2023-24 के लिये वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) | 03 Oct 2025
प्रिलिम्स के लिये: उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, उत्पादन से जुड़ी पहल
मेन्स के लिये: भारत का औद्योगिक विकास, भारत के विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्र में अवसर और चुनौतियाँ।
चर्चा में क्यों?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 2023-24 के लिये वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) जारी किया है।
2023-24 के लिये वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA): इसमें 11.89% की वृद्धि हुई, जो कि आउटपुट (5.80%) और इनपुट (4.71%) दोनों से अधिक है, जिससे बेहतर दक्षता तथा उच्च मूल्य सृजन का पता चलता है।
- GVA के संदर्भ में शीर्ष उद्योग: विकास का नेतृत्व मूल धातुओं, मोटर वाहनों, रसायनों, खाद्य उत्पादों और फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया गया, जो उद्योग निर्यात-उन्मुख और श्रम-प्रधान दोनों हैं।
- इन क्षेत्रों ने कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग 48% का योगदान दिया।
- GVA द्वारा शीर्ष 5 राज्य: महाराष्ट्र (16%), गुजरात (14%), तमिलनाडु (10%), कर्नाटक (7%) और उत्तर प्रदेश (7%)।
- GVA के संदर्भ में शीर्ष उद्योग: विकास का नेतृत्व मूल धातुओं, मोटर वाहनों, रसायनों, खाद्य उत्पादों और फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया गया, जो उद्योग निर्यात-उन्मुख और श्रम-प्रधान दोनों हैं।
- रोज़गार: रोज़गार में वर्ष-दर-वर्ष 5.92% की वृद्धि दर्ज की गई, जो दर्शाता है कि औद्योगिक वृद्धि ने रोज़गार के अवसरों में रूपांतरण किया है। इस क्षेत्र ने पिछले एक दशक (2014-15 से 2023-24) के दौरान 50 लाख से अधिक (कुल 57 लाख) नई नौकरियाँ प्रदान की हैं।
- औसत वेतन (Average Emoluments) में 5.6% की वृद्धि हुई, जो कि उत्पादन वृद्धि के अनुरूप रही। हालाँकि वेतन में हुई बढ़ोतरी अब भी कुल सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) की वृद्धि से पीछे है।
- रोज़गार के मामले में तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष 5 राज्य हैं।
उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI)
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ASI का संचालन करता है तथा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय इसकी कवरेज और डेटा गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- ASI के अंतर्गत कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत पंजीकृत कारखाने, बीड़ी एवं सिगार श्रमिक अधिनियम, 1966 के अंतर्गत बीड़ी एवं सिगार इकाइयाँ, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के साथ पंजीकृत नहीं होने वाले विद्युत उपक्रम तथा राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए प्रतिष्ठानों के व्यवसाय रजिस्टर (BRE) में सूचीबद्ध 100 या अधिक कर्मचारियों वाले बड़े प्रतिष्ठान आते हैं।
- ASI में प्रयुक्त प्रमुख अवधारणाएँ एवं परिभाषाएँ:
- सकल मूल्यवर्द्धन (GVA): उत्पादन प्रक्रिया द्वारा सृजित अतिरिक्त मूल्य। इसकी गणना कुल उत्पादन में से कुल आगत के मूल्य को घटाकर की जाती है।
- कुल वेतन और भत्ते (Total Emoluments): यह मज़दूरी, सैलरी और बोनस सहित सभी प्रकार के भुगतान का योग होता है।
भारत के औद्योगिक क्षेत्र के लिये अवसर और चुनौतियाँ क्या हैं?
अवसर |
चुनौतियाँ |
अखिल भारतीय औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) ने अगस्त 2025 में वर्ष-दर-वर्ष 4.0% की वृद्धि दर्ज की। सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की 17% हिस्सेदारी आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के अवसर पैदा करती है। |
रसद, विद्युत, जल, बंदरगाह और भंडारण संबंधी कमियाँ रसद लागत में कमी के बावजूद दक्षता में बाधा डालती हैं। |
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 बिलियन अमरीकी डॉलर का सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया, जिसमें विनिर्माण FDI में 18% की वृद्धि हुई, जिससे भारत एक वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में स्थापित हुआ। |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को बढ़ते वाणिज्यिक ऋण जोखिम के बावजूद ऋण अंतराल और उच्च उधारी लागत का सामना करना पड़ रहा है। |
प्रमुख उद्योगों (इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटोमोटिव, वस्त्र) में तीव्र आधुनिकीकरण से उच्च मूल्य संवर्द्धन और वैश्विक नेतृत्व के अवसर उपलब्ध होते हैं। |
चीन और वियतनाम जैसे कम लागत वाले उत्पादक भारतीय निर्माताओं के लिये चुनौती बने हुए हैं, सीमित अनुसंधान एवं विकास तथा कमज़ोर डिज़ाइन क्षमताएँ वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बाधित करती हैं। MSME के बीच उद्योग 4.0 को असमान रूप से अपनाना तथा स्वचालन से रोज़गार विस्थापन की चिंताएँ विकास को सीमित कर रही हैं। |
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI), GST सुधार, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और पीएम मित्र पार्क जैसी पहल परिचालन को बढ़ाने तथा निवेश आकर्षित करने के अवसर पैदा करती हैं। |
गैर-टैरिफ बाधाएँ, मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की सावधानी और बढ़ते टैरिफ (जैसे, भारतीय निर्यात पर अमेरिका का 50%) प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करते हैं। |
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यबल का कौशल उन्नयन तथा युवा-केंद्रित नीतियाँ समावेशी रोज़गार सृजन को बढ़ावा दे रही हैं। |
कार्यबल का केवल 4.7% ही औपचारिक रूप से प्रशिक्षित है, शैक्षणिक प्रशिक्षण और औद्योगिक आवश्यकताओं के बीच असंतुलन उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने में बाधा डालता है। |
हरित विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा और नेट-ज़ीरो लक्ष्य नवाचार और वैश्विक बाज़ार संरेखण के लिये अवसर प्रस्तुत करते हैं। |
डीकार्बोनाइज़ेशन, नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धताएँ, इथेनॉल सम्मिश्रण और वैश्विक हरित मानकों के अनुपालन से उत्पादन लागत में वृद्धि होती है। |
भारत में औद्योगिक क्षेत्र की गति को कौन-से उपाय मज़बूत कर सकते हैं?
