पीएम सूर्य घर योजना | उत्तर प्रदेश | 22 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के अंतर्गत सोलर रूफटॉप संयंत्रों की स्थापना दर दोगुनी करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- वर्तमान स्थिति:
- राज्य में अब तक एक लाख से अधिक सोलर संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं। वर्तमान में प्रतिमाह लगभग 11,000 सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं, अर्थात प्रतिदिन औसतन 500 से अधिक संयंत्रों की स्थापना हो रही है।
- लक्ष्य:
- सरकार का लक्ष्य 2025-26 में 2.65 लाख प्लांट लगाना है, जिससे मासिक स्थापना दर बढ़कर 22,000 हो जाएगी।
- मार्च 2027 तक कुल 8 लाख सोलर रूफटॉप प्लांट लगाने का लक्ष्य है। इस प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये 2,500 से अधिक विक्रेताओं को सूचीबद्ध किया गया है और लगभग 1,800 विक्रेताओं को प्रशिक्षित किया गया है।
- बहु-स्तरीय योजना निर्माण:
- लक्ष्य को ज़िला, डिस्कॉम, नगर निगम और नगर पालिका स्तर पर बाँटा गया है।
- योजना को मुख्यमंत्री डैशबोर्ड से जोड़ा गया है, जिससे इसकी रीयल टाइम मॉनिटरिंग और प्रगति की ट्रैकिंग संभव हो रही है।
- UPNEDA (उत्तर प्रदेश नई और नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी) योजना को हर घर तक पहुँचाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- आवेदकों से संपर्क कर विक्रेताओं (vendors) को सूचीबद्ध किया जा रहा है।
- विक्रेताओं को बैंकों के माध्यम से ऋण और क्रेडिट गारंटी योजनाओं का लाभ देकर उनकी आर्थिक क्षमता मज़बूत की जा रही है।
- प्रशिक्षण एवं सहयोग:
- प्रशिक्षण कार्य राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय संस्थान, कौशल विकास मंत्रालय, भारत सरकार और UPNEDA के सहयोग से चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है।
पीएम सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना
- परिचय:
- यह योजना नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा फरवरी 2024 में शुरू की गई थी।
- यह पर्याप्त वित्तीय सब्सिडी प्रदान करके और इनस्टॉलेशन में सुविधा सुनिश्चित करके सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
- इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं।
- परिवारों को प्रत्येक महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ: योजना का क्रियान्वयन दो स्तरों पर किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
- राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा प्रबंधित, जो संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की वितरण उपयोगिताएँ (डिस्कॉम) या विद्युत/ऊर्जा विभाग हैं।
- सब्सिडी संरचना: यह योजना सोलर रूफटॉप सिस्टम इनस्टॉलेशन की लागत को कम करने के लिये सब्सिडी प्रदान करती है। सब्सिडी अधिकतम 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित है।
- 2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम के लिये 60% सब्सिडी।
- 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच सोलर सिस्टम के लिये 40% सब्सिडी।
NSE और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर | उत्तर प्रदेश | 22 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- समझौता ज्ञापन के बारे में:
- यह पहल उत्तर प्रदेश की 96 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये पूंजी जुटाने के अवसरों को सुलभ बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
- अब ये MSMEs NSE इमर्ज प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPOs) लॉन्च करके पूंजी जुटा सकेंगी।
- NSE इमर्ज एक समर्पित प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे MSMEs को पूंजी बाज़ार से जोड़ने के लिये विकसित किया गया है। यह प्लेटफ़ॉर्म सार्वजनिक निवेश के अवसर, ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने और व्यापक निवेशक आधार तक पहुँच प्रदान करता है।
- समझौते के तहत NSE, उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से सेमिनार, रोड शो, कार्यशालाएँ, ज्ञान सत्र और MSME कैंप आयोजित करेगा, ताकि MSMEs के बीच IPO के प्रति जागरूकता को बढ़ाया जा सके।
- इस पहल के माध्यम से MSME इकाइयों को सार्वजनिक पूंजी के साथ-साथ निवेशकों का विश्वास भी प्राप्त होगा।
- अप्रैल 2025 तक, NSE इमर्ज प्लेटफ़ॉर्म पर कुल 612 कंपनियाँ सूचीबद्ध हो चुकी हैं, जिन्होंने 17,003 करोड़ रुपए से अधिक की पूंजी जुटाई है, और इनकी कुल बाज़ार पूँजी (market capitalization) 1,76,565 करोड़ रुपए है।
- महत्त्व:
- यह पहल उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश, रोज़गार सृजन और नवाचार को बढ़ावा देगी।
MSME इकाइयों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने में सहायता मिलेगी।
