प्रिलिम्स फैक्ट्स (06 Dec, 2021)



अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस

प्रतिवर्ष 03 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ मनाया जाता है।

दिव्यांगता

  • दिव्यांगता का आशय प्रायः एक ऐसी स्थिति से है, जिसमें एक व्यक्ति विशिष्ट किसी विशेष व्यक्ति के सामान्य मानक की तुलना में कई कार्य करने में असमर्थ होता है। 
  • ‘दिव्यांगता’ शब्द का प्रयोग अक्सर व्यक्तिगत कामकाज को संदर्भित करने के लिये किया जाता है, जिसमें शारीरिक हानि, संवेदी हानि, संज्ञानात्मक हानि, बौद्धिक हानि, मानसिक बीमारी और विभिन्न प्रकार के जीर्ण रोग शामिल हैं।
  • कुछ विशेषज्ञ ‘दिव्यांगता’ की इस परिभाषा को ‘चिकित्सा मॉडल’ पर आधारित मानते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि:
    • इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1992 में ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ के प्रस्ताव 47/3 द्वारा की गई थी।
    • वर्ष 2006 में ‘कन्वेंशन ऑन द राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी’ (CRPD) को भी अपनाया गया था।
    • इसका उद्देश्य सतत् विकास हेतु वर्ष 2030 के एजेंडे के कार्यान्वयन के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के लिये समान अवसर प्रदान करने की दिशा में काम करना है।
  • परिचय:
    • यह दिवस समाज एवं विकास के प्रत्येक स्तर पर दिव्यांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने पर ज़ोर देता है।
    • इसका उद्देश्य राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के सभी पहलुओं में दिव्यांग व्यक्तियों की स्थितियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है।
  • दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित आँकड़े:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 01 बिलियन से अधिक लोगों के दिव्यांगता से प्रभावित होने का अनुमान है और भविष्य में जनसंख्या में वृद्धि और और गैर-संचारी रोगों के प्रसार के साथ और अधिक बढ़ सकता है।
    • बीते वर्ष (2020) जारी की गई विकलांगता पर ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 2.2% आबादी किसी न किसी तरह की शारीरिक या मानसिक अक्षमता से प्रभावित है।
  • 2021 के लिये थीम:
    • 'एक समावेशी, सुलभ और सतत् पोस्ट-कोविड विश्व की ओर दिव्यांग व्यक्तियों का नेतृत्व और भागीदारी'(Leadership and participation of persons with disabilities toward an inclusive, accessible and sustainable post-COVID-19 world)।
  • संबंधित पहलें:

इस्सी सानेक : नई डायनासोर प्रजाति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने  214 मिलियन (पूर्व ट्राइसिक युग) वर्ष पूर्व ग्रीनलैंड पर निवास करने वाली पहली डायनासोर प्रजाति की खोज की है।

Issi-Saaneq

प्रमुख बिंदु

  • खोज:
    • वर्ष 1994 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के जीवाश्म वैज्ञानिकों ने पूर्वी ग्रीनलैंड में खुदाई के दौरान दो अच्छी तरह से संरक्षित डायनासोर खोपड़ी का पता लगाया था।
      • नमूनों में से एक मूल रूप से प्लेटोसॉरस (Plateosaurus) प्रजाति से संबंधित माना जाता था जो जर्मनी, फ्राँस और स्विट्रज़लैंड में पाया जाने वाला एक प्रसिद्ध लंबी गर्दन वाला डायनासोर था।
      • शोधकर्त्ताओं ने निर्धारित किया है कि यह एक नई प्रजाति है, जिसे 'इस्सी सानेक' (Issi Saaneq) नाम दिया गया है।
  • परिचय:
    • यह एक मध्यम आकार का, लंबी गर्दन वाला डायनासोर, सॉरोपोड्स का पूर्ववर्ती था जो अब तक का सबसे बड़ा भूमि पर पाया जाने वाला जानवर है।
      • इस्सी सानेक अब तक खोजे गए अन्य सभी सॉरोपोडोमोर्फ से अलग है, लेकिन ब्राज़ील में पाए जाने वाले डायनासोर से इनमें कुछ समानताएँ पाई जाती हैं, जैसे मैक्रोकोलम (Macrocollum) और उनायसॉरस, (Unaysaurus) जो लगभग 15 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
      • यह उत्तर दिशा में  40 डिग्री से अधिक ऊँचाई पर पाएँ जाने वाला पहला सैरोपोडोमोर्फ था।
    • ग्रीनलैंड की इनुइट (Inuit) भाषा में नए डायनासोर का नाम का अर्थ है 'कोल्डबोन' (coldbone)।
      • इनुइट भाषा, जो एस्किमो भाषाओं का नॉर्थ-इस्टर्न डिवीजन है। यह भाषा उत्तरी अलास्का, कनाडा और ग्रीनलैंड में बोली जाती है।
  • खोज का महत्त्व:
    • नई प्रजाति पृथ्वी के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण समय के दौरान रहती थी। यह शोधकर्त्ताओं को उस समय के अनुसार जलवायु परिवर्तन को समझने में मदद करेगा।
    •  मुख्यत: ग्रीनलैंड के लिये यह एक अद्वितीय नई प्रजाति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह शोधकर्त्ताओं  को पूर्व-ट्रायसिक डायनासोर की पहुँच के बारे में और साथ ही साथ सॉरोपोड्स कैसे विकसित हुआ, इसके बारे में अधिक समझने में मदद करता है।
    • इस्सी सानेक की खोज प्लेटोसॉरिड सॉरोपोडोमोर्फ (Plateosaurid Sauropodomorphs) के विकास के बारे में ज्ञान को व्यापक बनाएगी।

