श्रीलंका में चीनी पोत | 17 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

युआंग वांग पोत, भारतीय और श्रीलंका संबंध

मेन्स के लिये:

भारत के हितों, भारत और उसके पड़ोस, भारत-श्रीलंका संबंधों पर नीतियों और देशों की राजनीति का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, चीन का उपग्रह ट्रैकिंग पोत युआंग वांग 5 श्रीलंका के दक्षिणी हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुँचा है, जबकि भारत और अमेरिका ने इस सैन्य जहाज़ की यात्रा पर चिंता व्यक्त की है।

Sri-Lanka

युआंग वांग 5 और हंबनटोटा बंदरगाह:

  • युआंग वांग 5:
    • यह युआंग वांग शृंखला की तीसरी पीढ़ी का पोत है जो वर्ष 2007 में सेवारत है।
    • पोत की इस शृंखला में "मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन एवं उपग्रह ट्रैकिंग" भी शामिल हैं।
    • अर्थात् इसमें उपग्रहों और अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता है।
  • हंबनटोटा बंदरगाह:
    • हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट समूह श्रीलंका सरकार एवं चीन मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स (CMPort) के मध्य एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की रणनीतिक विकास परियोजना है।
    • श्रीलंका द्वारा चीनी ऋण चुकाने में विफल रहने के बाद यह बंदरगाह चीन को 99 वर्ष के पट्टे पर दिया गया था।
      • इसे चीन के "डेट ट्रैप" कूटनीति के रूप में देखा जाता है।

श्रीलंका में चीन की मौज़ूदगी भारत के लिये चिंता का विषय:

  • हाल ही में श्रीलंका में चीन की मौज़ूदगी बड़े पैमाने पर बढ़ी है।
    • चीन श्रीलंका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय लेनदार है।
      • श्रीलंका के कुल सार्वजनिक क्षेत्र में ऋण केंद्र सरकार के विदेशी ऋण का 15% है।
      • श्रीलंका अपने विदेशी कर्ज़ के बोझ को कम करने के लिये बहुत अधिक हद तक चीनी ऋण पर निर्भर है।
      • महामारी की चपेट में आने के तुरंत बाद चीन ने श्रीलंका को लगभग 2.8 बिलियन अमेरीकी डॉलर का ऋण दिया, लेकिन वर्ष 2022 चीन ने इस मामले में सक्रिय  कदम नहीं उठाया और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था संकट  में आ गई।
    • चीन ने वर्ष 2006-19 के बीच श्रीलंका की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में करीब 12 अरब डॉलर का निवेश किया है।
    • चीन दक्षिण एशिया और हिंद महासागर में दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र की तुलना में अधिक अधिकार जताता है।
      • चीन को ताइवान के विरोध, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी एशिया में क्षेत्रीय विवादों और अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ असंख्य संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है।
  • चीन की मौजूदगी से भारत की चिंता:
    • श्रीलंका ने कोलंबो पोर्ट सिटी के चारों ओर विशेष आर्थिक क्षेत्र और चीन द्वारा वित्त पोषित नया आर्थिक आयोग स्थापित करने का निर्णय लिया है।
      • कोलंबो बंदरगाह भारत के ट्रांस-शिपमेंट कार्गो का 60% संभालता है।
    • हंबनटोटा और कोलंबो पोर्ट सिटी परियोजना को पट्टे पर देने से चीनी नौसेना के लिये हिंद महासागर में स्थायी उपस्थिति होना लगभग तय हो गया है जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चिंताजनक होगा।
      • भारत को घेरने की चीनी रणनीति को स्ट्रिंग्स ऑफ पर्ल्स स्ट्रैटेजी कहा जाता है।
    • बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव जैसे अन्य दक्षिण एशियाई देश भी बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये चीन की ओर रुख कर रहे हैं।

भारत का दृष्टिकोण:

  • सामरिक हितों को संरक्षित करना:
    • भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने हेतु श्रीलंका के साथ नेबरहुड फर्स्ट की नीति का पोषण करना महत्त्वपूर्ण है।
  • क्षेत्रीय मंचों का लाभ उठाना:
    • प्रौद्योगिकी संचालित कृषि, समुद्री क्षेत्र के विकास, आईटी और संचार बुनियादी ढाँचे आदि जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये बिम्सटेक/BIMSTEC, सार्क/SAARC, सागर/ SAGAR और IORA जैसे प्लेटफार्मों का लाभ उठाया जा सकता है।
  • चीनी विस्तार को रोकना:
    • भारत को जाफना में कांकेसंतुराई बंदरगाह और त्रिंकोमाली में ऑइल टैंक फार्म परियोजना पर काम करना जारी रखना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चीन श्रीलंका में आगे कोई पैठ नहीं बना सके।
    • दोनों देश आर्थिक लचीलापन पैदा करने के लिये निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने में भी सहयोग कर सकते हैं।
  • भारत की सॉफ्ट पावर का लाभ उठाना:
    • प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत अपनी IT कंपनियों की उपस्थिति का विस्तार करके श्रीलंका में रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है।
  • ये संगठन हज़ारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा कर सकते हैं और द्वीपीय राष्ट्र की सेवा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार मूल्य में लगातार वृद्धि हुई है।
  2. "कपड़ा और कपड़े से निर्मित वस्तुएँ" भारत व बांग्लादेश के बीच व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु है।
  3. नेपाल पिछले पांँच वर्षों में दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वाणिज्य विभाग के आंँकड़ों के अनुसार, एक दशक (वर्ष 2007 से वर्ष 2016) के लिये भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय व्यापार मूल्य क्रमशः 3.0, 3.4, 2.1, 3.8, 5.2, 4.5, 5.3, 7.0, 6.3, 4.8 (अमेरिकी डाॅलर में) था जो व्यापार मूल्य की प्रवृत्ति में निरंतर उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। समग्र वृद्धि के बावजूद इसे व्यापार मूल्य में लगातार वृद्धि के रूप में नहीं कहा जा सकता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • निर्यात में 5% से अधिक और आयात में 7% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ बांग्लादेश, भारत के लिये एक प्रमुख कपड़ा व्यापार भागीदार देश रहा है। भारत का बांग्लादेश को सालाना कपड़ा निर्यात औसतन 2,000 मिलियन डॉलर और आयात 400 डॉलर (वर्ष 2016-17) का है। अत: कथन 2 सही है।
  • आंँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016-17 में बांग्लादेश, दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है, इसके बाद नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव का स्थान है। भारतीय निर्यात का स्तर भी इसी क्रम का अनुसरण करता है। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (B) सही है।

स्रोत: द हिंदू