भारत की प्राचीन जल संचयन प्रणाली
प्रिलिम्स:श्रीकृष्ण देवराय, नल्लामाला की पहाड़ियाँ, पूर्वी घाट, कुरुमा जनजाति, बावली, कुहल, शोम्पेन जनजाति, ग्रेट निकोबार द्वीप समूह, धोलावीरा, लोथल, अर्थशास्त्र, सातवाहन, चोल काल, फिरोज शाह तुगलक, जल जीवन मिशन, झालारा, अहार पाइंस, ज़िंग, ज़ाबो। मेन्स:भारत की प्राचीन जल संचयन प्रणाली की विभिन्न विधियाँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्रप्रदेश का कुंबुम टैंक अपनी प्राचीन जल संचयन प्रणाली के कारण चर्चा में था।
- कुंबुम टैंक, जो कि एक मध्यम सिंचाई परियोजना है, यह एशिया में दूसरा तथा विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित जलाशय है।
कुंबुम टैंक से संबंधित मुख्य बातें क्या हैं?
- निर्माण: टैंक का निर्माण 1522-1524 ईस्वी के दौरान श्रीकृष्ण देवराय की पत्नी अर्थात् विजयनगर की राजकुमारी वरदराजम्मा (जिन्हें रुचिदेवी के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा किया गया था।
- इसका निर्माण एक घाटी पर बांध बनाकर किया गया था, जिसके माध्यम से गुंडलकम्मा और जम्पलेरु नदियाँ प्रवाहित होती हैं।
- भौगोलिक विशेषताएँ: इस जलाशय को नल्लामल्लावगु (Nallamallavagu) से जल की प्राप्ति होती है, जो पूर्वी घाट में नल्लामाला की पहाड़ियों से निकलने वाली एक धारा है और गुंडलकम्मा नदी परितंत्र का भाग है।
- तकनीकी और स्वदेशी ज्ञान: ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर कॉटन (दक्षिण भारत में सिंचाई कार्यों के अग्रणी) ने पाया कि बगैर किसी सुदृढ़ या सघन तटों के बनाए गए मिट्टी के बाँध (तटबंध) लंबे समय तक प्रभावी रूप से स्थिर रहते हैं।
- पोखरी तट मूल भूमि स्तर एवं इसके ऊपर किसी भी नवीन सामग्री के बीच मिट्टी की एक ऊर्ध्वाधर दीवार बनी हुई है।
- पुनरुद्धार के प्रयास: आंध्रप्रदेश सरकार ने जापानी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) के सहयोग से टैंक का आधुनिकीकरण किया है।
भारत की प्राचीन जल संचयन प्रणालियाँ क्या हैं?
संरचना |
विवरण |
क्षेत्र |
प्रमुख विशेषताऐं |
बावली |
मेहराब, नक्काशीदार आकृतियाँ और कमरों के साथ सीढ़ीनुमा संरचना। न्यून वर्षा वाले क्षेत्रों में शहरी जल भंडारण का अभिन्न अंग। |
राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक। जैसे, चंडी बावड़ी, राजस्थान, अग्रसेन की बावली, दिल्ली |
नक्काशी, कमरे, स्तरित सीढ़ियाँ, मौसमी जल संग्रह। |
झालारा |
तीन या चार तरफ स्तरित सीढ़ियों वाली आयताकार बावड़ियाँ, जिन्हें जलाशयों या झीलों से जल एकत्रित करने के लिये बनाया गया है। |
राजस्थान |
स्तरित सीढ़ियाँ, आयताकार। |
तालाब/बांधी (Bandhi) |
मध्यम आकार के जलाशय , प्राकृतिक या मानव निर्मित, जल प्रवाह को नियंत्रित करते हैं और बाढ़ को रोकते हैं। |
विभिन्न क्षेत्र |
जलाशय, जल प्रवाह विनियमन। |
टाँका (Taanka) |
छतों या जलग्रहण क्षेत्रों से वर्षा जल एकत्र करने के लिये बनाया गया बेलनाकार भूमिगत कुआँ। |
थार रेगिस्तान, राजस्थान |
भूमिगत, बेलनाकार, पक्का। |
