भारत और स्टार्टअप इंडिया जैसे राष्ट्रीय मिशनों के साथ संरेखित है।
    • BRCP का दूसरा चरण वर्ष 2018-19 में एक विस्तारित पोर्टफोलियो और व्यापक अनुसंधान क्षेत्रों के साथ शुरू किया गया था। 
    • तीसरा चरण वर्ष 2025-26 से 2030-31 के लिये कार्यान्वित है, जिसमें वर्ष 2037-38 तक विस्तारित सेवा चरण होगा।
  • मुख्य उद्देश्य
    • भारत में एक विश्व स्तरीय बायोमेडिकल अनुसंधान इकोसिस्टम का निर्माण करना।
    • फेलोशिप और अनुदान के माध्यम से प्रारंभिक करियर से लेकर वरिष्ठ शोधकर्त्ता चरण तक, करियर के सभी चरणों में वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करना।
    • अंतर्विषयक, नीतिपरक और रूपांतरणीय/अंतरणीय अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, जिससे प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएगा।
    • चरण-III का लक्ष्य 2,000 शोधकर्त्ताओं को प्रशिक्षित करना, 25-30% परियोजनाओं को प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (TRL-4) और उससे ऊपर तक पहुँचाना, पेटेंट योग्य अनुसंधान को बढ़ावा देना और अधिक समावेशिता के लिये महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी में 10-15% का विस्तार करना है।
  • उपलब्धियाँ: BRCP के अंतर्गत 721 अनुसंधान अनुदानों के लिये सहायता प्रदान की गई है और भारत की COVID-19 अनुसंधान प्रतिक्रिया को आकार देने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

जैव चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार में भारत के उभरते क्षेत्र कौन-से हैं?

  • जीनोमिक्स और मानव आनुवंशिकी: जीनोमइंडिया और UMMID (वंशानुगत विकारों के प्रबंधन और उपचार की विशिष्ट विधियाँ) जैसी पहलें भारत की आनुवंशिक विविधता दर्शाती हैं जिनका उद्देश्य प्रिसिशन चिकित्सा और दुर्लभ रोगों का शीघ्र निदान करना है।
    • DBT-राष्ट्रीय जैव चिकित्सा जीनोमिक्स संस्थान (NIBMG) द्वारा विकसित dbGENVOC, दुनिया का पहला सार्वजनिक ओरल कैंसर जीनोमिक डेटाबेस है, जो भारत में निवारण, निदान और उपचार में सहायता के लिये 24 मिलियन से अधिक प्रकारों का संग्रह करता है।
  • संक्रामक रोग जीवविज्ञान: मानव इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV), क्षय रोग (TB), मलेरिया, कोविड-19 और डेंगू पर भारत के शोध से डेंगू डे 1 परीक्षण और HIV ट्राई-डॉट+एजी परीक्षण जैसे नवाचारों की उत्पत्ति हुई।
  • टीका विकास: भारत-अमेरिका टीका कार्रवाई कार्यक्रम (VAP) के समर्थन से भारत ने ROTAVAC और कोवैक्सीन जैसे प्रमुख स्वदेशी टीके विकसित किये हैं।
    • वर्तमान प्रयासों में डेंगू, मलेरिया और निमोनिया जैसी बीमारियों को लक्षित किया गया है, जिससे आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता का वर्द्धन होता है।
  • निदान और चिकित्सा उपकरण: क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR) आधारित परीक्षण, इंडीजीनस रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (RT-PCR) किट और किफायती साधन जैसे टूल प्रारंभिक पहचान और स्वास्थ्य सेवा पहुँच में सुधार करते हैं।
  • चिकित्सा विज्ञान और औषधि पुनर्प्रयोजन: भारत नए संकेतों के लिये मौजूदा दवाओं का पुनर्प्रयोजन करके किफायती औषधि विकास में तेज़ी ला रहा है। इस दृष्टिकोण से नैदानिक ​​परीक्षणों की समय-सीमा और नियामक अनुमोदन कम हो जाते हैं, जिससे भारत की वृहद जनसंख्या के लिये चिकित्साएँ अधिक सुलभ हो जाती हैं।
  • बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और बायोडिज़ाइन: चिकित्सा उपकरणों (PLI MD) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत, भारत कम लागत वाले प्रत्यारोपण, सहायक उपकरण और चिकित्सा उपकरण विकसित करता है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है।
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: गर्भ-इनी (GARBH-INi) जैसे कार्यक्रम मातृ एवं शिशु देखभाल में सुधार के लिये समय से पूर्व जन्म और विकासात्मक जोखिमों का अध्ययन करते हैं।
    • राष्ट्रीय रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) AMR, जीवनशैली संबंधी बीमारियों और कुपोषण से निपटने के लिये किफायती, साक्ष्य-आधारित समाधान हेतु अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करता है।
    • BioCARe (बेरोज़गार महिला वैज्ञानिकों का करियर विकास), जानकी अम्मल पुरस्कार (वर्गीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता) तथा महिला-केंद्रित इनक्यूबेटर जैसी पहल लैंगिक समावेशिता और नेतृत्व को बढ़ावा देती हैं।

