संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध | 01 Feb 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNTOC), भ्रष्टाचार के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCAC), नशीली दवाओं और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 

मेन्स के लिये:

संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच अंतर व समानताएँ, भारत में संगठित अपराध और आतंकवाद के संबंधों के कुछ उदाहरण, संगठित अपराध से संबंधित चुनौतियाँ और समाधान, भारत में संगठित अपराध की कानूनी स्थिति।

संदर्भ 

आतंकवाद और संगठित अपराध का अंतर्संबंध भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण बाधा है। 

अपने पूरे इतिहास में, भारत विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त अलगाववादी विद्रोह, आतंकवाद और आंतरिक संघर्षों से जूझता रहा है। आपराधिक गतिविधियों के वित्तपोषण में आतंकवाद ने जो भूमिका निभाई है, वह भारत और पड़ोसी क्षेत्रों में हिंसा को बढ़ावा देने एवं अस्थिरता उत्पन्न करने के लिये जारी है। इस मुद्दे के समाधान हेतु राष्ट्र की क्षमताओं को बढ़ाने और कई सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की आवश्यकता है।

भारत में संगठित अपराध किस प्रकार कार्य करता है?

  • परिभाषा: संगठित अपराध अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है, लेकिन आम तौर पर इसमें संपत्ति अपराध, धन शोधन, मादक पदार्थों/नशीली दवाओं की तस्करी, मुद्रा उल्लंघन, धमकी, वेश्यावृत्ति, जुआ और हथियारों तथा पुरावशेषों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
    • इसमें बलपूर्वक वसूली जैसे अवैध प्रतिस्पर्द्धी साधनों के माध्यम से वैधानिक अर्थव्यवस्था में भागीदारी भी शामिल हो सकती है, जिसका पूरी तरह से अवैध गतिविधियों की तुलना में अधिक आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है। दोनों मामलों में आपराधिक तरीकों का उपयोग किया जाता है क्योंकि संगठित आपराधिक समूह का गठन आपराधिक तत्त्वों से होता है।
  • पृष्ठभूमि: भारत में अलगाववादी विद्रोहों से लड़ने और देश के विभिन्न हिस्सों में व्याप्त नागरिक संघर्षों को नियंत्रित करने का एक लंबा इतिहास रहा है। कई स्थितियाँ भारत को विशेष रूप से राष्ट्र-पार संगठित अपराध और आतंकवाद के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। इनमें अन्य बातों के अलावा, प्रमुख हेरोइन उत्पादकों और निर्यातकों से निकटता तथा भू-मार्गों व समुद्र के माध्यम से क्षेत्रीय नशीली दवाओं का व्यापार शामिल है।
    • इसके अलावा जोखिम लेने के इच्छुक समूहों, व्यापक निर्धनता और 'कम उग्रता' वाले संघर्षों की व्याप्त प्रकृति ने भी भारत में अपराध-आतंकवाद गठजोड़ के लिये एक स्वीकार्य वातावरण बना दिया है।
  • भौगोलिक संघर्ष क्षेत्र: भारत में जम्मू और कश्मीर, असम, नगालैंड तथा मणिपुर जैसे उत्तर पूर्वी राज्य प्रमुख संघर्ष क्षेत्र हैं। इसके अतिरिक्त, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में माओवादी विद्रोह है, जिसे नक्सली खतरे के रूप में जाना जाता है।
  • आतंकवादी खतरे: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर और मुख्य भूमि भारत दोनों के लिये एक बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न करते हैं। भारत के भीतर हिंसक और धार्मिक रूप से प्रेरित समूह भी आतंकवादी खतरे में योगदान करते हैं।

संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच अंतर व समानताएँ क्या हैं?