भारतीय नौसेना दिवस

वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट में भारतीय नौसेना के जवाबी हमले को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ मनाया जाता है।

Indian-Navy

प्रमुख बिंदु

  • परिचय
    • भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी।
    • इस वर्ष, नौसेना ने वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगाँठ को ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के थीम के साथ मनाने की योजना बनाई है।
  • ऑपरेशन ट्राइडेंट
    • यह वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कराची बंदरगाह पर भारतीय नौसेना द्वारा किया गया जवाबी हमला था।
    • भारत ने इस ऑपरेशन के दौरान पहली बार एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया और पाकिस्तानी विध्वंसक जहाज़ ‘पीएनएस खैबर’ को नष्ट कर दिया था।
    • भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोतों - INS निपत, INS निर्घाट और INS वीर ने हमले में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • भारतीय नौसेना
    • इसकी अध्यक्षता सर्वोच्च कमांडर के रूप में भारत के राष्ट्रपति करते हैं।
    • भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य है- ‘शं नो वरुणः’ अर्थात् ‘जल के देवता वरुण हमारे लिये शुभ हों।’
    • भारतीय नौसेना के कुछ शुरुआती अभियानों में वर्ष 1961 में गोवा को पुर्तगाल से मुक्त कराने में उसका योगदान शामिल है।
    • परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी- ‘आईएनएस अरिहंत’ और कई अन्य जहाज़ों के निर्माण के साथ नौसेना एक सराहनीय बल के रूप में विकसित हुई है।
    • भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक विमानवाहक पोत- आईएनएस विक्रमादित्य है, जिसे वर्ष 2013 में कमीशन किया किया गया था और यह पूर्व में एक पूर्व रूसी जहाज़ था।
    • यह पनडुब्बियों के तीन वर्गों का संचालन करती है: चक्र (इसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाला आईएनएस चक्र है), सिंधुघोष और शिशुमार।
    • INS विक्रांत नाम के स्वदेशी विमान वाहक ने हाल ही में (2021) समुद्री परीक्षण (परीक्षणों के अंतिम चरणों में से एक) शुरू किया है।
    • मरीन कमांडो या मार्कोस भारतीय नौसेना की विशेष बल इकाई है, जिसे युद्ध, आतंकवाद विरोधी, विशेष अभियानों, बंधक बचाव और असममित युद्ध का संचालन करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है।
    • यह 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में प्रतिक्रिया देने वाला पहला संगठन था।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 दिसंबर, 2021

एक्सोप्लेनेट ‘GJ 367b’

