प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
प्रिलिम्स के लिये: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF), स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH)
मेन्स के लिये: स्किल इंडिया मिशन (SIM), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एवं उसका महत्व, कौशल विकास
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रमुख कौशल विकास कार्यक्रम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठे हैं। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने गंभीर अनियमितताओं—जैसे फर्जी प्रशिक्षार्थी, जाली दस्तावेज़, अस्तित्वहीन प्रशिक्षण केंद्र—के कारण 178 प्रशिक्षण भागीदारों (TPs) एवं प्रशिक्षण केंद्रों(TCs) को ब्लैक लिस्ट किया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- व्यापक भ्र्ष्टाचार एवं निधियों का दुरुपयोग: अनेक प्रशिक्षण भागीदारों ने बढ़े हुए बिल, भ्रामक दस्तावेज़ और फर्जी रिकॉर्ड प्रस्तुत किये।
- कई प्रशिक्षण केंद्र केवल कागज़ों पर मौजूद थे; वास्तविक रूप से प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा था।
- उपस्थिति-पंजी को इस प्रकार बदला गया कि जो छात्र प्रशिक्षण में शामिल ही नहीं हुए, उन्हें उपस्थित दिखाया गया।
- दुर्बल निगरानी तंत्र एवं पारदर्शिता का अभाव: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत भी दोषी केंद्रों का विवरण साझा करने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि सूचना गोपनीय है।
- कई स्थानों पर प्रशिक्षण भागीदार (TP) तथा प्रशिक्षण केंद्र (TC) की पहचान मेल नहीं खा रही थी, जो जवाबदेहिता के अभाव को दर्शाता है।
- राज्य-स्तरीय एजेंसियों ने बताया कि निरीक्षण, दस्तावेज और आगामी कार्यवाही के संबंध में स्पष्टता नहीं है, जिसके कारण सुधारात्मक कार्य विलंबित हुए हैं।
- प्रशिक्षण गतिविधियों में व्यवधान: 178 TPs/TCs के ब्लैक लिस्ट होने से कई ज़िलों में प्रशिक्षण पूर्णत: बाधित हो गया। सर्वाधिक मामले उत्तर प्रदेश में, उसके बाद दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिले हैं।
- कौशल और उद्योग क्षेत्र की मांगों में असंगति: प्रशिक्षण कार्यक्रम अक्सर वर्तमान उद्योग आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होते। जिसके कारण निम्नवत हैं:
- प्रशिक्षण संस्थानों और नियोक्ताओं के बीच अपर्याप्त सहयोग
- श्रम बाज़ार की अपर्याप्त पूर्वानुमान क्षमता
- प्रशिक्षुओं के लिये व्यावहारिक प्रशिक्षण की कमी
- आधारभूत संरचना और पहुँच संबंधी बाधाएँ: ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के अनेक प्रशिक्षण केंद्र अपर्याप्त सुविधाओं, कमज़ोर डिजिटल अवसंरचना, एवं इंटरनेट तक अपर्याप्त पहुँच से ग्रस्त हैं।
- वित्तीय सीमाएँ तथा रसद-संबंधी समस्याएँ सहभागिता और पहुँच दोनों को प्रभावित करती हैं।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) क्या है?
- परिचय: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की प्रमुख कौशल-विकास योजना है, जिसका प्रारंभ जुलाई 2015 में किया गया था। इसका उद्देश्य युवाओं को निशुल्क अल्पावधि प्रशिक्षण प्रदान करना, रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (RPL) के माध्यम से कौशल प्रमाणीकरण कराना, तथा रोज़गारपरकता में वृद्धि करना है।.
- योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण, राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के अनुरूप मानकीकृत गुणवत्ता-मानदंडों पर अनुमोदित प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
- योजना के तहत प्रत्येक प्रमाणित अभ्यर्थी को परीक्षा उत्तीर्ण करने पर 500 रुपये का इनाम प्रोत्साहन-राशि के रूप में दिये जाने का प्रावधान है।
- इस योजना के माध्यम से विनिर्माण, निर्माण, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी तथा खुदरा जैसे क्षेत्रों में अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दिये गये हैं। साथ ही योजना को कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन तकनीक, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसे भविष्य-केंद्रित क्षेत्रों तक विस्तारित किया गया है।
- समावेशन: समावेशन, योजना का एक प्रमुख स्तंभ है; कुल प्रशिक्षित अभ्यर्थियों में 45% महिलाएँ थीं तथा एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित लाभार्थियों का रहा है।
- प्रगति: विगत वर्षों में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत 1.63 करोड़ से अधिक अभ्यर्थियों को विनिर्माण, निर्माण, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खुदरा इत्यादि विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
- PMKVY 1.0 (2015–16): पायलट चरण के दौरान 19.85 लाख अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित किया गया।
- PMKVY 2.0 (2016–20): इस चरण में 1.10 करोड़ अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण अथवा अभिमुखीकरण उपलब्ध कराया गया।
- PMKVY 3.0 (2021–22): कुल 7.37 लाख अभ्यर्थी प्रशिक्षित किये गये।
- PMKVY 4.0 (2022–26): जुलाई 2025 तक इस चरण में 25 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दिये जा चुके हैं।
- PMKVY के अंतर्गत संचालित अभिनव पहलें
- विशेष परियोजनाएँ: वंचित समुदायों तक कौशल-विकास की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु ब्रू जनजाति के युवाओं, कारागृह-बंधियों तथा पंख पहल के अंतर्गत महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- पारंपरिक शिल्प एवं कौशल उन्नयन: लक्षित RPL प्रशिक्षण के माध्यम से जम्मू-कश्मीर और नागालैंड के नमदा शिल्पकारों तथा बुनकरों को सहयोग प्रदान किया गया।
- कौशल-विकास का मुख्यधारा में एकीकरण: PM सूर्या घर तथा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम जैसी प्रमुख राष्ट्रीय पहलों में कौशल-विकास को समाहित किया गया।
- कोविड-19: महामारी के दौरान 1.2 लाख से अधिक स्वास्थ्य-कर्मियों को त्वरित-पाठ्यक्रम प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- स्किल हब पहल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अंतर्गत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों को व्यावसायिक प्रशिक्षण-केंद्रों के रूप में उपयोग में लाया गया।
- रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (RPL): अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के विद्यमान कौशल का प्रमाणीकरण कर उनकी नियोजनीयता को सुदृढ़ किया गया।
- स्किल इंडिया डिजिटल हब: डिजिटल ट्रैकिंग तथा आधार-आधारित सत्यापन हेतु ‘स्किल इंडिया डिजिटल हब’ का आरंभ किया गया।
- एकेडमिक मोबिलिटी: PMKVY की योग्यताओं को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट से संबद्ध कर अधिगम-अंक की अंतरणीयता सुनिश्चित की गयी।
स्किल इंडिया मिशन (SIM)
- परिचय: SIM प्रशिक्षण केंद्रों के राष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से कौशल विकास, पुन: कौशल प्रशिक्षण और उन्नत कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- फरवरी 2025 में सरकार ने वर्ष 2022–23 से 2025–26 तक के लिये इस मिशन को पुनर्गठित किया, जिसमें PMKVY 4.0, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS), और जन शिक्षा संस्थान (JSS) योजना को एक ही केंद्रीय क्षेत्र की योजना में सम्मिलित किया गया।
- JSS: अप्रशिक्षित, नवसाक्षर और स्कूल छोड़ने वाले युवाओं (15–45 वर्ष) को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, विशेष रूप से महिलाओं, SC/ST/OBC और अल्पसंख्यकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए; वर्ष 2018–24 तक 26 लाख से अधिक लोग प्रशिक्षित।
- NAPS: प्रशिक्षुता का समर्थन करता है और प्रशिक्षुओं को भत्ते के रूप में सब्सिडी प्रदान करता है। इसमें बुनियादी और ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण शामिल हैं।
- मई 2025 तक 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 51,000 संस्थाओं के माध्यम से 43.47 लाख प्रशिक्षु शामिल किये गए।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के प्रभावी क्रियान्वयन को बढ़ाने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?
