प्रिलिम्स फैक्ट्स (20 Aug, 2025)



केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं हेतु नामांकन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

गृह मंत्रालय का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) विधान सभा में पाँच सदस्यों को बिना मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के नामित कर सकते हैं।

क्या आप जानते हैं?

  • राज्यसभा में केवल जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और पुद्दुचेरी का प्रतिनिधित्व है क्योंकि ये निर्वाचित विधानसभा वाले एकमात्र केंद्रशासित प्रदेश हैं।
  • केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं की संरचना संसद के अधिनियमों द्वारा शासित होती है।
  • दिल्ली विधानसभा में 70 निर्वाचित सदस्य होते हैं, और 1991 के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम (Government of NCT of Delhi Act, 1991) के तहत नामित विधायकों (MLAs) का कोई प्रावधान नहीं है।
  • पुदुचेरी विधानसभा में 30 निर्वाचित सदस्य हैं, तथा केंद्र सरकार को संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1963 के तहत अधिकतम तीन सदस्यों को मनोनीत करने की अनुमति है।

मनोनीत सदस्यों के संबंध में संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • राज्यसभा: अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखने वाले 12 सदस्यों को नामित कर सकते हैं, और यह नामांकन केंद्र की मंत्रिपरिषद की सलाह पर किया जाता है।
    • नामित सदस्यों को निर्वाचित सांसदों जैसी अधिकांश विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे बहसों में भाग लेना और विधेयक प्रस्तुत करना। हालाँकि वे राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं।
    • उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) के तहत अपनी संपत्ति और देनदारियों की घोषणा करना अनिवार्य नहीं है।
    • मनोनीत सदस्यों के पास किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के लिये अपना पद ग्रहण करने से छह महीने का समय होता है, इस अवधि के बाद शामिल होने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
  • विधान परिषदें: अनुच्छेद 171 के तहत, राज्य विधान परिषद में लगभग एक-छठा सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर होता है।
  • एंग्लो-इंडियन सदस्य: पहले संविधान के तहत राष्ट्रपति (अनुच्छेद 331) को लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों को नामित करने की अनुमति थी, और राज्यपालों (अनुच्छेद 333) को राज्य विधानसभाओं में एक एंग्लो-इंडियन सदस्य को नामित करने का अधिकार था।
    • दोनों प्रावधानों को 2020 में 104वें संविधान संशोधन द्वारा समाप्त कर दिया गया।

नामित सदस्यों के संबंध में न्यायिक निर्णय

  • पुदुचेरी मामला (के. लक्ष्मीनारायणन बनाम भारत संघ, 2018): मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस अधिकार को बरकरार रखा जिसके तहत वह पुदुचेरी विधानसभा में तीन विधायकों को केंद्रशासित प्रदेश सरकार की सलाह के बिना नामित कर सकती थी।
    • इसने नामांकन प्रक्रिया पर वैधानिक स्पष्टता की सिफारिश की, जिसमें प्राधिकार और प्रक्रिया भी शामिल थी, लेकिन बाद में अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया।
  • दिल्ली मामला (दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ, 2023): सर्वोच्च न्यायालय ने "ट्रिपल चेन ऑफ कमांड" की अवधारणा पर गहन विचार किया था, जहाँ सिविल सेवक मंत्रियों के प्रति, मंत्री विधानमंडल के प्रति और विधायिका मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होते हैं।
    • इसने फैसला सुनाया कि LG को दिल्ली विधानसभा की शक्तियों से परे मामलों को छोड़कर, मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करना होगा।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. राज्यसभा का सभापति तथा उपसभापति उस सदन के सदस्य नहीं होते हैं। 
  2. राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्यों को मतदान का कोई अधिकार नहीं होता, उनको उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान का अधिकार होता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) अपनी पानीपत रिफाइनरी में प्रयुक्त खाना पकाने के तेल से व्यावसायिक रूप से सतत् विमानन ईंधन/सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel- SAF) का उत्पादन शुरू करेगा, जो ISCC CORSIA (इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी एंड कार्बन सर्टिफिकेशन फॉर CORSIA) प्रमाणन प्राप्त करने के बाद होगा। यह भारत का पहला SAF संयंत्र होगा और विमानन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF)