हाल ही में वैज्ञानिकों के एक समूह ने सौरमंडल के बाहर मौजूद एक नए एक्सोप्लेनेट की खोज की है। यह एक्सोप्लेनेट ‘वेला कांस्टेलेशन’ में लगभग 31 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है और पृथ्वी के आकार से लगभग तीन-चौथाई बड़ा है। यह एक्सोप्लेनेट, जिसे ‘GJ 367b’ नाम दिया गया है, सूर्य के आधे आकार के एक ‘रेड ड्वार्फ स्टार’ की परिक्रमा करने में आठ घंटे से भी कम समय लेता है। ‘GJ 367b’ का व्यास लगभग 9,000 किलोमीटर है, जबकि पृथ्वी का व्यास 12,700 किलोमीटर और मंगल का व्यास 6,800 किलोमीटर है। ‘GJ 367b’ का 86 प्रतिशत हिस्सा आयरन से बना है तथा इसकी आंतरिक संरचना ‘बुध ग्रह’ जैसी है, जो कि सूर्य का सबसे निकटवर्ती ग्रह है। हालाँकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि इस एक्सोप्लेनेट (GJ 367 b) पर जीवन की संभावना नहीं है, क्योंकि इसकी सतह पर गर्म पिघला हुआ लावा मौजूद है। हालाँकि इस प्रकार के अन्य छोटे एक्सोप्लेनेट्स का अध्ययन कर पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज में एक बड़ी मदद मिल सकती है। विदित हो कि सौर मंडल से बाहर पाए जाने वाले ग्रह ‘एक्सोप्लेनेट’ (Exoplanet) कहलाते हैं, ये सौरमंडल में मुख्य ग्रहों के अतिरिक्त उपस्थित ग्रह हैं। मेयर एवं क्युलेज़ द्वारा वर्ष 1995 में प्रथम एक्सोप्लेनेट ‘51 पेगासी बी’ (51 Pegasi b) की खोज की गई थी। 

महापरिनिर्वाण दिवस

‘डॉ. भीमराव अंबेडकर’ की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ‘परिनिर्वाण’, जिसे बौद्ध धर्म का एक प्रमुख सिद्धांत माना जाता है, एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है मृत्यु के बाद ‘मुक्ति’ अथवा ‘मोक्ष’। बौद्ध ग्रंथ महापरिनिब्बाण सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) के अनुसार, 80 वर्ष की आयु में हुई भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण माना जाता है। ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर’ का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्यप्रांत (अब मध्य प्रदेश) के ‘महू’ में हुआ था। डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, लेखक, बहु-भाषाविद और तुलनात्मक धर्म दर्शन के विद्वान थे। उन्हें ‘भारतीय संविधान के जनक’ के रूप में जाना जाता है। वह स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून/विधि मंत्री थे। वर्ष 1920 में उन्होंने एक पाक्षिक (15 दिन की अवधि में छपने वाला) समाचार पत्र ‘मूकनायक’ की शुरुआत की जिसने एक मुखर और संगठित दलित राजनीति की नींव रखी। इसके अलावा वर्ष 1923 में उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ की स्थापना की। वर्ष 1925 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी समिति द्वारा उन्हें साइमन कमीशन में काम करने के लिये नियुक्त किया गया। मार्च 1927 में उन्होंने ‘महाड़ सत्याग्रह’ (Mahad Satyagraha) का नेतृत्त्व किया। उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया। वर्ष 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया।

विश्व मृदा दिवस

स्वस्थ मृदा के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करने और मृदा संसाधनों के स्थायी प्रबंधन हेतु जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। वर्ष 2021 के लिये इसकी थीम- ‘मृदा लवलीकरण को रोकें, मृदा उत्पादकता को बढ़ावा दें’ (Stop Soil Erosion, Save Our Future) है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सम्मेलन में इसे आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया तथा दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 05 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया तथा 05 दिसंबर, 2014 को पहला आधिकारिक विश्व मृदा दिवस मनाया गया।

राष्ट्रीय ब्लॉकचेन रणनीति 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में ‘ब्लॉकचैन पर राष्ट्रीय रणनीति’ जारी की, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग के 44 संभावित क्षेत्रों की पहचान करती है और विभिन्न क्षेत्रों में इसका लाभ उठाने के तरीके के बारे में बताती है। इस रणनीति के तहत तीन प्रकार के प्रतिभागियों के साथ एक ‘राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क’ (NBF) स्थापित करने का सुझाव दिया है- प्रौद्योगिकी के प्रति आश्वस्त उपयोगकर्त्ता (एप्लिकेशन डेवलपर्स), प्रदाता या प्रौद्योगिकी के ऑपरेटर (इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाएँ, एक सेवा के रूप में ब्लॉकचेन) और पूर्ण प्रौद्योगिकी स्टैक बिल्डर (आईपी) क्रिएटर। इसके तहत शिक्षा, शासन, वित्त एवं बैंकिंग, स्वास्थ्य देखभाल, रसद, साइबर सुरक्षा, मीडिया, कानूनी, बिजली क्षेत्र आदि में ब्लॉकचेन मॉडल के अनुप्रयोग की पहचान की गई है।