खाद्य मुद्रास्फीति | 09 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

मुद्रास्फीति, खाद्य मुद्रास्फीति, खाद्य मूल्य सूचकांक, सीपीआई, एमएसपी

मेन्स के लिये:

खाद्य मुद्रास्फीति और मुद्दे, वृद्धि एवं विकास

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन का खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI) जुलाई, 2022 में औसतन 140.9 अंक रहा, जो पिछले महीने के स्तर से 8.6% कम है और अक्तूबर, 2008 के बाद से सबसे तीव्र मासिक गिरावट है।

FFPI

खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI):

  • परिचय:
    • यह खाद्य वस्तुओं की टोकरी/समूह/बास्केट की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में मासिक परिवर्तन को प्रदर्शित करता है।
    • इसमें वर्ष 2014-2016 (आधार वर्ष) में प्रत्येक समूह के औसत निर्यात शेयरों द्वारा भारित पाँच कमोडिटी समूह मूल्य सूचकांकों का औसत शामिल है।
    • इसे वर्ष 1996 में वैश्विक कृषि कमोडिटी बाज़ारों में विकास की निगरानी में मदद करने के लिये सार्वजनिक वस्तु के रूप में पेश किया गया था।
  • FFPI की प्रवृत्ति:
    • फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मार्च, 2022 में FFPI 159.7 अंक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था।
    • नवीनतम इंडेक्स रीडिंग (जुलाई, 2022) अभी भी चल रहे युद्ध से पहले जनवरी, 2022 के 135.6 अंकों के बाद से सबसे कम है।
    • मार्च, 2022 और जुलाई, 2022 के बीच FFPI में संचयी रूप से 11.8% की गिरावट आई है।

FFPI में गिरावट के कारण:

  • वैश्विक:
    • काला सागर व्यापार मार्ग:
      • काला सागर व्यापार मार्ग को खोलने के लिये संयुक्त राष्ट्र समर्थित समझौता रूसी खाद्य और उर्वरकों के निर्बाध शिपमेंट की अनुमति देता है।
      • अकेले रूस से वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में 40 मिलियन टन (mt) निर्यात किया जाने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 33 मिलियन टन से अधिक है।
    • पाम ऑइल पर प्रतिबंध हटा:
    • सोयाबीन की फसलें:
      • अमेरिका, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और पराग्वे में सोयाबीन की बंपर फसल उत्पादन की संभावना है।
    • महामारी का प्रभाव:
  • घरेलू:
    • वर्षा:
      • जून, 2022 से अगस्त, 2022 तक मौजूदा मानसून मौसम के दौरान संचयी वर्षा इस अवधि के ऐतिहासिक दीर्घकालिक औसत से 5.7% अधिक रही है।
        • उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को छोड़कर लगभग सभी कृषि-महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अब तक अच्छी बारिश हुई है।
        • दक्षिण प्रायद्वीप, मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में औसत से अधिक वर्षा ने इस खरीफ (मानसून) मौसम में अधिकांश फसलों के रकबे में वृद्धि की है।

वर्तमान  खाद्य मुद्रास्फीति का कारण:

  • मौसम:
    • इसमें यूक्रेन (2020-21) और दक्षिण अमेरिका (2021-22) में सूखा शामिल था, जिसने विशेष रूप से सूरजमुखी एवं सोयाबीन की आपूर्ति को प्रभावित किया तथा मार्च-अप्रैल 2022 की गर्मी की लहर ने भारत में गेहूँ की फसल को बर्बाद कर दिया।
  • कोविड-19 महामारी:
    • महामारी का मलेशिया के पाम ऑयल बागानों में आपूर्ति-पक्ष पर सबसे अधिक प्रभाव महसूस किया गया जहाँ ताज़े फलों के गुच्छों की कटाई मुख्य रूप से इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश के प्रवासी मज़दूरों द्वारा की जाती है।.
      • कोविड-19 के परिणामस्वरूप कई मज़दूर वापस चले गए और कोई नया वर्कपरमिट जारी नहीं किया गया जिससे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक तथा निर्यातक देशों का उत्पादन कम हो गया।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध:
    • इसने दोनों देशों से होने वाली आपूर्ति में व्यवधान पैदा किया, जो कि वर्ष 2019-20 (युद्ध-रहित, गैर-सूखा वर्ष) में दुनिया के गेहूँ का 28.5%, मक्का का 18.8%, जौ का 34.4% तथा सूरजमुखी तेल का 78.1% निर्यात करते थे।
  • निर्यात नियंत्रण:
    • दिसंबर, 2020 में रूस द्वारा पहली बार नियंत्रण लगाया गया था, जो रिकॉर्ड गर्म तापमान के कारण उत्पन्न होने वाली घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति की आशंकाओं से प्रेरित था।

खाद्य की वैश्विक कीमतों का घरेलू कीमतों पर प्रभाव:

  • घरेलू खाद्य कीमतों के लिये वैश्विक मुद्रास्फीति का संचरण मूल रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि किसी देश की खपत/उत्पादन का कितना आयात/निर्यात किया जाता है।
    • इस संचरण का प्रभाव खाद्य तेलों और कपास के रूप में स्पष्ट है जिसमें भारत अपनी खपत का 2/3 और उत्पादन का 1/5 हिस्सा क्रमशः आयात तथा निर्यात करता है।
  • गेहूँ के मामले में मार्च, 2022 के मध्य से गर्मी की लहर ने पैदावार को गंभीर रूप से प्रभावित किया, सार्वजनिक स्टॉक और समग्र घरेलू उपलब्धता दोनों पर दबाव देखा गया, यहाँ तक कि खुले बाज़ार की कीमतें निर्यात समता स्तर तक बढ़ गई हैं।
    • केंद्र सरकार ने अपनी प्रमुख मुफ्त अनाज योजना के तहत गेहूँ आवंटन को कम करने तथा अधिक चावल देने का निर्णय लिया है।
  • चीनी एक ऐसी वस्तु है जिसमें मिलों द्वारा रिकॉर्ड निर्यात के बावजूद खुदरा कीमतें ज़्यादा नहीं बढ़ी हैं।
    • इसकी वजह अधिक उत्पादन होना भी है।

आगे की राह

  • आयात नीति में एकरूपता होनी चाहिये क्योंकि यह अग्रिम रूप से उचित बाज़ार संकेत प्रदान करती है।
    • आयात शुल्क के माध्यम से हस्तक्षेप करना कोटा से बेहतर है जिसमें अधिक नुकसान होता है। यह उपग्रह, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीकों का उपयोग करके अधिक सटीक फसल पूर्वानुमानों की भी मांग करता है ताकि फसल वर्ष में बहुत पहले ही कमी/अधिशेष का संकेत मिल सके।
  • इसके अलावा एक दशक पुराना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधार वर्ष 2011-12, जो खाद्य पदार्थों को लगभग आधा भारांक देता है, को संशोधित और अद्यतन करने की आवश्यकता है ताकि भोजन की आदतों एवं आबादी की जीवनशैली में बदलाव को प्रतिबिंबित किया जा सके।
    • बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च में वृद्धि हुई है तथा इसे सीपीआई में बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, जिससे आरबीआई मुद्रास्फीति को बेहतर ढंग से लक्षित किया जा सके।

यूपीएससी  सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रारंभिक परीक्षा:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) भार (Wegitage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिये गए भार से अधिक है।
  2. WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को शामिल नहीं करता है, जैसा कि CPI करता है।
  3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण हेतु WPI को अपना लिया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) थोक बाज़ार में या थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में आने वाले औसत परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) घरेलू उपयोग हेतु खरीदी गई उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की एक बास्केट के मूल्य स्तर में परिवर्तन का माप है। वस्तुओं के बास्केट के आधार पर CPI चार प्रकार के होते हैं:
    • औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers- IW) के लिये CPI
    • कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer- AL) के लिये CPI
    • ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer- RL) के लिये CPI
    • CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
  • इनमें से पहले तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा, जबकि चौथा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
  • CPI में मदों का भारांश उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षणों से लिये गए औसत घरेलू व्यय पर आधारित है। CPI में खाद्य वस्तुओं का भारांश WPI (लगभग 24%) की तुलना में कहीं अधिक (लगभग 46%) है। WPI मदों की बास्केट का एक महत्त्वपूर्ण अनुपात विनिर्माण आदानों तथा मध्यवर्ती वस्तुओं जैसे- खनिज, मूल धातु, मशीनरी आदि पर आधारित है। अतः कथन 1 सही है।
  • इसके अलावा WPI सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को शामिल नहीं करता है, जैसा कि CPI करता है। अत: कथन 2 सही है।
  • WPI का उपयोग कुछ अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति के एक प्रमुख उपाय के रूप में किया जाता है। हालाँकि भारतीय रिज़र्व बैंक अब इसका उपयोग नीतिगत उद्देश्यों के लिये नहीं करता है, जिसमें रेपो दरें निर्धारित करना भी शामिल है। अप्रैल, 2014 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक और क्रेडिट नीति निर्धारित करने के लिये CPI या खुदरा मुद्रास्फीति को मुद्रास्फीति के एक प्रमुख उपाय के रूप में अपनाया। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (a) सही है।


मेन्स:

प्रश्न. एक मत यह भी है कि राज्य अधिनियमों के तहत गठित कृषि उत्पाद बाज़ार समितियों (APMCs) ने न केवल कृषि के विकास में बाधा डाली है, बल्कि यह भारत में खाद्य मुद्रस्फीति का कारण भी रही है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस