सिगरेट बट्स के निस्तारण हेतु दिशा निर्देशों की मांग | 11 Sep 2020

प्रिलिम्स के लिये:  

एम-सेसेशन, विश्व तंबाकू निषेध दिवस

मेन्स के लिये:

तंबाकू सेवन और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव, तंबाकू सेवन को नियंत्रित करने के लिये सरकार के प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal - NGT) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) को अगले तीन महीनों के अंदर बीड़ी और सिगरेट के बचे हुए टुकड़ों [ठूंठ या बट (Butt)] के निस्तारण हेतु दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • NGT का यह निर्देश ‘डॉक्टर फॉर यू’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन (Non-Governmental Organisation- NGO) द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद आया है। 
  • इस संगठन ने सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के सेवन को प्रतिबंधित करने के साथ सिगरेट और बीड़ी के बचे हुए टुकड़ों के निस्तारण को विनियमित करने के लिये दिशा-निर्देशों के निर्धारण की मांग की थी।
  • इससे पहले ‘केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ ने कहा था कि ‘सिगरेट बट’ खतरनाक वस्तु  के रूप में सूचीबद्ध नहीं हैं, हालाँकि ‘केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ का मानना है कि यह बायोडिग्रेडेबल (Biodegradable) नहीं हैं।

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट:

  • इस संदर्भ में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 अगस्त, 2020 को प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन के आधार पर पता चलता है कि सिगरेट बट में उपस्थित रसायनों की सांद्रता मानव और पर्यावरण के लिये विषाक्त नहीं है।
  • गौरतलब है कि रैपिंग पेपर और रेयॉन के अतिरिक्त सलूलोज़ एसीटेट (Cellulose acetate) सिगरेट बट (95%) का एक प्रमुख घटक है।
  • आमतौर पर सलूलोज़ एसीटेट की विषाक्तता से जुड़े आँकड़े या डेटा उपलब्ध नहीं होते हैं परंतु इसके अवक्रमण के अध्ययनों से पता चलता है कि यह लंबी अवधि तक बना रह सकता है।
  • भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Toxicology Research- IITR) के एक अध्ययन के अनुसार, सिगरेट बट की सुरक्षा और विषाक्तता का सटीक अनुमान लगाने के लिये और शोध की आवश्यकता होगी, जिससे पर्यावरण और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर इसके खतरों का पता लगाया जा सके।

सुझाव: 

  • रिपोर्ट के अनुसार, जबतक सिगरेट बट के अवक्रमण और सुरक्षा से जुड़ा सटीक डेटा नहीं उपलब्ध होता है, तब तक सिगरेट बट्स या बचे हुए टुकड़ों को एकत्र कर सेलूलोज़ एसीटेट के पुनर्चक्रण को इस समस्या के तात्कालिक समाधान के रूप में अपनाया जा सकता है। 
  • NCT की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू उत्पादों के थूकने और बीड़ी तथा सिगरेट के फेंके गए टुकड़ों के दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक अंतर-मंत्रालयी या अंतर-विभागीय समिति का गठन किया जाना चाहिये।

तंबाकू सेवन पर नियंत्रण हेतु सरकार और अन्य संस्थाओं प्रयास:

  • गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष 31 मई को ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation- WHO) और वैश्विक स्तर पर इसके अन्य सहयोगियों  द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day-WNTD) मनाया जाता है। 
    • इसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना और तंबाकू के सेवन में कमी लाना है।
    • वर्ष 2020 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस का विषय ‘युवाओं को उद्योग के हेरफेर से बचाना और उन्हें तंबाकू और निकोटीन के उपयोग से रोकना’ था।
  • तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004 में तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (World Health Organization Framework Convention on Tobacco Control - WHO FCTC) को अपनाया गया है।
  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में डिजिटल इंडिया पहल के तहत एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। 
    • एम-सेसेशन, तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
    • इसमें यह तंबाकू सेवन को छोड़ने के इच्छुक व्यक्ति और कार्यक्रम से जुड़े विशेषज्ञों के बीच दो-तरफा मैसेजिंग का उपयोग किया जाता है, और लोगों को व्यापक सहयोग प्रदान किया जाता है। 
  • भारत सरकार द्वारा मई 2003 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया गया था।
    • इसका पूरा नाम सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पादों (विज्ञापनों का निषेध और व्यापार व वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 है।
  • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (National Tobacco Control Programme- NTCP):  
    • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
    • इसका उद्देश्य तंबाकू  के उपयोग के नुकसानदायक प्रभावों और तंबाकू नियंत्रण कानून के बारे में व्यापक जागरूकता उत्पन्न करना तथा तंबाकू नियंत्रण कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना है।

स्रोत:  द हिंदू