- MSME नीति 2022 के तहत, शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने के लिये अधिकतम 5 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है।
- वर्ष 1992 से निगमित ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ एक परिष्कृत, इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ है, जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया में चौथे स्थान पर है (2021 तक)।
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत में आधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रदान करने वाला पहला एक्सचेंज था।
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत में सबसे बड़ा निजी वाइड-एरिया नेटवर्क है।
- निफ्टी 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) का प्रमुख सूचकांक है।
- सूचकांक ब्लू चिप कंपनियों, सबसे बड़ी और सबसे अधिक तरल भारतीय प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो के व्यवहार को ट्रैक करता है।
मध्य प्रदेश में पराली जलाने का संकट | मध्य प्रदेश | 22 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
अप्रैल 2025 में मध्य प्रदेश गेहूँ की पराली जलाने की घटनाओं में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा। जिसके चलते राज्य प्रशासन ने पराली जलाने के लिये किसानों पर जुर्माना लगाने जैसे सख्त कदम लागू किये।
मुख्य बिंदु
- राज्य में वर्तमान स्थिति:
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS) डैशबोर्ड के अनुसार 2025 में अब तक मध्य प्रदेश में गेहूँ के ठूँठ जलाने की 17,534 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
- अकेले इंदौर में ऐसी 1,240 घटनाएँ हुईं, जिनमें 770 किसानों पर कुल मिलाकर 16.7 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
- राज्य सरकार ने वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 19(5) को लागू करते हुए पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और ज़िला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने के लिये अधिकृत किया है।
- धारा 19(5): यदि राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से परामर्श के बाद यह मानती है कि वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में किसी सामग्री (ईंधन के अलावा) को जलाने से वायु प्रदूषण हो सकता है या होने की संभावना है, तो वह निर्दिष्ट क्षेत्र में उस सामग्री को जलाने पर रोक लगाने के लिये आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी कर सकती है ।
- जुर्माना (भूमि स्वामित्व के आधार पर):
- 2 एकड़ तक: ₹2,500 प्रति घटना
- 2-5 एकड़: ₹5,000 प्रति घटना
- 5 एकड़ से अधिक: ₹15,000 प्रति घटना
- पराली जलाने में वृद्धि के कारण:
- ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती को बढ़ावा:
- नरसिंहपुर (पूर्व में होशंगाबाद), रायसेन, विदिशा, देवास, हरदा और सीहोर जैसे ज़िलों में किसानों ने गेहूँ और धान के बाद तीसरी फसल के रूप में ग्रीष्मकालीन मूंग को तेज़ी से अपनाया है।
- चूँकि नहर का पानी मई तक उपलब्ध रहता है, इसलिये किसान मूंग की फसल की सिंचाई आसानी से कर सकते हैं। लेकिन, बुवाई से पहले गेहूँ की पराली साफ करने के लिये उन्हें बहुत कम समय मिलता है। ऐसे में पराली जलाना खेत तैयार करने का सबसे तेज़ और सस्ता तरीका बन जाता है।
- अपर्याप्त सब्सिडी सहायता:
- मध्य प्रदेश में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन (कर्मचारी) मशीनों पर केवल 40% सब्सिडी मिलती है।
- इसके विपरीत, पंजाब सहकारी समितियों के लिये 80% तक तथा व्यक्तिगत किसानों के लिये 50% तक सब्सिडी प्रदान करता है।
- विलंब और नीतिगत अंतराल:
- उर्वरकों तक देरी से पहुँच और CRM मशीनों की उच्च लागत का मतलब है कि कई छोटे और सीमांत किसानों के पास अवशेषों को जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
- किसान नेताओं का तर्क है कि पराली में आग लगाना हमेशा जानबूझकर नहीं होता है, बल्कि यह अत्यधिक गर्मी, बिजली गिरने या विद्युत दोष जैसे प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है।
- उनका तर्क है कि सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिये व्यवहार्य विकल्पों की उपलब्धता सुनिश्चित किये बिना किसानों को अनुचित रूप से दंडित कर रही है।
- राज्य की प्रतिक्रिया और सुधार:
- कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने स्थानीय प्रशासन को मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है।
- हाल ही में स्वीकृत अन्नदाता मिशन का उद्देश्य फसल अवशेष प्रबंधन, प्रौद्योगिकी तक पहुँच और वैकल्पिक फसल मॉडल जैसे संरचनात्मक मुद्दों से निपटना है।
- पराली जलाने के विकल्प:
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन, जो पराली को उखाड़ सकती है और साफ किये गए क्षेत्र में बीज भी बो सकती है। पराली को फिर खेत में मल्च के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पराली जलाना
