इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट | 16 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट, ऑक्सफैम इंडिया, रोज़गार बेरोज़गारी पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), समानता का अधिकार, भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15)।

मेन्स के लिये:

महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव के प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

ऑक्सफैम इंडिया द्वारा जारी की गई इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट ने इस संदर्भ पर प्रकाश डाला कि महिलाओं और हाशिये के समुदायों को नौकरी में भेदभाव का सामना करना पड़ा।

प्रमुख बिंदु

  • यह डेटासेट रोज़गार-बेरोज़गारी पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (2004-05), वर्ष 2018-19 और 2019-20 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey-PLFS) एवं केंद्र द्वारा अखिल भारतीय ऋण तथा निवेश सर्वेक्षण के 61वें दौर से लिया गया था।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति: शिक्षा और सहायक सरकारी नीतियों के कारण शहरी क्षेत्रों में भेदभाव में कमी आई है।
    • आय में अंतर: गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिये वर्ष 2019-20 में स्व-नियोजित श्रमिकों की औसत आय 15,878 रुपए, जबकि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि के लोगों की औसत आय 10,533 रुपए थी।
      • स्व-नियोजित गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि के अपने समकक्षों की तुलना में एक-तिहाई अधिक कमाते हैं
    • ग्रामीण क्षेत्रों में भेदभाव में वृद्धि: ग्रामीण भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को आकस्मिक रोज़गार में भेदभाव में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।
  • महिलाएँ: महिलाओं के खिलाफ भेदभाव इतना अधिक है कि धर्म या जाति-आधारित उप-समूहों या ग्रामीण-शहरी विभाजन में शायद ही कोई अंतर है।
    • इस अवधि में महिलाओं के प्रति होने वाला भेदभाव वर्ष 2004-05 के 67.2% से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 75.7% हो गया है।
  • पुरुषों और महिलाओं के मध्य आय का अंतर: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आकस्मिक श्रमिकों के लिये 50% से 70% के मध्य आय का अंतर भी ज़्यादा है। नियमित श्रमिकों के लिये यह सीमा कम है, पुरुषों की आय महिलाओं की आय से 20-60% अधिक है।
    • स्वरोज़गार के मामले में असमानता बहुत अधिक है, पुरुषों की आय महिलाओं की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक है।
    • भारत में लैंगिक भेदभाव संरचनात्मक है जिसके परिणामस्वरूप 'सामान्य परिस्थितियों' में पुरुषों और महिलाओं की आय के मध्य भारी असमानताएँ व्याप्त होती हैं।

भेदभाव के विरुद्ध संवैधानिक प्रावधान:

  • समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14, 15, 16):
    • विधि के समक्ष समानता: अनुच्छेद 14 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समानता या विधि के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
      • यह अधिकार सभी व्यक्तियों को प्राप्त है, चाहे वह नागरिक या विदेशी, वैधानिक निगम, कंपनियाँ, पंजीकृत संस्थाएँ या किसी अन्य प्रकार के कानूनी व्यक्ति हो।
    • भेदभाव का निषेध: अनुच्छेद 15 के तहत किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान और वंश के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।
    • सार्वजनिक रोज़गार में अवसर की समानता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 किसी भी सार्वजनिक कार्यालय में रोज़गार या नियुक्ति के मामलों में सभी नागरिकों के लिये अवसर की समानता प्रदान करता है।

महिला सशक्तीकरण से संबंधित प्रमुख सरकारी योजनाएँ:

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey-PLFS):

  • अधिक नियत समय अंतराल पर श्रम बल डेटा की उपलब्धता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अप्रैल 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) की शुरुआत की।
  • PLFS के मुख्य उद्देश्य हैं:
    • 'वर्तमान साप्ताहिक स्थिति' (CWS) में केवल शहरी क्षेत्रों के लिये तीन माह के अल्‍पकालिक अंतराल पर प्रमुख रोज़गार और बेरोज़गारी संकेतकों (अर्थात् श्रमिक-जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोज़गारी दर) का अनुमान लगाना।
    • प्रतिवर्ष ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सामान्य स्थिति एवं CWS में रोज़गार एवं बेरोज़गारी संकेतकों का अनुमान लगाना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. भारत को "जनसांख्यिकीय लाभांश" वाला देश माना जाता है। यह निम्नलिखित में से किसके कारण है: (वर्ष 2011)

 (A) 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
 (B) 15-64 वर्ष के आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
 (C) 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
 (D) इसकी उच्च कुल जनसंख्या

 उत्तर: (B)

  • जनसांख्यिकीय लाभांश का अर्थ उस आर्थिक विकास संभावना या क्षमता से है जो जनसंख्या की आयु संरचना में परिवर्तन के परिणामस्वरूप साकार हो सकता है।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश एक ऐसी स्थिति है जब किसी देश में प्रजनन क्षमता और मृत्यु दर में गिरावट के कारण त्वरित आर्थिक विकास होता है।
  • प्रजनन दर में गिरावट के साथ युवा आबादी की हिस्सेदारी घटती जाती है और यदि यह गिरावट तीव्र होती है तो कार्यशील आयु की आबादी में पर्याप्त वृद्धि होती है जिससे 'जनसांख्यिकीय लाभांश' प्राप्त होता है।
  • ऐसी स्थिति में, एक अर्थव्यवस्था के संसाधनों को मुक्त कर दिया जाता है और देश के आर्थिक विकास तथा वृद्धि में तेज़ी लाने के लिये अन्य क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।
  • कुल उच्च जनसंख्या का अर्थ यह नहीं है कि कार्यशील जनसंख्या का उच्च अनुपात है।
  • 65 वर्ष से अधिक आयु की उच्च जनसंख्या आश्रित जनसंख्या के बड़े अनुपात और श्रम शक्ति के कम अनुपात को दर्शाती है।
  • एक देश जो निम्न मृत्यु दर के साथ निम्न जन्म दर का अनुभव करता है, उसे अपनी कार्यशील आबादी की उत्पादकता में वृद्धि से आर्थिक लाभांश मिलता है क्योंकि उसकी आश्रित जनसंख्या कम होती है (जैसे बच्चे)।
  • 15-64 वर्ष के आयु वर्ग की उच्च जनसंख्या उच्च कार्यशील जनसंख्या और श्रम शक्ति की ओर संकेत करती है। अतः विकल्प (B) सही उत्तर है।

प्रश्न. भारतीय संदर्भ में समवेशी विकास में निहित चुनौतियों, जिसमें लापरवाह और अनुपयुक्त जनशक्ति शामिल है, पर टिप्पणी कीजिये। इन चुनौतियों का सामना करने के उपाय सुझाइये। (मेन्स-2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस