भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका (IBSA) फोरम | 25 Nov 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

जोहांसबर्ग में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर, भारत के प्रधानमंत्री ने ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर IBSA (भारत-ब्राजील-साउथ अफ्रीका) फोरम को सुदृढ़ बनाने पर चर्चा की।

IBSA फोरम

  • परिचय: IBSA भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का एक विशिष्ट फोरम है, जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे तीन बड़े लोकतंत्र वाले महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • इसे 6 जून 2003 को ब्रासीलिया में IBSA डायलॉग फोरम के रूप में औपचारिक रूप दिया गया और ब्रासीलिया घोषणा-पत्र जारी किया गया। वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका IBSA की अध्यक्षता कर रहा है।
    • IBSA का कोई मुख्यालय या स्थायी सचिवालय नहीं है।
  • सहयोग के क्षेत्र: IBSA में सहयोग तीन क्षेत्रों में होता है:
    • राजनीतिक परामर्श: वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीतिक मुद्दों पर समन्वय।
    • त्रिपक्षीय सहयोग: कार्य समूहों और जन-से-जन संवाद के माध्यम से संयुक्त परियोजनाएँ।
    • अन्य विकासशील देशों को सहायता: IBSA फंड के माध्यम से परियोजनाओं का कार्यान्वयन।
  • IBSA ट्रस्ट फंड: वर्ष 2004 में स्थापित, वर्ष 2006 से गरीबी और भूख निवारण हेतु संचालन में।
    • इसने 34 साझेदार देशों में 46 साउथ-साउथ विकास परियोजनाओं के लिये 53.27 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किये, जिनमें अधिकांश लघु-विकसित देश (LDCs) हैं।
  • IBSAMAR: भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की नौसेनाओं के बीच संयुक्त बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास8वाँ संस्करण अक्तूबर 2024 में दक्षिण अफ्रीका के तट पर आयोजित हुआ।
  • वर्ष 2025 में प्रस्तावित पहलें: भारत के प्रधानमंत्री ने तीनों देशों के बीच नियमित सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी परामर्श के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता का प्रस्ताव रखा
    • उन्होंने जलवायु-अनुकूल कृषि के लिये IBSA फंड और UPI, CoWIN तथा साइबर सुरक्षा ढाँचे साझा करने हेतु डिजिटल नवाचार गठबंधन का सुझाव भी दिया।

भारत के हितों को आगे बढ़ाने में IBSA फोरम की क्या भूमिका है?

  • वैश्विक दक्षिण की आवाज़: एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के तीन प्रमुख लोकतंत्र और अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, IBSA वैश्विक दक्षिण के साझा हितों और विकास संबंधी प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिये एक संयुक्त मंच के रूप में कार्य करता है।
    • यह भारत को वैश्विक दक्षिण में नेतृत्व स्थापित करने और BRICS या शंघाई सहयोग संगठन के विपरीत, चीन के वर्चस्व या हस्तक्षेप के बगैर एजेंडा प्रभावित करने में सक्षम बनाता है।
  • बहुपक्षीय सुधार हेतु समर्थन: IBSA का एक प्रमुख उद्देश्य वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में, क्योंकि सभी सदस्य स्थायी सदस्यता के उम्मीदवार हैं और उनका तर्क है कि वर्तमान संरचनाएँ 21वीं सदी की भू-राजनीति को प्रतिबिंबित नहीं करतीं।
    • यह भारत के स्थायी UNSC सीट के प्रयासों के साथ सीधे जुड़ा है और उसके सुधार कार्यक्रम को मज़बूती प्रदान करता है।
  • लोकतंत्र और साझा मूल्य: IBSA बड़े, बहु-जातीय लोकतंत्र होने के साझा मूल्यों द्वारा जुड़ा हुआ है, जो मानव-केंद्रित विकास और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सहयोग को संभव बनाता है।
    • यह भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाता है, इसे विकासशील विश्व के एक ज़िम्मेदार ‘लोकतांत्रिक स्तंभ’ के रूप में स्थापित करता है और चीन जैसे तानाशाही विकल्पों से अलग करता है।
  • IBSA कोष के माध्यम से व्यावहारिक सहयोग: IBSA कोष दक्षिण-दक्षिण सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कृषि में विकास परियोजनाओं के लिये संसाधनों को एकत्रित करता है और सदस्य देशों से परे एकजुटता दर्शाता है।
    • यह भारत को एक कम लागत वाला, उच्च विश्वसनीयता वाला साधन प्रदान करता है, जिसके माध्यम से वह स्वयं को एक उदार और हितैषी विकास साझेदार के रूप में प्रस्तुत कर सकता है—बिना इस आरोप के कि वह ऋण-जाल कूटनीति (Debt-trap diplomacy) अपना रहा है।
  • वैश्विक मुद्दों पर रणनीतिक संवाद: यह मंच आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और व्यापार पर समन्वय सक्षम बनाता है तथा वैश्विक एजेंडों को आकार देने में उनके प्रभाव को बढ़ाता है।
    • यह भारत की सीमा-पार आतंकवाद पर चिंताओं को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने (जिसमें ‘दोहरा मानदंड न अपनाने’ की माँग शामिल है) और UPI एवं डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) जैसे भारतीय समाधान अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को निर्यात करने का मंच भी प्रदान करता है।

प्रभावी IBSA सहयोग में मुख्य अवरोध क्या हैं?

