प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Mar, 2023)



कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संस्कृति मंत्रालय की पहल

संस्कृति मंत्रालय ने लोकगीत कलाकारों सहित कलाकारों की सभी विधाओं की सुरक्षा के लिये 'कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु छात्रवृत्ति एवं फैलोशिप योजना' शुरू की है।  

  • इस योजना के तीन घटक हैं, जिनका उद्देश्य युवा कलाकारों, विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट व्यक्तियों और सांस्कृतिक अनुसंधान करने वालों का सहयोग करना है।

योजना के घटक:  

  • विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों को छात्रवृत्ति पुरस्कार (Scholarships to Young Artists- SYA):
    • इसके तहत 18-25 वर्ष आयु वर्ग के चयनित लाभार्थियों को 2 वर्ष की अवधि हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। 
    • उम्मीदवारों ने कम-से-कम 5 वर्षों तक किसी भी गुरु या संस्थान के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया होना चाहिये।
  • वरिष्ठ/कनिष्ठ अध्येतावृत्ति पुरस्कार:
    • सांस्कृतिक अनुसंधान के लिये 40 वर्ष एवं उससे अधिक आयु वर्ग के चयनित अध्येताओं को 2 वर्ष हेतु वरिष्ठ अध्येतावृत्ति प्रदान की जाती है।
    • कनिष्ठ अध्येतावृत्ति 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के चयनित अध्येताओं को 2 वर्ष के लिये प्रदान की जाती है।
    • एक वर्ष में 400 वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अध्येतावृत्ति प्रदान की जाती है। 
  • सांस्कृतिक अनुसंधान हेतु टैगोर राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति पुरस्कार (TNFCR):
    • उम्मीदवारों को दो श्रेणियों टैगोर राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति एवं टैगोर अनुसंधान छात्रवृत्ति के तहत चयनित किया जाता है, ताकि 4 अलग-अलग समूहों में भाग लेने वाले विभिन्न संस्थानों के अंतर्गत संबद्धता द्वारा सांस्कृतिक अनुसंधान पर कार्य किया जा सके।  
      • अध्येताओं एवं विद्वानों का चयन राष्ट्रीय चयन समिति (NSC) द्वारा किया जाता है
  • अतिरिक्त घटक:
    • “प्रदर्शन कला में अनुसंधान के लिये व्यक्तियों को परियोजना अनुदान की योजना” के तहत संगीत नाटक अकादमी सलाहकार समिति की सिफारिश पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 

स्रोत: पी.आई.बी.


हाइब्रिड गमोसा

हाल ही में बांग्ला साहित्य सभा, असम (BSSA) ने एक समारोह में मेहमानों को असमिया गमोचा और बंगाली गमछों से बने "हाइब्रिड गमोसा" से सम्मानित किया। इस पर विवाद बढ़ने के बाद संगठन ने माफीनामा जारी किया। 

  • BSSA एक नवगठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सभा है जिसका उद्देश्य असम के बंगालियों को एक मंच प्रदान करना है।

असमिया गमोचा:

  • परिचय: 
    • असमिया गमोचा एक पारंपरिक हाथ से बुना हुआ सूती तौलिया है, जो असमिया संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है।
    • यह कपड़े का एक आयताकार टुकड़ा है। यह विभिन्न रंगों एवं डिज़ाइनों से बनता है जिसमें सबसे लोकप्रिय लाल एवं सफेद फुलम वाले तौलिया हैं जिन्हें 'गमोचा डिज़ाइन' के रूप में जाना जाता है। 
    • 'गमोचा' शब्द असमिया शब्द 'गा' (शरीर) एवं 'मोचा' (पोंछ) से बना है, जिसका अर्थ है शरीर को पोंछने के लिये तौलिया। बुनकर तौलिया बुनने के लिये एक पारंपरिक करघे का इस्तेमाल करते हैं जिसे 'टाट जाल' (Taat Xaal) कहा जाता है।
  • मान्यता: 
    • असमिया गमोचा ने अपने अद्वितीय डिज़ाइन तथा सांस्कृतिक महत्त्व के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है। इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया था, जो इसकी उत्पत्ति एवं अनूठी विशेषताओं की पहचान है।
    • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि गमोचा नकल से सुरक्षित है और स्थानीय बुनकरों तथा उनकी पारंपरिक बुनाई तकनीकों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • असमिया गमोचा असमिया संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है। इस तौलिये का उपयोग दैनिक जीवन में विभिन्न तरीकों से किया जाता है और प्रत्येक उपयोग का एक विशिष्ट सांस्कृतिक महत्त्व होता है।
      • यह पारंपरिक समारोहों और कार्यों के दौरान महिलाओं द्वारा स्कार्फ के रूप में उपयोग किया जाता है, साथ ही यह सम्मान एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक है जिसे किसी को उपहार के रूप में दिया जाता है।
      • गमोचा का उपयोग बिहू उत्सव के दौरान भी किया जाता है, जो असम का सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार है। यह बिहू नर्तकियों  द्वारा गले में लपेटा जाता है जो उनकी पोशाक का एक अनिवार्य हिस्सा है। बिहू उत्सव के दौरान एकता एवं भाईचारे के प्रतीक के रूप में भी गमोचा का उपयोग किया जाता है।