  • परिचय: SAF (सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल) एक जैव ईंधन (बायोफ्यूल) है, जो सतत् स्रोतों (सस्टेनेबल फीडस्टॉक्स) से तैयार किया जाता है। इसका रासायनिक संरचना पारंपरिक एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) के समान होती है, और इसे बिना किसी बदलाव के मौजूदा विमान इंजनों और ढाँचे में उपयोग किया जा सकता है — इसे ही ‘ड्रॉप-इन’ फ्यूल कहा जाता है।
  • SAF के लिये संभावित फीडस्टॉक: तेल और वसा (प्रयुक्त खाना पकाने का तेल, शैवाल से प्राप्त तेल, पशु वसा, और तेल युक्त बीज), नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, कृषि/वानिकी अवशेष (गन्ने की खोई, भूसी आदि) और शर्करा और स्टार्च जिन्हें (अल्कोहल-टू-जेट) पद्धति के माध्यम से ईंधन में परिवर्तित किया जाता है।
    • ATJ (अल्कोहल-टू-जेट) पद्धति के माध्यम से शर्करा, स्टार्च या अवशेषों से प्राप्त नवीकरणीय अल्कोहल (जैसे एथेनॉल, ब्यूटेनॉल) को परिवर्तित कर हाइड्रोकार्बन-आधारित सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाया जाता है।
  • महत्त्व: SAF, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 80% तक कम करता है, विमानन डीकार्बोनाइजेशन में 60% से अधिक योगदान देता है, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देता है, हरित रोज़गार सृजित करता है, तथा 50% तक ईंधन मिश्रणों का समर्थन करता है।
  • SAF को अपनाने में चुनौतियाँ: SAF को अपनाने में कई समस्याएँ सामने आती हैं, जैसे: इसकी उच्च लागत, जो पारंपरिक विमानन ईंधन की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक होती है। बुनियादी ढाँचे की कमी, जैसे उत्पादन, भंडारण और आपूर्ति प्रणाली का अभाव। फीडस्टॉक संग्रहण में कठिनाई, क्योंकि कच्चा माल मौसमी होता है और विभिन्न स्थानों पर बिखरा हुआ होता है। 

ISCC कॉर्सिया प्रमाणन

  • ISCC कॉर्सिया, ICAO’s की अंतर्राष्ट्रीय विमानन के लिये कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (CORSIA) का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
    • 2027 (अनिवार्य चरण) से, अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों को 2020 के स्तर से ऊपर उत्सर्जन की भरपाई करनी होगी, जिसमें SAF सम्मिश्रण एक प्रमुख अनुपालन मार्ग होगा।
  • CORSIA एक वैश्विक ICAO पहल है, जिसका उद्देश्य कार्बन ऑफसेटिंग, क्रेडिट और SAF के माध्यम से शुद्ध उत्सर्जन को 2020 के स्तर पर स्थिर करके अंतर्राष्ट्रीय विमानन CO₂ उत्सर्जन वृद्धि को सीमित करना है।

भारत का रोडमैप

  • राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने वर्ष 2027 में 1% और वर्ष 2028 में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिये 2% SAF सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है, तथा वर्ष 2027 के बाद घरेलू उड़ानों हेतु इसे अनिवार्य बनाया गया है।
  • यह नेट जीरो 2070 का समर्थन करता है, पहले कदम उठाने का लाभ देता है, एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (UCO रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देता है, और यूरोपीय एयरलाइनों के लिये निर्यात के अवसर खोलता है।

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बायोएक्टिव पेप्टाइड्स

स्रोत: पी. आई. बी.

एक अध्ययन में पाया गया है कि पारंपरिक किण्वित (फरमेंटेड) खाद्य पदार्थों से प्राप्त बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAP) विशेष जनसंख्या समूहों की आवश्यकताओं के अनुसार स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। यह खोज भारत में व्यक्तिगत पोषण (पर्सनलाइज़्ड न्यूट्रिशन) के क्षेत्र में नए अवसर खोलती है।

  • बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAPs): बायोएक्टिव पेप्टाइड्स प्रोटीन के ऐसे छोटे अंश होते हैं जो केवल आवश्यक अमीनो एसिड का स्रोत बनने से कहीं आगे जाकर मानव या पशुओं को विशेष स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
    • नियमित प्रोटीन के विपरीत, जो नए प्रोटीन बनाने के लिये अलग-अलग अमीनो एसिड में टूट जाते हैं, बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (BAPs) अमीनो एसिड की छोटी शृंखलाएँ (आमतौर पर 2 से 20 तक) होती हैं, जो पाचन प्रक्रिया के बाद भी जीवित रहती हैं और सीधे शारीरिक क्रियाविधियों को प्रभावित कर सकती हैं।
    • ये मूलतः किसी बड़े प्रोटीन संरचना के भीतर "छिपे" या "संकेतित" (एन्क्रिप्टेड) रूप में मौजूद होते हैं।
      • जब मूल प्रोटीन पाचन, किण्वन (फरमेंटेशन) या अन्य प्रसंस्करण प्रक्रियाओं के दौरान एंजाइमों द्वारा टूटता है, तब ये बायोएक्टिव पेप्टाइड्स "सक्रिय" या "मुक्त" हो जाते हैं।
    • BAP इलेक्ट्रोस्टैटिक बलों, हाइड्रोजन बॉन्डिंग और हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन के माध्यम से जैव अणुओं के साथ अंतःक्रिया करते हैं, जिससे रोगाणुरोधी, एंटीहाइपरटेंसिव, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा-संशोधक प्रभाव प्रदान करते हैं।
    • पेप्टाइड्स और प्रोटीन दोनों पेप्टाइड बॉन्ड' द्वारा जुड़ी अमीनो एसिड शृंखलाओं से बने होते हैं।
      • मुख्य अंतर यह है कि पेप्टाइड्स छोटी शृंखलाएँ होती हैं, जबकि प्रोटीन में आमतौर पर 50 से अधिक अमीनो एसिड होते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: BAP रक्तचाप, रक्त शर्करा, प्रतिरक्षा, सूजन को नियंत्रित कर सकते हैं, तथा हृदय और चयापचय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
    • हालाँकि बायोपेप्टाइड्स जिस तरह से काम करते हैं वह आनुवंशिक संरचना, आंत माइक्रोबायोटा, आहार और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों के कारण व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होता है।
      • यह सटीक पोषण के महत्त्व को उजागर करता है, जहाँ आहार और स्वास्थ्य योजनाएँ व्यक्ति की विशिष्ट जीवविज्ञान के अनुरूप बनाई जाती हैं, जो भारत जैसी विविधतापूर्ण जनसंख्या के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण है।

अमीनो एसिड:

  • अमीनो एसिड कार्बनिक यौगिक होते हैं जो प्रोटीन के निर्माण खंड के रूप में कार्य करते हैं, जो शरीर की वृद्धि, मरम्मत और सामान्य कार्यप्रणाली के लिये आवश्यक हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं:
    • आवश्यक अमीनो एसिड वे होते हैं जिन्हें शरीर स्वयं नहीं बना सकता और जिन्हें भोजन से प्राप्त करना अनिवार्य होता है (जैसे कि हिस्टिडीन, ल्यूसीन और लाइसिन)।
    • गैर-आवश्यक (Nonessential) अमीनो एसिड वे होते हैं जिन्हें शरीर स्वयं ही बना सकता है (जैसे कि ऐलानिन, ग्लूटेमिक एसिड और ग्लाइसिन)।
    • शर्त आवश्यक अमीनो एसिड (Conditionally Essential Amino Acids) सामान्यतः आवश्यक नहीं होते, लेकिन बीमारी या तनाव जैसी विशेष परिस्थितियों में ये शरीर के लिये आवश्यक हो जाते हैं (जैसे: आर्जिनिन, सिस्टीन और ग्लूटामिन)।

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प्रधानमंत्री जन धन योजना

स्रोत: द हिंदू

वित्त मंत्रालय ने कहा कि लगभग एक-चौथाई प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) खाते निष्क्रिय हैं, जिससे वित्तीय समावेशन और खातों के उपयोग को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।