  • भू-राजनीतिक मतभेद: ब्राज़ील की निरंतर बदलती विदेश नीति प्राथमिकताएँ और दक्षिण अफ्रीका की आंतरिक राजनीतिक–आर्थिक अस्थिरता रणनीतिक समन्वय को कमज़ोर करती हैं।
    • भारत की रणनीतिक अभिसंरेखता ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की गैर-संरेखित या चीन समर्थक नीतियों के अनुरूप नहीं है, जिससे बाहरी दृष्टिकोणों में अंतर उत्पन्न होता है तथा त्रिपक्षीय सहयोग को व्यापक रूप से बढ़ाने की संभावनाएँ कम हो जाती हैं।
  • BRICS के साथ एजेंडे का अधिव्यापन: IBSA द्वारा उठाए जाने वाले लगभग सभी मुद्दे (संयुक्त राष्ट्र सुधार, ग्लोबल साउथ विकास, सतत् ऊर्जा) को BRICS भी शामिल करता है।
    • चूँकि BRICS में चीन की विशाल आर्थिक शक्ति शामिल है, यह स्वाभाविक रूप से ब्राज़ील एवं दक्षिण अफ्रीका से अधिक राजनीतिक पूंजी और ध्यान आकर्षित करता है।
    • जैसे-जैसे BRICS का विस्तार होता है (मिस्र, इथियोपिया, UAE को जोड़कर), IBSA को एक स्वतंत्र संस्था के रूप में अपनी मौजूदगी को न्यायसंगत ठहराने में कठिनाई होती है। इसका जोखिम यह है कि IBSA ‘डिस्कशन क्लब’ बन सकता है, जबकि BRICS ‘एक्शन ब्लॉक’ बन जाता है।
  • आर्थिक परस्परपूरकता और प्रतिस्पर्द्धा: कमोडिटी, कृषि एवं सेवाओं में समान आर्थिक ढाँचे होने के बावजूद, IBSA देशों के भीतर आपसी व्यापार (Intra-IBSA trade) कम है, क्योंकि आपूर्ति शृंखलाएँ और लॉजिस्टिक कॉरिडोर सीमित हैं। इसका परिणाम यह होता है कि देशों के बीच परस्परपूरकता विकसित होने के बजाय प्रतिस्पर्द्धा बढ़ जाती है।
  • नौकरशाही और संस्थागत बाधाएँ: IBSA के पास कोई स्थायी सचिवालय नहीं है, जिसके कारण संस्थागत स्मृति कमज़ोर रहती है और तीनों देशों में नौकरशाही जटिलताओं (red tape) के चलते परियोजनाओं का कार्यान्वयन धीमा हो जाता है।

IBSA सहयोग के लिये भविष्य की राह क्या हैं?

  • निश्‍चित (Niche) क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान: लोकतांत्रिक प्रशासन, जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा तथा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाया जाए। साझा मूल्यों और भारत के UPI तथा आधार जैसे अनुभवों का उपयोग कर ग्लोबल साउथ को लाभ पहुँचाया जा सकता है।
  • संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना: निरंतरता और परियोजनाओं की निगरानी के लिये एक छोटा, स्थायी IBSA सचिवालय स्थापित किया जाए। साथ ही, व्यापारिक अवसरों की पहचान करने और आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक IBSA बिज़नेस काउंसिल बनाई जाए।
  • रणनीतिक समन्वय और फंड का पुनर्जीवन: BRICS के ढाँचे में IBSA को एक समन्वय मंच के रूप में इस्तेमाल कर देशों के रुख में बेहतर तालमेल स्थापित किया जाए और चीन तथा रूस के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाया जाए। साथ ही, गरीबी एवं भूख उन्मूलन के लिये स्थापित IBSA फंड को फिर से सक्रिय कर दक्षिण–दक्षिण सहयोग का एक प्रभावी मॉडल प्रस्तुत किया जाए।

निष्कर्ष: 

IBSA मंच दक्षिण–दक्षिण सहयोग को मज़बूत करता है, भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका को एकजुट करते हुए लोकतंत्र, जलवायु-सहनीय विकास, डिजिटल नवाचार और वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा देता है। यह ग्लोबल साउथ की आवाज़ को और प्रभावशाली बनाता है तथा सुरक्षा, व्यापार और बहुपक्षीय मुद्दों पर रणनीतिक संवाद को भी सुगम बनाता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: IBSA ढाँचे के अंतर्गत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत वर्णन कीजिये। हाल ही में इस त्रिपक्षीय साझेदारी को मज़बूत करने के लिये कौन-सी नई पहलों का प्रस्ताव किया गया है?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. IBSA फ़ोरम क्या है?
IBSA भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका का त्रिपक्षीय समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी। इसका उद्देश्य राजनीतिक परामर्श, त्रिपक्षीय सहयोग और दक्षिण–दक्षिण विकास सहायता को बढ़ावा देना है।

2. IBSA फ़ंड का उद्देश्य क्या है?
वर्ष 2004 में स्थापित IBSA फंड स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन से जुड़े विकास परियोजनाओं को 34 साझेदार देशों में समर्थन देता है, जो प्रभावी दक्षिण–दक्षिण सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

3. वर्ष 2025 में भारत ने IBSA के लिये कौन-सी रणनीतिक पहलें प्रस्तावित कीं?
भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की वार्ता शुरू करने, जलवायु-सहनीय कृषि के लिये एक IBSA फंड बनाने और डिजिटल नवाचार गठबंधन (Digital Innovation Alliance) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया ताकि UPI, CoWIN और साइबर सुरक्षा ढाँचों को साझा किया जा सके।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले साल के सवाल (PYQs)

मेन्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट प्राप्त करने में भारत के सामने आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न: "यदि पिछले कुछ दशक एशिया की विकास गाथा के थे, तो अगले कुछ दशक अफ्रीका के होने की उम्मीद है।" इस कथन के आलोक में हाल के वर्षों में अफ्रीका में भारत के प्रभाव का परीक्षण कीजिये। (2021)