भारत की शुद्ध शून्य उत्सर्जन रणनीति | 16 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस समझौता, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (COP 27), राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), शुद्ध शून्य, इथेनॉल सम्मिश्रण, हाइड्रोजन ईंधन, प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, जैव ईंधन

मेन्स के लिये:

पेरिस जलवायु समझौता और इसके प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

शर्म अल-शेख, मिस्र में पार्टियों के वर्तमान 27वें सम्मेलन (COP27) में भारत ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के लिये अपनी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की।

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दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति:

  • यह (LT-LEDS) रणनीति प्रकृति में गुणात्मक है और 2015 के पेरिस समझौते द्वारा इसे अनिवार्य कर दिया गया है।
    • पेरिस समझौते के अनुसार, राष्ट्रों को यह स्पष्ट करना चाहिये कि अपने केवल अल्पकालिक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के लक्ष्य को प्राप्त करने के अलावा वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं को किस प्रकार बदलेंगे ताकि वे वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 45% की कटौती के बड़े जलवायु उद्देश्य की दिशा में काम कर सकें और वर्ष 2050 के आसपास शुद्ध शून्य तक पहुँच सकें।
  • यह रणनीति चार प्रमुख विचारों पर आधारित है जो भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति का आधार हैं।
    • भारत का ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान है, विश्व की आबादी का 17% हिस्सा होने के बावज़ूद संचयी वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में ऐतिहासिक रूप से भी इसका योगदान बहुत कम रहा है।
    • भारत को विकास के लिये काफी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है।
    • भारत अपने विकास हेतु निम्न-कार्बन रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से उनका अनुसरण कर रहा है।
    • भारत को जलवायु अनुकूल प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है।
  • LT-LEDS भी LiFE, पर्यावरण के लिये जीवन शैली दृष्टिकोण से प्रभावित है।
    • LiFE का विचार पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन-शैली को बढ़ावा देता है जो 'विवेकहीन और व्यर्थ खपत' के बजाय 'सावधानी के साथ एवं सुविचारित उपयोग' पर केंद्रित है।

एलटी-एलईडी ( LT-LEDS) की विशेषताएँ:

  • यह रणनीति ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में राष्ट्रीय संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगी।
    • इसमें जीवाश्म ईंधनों का संक्रमण एक न्यायसंगत, सुचारू, टिकाऊ और सर्व-समावेशी तरीके से किया जाएगा।
  • यह रणनीति जैव ईंधन के बढ़ते उपयोग को बढ़ावा देगी, विशेष रूप से पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण, इलेक्ट्रिक वाहन प्रवेश बढ़ाने के लिये अभियान और हरित हाइड्रोजन ईंधन के बढ़ते उपयोग से परिवहन क्षेत्र में कम कार्बन उत्सर्जन होने की उम्मीद है।
    • भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिकतम उपयोग, इथेनॉल सम्मिश्रण को वर्ष 2025 तक 20% तक पहुँचाने और यात्री व माल ढुलाई के लिये सार्वजनिक परिवहन मॉडल में एक मज़बूत बदलाव की इच्छा रखता है।
  • निम्न-आधार, टिकाऊ भविष्य और जलवायु-अनुकूल शहरी विकास स्मार्ट सिटी पहल को ऊर्जा और संसाधन दक्षता बढ़ाने के लिये शहरों की एकीकृत योजना, प्रभावी ग्रीन बिल्डिंग कोड तथा अभिनव ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में तेज़ी से विकास से प्रेरित होगी।
  • औद्योगिक क्षेत्र का विकास 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' के परिप्रेक्ष्य में जारी रहेगा।
  • भारत प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, विद्युतीकरण बढ़ाने, सामग्री दक्षता बढ़ाने और रीसाइक्लिंग एवं उत्सर्जन को कम करने के तरीकों से ऊर्जा दक्षता में सुधार पर भी ध्यान केंद्रित करेगा

शुद्ध शून्य लक्ष्य:

  • इसे कार्बन तटस्थता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा।
  • बल्कि यह एक ऐसा देश है जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है।
    • इसके अलावा वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
      • जबकि वातावरण से गैसों को हटाने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता होती है।
  • 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य यानी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य बनने का दावा किया है।
  • भारत ने COP-26 शिखर सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य करने का वादा किया है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न: 'इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व से शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा की गई प्रतिज्ञा
(b) जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये विश्व के देशों द्वारा उल्लिखित कार्य योजना
(c) एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की स्थापना में सदस्य देशों द्वारा योगदान की गई पूंजी
(d) सतत् विकास लक्ष्यों के संबंध में दुनिया के देशों द्वारा उल्लिखित कार्ययोजना

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’, UNFCCC के तहत पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिये व्यक्त की गई प्रतिबद्धता को बताता है।
  • CoP-21 में दुनिया भर के देशों ने सार्वजनिक रूप से उन कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें वे अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत क्रियान्वयित करना चाहते थे। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है जो "वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को बढ़ावा देता है और इस शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है।" अतः विकल्प (b) सही है।

प्रश्न: जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की पार्टियों के सम्मेलन (CoP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा व्यक्त की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021)

स्रोत: द हिंदू