खाद्य सुरक्षा का बढ़ता खतरा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation-FAO) ने एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर बढ़ते खतरे की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि खाद्य और कृषि संगठन ने इस बढ़ते खतरे को जैव विविधता (पौधे, जानवर और सूक्ष्म जीव जो खाद्य उत्पादन में योगदान करते हैं) को हो रहे नुकसान का परिणाम बताया है।

प्रमुख बिंदु

  • खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘खाद्य और कृषि हेतु विश्व की जैव-विविधता स्थिति’ (State of the World’s Biodiversity for Food and Agriculture) है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में से एक है जहाँ मृदा जैव विविधता को बड़ा खतरा है।
  • वैश्विक मानचित्र से पता चलता है कि लगभग पूरा भारत, अफ्रीका, अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्से अत्यधिक तनावग्रस्त क्षेत्रों में शामिल हैं।
  • इस रिपोर्ट में जैविक नियंत्रण एजेंटों (Biological Control Agents-BCAs) जैसे- विभिन्न कीट-पतंगों के नुकसान को भी रेखांकित किया गया है जो जैव विविधता में गिरावट के महत्त्वपूर्ण कारकों में से हैं।
  • रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है कि चरम मौसमी घटनाएँ प्रजातियों के वितरण तथा पैदावार में व्यवधान पैदा कर रही हैं।

♦ उदाहरण के तौर पर, कटिबंधों में बढ़ते तापमान ने पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई पर उग रही कॉफी को प्रभावित किया है।
♦ वसंत में ठंडी या तेज़ हवाएँ भी परागण प्रक्रिया को बाधित कर रही हैं।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO)

  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्‍थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्‍पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्‍थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्‍तर को उन्‍नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
  • खाद्य और कृषि संगठन का मुख्यालय रोम, इटली में है।

स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स