जन योजना अभियान (PPC) 2025–26 | 07 Oct 2025
चर्चा में क्यों?
पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जन योजना अभियान (PPC) 2025-26: ‘सबकी योजना, सबका विकास’ शुरू किया।
- यह अभियान वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिये पंचायत विकास योजनाएँ (PDP) तैयार करने की राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया शुरू करता है।
जन योजना अभियान (PPC) क्या है?
- परिचय: 2 अक्तूबर, 2018 को शुरू की गई PPC (जिसे जन योजना अभियान के रूप में भी जाना जाता है) का उद्देश्य ग्राम, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर पंचायत विकास योजनाओं (PDP) को तैयार करने में नागरिकों को शामिल करके भागीदारीपूर्ण, पारदर्शी तथा जवाबदेह स्थानीय शासन को मज़बूत करना है।
- उद्देश्य:
- समावेशी और अभिसारी विकास योजनाएँ (ग्राम PDP, ब्लॉक PDP, ज़िला PDP) तैयार करना।
- यह अभियान सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के नौ विषयगत दृष्टिकोणों को PDP में एकीकृत करके और स्वयं सहायता समूहों (SHG) संघों द्वारा तैयार की गई ग्राम समृद्धि एवं लचीलापन योजनाओं (VPRP) को शामिल करके सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के प्रभावी स्थानीयकरण को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
- महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों (WER) और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से लैंगिक -संवेदनशील शासन को बढ़ावा देना।
- यह जन सूचना अभियानों और ग्राम सभा के खुलासों के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
- PPC उपलब्धि: ई-ग्रामस्वराज पोर्टल के अनुसार जुलाई 2025 तक वर्ष 2019-20 से 2025-26 तक 18.13 लाख से अधिक PDP अपलोड किये गए हैं।
- PPC 2025–26 की मुख्य विशेषताएँ:
- ग्राम सभाएँ ई-ग्राम स्वराज, मेरी पंचायत ऐप और पंचायत निर्णय का उपयोग करते हुए पिछले GPDP की समीक्षा करेंगी, प्रगति का आकलन करेंगी, देरी का समाधान करेंगी तथा अधूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता देंगी; विशेष रूप से वे परियोजनाएँ जो अप्रयुक्त केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों से जुड़ी हैं।
- यह प्रक्रिया सभासार द्वारा समर्थित पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI) द्वारा निर्देशित होगी, जिसका ध्यान पंचायतों के स्वयं के स्रोत राजस्व (OSR) में सुधार लाने तथा सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने पर केंद्रित होगा।
- यह अभियान आदि कर्मयोगी अभियान के माध्यम से जनजातीय सशक्तीकरण, पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशी ग्रामीण विकास को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- ग्राम सभाएँ ई-ग्राम स्वराज, मेरी पंचायत ऐप और पंचायत निर्णय का उपयोग करते हुए पिछले GPDP की समीक्षा करेंगी, प्रगति का आकलन करेंगी, देरी का समाधान करेंगी तथा अधूरी परियोजनाओं को प्राथमिकता देंगी; विशेष रूप से वे परियोजनाएँ जो अप्रयुक्त केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों से जुड़ी हैं।
भारत के विकास ढाँचे में पंचायतों की क्या भूमिका है?
- संवैधानिक दायित्व: त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की आधारभूत इकाई के रूप में ग्राम पंचायत को ग्रामीण भारत में सहभागी लोकतंत्र और विकेंद्रीकृत शासन को मज़बूत करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संस्थागत रूप दिया गया।
- अनुच्छेद 243G पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने का अधिकार देता है, जिससे वे स्थानीय स्वशासन की स्वायत्त इकाइयाँ बन जाती हैं।
- सेवा वितरण एवं कल्याण: पंचायतें आवश्यक बुनियादी ढाँचे और सेवाएँ प्रदान करने के लिये सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं, जिनमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, सड़क, स्ट्रीट लाइटिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण शामिल हैं तथा कल्याणकारी योजनाओं और सामुदायिक विकास कार्यक्रमों को लागू करना शामिल है।
- विकास नियोजन: वार्षिक ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDP) सहभागी ग्राम सभाओं में तैयार की जाती हैं, जिसमें स्थानीय प्राथमिकताओं को शामिल करना सुनिश्चित किया जाता है।