पहलू

संगठित अपराध

आतंकवाद 

उद्देश्य

वित्तीय या भौतिक लाभ 

इसका उद्देश्य राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिये किसी आबादी या सरकार को डराना है।

गतिविधियों की प्रकृति

आमतौर पर इसमें अवैध व्यवसाय, धोखाधड़ी, मादक पदार्थों की तस्करी आदि शामिल हैं।

इसमें भय उत्पन्न करने या बयान देने के लिये हिंसा, बंधक बनाना, बमबारी जैसे कार्य शामिल हैं।

व्यक्तियों द्वारा प्रतिबद्धता

संगठित समूहों की आवश्यकता है, न कि किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिबद्ध।

किसी एक व्यक्ति या संगठित समूहों द्वारा प्रतिबद्ध किया जा सकता है।

गठबंधन और संबंध

पारस्परिक लाभ के लिये आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन बना सकते हैं।

गठबंधन या संबंध मौजूद हो सकते हैं लेकिन अलग-अलग उद्देश्यों के साथ।

ओवरलैप्स और इंटरसेक्शन

आपराधिक उद्देश्यों के लिये आतंकवादी रणनीति अपना सकते हैं।

आतंकवादी अभियानों के वित्तपोषण या समर्थन के लिये आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।

चित्र: संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध

भारत में संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंधों के कुछ उदाहरण क्या हैं?

जम्मू और कश्मीर 

  • बाह्य अभिकर्त्ता और उग्रवादी समूह: पाकिस्तान स्थित समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LET), जैश-ए-मोहम्मद (JEM), हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (HUJI) और हरक-तुल-मुजाहिदीन (HUM) नियंत्रण रेखा (LOC) के पार से जम्मू-कश्मीर में संचालित होते हैं तथा ये जम्मू-कश्मीर के भीतर उग्रवादी गतिविधियों में संलग्न है एवं इन समूहों पर अक्सर बाहरी स्रोतों से धन व समर्थन प्राप्त करने का आरोप लगाया जाता है।
  • वित्तपोषण और इसके स्रोत: कश्मीर में आतंकवादी संगठन फारस की खाड़ी में स्थानीय दानदाताओं, राज्य प्रायोजक संचालकों और हवाला प्रणाली सहित विभिन्न माध्यमों से फंडिंग प्राप्त करते हैं। फंडिंग के तरीकों में मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग मनी और जाली मुद्रा भी शामिल है।
    • हवाला एक अनौपचारिक धन हस्तांतरण प्रणाली है जो धन की वास्तविक आवाजाही के बिना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को पैसे स्थानांतरित करने की अनुमति देती है।

पूर्वोत्तर राज्य

  • आतंकवादी समूह और विद्रोह: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नगालैंड में लंबे समय से चले आ रहे नागा विद्रोह को इस क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख विद्रोही समूहों के रूप में उजागर किया गया है। ये समूह सुरक्षा और स्थिरता को लेकर चिंताएँ बढ़ाते हुए वर्षों से सक्रिय हैं।
  • अपराध और आतंकवाद के मध्य सहजीवी संबंध: पूर्वोत्तर राज्यों में अस्वच्छ शासन ने आतंकवादी संगठनों और आपराधिक समूहों के बीच सहजीवी संबंध को बढ़ावा दिया है। ये समूह कुछ क्षेत्रों में समानांतर सरकारें चलाते हैं और अपने कार्यों को वित्तपोषित करने के लिये मादक पदार्थों की तस्करी, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी तथा मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों में संलग्न होते हैं।

नक्सलवाद

  • उत्पत्ति और प्रसार: नक्सलियों की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई और उन्होंने बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में अपना प्रभाव बढ़ाया। इस आंदोलन में मुख्य रूप से भूमिहीन, निम्न-जाति और आदिवासी व्यक्ति शामिल थे, जो राज्य संसाधनों तक पहुँच चाहते थे, जो उन्हें लगता था कि उन्हें नहीं दिया गया।
  • वित्तपोषण के स्रोत: यह आंदोलन विभिन्न माध्यमों से चलता रहा, जिनमें ज़बरन वसूली, ग्रामीण क्षेत्रों में समानांतर सरकारें चलाना, ग्रामीण आबादी से कर इकट्ठा करना और छोटे हथियारों, घरेलू विस्फोटकों तथा बारूदी सुरंगों की तस्करी में शामिल होना शामिल था।

भारत में संगठित अपराध की विधिक स्थिति क्या है?

