प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Feb, 2023)



महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर संवाद

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने संयुक्त राज्य अमेरिका में महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के लिये भारत-अमेरिका वार्ता पहल (iCET) पर अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ बातचीत की।

  • लंबे समय से प्रतीक्षित नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) पृथ्वी अवलोकन उपग्रह पर काम पूरा करना इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि अंतरिक्ष में भारत-अमेरिका साझेदारी विश्व को कैसे लाभान्वित कर सकती है।

iCET पहल:

  • परिचय:
    • iCET पहल भारत और अमेरिका द्वारा मई 2022 में शुरू की गई थी, इसका संचालन दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों द्वारा किया जा रहा है।
    • iCET के तहत दोनों देशों ने सहयोग हेतु छह क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें सह-विकास और सह-उत्पादन शामिल होगा, जिसे धीरे-धीरे क्वाड, फिर नाटो, यूरोप और शेष विश्व में विस्तारित किया जाएगा।
    • iCET के तहत अमेरिका के साथ भारत अपनी प्रमुख तकनीकों को साझा करने के लिये तैयार है और उम्मीद करता है कि वाशिंगटन भी ऐसा ही करेगा।
  • सहयोग के छह क्षेत्र:
    • सहयोग के छह क्षेत्र जो कि वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास से संबंधित हैं, में क्वांटम एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिफेंस इनोवेशन, स्पेस, एडवांस्ड टेलीकॉम जैसे- 6G और सेमीकंडक्टर्स क्षेत्र शामिल होंगे।
  • महत्त्व:
    • iCET दोनों देशों की सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग के बीच घनिष्ठ संबंधों में सुधार करेगा।
    • इसका उद्देश्य विश्व को किफायती अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों की सुविधा प्रदान करना है।
    • महत्त्वाकांक्षी iCET वार्ता की शुरुआत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में "रणनीतिक, वाणिज्यिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संरेखण" के रूप में देखा जाता है।
    • यह अंततः ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के अनौपचारिक गठबंधन क्वाड के विकास के रूप में परिलक्षित होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार:

  • ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ (NSA) ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता करता है और यह प्रधानमंत्री का प्राथमिक सलाहकार भी है। वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं।
    • वर्तमान NSA के प्रमुख अजीत डोभाल हैं।
  • भारतीय NSC एक त्रिस्तरीय संगठन है जो रणनीतिक राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संबंधी समस्याओं की देख-रेख करता है।
    • इसका गठन वर्ष 1998 में किया गया था और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करता है।
    • NSC, सरकार की कार्यकारी शाखा और खुफिया सेवाओं के बीच संपर्क स्थापित करते हुए प्रधानमंत्री के कार्यकारी कार्यालय के तहत कार्य करता है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 फरवरी 2023

विज़िट इंडिया ईयर-2023

पर्यटन मंत्री ने नई दिल्‍ली में “विज़िट इंडिया ईयर-2023” का शुभारंभ किया। विज़िट इंडिया ईयर-2023 अभियान पर्यटन मंत्रालय की एक पहल है। इसके तहत देश में पर्यटन, बड़ी योजनाओं और गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। विज़िट इंडिया ईयर-2023 अभियान के प्रतीक चिह्न का भी अनावरण किया गया जो ‘नमस्ते’ की छवि से युक्त है। प्रतीक चिह्न में भारत की विरासत के तत्त्वों, स्मारकों के साथ ही अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में भारत की आधुनिक उपलब्धियों को भी दर्शाया गया है, इसमें प्रतिष्ठित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी शामिल है। पर्यटन मंत्रालय ने कहा कि G20 की अध्यक्षता देश के पर्यटन क्षेत्र की विशिष्टताओं को उजागर करने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है। इस अभियान का उद्देश्य G20 की अध्यक्षता कर रहे भारत में यात्रा को प्रोत्साहित करना है एवं भारत का दौरा करने वाले प्रतिनिधियों को ‘अतुल्य भारत’ का दर्शन कराना है। वर्ष 2023 में देश को प्रमुख यात्रा गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिये G20 केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का फोकस क्षेत्र होगा।

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कल्पना चावला

प्रतिवर्ष 1 फरवरी को भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की पुण्यतिथि मनाई जाती है। ध्यातव्य है कि अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला के रूप में कल्पना चावला का इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है। कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च, 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1988 में एक शोधकर्त्ता के रूप में नासा (NASA) के साथ कॅरियर की शुरुआत की। अप्रैल 1991 में अमेरिकी नागरिक बनने के पश्चात् उन्हें वर्ष 1994 में नासा (NASA) में बतौर अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) चुन लिया गया। नवंबर 1996 में उन्हें अंतरिक्ष शटल मिशन STS-87 में मिशन विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया, जिसके साथ ही वे अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बन गईं। वर्ष 2000 में कल्पना चावला को अंतरिक्ष शटल मिशन STS-107 के चालक दल का सदस्य बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इसी मिशन के दौरान दुर्घटना के कारण 1 फरवरी, 2003 को कल्पना चावला की मृत्यु हो गई।