अहार पाइंस |
बाढ़ के जल को संचय करने के लिये डायवर्सन चैनलों के अंत में तटबंधों के साथ जलाशय बनाए जाते हैं। |
दक्षिण बिहार |
तटबंध, बाढ़ जल संचयन। |
जोहड़ |
तीन तरफ से ऊँचे क्षेत्रों की खुदाई करके मृदा के भंडारण गड्ढे बनाए जाते हैं, जिनमें चौथी तरफ मिट्टी का उपयोग किया जाता है। |
विभिन्न क्षेत्र |
मिट्टी के गड्ढे, ऊँचे क्षेत्र में खुदाई। |
पनाम केनी |
ताड़ी के पेड़ के भीगे हुए तने से बने बेलनाकार कुएं पवित्र माने जाते हैं। |
वायनाड, केरल |
बेलनाकार, पवित्र, ताड़ी ताड़ के तने। |
खड़ीन (धोरा) |
पहाड़ी ढलानों पर लम्बे मिट्टी के तटबंध , जो कृषि के लिए सतही जल को एकत्रित करते हैं। |
जैसलमेर, राजस्थान |
मिट्टी के तटबंध, सतही अपवाह संग्रहण। |
कुंड |
तश्तरी के आकार का जलग्रहण क्षेत्र जिसमें एक केंद्रीय गोलाकार भूमिगत कुआँ है, जो पारंपरिक रूप से चूने और राख से बना है। |
भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों में। |
जलग्रहण क्षेत्र, वृत्ताकार कुआँ, पारंपरिक अस्तर। |
जिंग |
लद्दाख में छोटे-छोटे तालाब ग्लेशियर के पिघले पानी को इकट्ठा करते हैं, जो दोपहर तक धाराओं में बदल जाता है। |
लद्दाख |
छोटे टैंक, ग्लेशियर जल संग्रहण। |
कुहल्स |
हिमाचल प्रदेश में सतही जल चैनल हिमनदों के जल को खेतों तक ले जाते हैं। |
हिमाचल प्रदेश |
सतही चैनल, हिमनद जल. |
ज़ाबो |
नगालैंड में जल संरक्षण को वानिकी, कृषि और पशु देखभाल के साथ संयोजित करने वाली प्रणाली। |
नगालैंड |
वर्षा जल संग्रहण, तालाब जैसी संरचनाएँ, सीढ़ीदार पहाड़ी ढलानें। |
जैकवेल्स |
शोम्पेन जनजाति द्वारा अपनाई जाने वाली प्रथा, दृढ़ लकड़ी के लट्ठों से बने बांधों से घिरे गड्ढे। |
ग्रेट निकोबार द्वीप समूह |
गड्ढे, दृढ़ लकड़ी के बाँध। |
भारतीय इतिहास में जल प्रबंधन
- सिंधु घाटी सभ्यता: धौलावीरा में वर्षा जल एकत्र करने के लिये जलाशय थे, जबकि लोथल और इनामगाँव में सिंचाई तथा पीने के पानी को संग्रहीत करने हेतु छोटे बाँध बनाए गए थे।
- मौर्य साम्राज्य: कौटिल्य के अर्थशास्त्र में बाँधों सहित व्यापक सिंचाई प्रणालियों का उल्लेख है, जिन्हें सख्त नियमों के तहत प्रबंधित किया जाता था।
- जल के स्रोत और निष्कर्षण की विधि के आधार पर कर लगाए गए।
- प्रारंभिक मध्यकालीन भारत: सातवाहनों ने ईंट और रिंग कुओं का प्रचलन शुरू किया।
- चोल काल में कुशल जल वितरण के लिये चेन टैंक (अंतरसंबंधित टैंक) जैसी उन्नत प्रणालियाँ देखी गईं।
- राजपूतों ने बड़े जलाशयों का निर्माण किया, जैसे कि राजा भोज के अधीन भोपाल झील, जबकि पाल और सेन राजवंशों ने पूर्वी भारत में कई टैंक और झीलों का निर्माण किया।
- मध्यकालीन काल: फिरोज शाह तुगलक ने पश्चिमी यमुना नहर का निर्माण किया, जबकि सम्राट शाहजहाँ ने बारी दोआब या हस्ली नहर का विकास किया।
- विजयनगर साम्राज्य ने अनंतराज सागर और कोरंगल बाँध जैसे टैंकों का निर्माण किया।
- सुल्तान ज़ैनुद्दीन ने कश्मीर में एक व्यापक नहर नेटवर्क स्थापित किया।
जल संचयन प्रणाली क्या है?