- निगरानी और जवाबदेही को सशक्त बनाना: फर्जी नामांकन पर रोक लगाने के लिये रियल-टाइम डिजिटल उपस्थिति, जियो-टैग्ड केंद्र और बायोमेट्रिक सत्यापन का उपयोग किया जाए।
- प्रशिक्षण प्रदाताओं (TP) की प्रदर्शन रेटिंग को उनके वित्तीय सहायता प्राप्त करने और पैनल में निरंतर बने रहने की प्रक्रिया से जोड़ा जाए।
- प्रशिक्षण प्रदाताओं को नामांकन संख्या के बजाय रोज़गार परिणाम के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाए।
- अभ्यर्थियों को रोज़गारोपरांत ट्रैकिंग, परिवहन भत्ता और कार्यस्थल पर परामर्श का समर्थन प्रदान किया जाए।
- क्षेत्रीय और सेक्टोरल अनुकूलन को बढ़ावा देना: प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को स्थानीय आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जाए, जैसे कृषि प्रसंस्करण, पर्यटन या हरित ऊर्जा।
- राज्य-विशिष्ट कौशल योजनाएँ तैयार की जाएँ ताकि श्रम आपूर्ति और मांग के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके।
- डिजिटल अवसंरचना को मज़बूत करना: स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH) को प्रशिक्षण वितरण, मूल्यांकन, प्रमाणन और रोज़गार मिलान के लिये बड़े पैमाने पर विकसित किया जाए।
- योग्यताओं की पोर्टेबिलिटी के लिये ABC (अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स) के साथ एकीकरण।
- बेहतर अभिसरण: PMKVY को मुद्रा योजना, पीएम-विश्वकर्मा और स्टार्ट-अप इंडिया जैसी योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि युवाओं को ऋण, मार्गदर्शन तथा उद्यमिता प्रशिक्षण मिल सके। युवाओं को सूक्ष्म उद्यम शुरू करने में सहायता के लिये उद्यम-प्रबंधन मॉड्यूल प्रदान किये जाएँ।
निष्कर्ष
PMKVY भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश को तभी साकार कर सकती है जब कौशल विकास मांग-आधारित, उद्योग-संलग्न और परिणाम-उन्मुख बने। मज़बूत निगरानी, उद्योग-संबद्ध रोज़गार, डिजिटल प्रणालियाँ और समावेशी पहुँच के माध्यम से PMKVY प्रशिक्षण को वास्तविक नौकरियों तथा सशक्त आजीविका में बदलने में सक्षम हो सकती है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के नामांकन-आधारित वितरण से परिणाम-आधारित कौशल विकास में परिवर्तन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) क्या है?
PMKVY वर्ष 2015 में शुरू की गई सरकार की प्रमुख योजना है, जो युवाओं की रोज़गार क्षमता बढ़ाने के लिये निशुल्क अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण और RPL प्रमाणन प्रदान करती है।
प्रश्न. स्किल इंडिया मिशन क्या है?
स्किल इंडिया मिशन एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य युवाओं को कौशल प्रशिक्षण, पुन:कौशल और उन्नत कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत योजनाएँ जैसे PMKVY, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना (PM-NAPS) और जन शिक्षा संस्थान चलाई जाती हैं ताकि एक रोज़गार-तैयार कार्यबल तैयार किया जा सके।
प्रश्न. PMKVY के अंतर्गत कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ चिह्नित की गईं?
फर्जी प्रशिक्षण केंद्र, फर्जी उपस्थिति, निधियों का दुरुपयोग, निगरानी में कमज़ोरी, पारदर्शिता की कमी और 178 प्रशिक्षण प्रदाताओं/केंद्रों (TPs/TCs) के ब्लैकलिस्ट होने के बाद प्रशिक्षण में व्यवधान जैसी समस्याएँ सामने आईं।
प्रश्न. PMKVY की प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु क्या उपाय किये जा रहे हैं?