प्रोजेक्ट एलोरा 

माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च भारत में अपने प्रोजेक्ट एलोरा (Project ELLORA) के अंतर्गत 'दुर्लभ' भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने में मदद कर रहा है। इस परियोजना के तहत माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्त्ता उन भारतीय भाषाओं के लिये डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, जिनकी ऑनलाइन उपस्थिति अपर्याप्त है। परियोजना का मुख्य लक्ष्य आर्थिक अवसरों व तकनीकी कौशल का निर्माण करके शिक्षा का विस्तार और भावी पीढ़ियों के लिये स्थानीय भाषाओं एवं संस्कृतियों को संरक्षित करके वंचित समुदायों के लिये भाषा प्रौद्योगिकी को सक्षम करना है। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च ने तीन भाषाओं- गोंडी, मुंडारी और इदु मिश्मी  पर ध्यान केंद्रित किया है। गोंडी भाषा एक दक्षिण-मध्य द्रविड़ भाषा है। उर्दू के अलावा गोंडी लिपि शायद देश की एकमात्र ऐसी लिपि है जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। मुंडारी (Munɖari) भाषा मुंडा द्वारा बोली जाने वाली ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा परिवार की है, जो पूर्वी भारतीय राज्यों झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की एक जनजाति है। इदु मिश्मी भाषा अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी ज़िले में मिश्मी लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है, इसे लुप्तप्राय भाषा माना जाता है।

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में यूक्रेन का ओडेसा  

हाल ही में विश्व धरोहर समिति ने यूक्रेन के काला सागर बंदरगाह शहर ओडेसा के ऐतिहासिक केंद्र को अपनी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय इस साइट के असाधारण, सार्वभौमिक मूल्य और मानवता द्वारा इसे संरक्षित करने की ज़िम्मेदारी को चिह्नित करता है। ओडेसा के ऐतिहासिक केंद्र को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची में भी अंकित किया गया है। संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची का उद्देश्य विश्व समुदाय को उन समस्याओं के प्रति सचेत करना है जो उन विशेषताओं, जो किसी साइट को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के योग्य बनाती हैं, को खतरे में डालती हैं और साथ ही सुधारात्मक कार्रवाई को बढ़ावा देती हैं। वर्ष 2023 तक संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने के लिये संबद्ध समिति द्वारा 52 संपत्तियों को निर्धारित किया गया है।

Ukraine

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भारतीय तटरक्षक बल का 47वाँ स्थापना दिवस

47वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard- ICG) ने सीमा पार से किसी भी आतंकी गतिविधि के खिलाफ कार्रवाई हेतु संबद्ध क्षेत्र की बेहतर गश्त और निगरानी के लिये सुंदरबन क्षेत्र में एक नया रडार स्थापित करने के निर्णय की घोषणा की। विश्व के चौथे सबसे बड़े तटरक्षक के रूप में ICG ने भारतीय तटों को सुरक्षित करने तथा भारत के समुद्री क्षेत्रों में नियमों को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1978 (स्थापना वर्ष) में सतही प्लेटफॉर्म की संख्या केवल 7 थी, वर्तमान में अपने शस्त्रागार में 158 जहाज़ों और 78 विमानों के साथ ICG एक शक्तिशाली बल के रूप में विकसित हुआ है और वर्ष 2025 तक 200 सतही प्लेटफाॅर्मों तथा 80 विमानों के अपने बल के लक्षित स्तर तक पहुँचने का अनुमान है। देश के 'सागर (SAGAR)' एवं 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को ध्यान में रखते हुए ICG ने वर्ष 2022 में कई विदेशी अधिकारियों व अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों को प्रशिक्षित किया है।

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विशाखापत्तनम: आंध्र प्रदेश की राजधानी

हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य की नई राजधानी विशाखापत्तनम होगी। अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद अब तेलंगाना की राजधानी है जिसे दोनों राज्य अस्थायी रूप से राजधानी के रूप में अब तक साझा कर रहे हैं। वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक पारित किया। विधेयक का उद्देश्य राज्य सरकार की तीन राजधानियों की योजना को आकार देना है- विशाखापत्तनम में कार्यकारी, अमरावती में विधायी और कुरनूल में न्यायिक राजधानी। वर्ष 2022 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को राज्य की राजधानी अमरावती का निर्माण तथा विकास करने का निर्देश दिया। हालाँकि अमरावती को विकसित करने हेतु भूमि देने वाले किसानों द्वारा दायर याचिकाओं के कारण इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतज़ार है।

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आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष

अर्मेनिया ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में अपील की है कि अज़रबैजान से नागोर्नो-काराबाख को विभाजित करने वाली सड़क की नाकाबंदी को रद्द करने का आदेश दिया जाए। नागोर्नो-काराबाख अज़रबैजान का हिस्सा है, किंतु वर्ष 1994 में एक अलगाववादी युद्ध की समाप्ति के बाद से नस्लीय आर्मेनियाई सैनिकों द्वारा शासित है। इस संघर्ष की शुरुआत पूर्व-सोवियत काल में हुई, जब यह क्षेत्र ओटोमन, रूसी और फारसी साम्राज्यों से घिरा हुआ था। नागोर्नो-काराबाख ने सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) के पतन की पृष्ठभूमि में सितंबर 1991 में स्वतंत्रता की घोषणा की, जिसके परिणामस्वरूप अज़रबैजान और नागोर्नो-काराबाख के बीच युद्ध हुआ, आर्मेनिया द्वारा इसका समर्थन किया गया था।

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