- परिचय: जल संचयन प्रणाली एक ऐसी तकनीक या संरचना है जिसे वर्षा जल, सतही अपवाह या जल के अन्य स्रोतों को विभिन्न प्रयोजनों, जैसे कृषि, घरेलू उपयोग और भू-जल पुनर्भरण हेतु संग्रहित करने और उपयोग करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह एक स्थायी जल प्रबंधन पद्धति है जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल की कमी को दूर करना है।
- प्रकार:
- वर्षा जल संचयन (RWH): जल संरक्षण के क्रम में छत एवं भूमिगत भंडारण जैसी विधियों के माध्यम से वर्षा जल को एकत्रित एवं संग्रहीत करना।
- भू-जल पुनर्भरण प्रणालियाँ: इसमें ऐसी तकनीकें शामिल हैं जो भू-जल स्तर को बनाए रखने तथा उसमें सुधार करने के क्रम में वर्षा जल को भूमि में पहुँचाने में सहायक हैं।
- सतही जल संचयन: सिंचाई एवं अन्य उपयोगों हेतु तालाबों तथा जलाशयों का उपयोग करके भूमि या खेतों से प्रवाहित होने वाले वर्षा जल को एकत्र करना।
- शहरी जल संचयन: शहरों में छतों तथा भूमि से वर्षा जल को संग्रहित करना, जिससे नगरपालिका की जल प्रणालियों पर दबाव कम होने के साथ जल का प्रबंधन हो सके।
- महत्त्व:
- विश्वसनीय जल स्रोत: इससे दैनिक उपयोग हेतु जल आपूर्ति सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही भू-जल की गुणवत्ता बेहतर होने के साथ तटीय क्षेत्रों में समुद्री जल जमाव की समस्या का समाधान होता है।
- बाढ़ की रोकथाम: बाढ़ के जोखिम के साथ जलभराव की समस्या का समाधान होने से संपत्ति एवं बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा होती है। इससे भूमि कटाव एवं बाढ़ में कमी आने से पर्यावरण तथा संपत्ति की रक्षा होती है।
- भू-जल पुनर्भरण: इससे शुष्क अवधि के दौरान जल की उपलब्धता बढ़ती है। इसके साथ ही यह सतही अपवाह को कम करने, मृदा को संरक्षित करने तथा जल निकायों में अवसादन को रोकने में सहायक है।
- स्थिरता: यह जल संरक्षण के साथ बढ़ते शहरीकरण के आलोक में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
जल संरक्षण से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय जल नीति, 2012
- राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम (NAQUIM)
- मिशन अमृत सरोवर
- जल जीवन मिशन (JJM)
- जल शक्ति अभियान (JSA)
- अटल भू-जल योजना (ABY)
निष्कर्ष
जल संचयन में भारत का समृद्ध इतिहास (बावड़ियों जैसी प्राचीन प्रणालियों से लेकर जल जीवन मिशन जैसी आधुनिक पहलों तक) रहा है। ऐतिहासिक एवं समकालीन, दोनो ही दृष्टिकोण अभिनव जल संरक्षण को बढ़ावा देने तथा जल की सुलभता सुनिश्चित करने के साथ देश भर के विविध जलवायु क्षेत्रों में कृषि को समर्थन देने पर केंद्रित हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. 'एकीकृत जलसंभर विकास कार्यक्रम' को कार्यान्वित करने के क्या लाभ हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्सQ. जल तनाव क्या है? भारत में यह क्षेत्रीय स्तर पर कैसे और क्यों भिन्न है? (2019) Q. “भारत में घटते भू-जल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है”। इसे शहरी क्षेत्रों में किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है? (2018) |
नाइंटी ईस्ट रिज
प्रिलिम्स के लिये:नाइंटी ईस्ट रिज, हिंद महासागर, प्राकृतिक आपदाएँ, बंगाल की खाड़ी, समुद्री चोटियाँ, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, विवर्तनिकी प्लेटें मेन्स के लिये:प्लेट विवर्तनिकी और हॉटस्पॉट, विवर्तनिकी प्लेट संचलन एवं प्राकृतिक आपदाएँ |
स्रोत: Phys.org
चर्चा में क्यों?
