प्रिलिम्स फैक्ट्स (08 Dec, 2025)



स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

लोकसभा ने स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पारित कर दिया है, जो पान मसाला विनिर्माण इकाइयों और सरकार द्वारा अधिसूचित किसी भी अतिरिक्त सामान पर एक विशेष उपकर लागू करता है ।

  • इससे प्राप्त राजस्व का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार के लिये किया जाएगा।

स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • उपकर का उद्देश्य: विधेयक भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के वित्तपोषण के लिये एक स्थिर, नियम-आधारित राजस्व सुनिश्चित करने हेतु एक विशेष उत्पाद शुल्क उपकर की स्थापना करता है।
    • इस उपकर की आय भारत की संचित निधि में जमा की जाएगी।
    • उपकर, निर्दिष्ट वस्तुओं के विनिर्माण के लिये स्थापित मशीनरी या अपनाई गई प्रक्रियाओं (मैनुअल या हाइब्रिड) पर लगाया जाता है, तथा यह मौजूदा शुल्कों और करों के अतिरिक्त लागू होता है।
  • इसके अंतर्गत आने वाली वस्तुएँ: प्रारंभ में यह उपकर केवल पान मसाला पर लागू होता है, लेकिन सरकार को भविष्य में अतिरिक्त वस्तुओं को अधिसूचित करने का अधिकार है।
    • सरकार जनहित में उपकर को मौजूदा दर से दोगुना तक बढ़ा सकती है, कुछ व्यक्तियों या प्रक्रियाओं को छूट दे सकती है, तथा उपकर अनुसूची में नई वस्तुओं को जोड़ सकती है।
    • विधेयक में क्षमता से जुड़ी मासिक लेवी की व्यवस्था की गई है, जिसकी गणना मशीन के मापदंडों जैसे अधिकतम रेटेड गति, पैक वजन या मैनुअल प्रक्रिया के लिये एक फ्लैट मासिक दर के आधार पर की जाएगी।
  • कर योग्य व्यक्ति: कोई भी व्यक्ति या संस्था जो निर्दिष्ट वस्तुओं के विनिर्माण के लिये प्रयुक्त मशीनरी या प्रक्रियाओं का स्वामित्व, संचालन या नियंत्रण रखती है, उसे उपकर का भुगतान करना होगा। 
    • दायित्व व्यक्ति की मौजूदा कर स्थिति की चिंतन किये बिना लागू होता है, जिससे सभी उत्पादकों का व्यापक कवरेज सुनिश्चित होता है।
  • प्रवर्तन ढाँचा: विधेयक में एक कठोर प्रवर्तन प्रणाली शामिल है, जिसमें अघोषित मशीनरी, उपकर चोरी, अभिलेखों में जालसाज़ी या अधिकारियों के कार्य में बाधा उत्पन्न करने जैसे उल्लंघनों के लिये दंड, अभियोजन, गिरफ्तारी और जब्ती का प्रावधान है।
  • अपील प्राधिकरण: एक बहु-स्तरीय अपीलीय तंत्र करदाताओं को अपीलीय प्राधिकरण, उसके बाद न्यायाधिकरण और तत्पश्चात उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष निर्णयों को चुनौती देने की अनुमति देता है , जिससे सभी चरणों में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता और कानूनी उपाय सुनिश्चित होता है।

उपकर क्या है?

  • परिचय: यह सरकार द्वारा किसी विशिष्ट, निर्धारित उद्देश्य (सार्वजनिक हित) के लिये लगाया गया कर पर आरोपित कर है। उपकर , उत्पाद शुल्क या आयकर जैसे विद्यमान करों के अतिरिक्त लगाया जाता है ।
    • इसे तब तक एकत्रित किया जाता है, जब तक कि निर्दिष्ट उद्देश्य के लिये पर्याप्त धनराशि एकत्र नहीं हो जाती ।
  • संवैधानिक आधार: 80वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 270 में औपचारिक संशोधन किया गया, जिसमें उपकरों और अधिभारों को स्पष्ट रूप से विभाज्य पूल से बाहर रखा गया (उपकरों से प्राप्त राजस्व राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है)।  
    • संविधान में अनुच्छेद 277 एवं अनुच्छेद 270 (जो संघ और राज्यों के बीच राजस्व-साझाकरण ढाँचे को रेखांकित करता है) के तहत उपकरों को मान्यता प्रदान की गई है। 
  • उपकर के उदाहरण: शिक्षा उपकर, स्वच्छ भारत उपकर और कृषि कल्याण उपकर।

कर बनाम  उपकर बनाम अधिभार

कर

उपकर

अधिभार

सरकारी राजस्व के लिये सामान्य अनिवार्य लेवी

किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये कर पर अधिरोपित कर

उच्च आय वाले करदाताओं पर कर पर अतिरिक्त कर लागू

किसी भी सार्वजनिक व्यय के लिये उपयोग किया जाता है

केवल निर्धारित उद्देश्य के लिये उपयोग किया जाता है

संघ को राजस्व में वृद्धि; कोई विशेष उद्देश्य नहीं

राज्यों के साथ साझा (विभाज्य पूल)