  • निष्क्रिय खातों का स्तर: 56.04 करोड़ PMJDY खातों में से 13.04 करोड़ (23%) निष्क्रिय हैं। उत्तर प्रदेश का हिस्सा सबसे अधिक है (2.75 करोड़), इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी बचत खाते में 2 वर्ष से अधिक समय तक कोई लेन-देन नहीं होता है, तो उसे निष्क्रिय (Inoperative) चिह्नित कर दिया जाता है।
  • प्रधानमंत्री जन धन योजना: यह प्रत्येक गैर-बैंकिंग वयस्क को बिना किसी खाता खोलने या रखरखाव शुल्क के एक मूल शून्य-शेष खाता (Zero-balance account) प्रदान करता है।
    • खातेधारक को रुपे (RuPay) डेबिट कार्ड मिलता है, जिसमें 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर शामिल होता है और आपात स्थितियों के लिये 10,000 रुपए तक का ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ लेने के योग्य होते हैं।
    • यह योजना प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) और सब्सिडी के लिये भी एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है तथा JAM ट्रिनिटी (जन धन–आधार–मोबाइल) के साथ इसके एकीकरण के माध्यम से कल्याण योजनाओं की पारदर्शी व प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करती है।
  • परिवर्तनीय प्रभाव: PMJDY ने महिलाओं के वित्तीय समावेशन को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है, महिलाओं के पास बैंक खाता रखने का प्रतिशत 53% (2015-16) से बढ़कर 79% (2019-21) हो गया है।
    • PMJDY के वित्तीय समावेशन आधार का लाभ उठाकर, मुद्रा ऋणों तक पहुँच में विस्तार हुआ है और वर्ष 2019 से 2024 के बीच इसकी वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 9.8% दर्ज की गई है।
    • यह योजना बचत की आदतों को भी बढ़ावा देती है, जिसमें औसत जमा राशि 4,352 रुपए है।

और पढ़ें: प्रधानमंत्री जन धन योजना के दस वर्ष


मन्नार की खाड़ी

स्रोत: द हिंदू

तमिलनाडु की मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar - GoM), जो जलवायु परिवर्तन और प्रवाल विरंजन (coral bleaching) से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, ने कृत्रिम प्रवाल भित्ति (Artificial Reef) पुनर्स्थापन की प्रक्रिया अपनाई है। इस योजना के तहत, त्रिकोणीय और छिद्रित ट्रेपेज़ॉइडल (समलंबाकार) संरचनाओं को गोताखोरों के माध्यम से समुद्र के भीतर स्थापित किया गया है, ताकि समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।

  • कंक्रीट फ्रेमों ने विभिन्न प्रवाल प्रजातियों को सफलतापूर्वक आश्रय प्रदान किया, जिससे प्रवाल आवरण, जीवित रहने की दर और मछलियों की घनता में वृद्धि हुई। इससे विरंजन (Bleaching) के प्रभावों में कमी आई, साथ ही स्थानीय समुदायों की जागरूकता, क्षमता तथा आजीविका में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ।

मन्नार की खाड़ी

  • मन्नार की खाड़ी हिंद महासागर में लक्षद्वीप सागर का एक हिस्सा है, जिसमें 21 द्वीप हैं। यह श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच विस्तृत है।
  • इसकी सीमा रामेश्वरम, रामसेतु पुल (जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है) और मन्नार द्वीप (श्रीलंका) से लगती है। इसमें ताम्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) जैसी नदियाँ बहती हैं।
  • इस खाड़ी में तूतीकोरिन बंदरगाह भी स्थित है। यह खाड़ी अपने मोती उत्पादन क्षेत्रों (Pearl banks) और पवित्र शंख (गैस्ट्रोपॉड मोलस्क) के लिये भी प्रसिद्ध है।

मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फीयर रिज़र्व:

  • समुद्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 162.89 वर्ग कि.मी. है। उपलब्ध प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र में प्रवाल भित्तियाँ, मैंग्रोव, मडफ्लैट्स, खाड़ियाँ, समुद्री घास, समुद्री शैवाल, ज्वारनदमुख, रेतीले समुद्र तट, खारे घास के मैदान, दलदली क्षेत्र और चट्टानी किनारे शामिल हैं।  
    • यहाँ 117 प्रवाल प्रजातियाँ, 450 से अधिक मछली प्रजातियाँ, तथा विश्व स्तरीय संकटापन्न प्रजातियाँ जैसे डुगोंग, व्हेल शार्क और समुद्री कछुए पाए जाते हैं।
  • वर्ष 1989 में स्थापित और वर्ष 2001 में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिज़र्व (10,500 वर्ग किमी) में 21 द्वीप और आसपास के तटीय क्षेत्र शामिल हैं।
    • इसमें समुद्री राष्ट्रीय उद्यान शामिल है और यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है, जो समुद्री जैव विविधता के महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है।

Gulf of Mannar

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