भारत में भूजल संदूषण | 05 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण, ब्लैक फुट रोग, ब्लू बेबी सिंड्रोम, इटाई इटाई रोग, अटल भूजल योजना, जल शक्ति अभियान, जलभृत मानचित्रण एवं प्रबंधन कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

मेन्स के लिये:

भूजल को दूषित करने के लिये ज़िम्मेदार प्राथमिक कारक, भूजल प्रदूषण के स्रोत

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने हाल ही में पूरे भारत में भूजल में ज़हरीले आर्सेनिक एवं फ्लोराइड के व्यापक मुद्दे पर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) की प्रतिक्रिया पर असंतोष व्यक्त किया है।

  • भारत के 25 राज्यों के 230 ज़िलों में आर्सेनिक के कारण भूजल संदूषण है, जबकि फ्लोराइड के कारण होने वाला प्रदूषण 27 राज्यों के 469 ज़िलों में भूजल संदूषित है।

नोट

  • भारत, दुनिया में भूजल के सबसे बड़े उपयोगकर्त्ताओं में से एक है, जहाँ भूजल देश के सिंचाई संसाधनों में 60% से अधिक का योगदान देता है।
  • भूजल का यह अति-निष्कर्षण गैर-नवीकरणीय है क्योंकि पुनर्भरण दरें, निष्कर्षण दरों से कम हैं और साथ इस संसाधन को फिर से भरने में हज़ारों वर्ष लग सकते हैं।

भूजल संदूषण के स्रोत क्या हैं?

  • प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले प्रदूषक: आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं लौह संदूषण के मामले में पश्चिम बंगाल एवं असम क्रमशः सर्वाधिक प्रभावित राज्य हैं।
  • कृषि: उर्वरकों, कीटनाशकों एवं शाकनाशियों के अत्यधिक उपयोग से हानिकारक रसायन जल स्तर में घुल जाते हैं।
  • औद्योगिक अपशिष्ट: अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट प्राय: भूजल स्रोतों में मिल जाते हैं, जिससे भारी धातुएँ और अन्य विषाक्त पदार्थ मिल जाते हैं।
  • नगरीकरण: शहरी क्षेत्रों में लीकेज सीवेज प्रणालियाँ तथा अनुचित अपशिष्ट निपटान भूजल प्रदूषण में योगदान करते हैं।
  • खारा जल: तटीय क्षेत्रों में, भूजल के अत्यधिक पंपिंग से समुद्र का खारा जल मीठे जल के जलभृतों में घुस सकता है, जिससे जल पीने या सिंचाई के लिये अनुपयोगी हो जाता है।
    • राजस्थान में (लवणता) प्रदूषण से प्रभावित ग्रामीण बस्तियों की संख्या सर्वाधिक है।

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण क्या है? 

  • परिचय: देश में भूजल संसाधनों के विकास तथा प्रबंधन को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिये पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 (3) के तहत प्राधिकरण का गठन किया गया है।
  • प्रमुख कार्य: 
    • देश में भूजल का विनियमन, नियंत्रण, प्रबंधन एवं विकास करना और इस उद्देश्य हेतु आवश्यक नियामक निर्देश जारी करना।
    • अधिकारियों की नियुक्ति के लिये पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 4 के तहत शक्तियों का प्रयोग करना।

भूजल को दूषित करने के लिये उत्तरदायी प्राथमिक अभिकर्त्ता:

  • आर्सेनिक: आर्सेनिक प्राकृतिक तरीके से होता है, यह कृषि, खनन और विनिर्माण में उपयोग किये जाने वाले मानव निर्मित रूपों में भी मौज़ूद होता है।
    • औद्योगिक और खनन निर्वहन के साथ-साथ थर्मल पॉवर प्लांटों में फ्लाई ऐश तालाबों से रिसाव, भूजल में आर्सेनिक ला सकता है।
    • आर्सेनिक के निरंतर संपर्क से ब्लैक फूट रोग होने के संभावना होती है।
  • फ्लोराइड: भारत में, उच्च फ्लोराइड सामग्री वाले जल की खपत के कारण फ्लोरोसिस एक प्रचलित मुद्दा है।
    • अत्यधिक फ्लोराइड के सेवन से न्यूरोमस्कुलर विकार, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ, दंत विकृति और कंकाल फ्लोरोसिस हो सकता है, जिसकी विशेषता अत्यधिक दर्द और जोड़ों का कठोर होना है।
    • घुटनों के पैरों से बाहर की ओर झुकने का कारण नॉक-नी सिंड्रोम भी हो सकता है।
  • नाइट्रेट: पीने योग्य जल में अत्यधिक नाइट्रेट का स्तर हीमोग्लोबिन के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे गैर-कार्यात्मक मीथेमोग्लोबिन का निर्माण होता है और ऑक्सीजन परिवहन में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे मीथेमोग्लोबिनेमिया या ब्लू बेबी सिंड्रोम की समस्या होती है।
    • उच्च नाइट्रेट स्तर भी कार्सिनोजेन्स के निर्माण में योगदान दे सकता है और सुपोषणीकरण को तेज़ कर सकता है।
  • यूरेनियम: भारत में, लंबे भौतिक अर्द्ध जीवन (long physical half-life) के साथ कमज़ोर रेडियोधर्मी यूरेनियम, स्थानीय क्षेत्रों में WHO के दिशा-निर्देशों से ऊपर की सांद्रता में पाया जाता है।
    • राजस्थान और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में, यूरेनियम मुख्य रूप से जलोढ़ जलाभृतों में मौजूद है, जबकि तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्यों में, यह ग्रेनाइट जैसी क्रिस्टलीय चट्टानों से उत्पन्न होता है।
    • पीने योग्य जल में यूरेनियम का उच्च स्तर किडनी विषाक्तता का कारण बन सकता है।
  • रेडॉन: हाल ही में बेंगलुरु के कुछ क्षेत्रों में, पीने के लिये उपयोग किये जाने वाले भूजल में रेडियोधर्मी रेडॉन का स्तर काफी अधिक पाया गया है।
    • रेडॉन की उत्पत्ति रेडियोधर्मी ग्रेनाइट और यूरेनियम से होती है, जो क्षय होकर रेडियम तथा रेडॉन में परिवर्तित हो जाता है।
    • वायु और जल में रेडॉन की उपस्थिति फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुँचा सकती है, जिससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • अन्य ट्रेस धातुएँ: जल सीसा, पारा, कैडमियम, ताँबा, क्रोमियम और निकल जैसी ट्रेस धातुओं से भी दूषित हो सकता है, जिनमें कैंसरकारी गुण उपस्थित होते हैं।
    • कैडमियम से दूषित जल से इटाई इटाई रोग की संभावना होती है, जिसे आउच-आउच रोग भी कहा जाता है।
    • पारा से दूषित जल मनुष्यों में मिनामाटा (न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम) का कारण बनता है।