  • भारत में हमेशा ही किसी-न-किसी रूप में संगठित अपराध का अस्तित्व रहा है। हालाँकि कई सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारकों तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के कारण आधुनिक समय में इसका उग्र रूप देखा गया है।
    • हालाँकि ग्रामीण भारत भी संगठित अपराध से अछूता नहीं है किंतु यह मूलतः एक शहरी परिघटना है।
  • भारत में राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध से निपटने के लिये कोई विशिष्ट कानून नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (National Security Act,1980) तथा स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) जैसे मौजूदा कानून इस संदर्भ में अपर्याप्त हैं क्योंकि ये व्यक्तियों पर लागू होते हैं, न कि आपराधिक समूहों अथवा उद्यमों पर।
  • कुछ राज्यों, जैसे कि गुजरात (गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2015), कर्नाटक (कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2000) और उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2017) ने संगठित अपराध का निवारण करने के लिये स्वयं के कानून कार्यान्वित किये हैं।
  • भारत कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों में भी भागीदारी करता है जिनका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर संगठित अपराध का उन्मूलन करना है। 

    संगठित अपराध से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

    • सामाजिक कुरीतियाँ: संगठित अपराध समाज को प्रभावित करता है, जैसे- स्वास्थ्य तथा व्यवहार पर अवैध औषधियों का हानिकारक प्रभाव, हिंसा में अग्नायुधों के प्रयोग में वृद्धि, लोगों के बीच अपराध का डर तथा श्रमिक संघों जैसी संस्थाओं में हेरफेर/नियंत्रण। इस हेरफेर/अभिचालन के परिणामस्वरूप वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत बढ़ सकती है।
    • राजनीतिक प्रभाव: संगठित अपराध समूह राजनीतिक दलों, सरकारी निकायों तथा स्थानीय प्रशासन को प्रभावित कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में अमूमन राजनेताओं तथा सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार शामिल होता है जिससे सरकार में जनता का विश्वास कम हो जाता है और सामाजिक सर्वसम्मति प्रभावित होती है।
    • संस्थानों में भ्रष्टाचार: मादक पदार्थों के तस्करों के साथ पुलिस और सशस्त्र बलों की संलिप्तता सिद्ध कारती है कि ऐसे संस्थानों में व्यापक भ्रष्टाचार है। कुछ देशों में सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों तथा विधि प्रवर्तन अधिकारियों की हत्याओं के कारणवश विश्व स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।
    • विशिष्ट विधान तथा प्रवर्तन: भारत में संगठित अपराध का समाधान करने के लिये विशेष रूप से कोई केंद्रीकृत विधान मौजूद नहीं है। इस खतरे से निपटने के लिये विशेष उपायों को कार्यान्वित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • आर्थिक परिणाम: संगठित अपराध वैध व्यवसायों को प्रभावित करता है, उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करता है तथा धनशोधन/मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम में शामिल अधिकारियों को भ्रष्ट करता है। कुछ उदाहरणों में, संगठित अपराध से होने वाले लाभ की तुलना कुछ मामलों में संपूर्ण उद्योगों से की जा सकती है; उदाहरणार्थ अवैध मादक पदार्थों के व्यापार को वस्तुओं के मूल्य के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है।
      • कई बार संगठित अपराध समूहों द्वारा उत्पन्न आय की तुलना कई देशों के सकल राष्ट्रीय उत्पाद से की जा सकती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति: संगठित अपराध सीमाओं के पार संचालित होता है जिससे इसकी रोकथाम के लिये देशों के बीच सहयोग आवश्यक हो जाता है। हालाँकि विधिक प्रणालियों में भिन्नता, अधिकारिता संबंधी मुद्दे एवं राष्ट्रों की प्राथमिकताओं में भिन्नता अंतर्राष्ट्रीय अपराध से निपटने में बाधा डालती हैं।