- रणनीतिक औद्योगिक गलियारे और स्मार्ट सिटीज़: स्मार्ट सिटीज़ के साथ राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम का विस्तार करने से कनेक्टिविटी बढ़ती है, रसद लागत कम होती है और संतुलित क्षेत्रीय औद्योगिक विकास के लिये निवेश आकर्षित होता है।
- मिशन-संचालित क्षेत्रीय विकास: राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM), मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहलों का लाभ उठाकर इलेक्ट्रॉनिक्स, EV बैटरी, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- ये मिशन नीतिगत स्पष्टता, राजकोषीय प्रोत्साहन और वैश्विक संबंध प्रदान करते हैं।
- कौशल विकास और कार्यबल की तैयारी: PMKVY, स्किल इंडिया और क्षेत्रीय कौशल पहल जैसे कार्यक्रम तकनीकी विशेषज्ञता में अंतर को कम करते हुए उन्नत विनिर्माण हेतु कार्यबल को तैयार करते हैं।
- वित्तीय समावेशन और MSME समर्थन: क्रेडिट गारंटी फंड योजना के माध्यम से ऋण तक पहुँच में वृद्धि, तेज़ी से GST रिफंड और स्टार्टअप प्रोत्साहन यह सुनिश्चित करते हैं कि MSME अपने संचालन को बढ़ा सकें, नवाचार कर सकें और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में सम्मिलित हो सकें।
- संधारणीयता और हरित विनिर्माण: नवीकरणीय ऊर्जा के अपनाने को बढ़ावा देना, सर्कुलर अर्थव्यवस्था के अभ्यास को प्रोत्साहित करना और वैश्विक मानकों (जैसे, यूरोपीय संघ (EU) द्वारा एक कार्बन सीमा समायोजन तंत्र – (CBAM)) का पालन करना, भारत को पर्यावरण-सचेत निर्माता के रूप में स्थापित करता है और निर्यात क्षमता को सुदृढ़ करता है।
- सौर पीवी मॉड्यूल और हरित हाइड्रोजन मिशन के लिये PLI योजना औद्योगिक विकास को संधारणीयता के साथ संरेखित करने के उदाहरण हैं।
- व्यापार सुगम्यता और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ: मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) में सुधार करना, गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना और जापान की परस्पर जुड़ी कंपनियों के क्लस्टर-आधारित औद्योगिकीकरण से प्राप्त पाठों को एकीकृत करना, भारत की निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता और मूल्य शृंखला एकीकरण को मज़बूत कर सकता है।
निष्कर्ष
जैसे ही भारत वर्ष 2047 तक 35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखता है, सुधारों, PLI, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और कौशल पहलों द्वारा संचालित विनिर्माण इसका विकास इंजन बनेगा। मज़बूत गति, लचीली आपूर्ति शृंखलाएँ और अनुकूल वैश्विक पुनर्संरेखण भारत को केवल “विश्व की फैक्ट्री” ही नहीं, बल्कि नवाचार और औद्योगिक नेतृत्व का वैश्विक केंद्र बनने की स्थिति में लाते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता के संदर्भ में भारत के विनिर्माण क्षेत्र के अवसरों और चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) क्या है?
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा संचालित ASI, पंजीकृत कारखानों, विद्युत उपक्रमों और बड़े प्रतिष्ठानों से संबंधित औद्योगिक आँकड़ों का प्रमुख स्रोत है।
2. ASI 2023-24 में GVA वृद्धि क्या थी?
सकल मूल्यवर्द्धन में 11.89% की वृद्धि हुई, जो मूल धातुओं, मोटर वाहनों, रसायनों, खाद्य उत्पादों और फार्मास्यूटिकल्स के कारण हुई।
3. 2023-24 में औद्योगिक जीवीए में कौन से राज्य अग्रणी रहे?
महाराष्ट्र (16%), गुजरात (14%), तमिलनाडु (10%), कर्नाटक (7%) और उत्तर प्रदेश (7%) शीर्ष प्रदर्शनकर्ता रहे।
4. भारत के औद्योगिक क्षेत्र के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
प्रमुख चुनौतियों में अवसंरचना की खामियाँ, कौशल की कमी, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये ऋण सीमाएँ, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा, संधारणीयता अनुपालन और उच्च अमेरिकी टैरिफ तथा यूरोपीय संघ के CBAM जैसे व्यापार अवरोध शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)
(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत् उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न.1 "सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइये। औद्योगिक-नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहॉं तक सक्षम हैं ? (2017)
प्रश्न.2 सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014)