नेचर कम्युनिकेशंस के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि नाइंटी ईस्ट रिज (जो पृथ्वी पर सबसे लंबी एवं सीधी जलमग्न पर्वत शृंखला है) एक गतिशील हॉटस्पॉट द्वारा निर्मित हुई है, जिससे पूर्व की धारणा (कि इसकी उत्पत्ति एक स्थिर हॉटस्पॉट से हुई है) को चुनौती मिलती है।
- यह अध्ययन पृथ्वी की विवर्तनिकी प्रक्रियाओं के साथ नाइंटी ईस्ट रिज के कालानुक्रम के अनुमान के बारे में नवीन जानकारी पर केंद्रित है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- गतिशील हॉटस्पॉट द्वारा निर्माण: हिंद महासागर में 5,000 किमी लंबी जलमग्न पर्वत शृंखला (नाइंटी ईस्ट रिज) का निर्माण केर्गुएलन हॉटस्पॉट (दक्षिणी हिंद महासागर के केर्गुएलन पठार पर स्थित ज्वालामुखी हॉटस्पॉट) से हुआ, न कि एक स्थिर हॉटस्पॉट से (जैसा कि पहले माना जाता था)।
- यह अध्ययन हिंद महासागर में गतिशील हॉटस्पॉट का पहला प्रलेखित मामला है, जिससे हॉटस्पॉट की गतिशीलता संबंधी सिद्धांत के संदर्भ में नवीन साक्ष्यों पर प्रकाश पड़ता है।
- कालानुक्रम अनुमान: रिज से प्राप्त खनिज नमूनों की उच्च परिशुद्धता तिथि-निर्धारण से पता चलता है कि 90 से 43 मिलियन वर्ष पूर्व नाइंटी ईस्ट रिज का निर्माण हुआ था।
- विवर्तनिकी मॉडल पर प्रभाव: यह अध्ययन पृथ्वी के विवर्तनिकी इतिहास पर प्रकाश डालने के साथ प्राकृतिक आपदाओं की बेहतर भविष्यवाणी करने के क्रम में मेंटल डायनेमिक्स तथा हॉटस्पॉट संचलन की समझ के महत्त्व को इंगित करता है।
नाइंटी ईस्ट रिज क्या है?