राज्यों के साथ साझा किया जा सकता है या नहीं भी किया जा सकता है

राज्यों के साथ साझा नहीं किया गया

स्थायी

अस्थायी, धनराशि पर्याप्त होने तक एकत्रित

कोई निश्चित अवधि नहीं

उदाहरण: आयकर, जीएसटी, सीमा शुल्क

उदाहरण: शिक्षा उपकर, स्वच्छ ऊर्जा उपकर, स्वच्छ भारत उपकर

उदाहरण: ₹50 लाख से अधिक की आय पर अधिभार

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. स्वास्थ्य सुरक्षा-राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 का उद्देश्य क्या है?
विशेष उत्पाद शुल्क उपकर के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के वित्तपोषण के लिये एक स्थिर राजस्व सुनिश्चित करना।

2. कराधान में उपकर क्या है?
उपकर, शिक्षा, स्वास्थ्य या स्वच्छता जैसे किसी विशिष्ट, निर्धारित उद्देश्य के लिये लगाया गया कर है।

3. उपकर सामान्य कर से किस प्रकार भिन्न है?
कर सामान्य राजस्व के लिये होता है, जबकि उपकर विशिष्ट उद्देश्य के लिये निर्धारित होता है ।

सारांश

  • स्वास्थ्य सुरक्षा-राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के वित्तपोषण के लिये पान मसाला निर्माण मशीनरी पर एक विशेष उत्पाद शुल्क उपकर लागू करता है।
  • यह उपकर क्षमता-आधारित है, मौजूदा करों के अतिरिक्त लगाया जाता है, तथा भारत की संचित निधि में जमा किया जाता है।
  • सरकार इसे और अधिक वस्तुओं तक विस्तारित कर सकती है, दरों में संशोधन कर सकती है, तथा जनहित में छूट प्रदान कर सकती है।
  • विधेयक में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कठोर प्रवर्तन और बहु-स्तरीय अपील ढाँचा भी बनाया गया है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न. टूथपेस्ट खरीदते समय आप जो बिक्री कर देते हैं, वह है (2014)

(a) केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया कर 

(b) केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया लेकिन राज्य सरकार द्वारा एकत्रित कर 

(c) राज्य सरकार द्वारा लगाया गया लेकिन केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित कर 

(d) राज्य सरकार द्वारा लगाया और एकत्रित कर 

उत्तर: (D)


GIFT सिटी पुनर्बीमा केंद्र के रूप में

स्रोत: ET

भारत की योजना, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) को एक वैश्विक पुनर्बीमा केंद्र में बदलने की प्रगति कर रही है, जिसमें पहले से ही 10 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय बीमाकर्त्ता स्थापित हो चुके हैं तथा कुछ और इसके लिये प्रक्रिया में हैं।

GIFT सिटी

  • परिचय: GIFT सिटी, भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC), गांधीनगर में साबरमती नदी के किनारे स्थित, एक विश्वस्तरीय वित्तीय और IT हब है।
    • यह विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया था और इसे दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: GIFT SEZ जो गैर-निवासी संस्थाओं के लिए है तथा डोमेस्टिक टैरिफ एरिया (DTA) जो घरेलू व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये है।
    • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) के तहत इसे गैर-निवासी क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है।
    • IFSC एक ऐसा क्षेत्राधिकार है जो गैर-निवासियों और निवासियों (संस्थानों) को विदेशी मुद्रा में ऑनशोर तथा ऑफशोर वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है।
  • उद्देश्य: वैश्विक पूंजी को आकर्षित करना और भारत को एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र (सिंगापुर और दुबई जैसे) के रूप में स्थापित करना।
  • नियामक संस्था: इसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा शासित किया जाता है, जो IFSCA अधिनियम, 2019 के तहत स्थापित एक एकीकृत नियामक है।
    • IFSCA उन शक्तियों को समेकित करता है जो पहले RBI, SEBI, IRDAI और PFRDA के पास IFSC में संचालन के लिये थीं, जिससे एक सिंगल-विंडो नियामक प्रणाली सुनिश्चित होती है।
  • कार्य: यह भारत का ऑनशोर वित्तीय फ्री जोन है, जो एक वैश्विक वित्तीय हब (बैंकिंग, एक्सचेंज, पुनर्बीमा), फिनटेक के लिये एक स्मार्ट टेक इकोसिस्टम और अंतर्राष्ट्रीय पूंजी व सेवाओं को आकर्षित करने हेतु कर-अनुकूल व्यावसायिक क्षेत्र को संयोजित करता है।
  • प्रदान किये जाने वाले प्रोत्साहन: यह प्रमुख प्रोत्साहन प्रदान करता है, जिनमें 10 वर्ष की कर छूट, अतिरिक्त पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं और ऑनशोर भारत की तुलना में हल्का अनुपालन ढाँचा शामिल है।