Asamia-gamachha

बंगाली गमछा: 

  • बंगाली गमछा पारंपरिक रूप से हाथ से बुना हुआ सूती गमछा/तौलिया है जो असमिया संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। यह कपड़े का एक आयताकार टुकड़ा होता है। यह लाल एवं सफेद चौकोर प्रतिरूप में होता है।

Bangali-gamachha

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में माल के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्त्वों के अनुपालन के लिये लागू किया गया? (2018)

(a) आई.एल.ओ.  
(b) आई.एम.एफ. 
(c) यू.एन.सी.टी.ए.डी. 
(d) डब्लू.टी.ओ. 

उत्तर: (d)

व्याख्या:  

  • भौगोलिक संकेत एक प्रकार की बौद्धिक संपदा हैं।  
  • भौगोलिक संकेत (Geographical Indications- GI) एक प्रकार की बौद्धिक संपदा (Intellectual Property- IP) हैं। विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO), बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार से संबंधित पहलू (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights- TRIPS) समझौते के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों को मान्यता देता है।
  • TRIPS समझौते के अनुच्छेद 22(1) के तहत GI टैग ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है तथा जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं एवं गुणों का समावेश होता है।  
  • GI स्रोत पहचानकर्त्ता के साथ-साथ गुणवत्ता संकेतक के रूप में भी कार्य करते हैं। GI के चलते उपभोक्ताओं को जानकारी मिलती है कि इन उत्पादों की निर्दिष्ट गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या माल की अन्य विशेषता अनिवार्य रूप से उनके भौगोलिक मूल के कारण होती है।
  • इसके अलावा बौद्धिक संपदा अधिकारों के रूप में GI उल्लंघन और/या अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से राहत प्रदान करता है। Z ट्रिप्स समझौते के बाद भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 पारित किया गया था। अधिनियम का उद्देश्य कृषि वस्तुओं, प्राकृतिक वस्तुओं, निर्मित वस्तुओं या हस्तकला के किसी भी सामान या खाद्य सामग्री सहित उद्योग के सामान को जीआई टैग देकर सुरक्षा प्रदान करना है।

अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको  'भौगोलिक सूचना’ (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) की स्थिति प्रदान की गई  है? (2015)

  1. बनारसी जरी और साड़ियाँ
  2. राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा
  3. तिरुपति लड्डू

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव

हाल ही में वैज्ञानिकों ने द्रव्यों में पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव के साक्ष्य की सूचना दी है। 

  • यह प्रभाव 143 वर्षों से ज्ञात है और इस समय में केवल ठोस पदार्थों में देखा गया है।   

पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव: 

  • पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव एक ऐसी घटना है जिसमें कुछ सामग्री यांत्रिक तनाव या दाब की प्रतिक्रिया में विद्युत आवेश उत्पन्न करते हैं। यह प्रभाव तब उत्पन्न होता है जब सामग्री एक बल के अधीन होती है जिसके कारण इसके अणु ध्रुवीकृत हो जाते हैं, जिसका अर्थ है कि सामग्री के भीतर धनात्मक और ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे से पृथक हो जाते हैं।
  • ध्रुवीकरण की स्थिति में सामग्री में विद्युत क्षमता उत्पन्न होती है और यदि सामग्री सर्किट से जुड़ी होती है, तो धारा प्रवाहित हो सकती है।
    • इसके विपरीत यदि सामग्री पर विद्युत क्षमता लागू की जाती है, तो यह एक यांत्रिक विकृति उत्पन्न कर सकती है।
  • पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे- सेंसर, एक्चुएटर्स (एक उपकरण है जो तंत्र में जाने वाली ऊर्जा और संकेतों को परिवर्तित करके गति उत्पन्न करता है) एवं ऊर्जा संचयन उपकरणों में। सामान्य पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्रियों के कुछ उदाहरणों में क्वार्ट्ज़, सिरेमिक एवं कुछ प्रकार के क्रिस्टल शामिल हैं।
    • उदाहरण: क्वार्ट्ज़ सबसे प्रसिद्ध पीज़ोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल हैं: इनका उपयोग इस क्षमता में एनालॉग कलाई घड़ी और अन्य घड़ियों में किया जाता है।
    • पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव की खोज वर्ष 1880 में जैक्स और पियरे क्यूरी द्वारा क्वार्ट्ज़ में की गई थी।

इस खोज के निहितार्थ: 

  • यह खोज ठोस अवस्था वाली सामग्री को अधिक सरलता से पुन: प्रयोज्य बनाती है और कई मामलों में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्रियों की तुलना में पर्यावरणीय रूप से कम हानिकारक होती है, यह उन अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करती है जो पहले कभी संभव नहीं थे।
  • तरल पदार्थ भी विपरीत पीज़ोइलेक्ट्रिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं कि जब एक विद्युत चार्ज लागू किया जाता है तो वे विकृत हो जाते हैं, इस तथ्य का उपयोग यह नियंत्रित करने के लिये किया जा सकता है कि तरल पदार्थ उनके माध्यम से विभिन्न विद्युत धाराओं को प्रवाहित करके प्रकाश की दिशा में परिवर्तन करते हैं।
    • दूसरे शब्दों में शीशियों में ये तरल पदार्थ इस साधारण नियंत्रण विधि का उपयोग करके गतिशील रूप से केंद्रित लेंस के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • नई खोज उस सिद्धांत को चुनौती देती है जो इस प्रभाव का वर्णन करता है और साथ ही इलेक्ट्रॉनिक एवं यांत्रिक प्रणालियों में पहले से अप्रत्याशित अनुप्रयोगों के द्वार खोलता है। 

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 मार्च, 2023

रामसर साइट्स की रक्षा करने में विफल रहने पर NGT ने केरल सरकार पर ज़ुर्माना लगाया   

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( National Green Tribunal- NGT) ने केरल सरकार पर आर्द्रभूमि की रामसर सूची में शामिल दो आर्द्रभूमियों- वेम्बनाड और अष्टमुडी झीलों की रक्षा करने में विफल रहने पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। ये आर्द्रभूमियाँ फार्मास्यूटिकल अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट एवं बूचड़खाने के अपशिष्ट के जमाव के कारण प्रदूषित हो गई हैं। वेम्बनाड, केरल के सबसे बड़े आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को वर्ष 2002 में रामसर साइट के रूप में नामित किया गया था। केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशन स्टडीज़ के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, वेम्बनाड झील की जल धारण क्षमता एवं पारिस्थितिकी पिछले 120 वर्षों में अतिक्रमण और विनाश के कारण 85% कम हो गई है। अष्टमुडी झील कई पौधों और पक्षियों की प्रजातियों का आवास स्थल है, जिसे अगस्त 2002 में रामसर सूची में शामिल किया गया था। तब से उस स्थल की सुरक्षा हेतु बहुत कम प्रयास किया गया है जहाँ पर वर्तमान में अपशिष्ट जमाव की समस्या बनी हुई है। केरल विधानसभा की पर्यावरण समिति ने इस स्थल की सुरक्षा हेतु अष्टमुडी वेटलैंड प्रबंधन प्राधिकरण के गठन सहित कई प्रस्तावों को सूचीबद्ध किया है। इसमें झील में अवैध विध्वंस एवं नावों के जमाव को नियंत्रित करने हेतु तत्काल नियमों की सिफारिश की गई है, साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रत्येक तीन महीने में झील में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया तथा ऑक्सीजन के स्तर की जाँच करने का निर्देश दिया गया।