भारत: फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड 

  • वैश्विक मान्यता: भारत को विश्व स्तर पर ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसने पूरे विश्व में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, किफायती टीके, दवाएँ और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • भारत का फार्मा उद्योग मात्रा के हिसाब से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और उत्पादन मूल्य के हिसाब से 14वाँ सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है।
  • निर्यात वृद्धि: ड्रग और फार्मास्यूटिकल निर्यात वर्ष 2023 से वर्ष 2024 तक 8.36% बढ़ा।
    • निर्यात वर्ष 2013-14 में 15.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 27.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • भारत लगभग 200 देशों को निर्यात करता है, जिनके शीर्ष बाज़ारों में अमेरिका, बेल्ज़ियम, दक्षिण अफ्रीका, UK और ब्राज़ील शामिल हैं।
  • बायोटेक्नोलॉजी बूम: भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014) से बढ़कर 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2024) हो गया है तथा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक यह 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
    • विकास मेट्रो, टियर-I और ग्रामीण बाज़ारों में समान रूप से वितरित है (प्रत्येक की हिस्सेदारी 30% है)।

भारत में जैव चिकित्सा अनुसंधान की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • नीति और नियामक सुधार: नैतिक मंज़ूरी और डेटा प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिये राष्ट्रीय जैव चिकित्सा अनुसंधान प्राधिकरण (NBRA) की स्थापना करन।
    • पारदर्शिता और सहयोग के लिये खुले विज्ञान ढाँचे को एकीकृत करना।
  • वित्तीय और संस्थागत स्थिरता: वर्ष 2037 के बाद निरंतर सहायता के लिये राष्ट्रीय जैव-चिकित्सा नवाचार कोष (NBIF) बनाना। ट्रांसलेशनल रिसर्च और विनिर्माण के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को मज़बूत करना।
  • क्षेत्रीय अनुसंधान क्लस्टर: अनुसंधान एवं विकास क्षमता को विकेंद्रित करने और स्थानीय रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये  टियर-2/3 शहरों में जैव नवाचार केंद्र विकसित करना।
  • कौशल विकास और शिक्षा: चिकित्सा और इंजीनियरिंग संस्थानों में बायोमेडिकल इनोवेशन फेलोशिप और अंतःविषय पाठ्यक्रम शुरू करना।
  • निगरानी और प्रभाव आकलन: फेलोशिप परिणामों, प्रौद्योगिकी तत्परता और लैंगिक समानता मैट्रिक्स को ट्रैक करने के लिये AI-संचालित डैशबोर्ड का उपयोग करना।

निष्कर्ष

BioE3 जैसी पहलों के साथ, BRCPI भारत को किफायती और प्रभावशाली जैव-चिकित्सा नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ा रहा है। DG-3 (उत्कृष्ट स्वास्थ्य और कल्याण) और SDG-9 (उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचा) के साथ संरेखित, यह स्वास्थ्य सेवा को मज़बूत बनाता है, समावेशिता को बढ़ावा देता है तथा विश्व मंच पर वैज्ञानिक नेतृत्व को आगे बढ़ाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. जैव-चिकित्सा अनुसंधान भारत के विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये केंद्रीय है। चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. बायोमेडिकल रिसर्च करियर प्रोग्राम (BRCP) क्या है?
BRCP एक प्रमुख भारत-ब्रिटेन पहल है जिसका उद्देश्य भारत में विश्व स्तरीय बायोमेडिकल अनुसंधान इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

2. जैव चिकित्सा अनुसंधान में भारत की उभरती हुई सीमाएँ क्या हैं?
प्रमुख क्षेत्रों में जीनोमिक्स, संक्रामक रोग जीवविज्ञान, टीका विकास, निदान, चिकित्सा विज्ञान, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य पोषण शामिल हैं।

3. dbGENVOC क्या है और इसका महत्त्व क्या है?
DBT-NIBMG द्वारा विकसित dbGENVOC, विश्व का पहला पब्लिक ओरल कैंसर जीनोमिक डेटाबेस है जिसमें 24 मिलियन से अधिक प्रकार शामिल हैं, जो भारत में रोकथाम, निदान और उपचार में सहायता करता है।