भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व | 05 Nov 2025
प्रिलिम्स के लिये: बायोस्फीयर रिज़र्व, बायोस्फीयर रिज़र्व का विश्व नेटवर्क, MAB कार्यक्रम, शीत मरुस्थल
मेन्स के लिये: भारत के बायोस्फीयर रिज़र्व की वास्तुकला, संरक्षण, यूनेस्को MAB कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
भारत ने जैवविविधता संरक्षण और सतत् विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र दिवस मनाया। यह दिवस इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस प्रकार जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र ऐसे स्थान हैं जहाँ वैज्ञानिक अनुसंधान, पारिस्थितिक संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से लोग प्रकृति और समुदायों के सद्भावनापूर्ण सह-अस्तित्व में रहते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित दिवस
- 3 नवंबर को मनाया जाने वाला यह दिवस संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा 2022 में जैवविविधता के संरक्षण और सतत् विकास को बढ़ावा देने में बायोस्फीयर रिज़र्व की भूमिका को उजागर करने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व (WNBR) की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।
बायोस्फीयर रिज़र्व क्या हैं?
- परिचय: बायोस्फीयर रिज़र्व जैव विविधता के संरक्षण और सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय सरकारों द्वारा चिन्हित क्षेत्र हैं।
- यह "सतत् विकास के लिये सीखने के स्थान" के रूप में कार्य करते हैं तथा लोगों और प्रकृति के बीच अंतःक्रियाओं का अध्ययन एवं प्रबंधन करने में मदद करते हैं।
- प्रमुख विशेषताएँ: बायोस्फीयर रिज़र्व में स्थलीय, समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। प्रत्येक स्थल जैवविविधता के संरक्षण और उसके सतत् उपयोग के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाले समाधानों को बढ़ावा देता है।
- बायोस्फीयर रिज़र्व राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नामित किये जाते हैं और उन राज्यों के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में रहते हैं जहाँ वे स्थित हैं। इस प्रकार बायोस्फीयर रिज़र्व इस बात के जीवंत उदाहरण हैं कि कैसे मनुष्य और प्रकृति एक-दूसरे की आवश्यकताओं का सम्मान करते हुए सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।
- वैश्विक उपस्थिति: वैश्विक स्तर पर, 26 करोड़ से ज़्यादा लोग बायोस्फीयर रिज़र्व में रहते हैं, जिनका क्षेत्रफल लगभग 70 लाख वर्ग किलोमीटर (ऑस्ट्रेलिया के आकार के बराबर) है।
- यूनेस्को मानव और बायोस्फीयर कार्यक्रम: वर्ष 1971 में शुरू किया गया MAB कार्यक्रम एक अंतर-सरकारी पहल है जो विज्ञान का उपयोग करके मनुष्य और प्रकृति के सह-अस्तित्व को बेहतर बनाता है साथ ही सतत् विकास एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- इसका विश्व जैवमंडल आरक्षित नेटवर्क, बायोस्फीयर आरक्षित क्षेत्रों के लिये एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है जो ज्ञान साझाकरण, भागीदारी और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त विकास के माध्यम से प्रकृति और समुदायों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
- भारत में जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र: भारत में कुल 18 जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं, जो लगभग 91,425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें से 13 को यूनेस्को के विश्व जीवमंडल आरक्षित नेटवर्क (WNBR) में शामिल किया गया है।
- ये पर्वतों, वनों, तटीय क्षेत्रों और द्वीपों तक विस्तृत हैं, जो भारत की समृद्ध जैवविविधता और समुदाय-आधारित संरक्षण दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हैं।
भारत बायोस्फीयर रिज़र्व को किस प्रकार बढ़ावा दे रहा है?
