मलेरिया मुक्त चीन | 07 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:  

आर्टीमिसिनिन, Malaria, मलेरिया, विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2020

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोग मलेरिया के उन्मूलन की चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने चीन को "मलेरिया मुक्त" घोषित किया।

  • यह सात दशक लंबी बहु-आयामी स्वास्थ्य रणनीति का परिणाम है जो लगातार चार वर्षों तक मलेरिया के घरेलू मामलों को पूरी तरह से समाप्त करने में सक्षम थी।

प्रमुख बिंदु:

मलेरिया मुक्त स्थिति के विषय में:

  • प्रमाणन प्रक्रिया: मलेरिया उन्मूलन का प्रमाण पत्र डब्ल्यूएचओ द्वारा किसी देश की मलेरिया मुक्त स्थिति की आधिकारिक मान्यता है।
    • डब्ल्यूएचओ किसी देश को मलेरिया मुक्त प्रमाण पत्र तब प्रदान करता है जब वह अपने ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर यह बता पाता है कि उसके देश में पिछले तीन वर्षों से एनाफिलीज़ (Anopheles) मच्छरों द्वारा मलेरिया का प्रसार बाधित हुआ है।
    • संबंधित देश को मलेरिया प्रसार को पुन: रोकने की क्षमता भी प्रदर्शित करनी चाहिये।
    • मलेरिया मुक्त प्रमाण पत्र देने का अंतिम निर्णय मलेरिया उन्मूलन प्रमाणन पैनल (Malaria Elimination Certification Panel) की सिफारिश के आधार पर डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के पास होता है।
  • पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र: पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन पहला देश है जिसे डब्ल्यूएचओ ने 3 दशक में ही मलेरिया मुक्त प्रमाण पत्र दिया है।
    • अन्य देश: पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में जिन देशों ने यह प्रमाण पत्र हासिल किया है उनमें ऑस्ट्रेलिया (1981) सिंगापुर (1982) और ब्रुनेई दारुस्सलाम (1987) शामिल हैं।
  • वैश्विक स्थिति: विश्व स्तर पर 40 देशों और क्षेत्रों को डब्ल्यूएचओ से मलेरिया-मुक्त प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें अल सल्वाडोर (2021), अल्जीरिया (2019), अर्जेंटीना (2019), पराग्वे (2018) और उज़्बेकिस्तान (2018) शामिल हैं। 

रोग भार (वैश्विक):

  • विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2020 (World Malaria Report, 2020) के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों की संख्या लगभग 229 मिलियन थी, जिसमें मच्छरजनित बीमारी से 4,09,000 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।
  • अधिकांश मामले अफ्रीका में दर्ज किये गए, जबकि भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में महत्त्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई।
    • भारत में मामलों की संख्या लगभग 20 मिलियन से गिरकर 6 मिलियन हो गई।
    • भारत एकमात्र उच्च स्थानिक देश है जिसने वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 17.6% की गिरावट दर्ज की गई है।

मलेरिया को लेकर चीन की रणनीति:

  • 1950 के दशक में शरुआत: चीन द्वारा 1950 के दशक से मलेरिया को लेकर रणनीतिक स्तर पर प्रयास शुरु किये गए। एक समय था जब चीन में वार्षिक रूप से मलेरिया के लाखों मामले दर्ज किये जाते थे, जिसमें मैदानों में मच्छरों के प्रजनन क्षेत्रों को लक्षित करते हुए और कीटनाशक छिड़काव का उपयोग करते हुए मलेरिया-रोधी दवाएंँ उपलब्ध कराने का बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया गया।
  • 523 प्रोजेक्ट: इसके तहत 1970 के दशक में आर्टीमिसिनिन (Artemisinin) की खोज की गई ।
    • यह ‘आर्टीमिसिनिन-आधारित संयोजन उपचारों’ (Artemisinin-Based Combination Therapies) का मुख्य यौगिक है, जो आज उपलब्ध सबसे प्रभावी मलेरिया-रोधी दवाओं में से एक है।
  • कीटनाशक-उपचारित जाल: 1980 के दशक में चीन ने व्यापक रूप से कीटनाशक-उपचारित जालों (Insecticide-treated Nets) का उपयोग करना शुरू किया। वर्ष 1988 तक 2.4 मिलियन जाल वितरित किये गए।
  • 1-3-7 रणनीति: इस रणनीति का अर्थ है:
    • मलेरिया निदान की रिपोर्ट करने हेतु एक दिन की समय सीमा
    • किसी मामले की पुष्टि करना और तीसरे दिन तक प्रसार का निर्धारण करना
    • उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निरंतर निगरानी के साथ-साथ सातवें दिन तक प्रसार रोकने के उपाय करना।
  • ग्लोबल फंड: वर्ष 2003 में शुरू होने वाले एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने हेतु ग्लोबल फंड की सहायता से चीन ने "प्रशिक्षण, स्टाफिंग, प्रयोगशाला उपकरण, दवाएंँ और मच्छर नियंत्रण उपायों में वृद्धि की।