बायोमेट्रिक/जियो-टैग्ड उपस्थिति प्रणाली, तृतीय-पक्ष ऑडिट, परिणाम-आधारित भुगतान, उद्योगों के साथ मज़बूत साझेदारी और पारदर्शी सार्वजनिक डैशबोर्ड जैसी पहलें की जा रही हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
- यह श्रम और रोज़गार मंत्रालय की प्रमुख योजना है।
- यह अन्य बातों के अलावा सॉफ्ट स्किल्स, उद्यमिता, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
- इसका उद्देश्य देश के अनियमित कार्यबल की दक्षताओं को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे के अनुरूप बनाना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न. "भारत में जनांकिकीय लाभांश तब तक सैद्धांतिक ही बना रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील नहीं हो जाती।" सरकार ने हमारी जनसंख्या को अधिक उत्पादनशील और रोज़गार-योग्य बनने की क्षमता में वृद्धि के लिये कौन-से उपाय किये हैं? (2016)
भारत के निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण
चर्चा में क्यों?
भारत के निर्यात परिदृश्य में बदलाव देखने को मिल रहा है, जहाँ गैर-अमेरिकी बाज़ार अब अमेरिका से हुई हानि की प्रतिपूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश की व्यापार विविधीकरण नीति के सफल कार्यान्वयन से मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में नए व्यापारिक अवसर तेज़ी से उभर रहे हैं।
- अमेरिका को निर्यात में 12% की गिरावट के बावजूद, भारत का व्यापारिक निर्यात 6.7% से बढ़कर 36.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अनुकूल विविधीकरण को दर्शाता है।
- निर्यात विविधीकरण किसी देश के उत्पादों और बाज़ारों का विस्तार करता है, जिससे कुछ सीमित साझेदारों पर निर्भरता कम होती है और आर्थिक स्थिरता, व्यापारिक लचीलापन तथा नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है।
भारत की निर्यात विविधीकरण रणनीति के प्रमुख रुझान क्या हैं?
- अमेरिका को निर्यात में गिरावट: घटती मांग और व्यापारिक तनाव के कारण भारत का अमेरिका को निर्यात कम हुआ है। अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच टैरिफ 10% से बढ़कर 50% हो गया, जिससे निर्यात 8.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
- यहाँ तक कि टैरिफ-मुक्त निर्यात भी 3.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 47% घटकर 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, हालाँकि वैकल्पिक बाज़ारों के माध्यम से कुल निर्यात लचीला बना हुआ है।
- गैर-अमेरिकी बाज़ारों का उदय: अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व भारत के लिये प्रमुख बाज़ार बन गए हैं, जो फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्रों, इंजीनियरिंग उत्पादों और मशीनरी का आयात करते हैं।
- समुद्री निर्यात चीन, वियतनाम और थाईलैंड को 60% बढ़ा, बासमती चावल का निर्यात ईरान को छह गुना बढ़ा और चाय का निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, इराक तथा जर्मनी तक विस्तारित हुआ।
- सरकार और नीतिगत पहल: भारतीय सरकार ने इन गैर-अमेरिकी क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रणनीतिक रूप से नीतियाँ लागू की हैं। विदेशी व्यापार नीति 2023 और बाज़ार पहुँच पहल (MAI) जैसे कार्यक्रम नए साझेदारों के साथ व्यापारिक संबंधों को सुदृढ़ करने, प्रोत्साहन प्रदान करने और लॉजिस्टिक अवरोधों को कम करने पर केंद्रित हैं।
भारत के निर्यात के विविधीकरण को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?