- नीतिगत ढाँचा: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का बायोस्फीयर रिज़र्व डिवीज़न जैव विविधता संरक्षण के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) का संचालन करता है, जो प्राकृतिक संसाधनों और इको सिस्टम के व्यापक संरक्षण (CNRE) कार्यक्रम के तहत एक उप-योजना के रूप में कार्य करती है।
- यह योजना लागत-साझाकरण 60:40 (केंद्रीय: राज्य) और पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 मॉडल का अनुसरण करती है तथा वैकल्पिक आजीविका, पर्यावरण-विकास गतिविधियों और सतत् संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देकर, यह योजना मुख्य जैवविविधता क्षेत्रों पर जैविक दबाव को कम करने में मदद करती है।
- राष्ट्रीय पहलों के साथ एकीकरण: भारत के जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (BRs) जैव विविधता का संरक्षण करते हैं और स्थानीय समुदायों का समर्थन करते हैं। ये प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, ग्रीन इंडिया मिशन, एकीकृत वन्यजीव आवास विकास (IDWH) योजना, और राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना (NBAP) जैसी पहलों के साथ मिलकर संतुलित और सतत् विकास को बढ़ावा देते हैं।
बायोस्फीयर रिज़र्व के प्रबंधन के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- पारिस्थितिकी तंत्र पर उच्च मानवीय दबाव: ईंधन, चारा और चराई के लिये वनों पर भारी निर्भरता पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती है, उदाहरण के लिये, कोल्ड डेज़र्ट बायोस्फीयर रिज़र्व (हिमाचल प्रदेश) में अत्यधिक चराई कमज़ोर अल्पाइन आवासों को नुकसान पहुँचा रही है।
- कृषि, पर्यटन और बुनियादी ढाँचे का विस्तार पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है, जैसा कि नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व में देखा गया है, जहाँ विकास के दबाव से प्रमुख एलीफैंट कोरिडोर को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- अवैध शिकार और अवैध निष्कर्षण: वन्यजीवों का अवैध शिकार, लकड़ी की कटाई और वन उपज की अत्यधिक कटाई से जैवविविधता को खतरा बना हुआ है, जैसा कि सिमलीपाल बायोस्फीयर रिज़र्व (ओडिशा) में देखा गया है, जहाँ बाघों और हाथियों के अवैध शिकार की सूचना मिली है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र स्तर में वृद्धि, लवणता में वृद्धि और मौसम में अत्यधिक परिवर्तन हो रहा है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा हो रहा है, जैसा कि सुंदरबन क्षेत्र में देखा गया है, जो तटीय क्षरण और मैंग्रोव की हानि का सामना कर रहा है।
- प्रबंधन में अनुसंधान का कमजोर एकीकरण: सीमित वैज्ञानिक निगरानी साक्ष्य-आधारित योजना को कम करती है तथा आधारभूत डेटा अंतराल बायोस्फीयर रिज़र्व की दीर्घकालिक योजना में बाधा डालते हैं।
- पर्यटन दबाव: अनियमित पर्यटन से आवास की गुणवत्ता प्रभावित होती है साथ ही प्रदूषण बढ़ता है। नंदा देवी रेंज (उत्तराखंड) में पर्यटकों की भारी भीड़ के कारण कचरा उत्पादन और पगडंडियों का कटाव बढ़ रहा है।
- सीमा प्रबंधन के मुद्दे: कोर, बफर और ट्रांज़िशन ज़ोन का अपर्याप्त सीमांकन, प्रवर्तन को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिये, मन्नार खाड़ी (तमिलनाडु) में, मत्स्य संग्रहण और औद्योगिक गतिविधियों की अधिकता ज़ोनिंग को जटिल बनाती है।
- समुदाय बनाम संरक्षण: स्थानीय आजीविका की आवश्यकताएँ संरक्षण नियमों के साथ टकराव उत्पन्न कर सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पहुँच प्रतिबंधों के खिलाफ प्रतिरोध उत्पन्न हो सकता है।
- उदाहरण के तौर पर, सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व में आजीविका के रूप में मत्स्य संग्रहण और शहद इकट्ठा करने पर निर्भरता, कई बार आवास संरक्षण उपायों और कोर क्षेत्र में प्रतिबंधों से टकराव उत्पन्न करती है।