मलेरिया

  • मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग है जो प्लास्मोडियम (Plasmodium) नामक परजीवी के कारण होता है। 
  • यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • इस परजीवी का प्रसार संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छरों (Female Anopheles Mosquitoes) के काटने से होता है।
  • मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद परजीवी शुरू में यकृत कोशिकाओं के भीतर वृद्धि करते हैं उसके बाद लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट करते हैं जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
  • ऐसी 5 परजीवी प्रजातियांँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया संक्रमण का कारण होती हैं, इनमें से 2 प्रजातियाँ- प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) और प्लाज़्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodium vivax) है, जिनसे मलेरिया संक्रमण का सर्वाधिक खतरा विद्यमान होता है।
  • मलेरिया के लक्षणों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जिसमें ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होती है।
  • इस रोग की रोकथाम एवं इलाज़ दोनों ही संभव है।
  • RTSS वैक्सीन मलेरिया परजीवी, प्लाज़्मोडियम पी. फाल्सीपेरम (Plasmodium (P.) falciparum) जो कि मलेरिया परजीवी की सबसे घातक प्रजाति है, के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करती है।

WHO की हालिया पहल:

  • WHO द्वारा अपनी ‘ई-2025 पहल’ (E-2025 Initiative) के तहत ऐसे 25 देशों की पहचान की गई है जिन्हें वर्ष 2025 तक मलेरिया मुक्त देश बनाना है।

भारत में मलेरिया पर अंकुश लगाने की पहल:          

  • भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयास वर्ष 2015 में शुरू हुए थे और वर्ष 2016 में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद इनमें और अधिक तेज़ी आई। 
    • NFME मलेरिया के लिये WHO की मलेरिया के लिये वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030 (GTS) के अनुरूप है। ज्ञात हो कि वैश्विक तकनीकी रणनीति WHO के वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP) का मार्गदर्शन करता है, जो मलेरिया को नियंत्रित करने और समाप्त करने के लिये WHO के वैश्विक प्रयासों के समन्वय हेतु उत्तरदायी है। 
  • जुलाई 2017 में मलेरिया उन्‍मूलन के लिये एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (वर्ष 2017 से वर्ष 2022) की शुरुआत की, जिसमें आगामी पाँच वर्ष के लिये रणनीति तैयार की गई।
    • इसके तहत मलेरिया के प्रसार के आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षवार उन्मूलन लक्ष्य प्रदान किया जाता है।
  • जुलाई 2019 में भारत के चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (HBHI) पहल का कार्यान्वयन शुरू किया गया था।
  • काफी लंबे समय तक टिकी रहने वाली कीटनाशक युक्त मच्‍छरदानियों (Long Lasting Insecticidal Nets- LLINs) के वितरण के कारण मलेरिया से बहुत अधिक प्रभावित राज्‍यों में इस बीमारी के प्रसार में पर्याप्‍त कमी लाई जा सकी है।
  •  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मलेरिया एलिमिनेशन रिसर्च अलायंस-इंडिया (MERA-India) की स्थापना की है जो मलेरिया नियंत्रण पर काम करने वाले भागीदारों का एक समूह है।

स्रोत : द हिंदू