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सऊदी अरब एक संवाद भागीदार के रूप में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुआ 

सऊदी अरब ने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization- SCO) में एक संवाद भागीदार के रूप में शामिल होने की मंज़ूरी मिल गई है। SCO का गठन वर्ष 2001 में रूस, चीन और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत राज्यों द्वारा किया गया था और तब से भारत और पाकिस्तान को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया है। इसका उद्देश्य संबद्ध क्षेत्र में पश्चिमी प्रभाव को प्रतिसंतुलित करना है। ईरान ने भी वर्ष 2022 में पूर्ण सदस्यता के लिये दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये। संगठन में पूर्ण सदस्यता दिये जाने से पहले सऊदी अरब को सबसे पहले संवाद भागीदार का दर्जा दिया जाएगा। संगठन के सदस्य राष्ट्र अगस्त 2023 में रूस के चेल्याबिंस्क क्षेत्र में एक संयुक्त "आतंकवाद विरोधी अभ्यास" में भाग लेने की योजना बना रहे हैं।

भारतीय तटरक्षक बल का क्षेत्रीय खोज एवं बचाव अभ्यास 

भारतीय तटरक्षक बल ने हाल ही में काकीनाडा, आंध्र प्रदेश में एक क्षेत्रीय खोज एवं बचाव अभ्यास आयोजित किया, ताकि वास्तविक समय परिदृश्य में समुद्री संकट का सामना किया जा सके एवं बड़े पैमाने पर बचाव अभियान के लिये खोज एवं बचाव संगठन (Search and Rescue organization-SAR) के कामकाज़ की समीक्षा की जा सके। इस अभ्यास में सभी हितधारकों को शामिल किया गया और प्रभावी रूप से समुद्री खोज एवं बचाव आकस्मिकता के लिये उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया। कृष्णा गोदावरी बेसिन में बड़े पैमाने पर अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को देखते हुए अभ्यास के लिये काकीनाडा के समुद्र क्षेत्र को चुना गया था, जो बड़े पैमाने पर SAR प्रतिक्रिया की आवश्यकता वाले संभावित  आपात स्थिति क्षेत्र का निर्माण करता है।

और पढ़ें…भारतीय तटरक्षक बल

उर्ध्वगामी तड़ित (Upward Lightning)

ब्राज़ील के शोधकर्त्ताओं ने "उर्ध्वगामी तड़ित" या "उर्ध्वगामी तड़ित चमक" की छवियों को कैप्चर किया है। 

यह परिघटना तब होती है जब एक स्वतः उत्पन्न तड़ित किसी ऊँचे पिंड से विकसित होती है और विद्युत आयनों से युक्त तूफानी बादल की ओर उर्ध्वगामी दिशा में यात्रा करती है। इस परिघटना के लिये तूफान, विद्युतीकरण और विद्युत आवेश क्षेत्र की उपस्थिति की आवश्यकता होती है। किसी ऊँचे पिंड का ऊर्ध्वाधर उन्नयन भूमि पर स्थानीय रूप से विद्युत क्षेत्र पर ज़ोर देता है, जिसके परिणामस्वरूप एक ऊँचे पिंड से ऊपर की ओर तड़ित रेखा की उत्पत्ति के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। यह प्रक्रिया क्रमागत रूप से विकसित होती है, जो ऋणावेशों की एक शृंखला है जो एक बादल से ज़िगज़ैग पैटर्न में नीचे की ओर यात्रा करती है, जिससे ज़मीन पर धनावेश की तीव्रता बढ़ जाती है। ऋणावेशित, नीचे की ओर गति करने वाली शृंखला का अग्रभाग विकासशील धनावेशित ऊपर की ओर प्रवाहित होने वाली प्रकाश किरणों में से एक के साथ संपर्क बनाता है तथा तड़ित की समग्र शृंखला को पूरा करता है और आवेशों को बादल से ज़मीन की ओर तेज़ी से प्रवाहित करता है।

और पढ़ें…आकाशीय बिजली (तड़ित) संबंधी घटनाएँ