प्रिलिम्स फैक्ट्स (04 Jan, 2022)



पढ़े भारत अभियान

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने 'पढ़े भारत' का 100 दिवसीय पठन अभियान शुरू किया है।

  • 21 फरवरी जिसे अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है, को भी हमारे समाज की स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस अभियान के साथ एकीकृत किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • यह अभियान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/आदिवासी भाषा में बच्चों के लिये आयु उपयुक्त पाठय पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिये आनंदपूर्ण पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
      • NEP 2020 का उद्देश्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना" है।
      • एनईपी आजादी के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में केवल तीसरा बड़ा सुधार है। इससे पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
    • इसमें बालवाटिका से कक्षा 8 तक के बच्चों पर फोकस किया जाएगा
    • इस अभियान को फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी मिशन के विजन और लक्ष्यों के साथ भी जोड़ा गया है।
    • इसका उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समुदाय, शैक्षिक प्रशासकों आदि सहित राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस:
    • इसकी घोषणा यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी और जिसे विश्व द्वारा वर्ष 2000 से मनाया जाने लगा। यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष की भी याद दिलाता है।
    • 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था। इन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिये उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।
    • इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है।

भारत में शिक्षा

स्रोत: पी.आई.बी.


आयुष आहार

हाल ही में आयुष मंत्रालय ने आयुष भवन (दिल्ली) में अपनी कैंटीन में 'आयुष आहार' उपलब्ध कराकर एक नई शुरुआत की।

  • इसका उद्देश्य पौष्टिक आहार और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना है।

प्रमुख बिंदु

  • आयुष का अर्थ:
    • स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की पारंपरिक और गैर-पारंपरिक प्रणालियाँ जिनमें आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी आदि शामिल हैं।
    • भारतीय चिकित्सा पद्धति की सकारात्मक विशेषताएँ अर्थात् उनकी विविधता और लचीलापन; अभिगम्यता; सामर्थ्य, आम जनता के एक बड़े वर्ग द्वारा व्यापक स्वीकृति; तुलनात्मक रूप से कम लागत या बढ़ते आर्थिक मूल्य, उन्हें स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनाने की काफी संभावनाएँ हैं जिनकी हमारे लोगों के बड़े हिस्से को ज़रूरत है।
  • आयुष मंत्रालय की कुछ पहलें:
    • राष्ट्रीय आयुष मिशन:
      • सरकार आयुष चिकित्सा प्रणाली के विकास और संवर्द्धन के लिये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से मिशन की केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रही है।
      • सरकार ने इसे 2026 तक जारी रखने का फैसला किया है।
    • आहार क्रांति मिशन:
      • मिशन पोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये समर्पित है।
    • आयुष क्षेत्र पर नए पोर्टल:
      • आयुष क्षेत्र पर पाँच नए पोर्टल लॉन्च किये गए हैं - CTRI (क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया), RMIS (रिसर्च मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम), SAHI (आयुर्वेद ऐतिहासिक छापों का प्रदर्शन), AMAR (आयुष पांडुलिपियां उन्नत रिपोजिटरी) और ई-मेधा (इलेक्ट्रॉनिक) चिकित्सा विरासत परिग्रहण)।
    • ACCR पोर्टल और आयुष संजीवनी एप:
      • आयुष क्लिनिकल केस रिपोजिटरी पोर्टल: विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिये आयुष प्रणालियों की ताकत को चित्रित करने के लिये।
      • आयुष संजीवनी एप तीसरा संस्करण: यह चयनित आयुष हस्तक्षेपों की प्रभावकारिता के बारे में एक महत्वपूर्ण अध्ययन और प्रलेखन की सुविधा प्रदान करेगा, जिसमें आयुष 64 और कबसुरा कुदिनीर दवाएँ स्पर्शोन्मुख एवं हल्के से मध्यम कोविड-19 रोगियों के प्रबंधन में शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 जनवरी, 2022