बायोस्फीयर रिज़र्व के प्रभावी प्रबंधन के लिये कौन-से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- सामुदायिक आधारित संरक्षण को सुदृढ़ करना: संयुक्त वन प्रबंधन (JFM) का विस्तार करना और वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत ग्राम सभाओं की भूमिका को मज़बूत करना। वन धन विकास केंद्रों के माध्यम से NTFP के सतत् प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
- सतत् आजीविका को बढ़ावा देना: ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) के तहत बफर और ट्रांज़िशन ज़ोन में पर्यावरण-विकास और हरित रोज़गार को बढ़ावा देना।
- वन निर्भरता को कम करने के लिये प्रकृति आधारित पर्यटन, एग्रोफॉरेस्ट्री और मूल्य शृंखला विकास को प्रोत्साहित करना।
- वित्तीय और संस्थागत क्षमता को सशक्त बनाना: संवर्धन हेतु CNRE आवंटन बढ़ाना और बहुवर्षीय वित्त पोषण सुनिश्चित करना। राज्य बायोस्फीयर रिज़र्व प्राधिकरणों को सशक्त करना और प्रशिक्षित पारिस्थितिक एवं सामाजिक विज्ञान कर्मियों में निवेश करना।
- वैज्ञानिक निगरानी और डेटा प्रणालियों में सुधार: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और प्राणि सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से दीर्घकालिक पारिस्थितिक अनुसंधान अनिवार्य करना।
- राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के माध्यम से रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक का उपयोग आवास एवं वन्यजीव निगरानी के लिये बढ़ाना।
- बेहतर ज़ोनिंग और प्रवर्तन: कोर–बफर–ट्रांज़िशन सीमाओं का डिजिटल नक्शांकन करना। टेक-आधारित गश्त प्रणाली (जैसे M-STRiPES) के माध्यम से शिकार-रोधी उपाय और प्रवर्तन को मज़बूत करना।
- जलवायु-संवेदनशील प्रबंधन रणनीतियाँ: राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजनाओं (SAPCC) के साथ बायोस्फीयर रिज़र्व योजनाओं का एकीकरण करना। विशेष रूप से तटीय रिज़र्व जैसे सुंदरबन में, क्षतिग्रस्त भू-दृश्यों और मैंग्रोव का पुनर्स्थापन करना।
निष्कर्ष
भारत द्वारा इस दिवस का आयोजन जैव विविधता और सतत् विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करता है। युनेस्को के MAB साझेदारी तथा समुदाय-संचालित संरक्षण के माध्यम से, भारत प्रकृति एवं आजीविका के संतुलन में वैश्विक नेतृत्व जारी रखता है।
|
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व को "लिविंग लैबोरेटरीज़" के रूप में संरक्षण और विकास के संतुलन के लिये उपयोग करने का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम क्या है?
मैन एंड द बायोस्फीयर (Man and the Biosphere – MAB) प्रोग्राम को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा वर्ष 1971 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य संरक्षण और सतत् विकास के माध्यम से लोगों और पर्यावरण के बीच संबंध को सुधारना है।
2. भारत में कितने बायोस्फीयर रिज़र्व हैं?
भारत में 18 बायोस्फीयर रिज़र्व्स हैं, जिनमें से 13 विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व नेटवर्क का हिस्सा हैं।
3. भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये वित्तपोषण का प्रबंधन किसके द्वारा किया जाता है।
वित्तपोषण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत प्रदान किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. जैवविविधता के साथ-साथ मनुष्य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीति निम्नलिखित में से किस एक की स्थापना करने में निहित है? (2014)
(a) जीवमंडल निचय (रिज़र्व)
(b) वानस्पतिक उद्यान
(c) राष्ट्रीय उपवन
(d) वन्यजीव अभयारण्य
उत्तर: (a)
प्रश्न. भारत के सभी बायोस्फीयर रिज़र्व में से चार को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड नेटवर्क के रूप में मान्यता दी गई है। निम्नलिखित में से कौन-सा उनमें से एक नहीं है? (2008)
(a) मन्नार की खाड़ी
(b) कंचनजंगा
(c) नंदा देवी
(d) सुंदरबन
उत्तर: (b)