- नाइंटी ईस्ट रिज: नाइंटी ईस्ट रिज एक रैखिक भूकंपीय रिज/कटक है। इसका नाम 90 डिग्री अक्षांश पूर्व के साथ इसके लगभग समानांतर संरेखण के कारण रखा गया है।
- यह जलमग्न पर्वत शृंखला उत्तर में बंगाल की खाड़ी से लेकर दक्षिण में दक्षिणपूर्व भारतीय रिज (SEIR) तक लगभग 5,000 किलोमीटर तक विस्तृत है।
- नाइंटी ईस्ट रिज के उत्तरी भाग में विशाल ज्वालामुखी हैं, दक्षिणी भाग ऊँचा और सतत् है तथा मध्य भाग में छोटे समुद्री पर्वत एवं सीधे खंड शामिल हैं।
- यह हिंद महासागर को पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर में विभाजित करता है।
- नाइंटी ईस्ट रिज का निर्माण: यह अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत है, जिसे हॉटस्पॉट सिद्धांत कहते हैं, कुछ भूवैज्ञानिक इस रिज के निर्माण का श्रेय केर्गुएलन हॉटस्पॉट को देते हैं।
- जैसे ही इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट उत्तर की ओर बढ़ी अर्थात् इस हॉटस्पॉट के ऊपर से गुज़री, जिसके परिणामस्वरूप रिज का निर्माण हुआ।
- विवर्तनिकी प्लेट की सीमाओं के पुनर्गठन के कारण निर्माण प्रक्रिया थम गई, हालाँकि इस सिद्धांत की पुष्टि के लिये आगे अनुसंधान जारी है।
- संरचना: यह मुख्य रूप से ओसियन आईलैंड थोलेइट्स (OIT) से बना है, जो एक प्रकार की उप-क्षारीय बेसाल्ट चट्टान है।
- नाइंटी ईस्ट रिज के दक्षिणी भाग की चट्टानें उत्तरी भाग (81.8 मिलियन वर्ष) की तुलना में अधिक युवा (43.2 मिलियन वर्ष) हैं।
किसी हॉटस्पॉट का भूवैज्ञानिक महत्त्व क्या है?
- हॉटस्पॉट वह क्षेत्र होता है, जहाँ पृथ्वी के मेंटल के अंदर से पिघली हुई चट्टान (मैग्मा) का तप्त लावा उद्गमित होता है। ये लावा सतह पर पहुँचकर भू-पर्पटी पर ज्वालामुखी का निर्माण कर सकते हैं।
- अधिकांश ज्वालामुखीय गतिविधियों के विपरीत, हॉटस्पॉट ज्वालामुखीय गतिविधियाँ विवर्तनिकी प्लेट सीमाओं द्वारा संचालित नहीं होती हैं, बल्कि गतिशील प्लेटों के नीचे स्थिर प्लूमों द्वारा संचालित होती हैं।
- हॉटस्पॉट ज्वालामुखी और अंतः समुद्री ज्वालामुखी: हॉटस्पॉट ज्वालामुखी अंतः समुद्री ज्वालामुखी से भिन्न है। अंतः समुद्री ज्वालामुखी वहाँ पाए जाते हैं, जहाँ विवर्तनिकी प्लेटें एक साथ मिलती हैं और गतिशील होती हैं (प्लेट की सीमाएँ)।
- इसके विपरीत हॉटस्पॉट ज्वालामुखी की क्रियाएँ प्लेट की सीमाओं पर नहीं, बल्कि स्थलमंडलीय प्लेटों में होती है, जहाँ अभिसरण होता है।
- हॉटस्पॉट ट्रैक: जब विवर्तनिकी प्लेटें हॉटस्पॉट के ऊपर गतिशील होती हैं, तो प्लूम के ऊपर सक्रिय ज्वालामुखी निर्मित होते हैं, जबकि पुराने ज्वालामुखी सुषुप्तावस्था में चले जाते हैं, जिससे द्वीपों या समुद्री पर्वतों की एक शृंखला का निर्माण होता है।
- हॉटस्पॉट ट्रैक ज्वालामुखी की एक रेखीय शृंखला है, जो एक गतिशील विवर्तनिकी प्लेट के नीचे एक स्थिर प्लूम द्वारा सृजित होती है। इसमें सबसे युवा और सबसे सक्रिय ज्वालामुखी प्लूम के ऊपर, जबकि पुराने ज्वालामुखी प्लेट की गति के विपरीत दिशा में होते हैं।
- हवाई द्वीप और उनकी समुद्री पर्वत शृंखला हॉटस्पॉट ट्रैक का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें हवाई द्वीप इस शृंखला में सबसे युवा एवं सबसे सक्रिय है।
- हॉटस्पॉट की गतिशील प्रकृति: कुक-ऑस्ट्रल्स, मार्शल्स, गिल्बर्ट्स और लाइन आईलैंड्स जैसी द्वीपीय शृंखलाओं में देखे जाने वाले अनियमित ज्वालामुखी पैटर्न के बारे में अभी भी चिंतन जारी है। कुछ सिद्धांत बताते हैं कि हॉटस्पॉट, जिन्हें पारंपरिक रूप से स्थिर माना जाता है, वास्तव में गतिशील हो सकते हैं।
- क्योंकि वैज्ञानिक इन क्षेत्रों में ज्वालामुखीय गतिविधियों को प्रेरित करने वाली जटिल प्रक्रियाओं को समझने के लिये अधिक आँकड़े एकत्र कर रहे हैं।
हॉटस्पॉट टेक्टोनिक प्लेटों और प्राकृतिक आपदाओं को कैसे प्रभावित करते हैं?
