विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम में संशोधन | 04 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 2010, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), प्रेषण, विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार घाटा

मेन्स के लिये:

एफसीआरए अधिनियम में परिवर्तन और इसका महत्त्व, विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया।

  • मंत्रालय ने नवंबर 2020 में FCRA नियमों को सख्त बना दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि गैर-सरकारी संगठन (NGO) जो सीधे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं, लेकिन बंद, हड़ताल या सड़क अवरोधों जैसी राजनीतिक कार्रवाई में संलग्न हैं, को राजनीतिक प्रकृति का माना जाएगा यदि वे सक्रिय राजनीति या दलीय राजनीति में भाग लेते हैं। कानून के अनुसार, धन प्राप्त करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को FCRA के तहत पंजीकृत होना होगा।
  • यह कदम तब उठाया गया है जब सरकार ने सोने के आयात पर आयात शुल्क को 7.5% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है ताकि सोने के आयात को हतोत्साहित किया जा सके जिससे व्यापार घाटे में वृद्धि होती है और मुद्रा तथा विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है।
    • सोने पर आयात शुल्क में वृद्धि से आयात की लागत में वृद्धि होगी और यह आयात और खपत को हतोत्साहित करेगा।

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम:

  • परिचय:
    • FCRA को  1976 में आपातकाल के दौरान इस आशंका के माहौल में अधिनियमित किया गया था कि विदेशी शक्तियाँ स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से धन भेजकर भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं।
      • इन चिंताओं को संसद में वर्ष 1969 में ही व्यक्त कर दिया गया था।
    • कानून ने व्यक्तियों और संघों को विदेशी दान को विनियमित करने की मांग की ताकि वे "एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप" कार्य कर सकें।
  • उद्देश्य:
    • विदेशी दान प्राप्त करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति या एनजीओ को अधिनियम के तहत पंजीकृत होने, विदेशी धन की प्राप्ति के लिये एक बैंक खाता खोलने और उन निधियों का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिये करने की आवश्यकता है जिसके लिये उन्हें प्राप्त किया गया है, जैसा कि अधिनियम में निर्धारित है।
    • यह अधिनियम चुनावों के लिये उम्मीदवारों, पत्रकारों या समाचार पत्रों और मीडिया प्रसारण कंपनियों, न्यायाधीशों तथा सरकारी कर्मचारियों, विधायिका के सदस्यों एवं राजनीतिक दलों या उनके पदाधिकारियों व राजनीतिक प्रकृति के संगठनों द्वारा विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लगाता है।
  • संशोधन:
    • इसे वर्ष 2010 में विदेशी धन के उपयोग पर "कानून को मबूत करने" और "राष्ट्रीय हित के लिये  हानिकारक किसी भी गतिविधि" हेतु  उनके उपयोग को "प्रतिबंधित" करने के लिये संशोधित किया गया था।
    • वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2020 में कानून में पुनः संशोधन किया गया, जिससे सरकार को गैर- सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उपयोग पर सख्त नियंत्रण एवं जाँच करने की शक्ति प्राप्त हुई।

प्रमुख परिवर्तन:

  • यह भारतीयों को FCRA के तहत विदेशों में अपने रिश्तेदारों से सालाना 10 लाख रुपए तक प्राप्त करने की अनुमति देता है।
    • पहले यह सीमा 1 लाख रुपए थी।
    • यदि राशि अधिक हो जाती है तो व्यक्तियों के पास अब 30 दिन पहले के बजाय सरकार को सूचित करने के लिये 90 दिन का समय होगा।
  • इसने व्यक्तियों और संगठनों या गैर-सरकारी संगठनों को धन प्राप्त करने के लिये FCRA के तहत 'पंजीकरण' या 'पूर्व अनुमति' प्राप्त करने के लिये आवेदन हेतु 45 दिन का समय दिया है।
    • पहले यह 30 दिन था।
  • विदेशी फंड प्राप्त करने वाले संगठन प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये इस तरह के फंड का 20% से अधिक उपयोग नहीं कर पाएंगे।
    • वर्ष 2020 से पहले यह सीमा 50% थी।
  • संगठनों या व्यक्तियों पर सीधे मुकदमा चलाने के बजाय FCRA के तहत पाँच और अपराधों को "समाधेय" बनाते हुए 12 कर दिया।
    • इससे पहले FCRA के तहत केवल 7 अपराध "समाधेय" थे।

समाधेय अपराध:

  • समाधेय अपराध वे अपराध हैं जहाँ शिकायतकर्त्ता ा (जिसने मामला दर्ज किया है, यानी पीड़ित), समझौता करता है और आरोपी के खिलाफ आरोपों को हटाने के लिये सहमत होता है। हालाँकि समझौते में यह ध्यान रखना होता है कि समझौता प्रामाणिक या वास्तविक हो।
  • FCRA उल्लंघन जो अब कंपाउंडेबल हो गए हैं, उनमें विदेशी धन की प्राप्ति के बारे में सूचित करने में विफलता, बैंक खाते खोलना, वेबसाइट पर जानकारी देने में विफलता आदि शामिल हैं।

प्रस्ताव का महत्त्व:

  • प्रेषण बढ़ाएगा:
    • यह धन के बहिर्वाह पर अंकुश लगाएगा और दूसरी ओर आवक प्रेषण को बढ़ाएगा।
  • विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करना:
    • इससे भारत में धन की आमद में वृद्धि होगी जो विदेशी मुद्रा भंडार और मुद्रा को भी स्थिर करेगा।
    • इसी तरह सोने पर आयात शुल्क 7.5% से बढ़ाकर 12.5% करने से सोने का आयात हतोत्साहित होगा क्योंकि इससे भारत में सोने की कीमत में वृद्धि होगी।
  • व्यापार घाटा कम करना:
    • सोने के आयात के कारण धन के प्रवाह में वृद्धि और धन के बहिर्वाह में कमी से व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
      • अप्रैल और मई 2022 के महीने में व्यापार घाटा क्रमशः 20.1 बिलियन अमेंरिकी डॉलर और 24.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्च स्तर पर रहा, जिससे दो महीनों में यह कुल मिलाकर 44.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • तुलनात्मक रूप से अप्रैल और मई 2021 में व्यापार घाटा 21.8 अरब डॉलर रहा।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स