सूडान

सूडान के प्रधानमंत्री ‘अब्दुल्ला हमदोक’ ने देश भर में हो रहे लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के बाद त्‍यागपत्र दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने सूड़ान में पूर्ण नागरिक शासन की वापसी का आह्वान किया है। सूडान में हज़ारों लोग सेना के साथ सत्ता साझा करने हेतु प्रधानमंत्री ‘अब्दुल्ला हमदोक’ द्वारा किये गए एक हालिया सौदे का विरोध कर रहे हैं, गौरतलब है कि इसी वर्ष अक्तूबर माह में सेना ने सूडान में तख्तापलट किया था। सूडान पूर्वी मध्य अफ्रीका में स्थित है। यह उत्तर में मिस्र, उत्तर-पूर्व में लाल सागर , पूर्व में ‘इरिट्रिया’ एवं ‘इथियोपिया’, दक्षिण में ‘दक्षिण सूडान गणराज्य’, दक्षिण-पश्चिम में ‘मध्य अफ्रीकी गणराज्य’, पश्चिम में ‘चाड’ और उत्तर-पश्चिम में ‘लीबिया’ से घिरा हुआ है। ‘इथोपियन हाइलैंड’ से निकलने वाली ‘ब्लू नील’ और मध्य अफ्रीकी झीलों से निकलने वाली ‘व्हाइट नील’ नदियाँ मिलकर सूडान की राजधानी- ‘खार्तूम’ में ‘नील नदी’ का निर्माण करती हैं, जो उत्तर की ओर मिस्र से होते हुए भूमध्य सागर तक प्रवाहित होती है। पेट्रोलियम सूडान का प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है। यहाँ क्रोमियम अयस्क, तांबा, लौह अयस्क, अभ्रक, चाँदी, सोना, टंगस्टन और जस्ता के महत्त्वपूर्ण भंडार हैं। भारत-सूडान के संबंध लगभग 5000 वर्ष पुराने सिंधु घाटी सभ्यता के समय के हैं। बताया जाता है कि सिंधुवासी अरब सागर और लाल सागर के रास्ते सूडान से व्यापार करते थे।  

रानी वेलु नचियार

03 जनवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रानी ‘वेलु नचियार’ की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रानी वेलु नचियार तमिलनाडु के शिवगंगई ज़िले की 18वीं सदी की रानी हैं, जिन्होंने अपने राज्य को वापस प्राप्त करने हेतु ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। रानी वेलु नचियार को औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी के रूप में जाना जाता है। वेलू नचियार का जन्म 3 जनवरी 1730 को हुआ था। उन्हें तीरंदाज़ी, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट और विभिन्न हथियारों के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया था। साथ ही वे फ्रेंच, उर्दू और अंग्रेज़ी जैसी कई भाषाओं की जानकार भी थीं। 16 वर्ष की उम्र में वेलु नचियार का विवाह शिवगंगई के राजा मुथु वदुगनाथपेरिया से हुआ। वर्ष 1772 में ब्रिटिश सेना और आर्कोट के नवाब ने एक साथ शिवगंगई पर आक्रमण किया। इस युद्ध के दौरान राजा मुथु वदुगनाथपेरिया अपने राज्य के लिये लड़ते हुए मारे गए। वहीं युद्ध के दौरान रानी ‘वेलु नचियार’ किसी तरह स्वयं को बचाने में सफल हो गईं। इसके पश्चात् उन्होंने आसपास के क्षेत्रों के विभिन्न राजाओं के साथ गठबंधन किया और अपना राज्य वापस लेने हेतु ब्रिटिश शासन के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया। युद्ध के पश्चात् रानी ‘वेलु नचियार’ ने अपने राज्य को पुनः प्राप्त कर लिया और अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने ‘उदइयाल’ नामक एक महिला टुकड़ी का गठन भी किया। 

विश्व ब्रेल दिवस

दुनिया भर में ब्रेल (Braille) लिपि के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये प्रतिवर्ष 04 जनवरी को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ब्रेल (Braille) नेत्रहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिये प्रयोग की जाने वाली एक पद्धति है। यह दिवस ब्रेल लिपि के जनक ‘लुई ब्रेल’ (फ्रांँस) की जयंती को चिह्नित करता है, जिन्होंने वर्ष 1824 में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रांँस के एक गाँव में हुआ था और बहुत कम आयु में ही एक दुर्घटना के बाद उनकी आँखों की रोशनी चली गई, जिसके बाद उन्होंने 15 वर्ष की आयु में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। वर्ष 1824 में बनी इस लिपि को वर्तमान में दुनिया के लगभग सभी देशों में मान्यता मिल चुकी है। विश्व ब्रेल दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नवंबर 2018 में की गई थी और इसका उद्देश्य आम लोगों के बीच ब्रेल लिपि के बारे में जागरूकता पैदा करना है। विश्व ब्रेल दिवस शिक्षकों, सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों को नेत्रहीन एवं दृष्टिबाधित लोगों के समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। 

संत कुरियाकोस एलियास चावरा

03 जनवरी, 2022 को केरल के कोट्टायम में संत कुरियाकोस एलियास चावरा की 150वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन किया गया। संत कुरियाकोस एलियास चावरा का जन्म 10 फरवरी, 1805 को त्रावणकोर राज्य के अल्लेप्पी ज़िले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्‍होंने 19वीं शताब्दी में केरल में आध्यात्मिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया। साथ ही उन्‍होंने सभी समुदाय के बच्चों के लिये स्कूल खोलने और उन्हें मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने की महत्त्वपूर्ण पहल भी की। 23 नवंबर, 2014 को कुरियाकोस एलियास चावरा को पोप फ्राँँसिस द्वारा रोम में आधिकारिक तौर पर ‘संत’ घोषित किया गया था।