आगे की राह

  • भूजल विनियमन को सुदृढ़ करना: औद्योगिक अपशिष्ट निपटान और कृषि पद्धतियों के संबंध में कड़े नियम लागू करना।
    • जलभृत पुनर्भरण दरों के आधार पर कोटा के साथ भूजल निष्कर्षण के लिये एक परमिट प्रणाली लागू करना।
  • सतत् कृषि को बढ़ावा देना: किसानों को परिशुद्ध कृषि तकनीकों, उर्वरकों के सावधानीपूर्वक उपयोग और ड्रिप सिंचाई जैसी कुशल सिंचाई प्रथाओं को अपनाने के लिये सहायिकी तथा प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: अनुपचारित अपवाहित मल द्वारा भूजल को प्रदूषित करने से रोकने के लिये अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों के निर्माण और रखरखाव में निवेश करना।
  • विकेंद्रीकृत प्रबंधन: सहभागी जल प्रबंधन मॉडल को बढ़ावा देकर स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना। इसमें स्थानीय क्षेत्रों में भूजल निष्कर्षण की योजना, निगरानी और विनियमन के लिये जल उपयोगकर्त्ता संघ (Water User Associations- WUA) बनाना शामिल हो सकता है।
  • ब्लू क्रेडिट: वर्षा जल संचयन, ग्रेवाटर रीसाइक्लिंग और घरेलू तथा औद्योगिक क्षेत्रों में जल संचय से संबंधित प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये ब्लू क्रेडिट जैसे वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करने की आवश्यकता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग: AI के माध्यम से जल की गुणवत्ता, उपयोग प्रतिरूप और जलभृत विशेषताओं से संबंधित व्यापक डेटा का विश्लेषण करना। इससे संदूषण जोखिमों का पूर्वानुमान करने और लक्षित मध्यवर्तन कार्यान्वित करने में मदद मिल सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी) से भिन्न है? (2018)

  1. एन.जी.टी का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है, जबकि सी.पी.सी.बी का गठन सरकार के कार्यपालक आदेश से किया गया है। 
  2. एन.जी.टी पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध करता है तथा उच्चतर न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में सहायता करता है, जबकि सी.पी.सी.बी झरनों तथा कुँओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है एवं देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने का लक्ष्य रखता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


Q. निम्नलिखित में से कौन-से भारत के कुछ भागों में पीने के जल में प्रदूषक के रूप में पाए जा सकते हैं? (2013)

1) आर्सेनिक
2) सॉर्बिटोल
3) फ्लोराइड
4) फॉर्मेल्डिहाइड
5) यूरेनियम

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

a) केवल 1 और 3
b) केवल 2, 4 और 5
c) केवल 1, 3 और 5
d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (C)


Q. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राचीन नगर अपने उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिये सुप्रसिद्ध है, जहाँ बाँधों की शृंखला का निर्माण किया गया था तथा संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम से जल को प्रवाहित किया जाता था? (2021)

(a) धोलावीरा
(b) कालीबंगन
(c) राखीगढ़ी
(d) रोपड़

उत्तर: (a)


Q. 'वाॅटरक्रेडिट' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. यह जल एवं स्वच्छता क्षेत्र में कार्य के लिये सूक्ष्म वित्त साधनों (माइक्रोफाइनेंस टूल्स) को लागू करता है।
  2. यह एक वैश्विक पहल है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक के तत्त्वावधान में प्रारंभ किया गया है।
  3. इसका उद्देश्य निर्धन व्यक्तियों को सहायिकी के बिना अपनी जल-संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये समर्थ बनाना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

मेन्स:

Q.1 जल संरक्षण और जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (2020)

Q.2 रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइए। (2020)