और पढ़ें: GIFT सिटी और बुलियन एक्सचेंज


महापरिनिर्वाण दिवस

स्रोत:AIR

महापरिनिर्वाण दिवस, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि (6 दिसंबर 1956) के अवसर पर पूरे भारत में मनाया गया।

  • डॉ. बी. आर. अंबेडकर: 14 अप्रैल, 1891 को महू (मध्य प्रदेश) में जन्मे, वे एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे।
  • महापरिनिर्वाण दिवस: महापरिनिब्बान सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) में भगवान बुद्ध के 80 वर्ष की आयु में महापरिनिर्वाण को दर्ज किया गया है।
    • 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि डॉ. बी. आर. अंबेडकर को सम्मानित किया जा सके, जिन्होंने सामाजिक समानता पर आधारित नवयाना बौद्ध धर्म की स्थापना की। उनका स्मारक चैत्या भूमि, दादर (मुंबई) में स्थित है।

योगदान

  • संविधान: संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने मौलिक अधिकारों, अछूत प्रथा के उन्मूलन, संघवाद, अल्पसंख्यक संरक्षण और स्वतंत्र न्यायपालिका को सुनिश्चित किया।
  • जातिवाद विरोधी आंदोलन के नेता: उन्होंने महाड सत्याग्रह (1927) और कालराम मंदिर सत्याग्रह (1930) जैसे ऐतिहासिक अछूत विरोधी आंदोलनों का नेतृत्व किया, गोलमेज सम्मेलनों में दबे-कुचले वर्गों का प्रतिनिधित्व किया, और पूना पैक्ट (1932) पर समझौता किया, जिसने आरक्षण और सकारात्मक कार्रवाई की नींव रखी।
  • स्थापित संगठन: बहिष्कृत हितकारीणी सभा, स्वतंत्र लेबर पार्टी, अनुसूचित जाति महासंघ।
  • श्रम सुधार: वर्ष 1942–46 के दौरान वाइसरॉय की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य के रूप में, उन्होंने 8 घंटे के कार्यदिवस, मातृत्व लाभ, श्रम कल्याण कोष और रोज़गार कार्यालयों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • आर्थिक योगदान: उनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (1934) और वित्त आयोग की रूपरेखा को आकार दिया।

और पढ़ें: डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दार्शनिक दृष्टिकोण


EARTH समिट 2025

स्रोत: पी.आई.बी

गांधीनगर में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने EARTH समिट 2025 का उद्घाटन किया और ‘सहकार सारथी’ के तहत 13 से अधिक डिजिटल सेवाएँ शुरू कीं, जिनमें डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), सहकारी शासन सूचकांक और विश्व का सबसे बड़ा अनाज भंडारण अनुप्रयोग शामिल हैं।

  • EARTH समिट: EARTH समिट शृंखला का उद्देश्य अपने तीन संस्करणों पहला हैदराबाद में, दूसरा गांधीनगर में और बाद में दिल्ली में आयोजित से मिले अनुभवों को एकीकृत करके ग्रामीण विकास हेतु एक राष्ट्रीय नीतिगत ढाँचा तैयार करना है। 
    • राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) तथा इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह समिट गांधीवादी ग्राम स्वराज के पुनरुद्धार पर विशेष ज़ोर देता है, ताकि भारत की विकास रणनीति में गाँव केंद्र में बने रहें।
    • यह भी पुष्टि करता है कि सहकारी संस्थाओं को मज़बूत करना कृषि, डेयरी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन में विकास को तीव्र करने हेतु आवश्यक है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ हैं और समावेशी विकास के महत्त्वपूर्ण चालक हैं।
  • सहकार सारथी: यह एक डिजिटल पहल है, जिसे सहकारिता मंत्रालय के तहत लॉन्च किया गया और NABARD द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत के सहकारी बैंकिंग तथा ग्रामीण वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को आधुनिक एवं सशक्त बनाना है।
    • इसका लक्ष्य प्रत्येक ज़िला, केंद्रीय, राज्य, कृषि एवं शहरी सहकारी बैंक को एक एकीकृत तकनीकी प्लेटफॉर्म के तहत लाना है, जिससे छोटे सहकारी बैंकों के लिये लागत कम हो और दक्षता बढ़े।
    • यह ग्रामीण बैंकों को अपनी स्वयं की अवसंरचना बनाने के वित्तीय बोझ के बिना आधुनिक बैंकिंग तकनीक तक पहुँच प्रदान करता है।
    • सुनिश्चित करता है कि e-KCC वाले किसानों को अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के समान डिजिटल सुविधाएँ प्राप्त हों।

और पढ़ें: जीवंत ग्रामीण भारत की ओर