    आगे की राह

    • इंटेलिजेंस फ्यूजन सेंटर: विशेष केंद्र स्थापित करना जहाँ खुफिया एजेंसियाँ, कानून प्रवर्तन, वित्तीय संस्थान और अन्य संबंधित निकाय जानकारी साझा करना। इन केंद्रों को संगठित अपराध तथा आतंकवाद के बीच ओवरलैपिंग पैटर्न की पहचान करने, समन्वित प्रतिक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने के लिये डेटा का विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट: मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध वित्तपोषण, संगठित अपराध और आतंकवादी गतिविधियों दोनों का समर्थन करने वाले फंडिंग स्रोतों पर नज़र रखने के लिये फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को मज़बूत करना। मनी ट्रेल्स का अनुसरण करने हेतु फोरेंसिक अकाउंटिंग तथा उन्नत विश्लेषण का उपयोग करना।
    • जोखिम मूल्यांकन और निगरानी: आपराधिक-आतंकवादी घुसपैठ के प्रति संवेदनशील उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिये जोखिम मूल्यांकन पद्धति विकसित करना। व्यापार, वित्त और कमज़ोर उद्योगों जैसे क्षेत्रों में निरंतर निगरानी तथा ऑडिट लागू करें।
    • लक्षित विधान (Targeted Legislation): संगठित अपराध और आतंकवाद दोनों में शामिल व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिये विशेष रूप से (कानून बनाने और लागू करने हेतु) डिज़ाइन किया गया। इसमें दोहरी आपराधिकता को संबोधित करने वाले कानून तथा दोनों क्षेत्रों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिये कानूनी ढाँचे का विस्तार शामिल है। 
    • सीमा पार सहयोग: संयुक्त जाँच, प्रत्यर्पण संधियों और पारस्परिक कानूनी सहायता समझौतों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करना। सीमा पार आपराधिक-आतंकवादी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के प्रयासों का समन्वय करें।
    • सामुदायिक पुलिसिंग और सहभागिता: आपराधिक-आतंकवादी प्रभावों के प्रति संवेदनशील समुदायों के भीतर विश्वास पैदा करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिये सामुदायिक पुलिसिंग पहल को लागू करें। संवेदनशीलता में योगदान देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक कारकों की पहचान करने और उनका समाधान करने के लिये स्थानीय नेताओं के साथ जुड़ें।
    • व्यवधान रणनीतियाँ: व्यवधान रणनीतियों का उपयोग करें, जैसे- आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित करना, अवैध व्यापार मार्गों को रोकना और लॉजिस्टिक नेटवर्क को नष्ट करना। आपराधिक-आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने वाले बुनियादी ढाँचे को बाधित करने से उनके संचालन में काफी बाधा आ सकती है।
    • तकनीकी समाधान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)- आधारित एनालिटिक्स, वित्तीय लेन-देन के लिये ब्लॉकचेन ट्रेसिंग और ऑनलाइन तथा ऑफलाइन संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी एवं ट्रैक करने हेतु निगरानी उपकरण जैसी उन्नत तकनीकों में निवेश करें।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

    प्रिलिम्स:

    प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

    1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAC) का 'भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है।
    2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है। 
    3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध सयुंक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNTOC) की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
    4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

    (a) केवल 1 और 3 
    (b) केवल 2, 3 और 4 
    (c) केवल 2 और 4 
    (d) 1, 2, 3 और 4 

    उत्तर: (c)


    मेन्स:

    प्रश्न. आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, संबंधों तथा अप्रिय गठजोड़ का विश्लेषण कीजिये। आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिये उठाये जाने वाले उपायों का भी सुझाव दीजिये। (2021)

    प्रश्न. विश्व के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)