- क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA): भारत की विभिन्न क्षेत्रीय FTA में भागीदारी उसके निर्यात आधार को विविधीकरण देने में एक महत्त्वपूर्ण कारक रही है। UAE, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ FTA ने व्यापार के नए मार्ग खोले हैं।
- आपूर्ति शृंखला प्रबंधन: भारत चीन-प्लस-वन रणनीतियों में एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभरा है, जिससे वैश्विक कंपनियों को आकर्षित किया गया और पारंपरिक बाज़ारों से परे मूल्य संवर्द्धन एवं विविधीकरण को बढ़ावा मिला है।
- सरकारी पहुँच: यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 40 प्रमुख आयातक देशों की पहचान, जो वैश्विक वस्त्र और परिधान मांग का तीन-चौथाई हिस्सा हैं। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएँ उच्च विकास वाले क्षेत्रों में विनिर्माण और निर्यात में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देती हैं।
- दीर्घकालिक लक्ष्य: भारत का लक्ष्य अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम करना तथा विविधीकरण के माध्यम से अपने वैश्विक निर्यात का विस्तार करना है।
- इसका लक्ष्य विकसित भारत 2047 के अनुरूप लचीली, टिकाऊ व्यापार प्रणालियों का निर्माण करना तथा शीर्ष 3 वैश्विक निर्यातक बनने का लक्ष्य है।
भारत का निर्यात बास्केट (वित्तीय वर्ष 2024-25)
- इंजीनियरिंग वस्तुएँ: कुल 26.67% हिस्सेदारी के साथ यह सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता क्षेत्र है, जिसकी कुल निर्यात राशि 116.67 अरब अमेरिकी डॉलर है। प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं- अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम (UK) और जर्मनी। वर्ष 2021-22 से इस क्षेत्र का निर्यात लगातार 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बना हुआ है।
- कृषि एवं संबद्ध उत्पाद: सबसे बड़ा योगदान 26.67% का है, जो कुल USD 116.67 बिलियन है। प्रमुख वस्तुएँ: मसाले, कॉफी, चाय, तंबाकू, चावल, फल और सब्जियाँ, समुद्री उत्पाद।
- मसालों के लिये प्रमुख गंतव्य: चीन, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, थाईलैंड; कॉफी: इटली, रूस, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, बेल्ज़ियम, संयुक्त राज्य अमेरिका।
- फार्मास्यूटिकल्स: भारत 200 से अधिक देशों को दवाइयों का निर्यात करता है, जिसमें वर्ष 2014-15 से लगातार वृद्धि का रुझान जारी है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: कंप्यूटर हार्डवेयर और बाह्य उपकरण 0.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना होकर 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गए। प्रमुख निर्यात बाज़ार: संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इटली।
निष्कर्ष:
विविधीकरण की संभावनाएँ अवश्य हैं, परंतु चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं—अमेरिकी बाज़ार के उच्च मूल्य को पूरी तरह प्रतिस्थापित करना कठिन है, साथ ही चीन से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना भी करना पड़ रहा है। फिर भी, एक सुदृढ़ और अनुकूल निर्यात अर्थव्यवस्था के निर्माण तथा वर्ष 2030 तक व्यापार को 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य के संदर्भ में, संभावित अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) नए अवसर प्रस्तुत कर सकता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: अमेरिकी टैरिफ वृद्धि ने भारत के निर्यात प्रोफाइल को किस प्रकार प्रभावित किया है और इन प्रभावों को कम करने के लिये भारत ने क्या रणनीति अपनाई है? |
1. भारत ने अपनी निर्यात विविधीकरण रणनीति क्यों शुरू की?
अमेरिका द्वारा भारतीय मूल के सामानों पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद, जिसका असर कपड़ा, रत्न और कालीन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ा, भारत ने निर्यात विविधीकरण शुरू किया।
2. भारतीय निर्यात के लिये कौन से देश नए गंतव्य बनकर उभरे हैं?
संयुक्त अरब अमीरात, फ्राँस, जापान, चीन, वियतनाम और थाईलैंड भारतीय निर्यात के लिये प्रमुख वैकल्पिक बाज़ार बन गए हैं।
3. सरकार निर्यात विविधीकरण को कैसे सुगम बना रही है?
40 प्रमुख आयातक देशों की पहचान करके, वैश्विक आपूर्ति शृंखला एकीकरण को मज़बूत करके और गहन तकनीक और विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा देकर।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज़ करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019)