- पराली जलाना, फसल कटाई के बाद खेत में बचे कृषि अवशेषों को जलाने की प्रथा है, जो आमतौर पर सर्दियों के महीनों में अगली फसल की बुवाई के लिये भूमि को साफ करने के लिये किया जाता है।
- इस प्रथा का एक सामान्य उदाहरण धान की कटाई के बाद फसल अवशेषों को जलाना है ताकि गेहूँ की बुवाई के लिये खेत तैयार किया जा सके, जो आमतौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में अक्तूबर और नवंबर में किया जाता है, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में।
- इसकी आवश्यकता आमतौर पर उन क्षेत्रों में होती है जहाँ संयुक्त कटाई पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिससे फसल अवशेष बच जाते हैं।
- पराली जलाने के प्रभाव:
- मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कैंसरकारी पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं, जिससे जहरीला धुंध बनता है।
- प्रदूषक रूपांतरण से गुजरते हैं, जिससे धुंध बनती है, जो मानव श्वसन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
- आवश्यक मृदा पोषक तत्त्वों को नष्ट कर समग्र उर्वरता को कम करता है।
- जलाने से उत्पन्न उच्च तापमान के कारण नमी की हानि होती है तथा मृदा के लाभदायक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं।
संत धन्ना भगत जयंती | राजस्थान | 22 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने जयपुर ज़िले के फागी क्षेत्र की नोखा-नाड़ी स्थित संत धन्ना भगत जी की जन्मस्थली पर आयोजित जयंती महोत्सव में भाग लिया।
मुख्य बिंदु:
- वे एक रहस्यवादी कवि (जन्म 20 अप्रैल, 1415) और वैष्णव परंपरा के भक्त थे, जिनके भजन आदि ग्रंथ में संकलित हैं।
- वे कृष्ण भक्त थे और उन्होंने तपस्या के लिये अरावली की पहाड़ियों में एक गुफा को चुना, जहाँ आज भी धुंधलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
- उनका मंदिर और गुरुद्वारा आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं, जहाँ हिंदू और सिख धर्म के लोग श्रद्धा से आते हैं।
- उन्होंने कोई अलग पंथ नहीं चलाया, परंतु उनकी जाति से जुड़े अनुयायी धनावंशी स्वामी कहलाए, जो राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कई ज़िलों में फैले हुए हैं।
- जयंती महोत्सव के बारे में:
- इस अवसर पर उन्होंने संत की शिक्षाओं को आज के समय में भी प्रासंगिक बताते हुए राज्य सरकार की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योजनाओं की घोषणा की।
- संत धन्ना भगत जी ने भक्ति मार्ग को अपनाकर मानव सेवा और कर्म की प्रधानता का संदेश दिया।
- उन्होंने जात-पात का विरोध कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने हेतु साहित्य और उपदेशों के माध्यम से योगदान दिया।
- धन्ना भगत जी को हिंदू और सिख समुदायों में समान श्रद्धा और सम्मान प्राप्त है।
- मुख्यमंत्री ने संत को सामाजिक समानता, आध्यात्मिक जागरूकता और सरल जीवन का प्रतीक बताया।
- राज्य सरकार की घोषणाएँ और पहल:
- पुजारियों के मानदेय में वृद्धि करते हुए उसे ₹7500 प्रति माह किया गया।
- मंदिरों में भोग की राशि ₹3000 प्रति माह तक बढ़ाई गई है।
- धार्मिक स्थलों के उन्नयन हेतु ₹101 करोड़ तथा देवस्थान विभाग के अधीन राज्य के बाहर स्थित मंदिरों के लिये ₹60 करोड़ के कार्य स्वीकृत किये गए हैं।
- वरिष्ठ नागरिकों की तीर्थ यात्रा योजना के तहत:
- 6000 वरिष्ठजनों को हवाई मार्ग से यात्रा करवाई जाएगी।
- 50,000 वरिष्ठजनों को AC ट्रेन से तीर्थ यात्रा कराई जाएगी।
वंदे मेट्रो | बिहार | 22 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
24 अप्रैल को प्रधानमंत्री बिहार की पहली नमो भारत रैपिड रेल सेवा (जिसे वंदे मेट्रो भी कहा जाता है) का उद्घाटन करेंगे, जो भारत में इस तरह की दूसरी सेवा होगी।
- इस उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री अमृत भारत ट्रेन (सहरसा से मुंबई) और दो अन्य पैसेंजर ट्रेनों का भी शुभारंभ करेंगे।
मुख्य बिंदु
- वंदे मेट्रो के बारे में:
- यह ट्रेन जयनगर से समस्तीपुर, बरौनी, मोकामा, बख्तियारपुर होते हुए पटना तक चलेगी।
- पहली नमो भारत रैपिड रेल सितंबर 2024 में अहमदाबाद और भुज के बीच शुरू की की गई थी।
- यह ट्रेन बिहार के उत्तर-मध्य क्षेत्र को पटना से से जोड़ेगी।
- ट्रेन 'कवच' सुरक्षा प्रणाली से सुसज्जित है। इसमें दोनों छोर पर इंजन लगे हैं, जिससे टर्नअराउंड समय कम होता है।
- ओपन लाइन रेलवे में पहली बार, ट्रेन में एक रूट मैप इंडिकेटर शामिल है जो प्रत्येक स्टेशन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
- विशेषताएँ
- यह भारतीय रेलवे की आधुनिक, स्वदेशी और सेमी हाईस्पीड ट्रेन है।
- इसे कम दूरी (100–350 किमी) वाले इंटरसिटी और उपनगरीय रूट के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस ट्रेन को "नमो भारत रैपिड रेल" के नाम से भी जाना जाता है।
- इसकी अधिकतम गति 130 किमी/घंटा होती है।