- योजनाएँ व्यापक हैं, जिनमें ग्यारहवीं अनुसूची के 29 विषयों को शामिल किया गया है तथा संसाधन-संरेखित हैं, जिनमें केंद्रीय और राज्य निधियों का उपयोग किया गया है।
- ब्लॉक (BPDP) और ज़िला पंचायत विकास योजनाएँ (DPDP) पहलों के अभिसरण, समन्वय तथा प्रभावी पैमाने को सुनिश्चित करती हैं।
- जन योजना: स्वयं सहायता समूह (SHG) ग्राम समृद्धि और लचीलापन योजनाओं (VPRP) के माध्यम से योगदान करते हैं, जिसमें समुदाय-संचालित, लिंग-संवेदनशील और सामाजिक रूप से समावेशी विकास दृष्टिकोण शामिल होते हैं।
- सतत् विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण: पंचायतें सतत् विकास लक्ष्यों (गरीबी मुक्त, स्वस्थ, बाल-अनुकूल, पर्याप्त जल, स्वच्छ एवं हरित, आत्मनिर्भर अवसंरचना, सामाजिक रूप से सुरक्षित, सुशासन और महिला-अनुकूल गाँव) के नौ विषयगत दृष्टिकोणों को स्थानीय योजनाओं में एकीकृत करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इन सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) विषयों को शामिल करके, पंचायतें राष्ट्रीय और वैश्विक विकास लक्ष्यों को ज़मीनी स्तर पर मापने योग्य तथा प्रभावशाली परिणामों में परिवर्तित करने के लिये आवश्यक साधन के रूप में कार्य करती हैं।
PPC की प्रभावशीलता में सुधार हेतु प्रमुख चुनौतियाँ और कार्यान्वयन योग्य रणनीतियाँ क्या हैं?
चुनौतियाँ |
कार्रवाई योग्य रणनीतियाँ |
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निष्कर्ष:
जन योजना अभियान सामुदायिक भागीदारी को डिजिटल नियोजन के साथ जोड़कर विकेंद्रीकरण को मज़बूत कर रहा है। PPC 2025-26 पंचायती राज को और अधिक पारदर्शी, समावेशी और जवाबदेह बना सकता है, जिससे समतामूलक ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा और वर्ष 2047 तक भारत के विकसित भारत के विज़न को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: जन योजना अभियान पंचायत स्तर पर सहभागी शासन को किस प्रकार मज़बूत करता है? |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
पीपल्स प्लान कैंपेन (PPC) क्या है?
पीपल्स प्लान कैंपेन (PPC), जिसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, एक राष्ट्रीय पहल है जो ग्राम, ब्लॉक और ज़िला पंचायत विकास योजनाओं के माध्यम से सहभागिता, पारदर्शिता और जवाबदेही वाले स्थानीय शासन को बढ़ावा देती है।
कौन-सा संवैधानिक प्रावधान PPC के तहत पंचायतों को अधिकार प्रदान करता है?
73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अनुच्छेद 243G पंचायतों को स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार प्रदान करता है।
PPC 2025–26 में योजना और निगरानी के लिये कौन-से डिजिटल उपकरण उपयोग किये जाते हैं?
ई-ग्राम स्वराज, पंचायत निर्णय, मेरी पंचायत ऐप, साथ ही पंचायत उन्नयन सूचकांक (Panchayat Advancement Index – PAI) और सभा सार (SabhaSaar) जैसे प्लेटफॉर्म योजना निर्माण, प्रगति मूल्यांकन और सामुदायिक सहभागिता को समर्थन देते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न1. स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम व्याख्या यह की जा सकती है कि यह एक प्रयोग है (2017)
(a) संघवाद का
(b) लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का
(c) प्रशासकीय प्रत्यायोजन का
(d) प्रत्यक्ष लोकतंत्र का
उत्तर: (b)
प्रश्न 2. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015)
- विकास में जन-भागीदारी
- राजनीतिक जवाबदेही
- लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
- वित्तीय संग्रहण (फ़ाइनेंशियल मोबिलाइज़ेशन)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (c)
मेन्स:
प्रश्न 1. भारत में स्थानीय शासन के एक भाग के रूप में पंचायत प्रणाली के महत्त्व का आकलन कीजिये। विकास परियोजनाओं के वित्तीयन के लिये पंचायतें सरकारी अनुदानों के अलावा और किन स्रोतों को खोज सकती हैं? (2018)
प्रश्न 2. आपकी राय में भारत में शक्ति के विकेंद्रीकरण ने ज़मीनी-स्तर पर शासन परिदृश्य को किस सीमा तक परिवर्तित किया है? (2022)
प्रश्न 3. सुशिक्षित और व्यवस्थित स्थानीय स्तर शासन-व्यवस्था की अनुपस्थिति में 'पंचायतें' और 'समितियाँ' मुख्यतः राजनीतिक संस्थाएँ बनी रही हैं न कि शासन के प्रभावी उपकरण। समालोचनापूर्वक चर्चा कीजिये। (2015)