- टेक्टोनिक प्लेटों पर हॉटस्पॉट का प्रभाव:
- ज्वालामुखी शृंखलाएँ और प्लेट गति: इन द्वीपों का क्रम, सबसे नए से लेकर सबसे पुराने तक, प्लेट गति का साक्ष्य प्रदान करता है।
- इन द्वीपों के बीच की दूरी से वैज्ञानिकों को प्लेटों की गति का अनुमान लगाने में भी मदद मिलती है।
- ज्वालामुखी शृंखलाएँ और प्लेट गति: इन द्वीपों का क्रम, सबसे नए से लेकर सबसे पुराने तक, प्लेट गति का साक्ष्य प्रदान करता है।
- गीजर जैसी भूतापीय संरचनाओं से जुड़े हॉटस्पॉट, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों और अंतःक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
- मेंटल प्लूम्स ऊष्मा और गति प्रदान करके प्लेट टेक्टोनिक्स को संचालित करते हैं, जो पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की बड़े पैमाने पर गति के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- दरार और महाद्वीपीय विखंडन: हॉटस्पॉट महाद्वीपीय दरार में योगदान कर सकते हैं, जहाँ प्लेटें अलग हो जाती हैं।
- किसी महाद्वीप के नीचे स्थित मेंटल प्लम स्थलमंडल को कमज़ोर कर सकता है, जिससे वह टूट सकता है।
- पूर्वी अफ्रीकी दरार महाद्वीप के विभाजन का एक उदाहरण है।
- प्राकृतिक आपदाओं का मेंटल और हॉटस्पॉट प्रभाव:
- भूकंप: मेंटल प्लम और टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल भूकंप का कारण बन सकती है। इन हलचलों की गतिशीलता को समझने से भूकंपीय गतिविधि के जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है।
- यह ज्ञान प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के डिज़ाइन और कार्यान्वयन के लिये आवश्यक है।
- सुनामी: समुद्र के नीचे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट सुनामी को ट्रिगर कर सकते हैं। मेंटल डायनेमिक्स और हॉटस्पॉट गतिविधि के पैटर्न का अध्ययन करके, वैज्ञानिक ऐसी घटनाओं की संभावना का बेहतर अनुमान लगा सकते हैं तथा तटीय क्षेत्रों को चेतावनी जारी कर सकते हैं।
- भूकंप: मेंटल प्लम और टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल भूकंप का कारण बन सकती है। इन हलचलों की गतिशीलता को समझने से भूकंपीय गतिविधि के जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: प्लेट टेक्टोनिक्स में हॉटस्पॉट की भूमिका और ज्वालामुखी द्वीपों के निर्माण पर उनके प्रभाव का परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: भूकंप संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (2021) प्रश्न: क्या कारण है कि संसार का वलित पर्वत (फोल्डेड माउंटेन) तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों के साथ-साथ अवस्थित है? वलित पर्वतों के वैश्विक वितरण और भूकंपों एवं ज्वालामुखियों के बीच साहचर्य को उजागर कीजिये। (2014) |