पन्ना हीरों को GI टैग मिला | मध्य प्रदेश | 18 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले में खनन किये गए हीरों को आधिकारिक रूप से भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ारों में एक मान्यता प्राप्त पहचान तथा प्रीमियम मूल्य प्राप्त हुआ है।
मुख्य बिंदु
- पन्ना हीरों के बारे में:
- पन्ना भारत का एकमात्र हीरा-उत्पादक ज़िला है और इस टैग के अंतर्गत इन हीरों को 14-प्राकृतिक वस्तुओं की श्रेणी में "पन्ना डायमंड" के रूप में विपणन किया जाएगा।
- पन्ना में हीरा खनन की प्रक्रिया में छोटे पट्टे (आम तौर पर 8 × 8 मीटर) दिये जाते हैं, जहाँ मिट्टी की खुदाई, छनाई, धुलाई तथा पृथक्करण किया जाता है।
- वहाँ मिलने वाले हीरे ज़िला हीरा कार्यालय में जमा किये जाते हैं, जहाँ उनकी त्रैमासिक नीलामी होती है।
- पन्ना हीरों के GI टैग प्राप्त करने के साथ, मध्य प्रदेश के GI टैग वाले उत्पादों की कुल संख्या 21 हो गई है, जिनमें चंदेरी साड़ी, रतलामी सेव, गोंड पेंटिंग आदि शामिल हैं।
- भौगोलिक संकेतक (GI) टैग के बारे में:
- वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 GI टैग को नियंत्रित करने वाला भारतीय कानून है; जो 15 सितंबर, 2003 को लागू हुआ था।
- GI टैग यह प्रमाणित करता है कि कोई वस्तु किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होती है तथा उसकी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषता अनिवार्यतः उसी स्थान से संबंधित है।
- केवल उस क्षेत्र के अधिकृत उपयोगकर्त्ता ही पंजीकृत GI नाम का उपयोग कर सकते हैं। यह उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय दुरुपयोग और नकली विकल्पों से बचाने में मदद करता है।

राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC):
- NMDC भारत का सबसे बड़ा लौह-अयस्क उत्पादक तथा इस्पात मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसकी स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी।
- यह लौह-अयस्क, हीरे, ताँबा, चूना-पत्थर तथा डोलोमाइट सहित विभिन्न खनिजों के अन्वेषण, निष्कर्षण तथा उत्पादन में संलग्न है।
भारत का पहला निजी रेलवे स्टेशन | मध्य प्रदेश | 18 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन भारत का पहला ऐसा स्टेशन बन गया है, जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत पुनर्विकसित कर संचालित किया जा रहा है, जो शहर के द्वितीयक पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- पश्चिम मध्य रेलवे ज़ोन में स्थित इस स्टेशन का नाम वर्ष 2021 में गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया, इससे पहले इसका नाम हबीबगंज था।
मुख्य बिंदु
- स्टेशन का पुनर्विकास लगभग 450 करोड़ रूपये की लागत से IRSDC और बंसल ग्रुप के बीच PPP मॉडल के तहत किया गया।
- इसमें एयरपोर्ट जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जैसे पूरी तरह एयर-कंडीशन्ड कंकोर्स, हाई-स्पीड एस्केलेटर, ट्रैवेलैटर, प्रीमियम प्रतीक्षालय, फ़ूड कोर्ट और मल्टी-लेवल पार्किंग।
- इसका स्वामित्व भारतीय रेलवे के पास है, जबकि संचालन, रखरखाव और वाणिज्यिक प्रबंधन निजी संविदाकार द्वारा किया जाता है।
- इसमें सौर ऊर्जा प्रणाली, ऊर्जा-कुशल लाइटिंग और विकलांग यात्रियों के लिये बाधा-मुक्त सुविधाएँ शामिल हैं।
- यह स्टेशन भोपाल की एक प्रमुख पारगमन केंद्र के रूप में भूमिका को सुदृढ़ करता है और इसे राष्ट्रीय स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत भविष्य के स्टेशन पुनर्विकास के लिये एक मॉडल माना जाता है।
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (IRSDC)
- यह रेल मंत्रालय की एक विशेष प्रयोजन इकाई (SPV) है, जिसे नए स्टेशनों के निर्माण और कार्यरत रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिये बनाया गया है।
- यह भारतीय रेलवे निर्माण कंपनी लिमिटेड (IRCON) और रेल भूमि विकास प्राधिकरण (RLDA) के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
- IRSDC को कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 12 अप्रैल, 2012 को स्थापित किया गया था।
- इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशनों का निर्माण करना है, जो अत्याधुनिक तथा सतत् प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
- पुनर्विकास कार्य को PPP मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) के तहत संचालित किया जाता है।
अजय वारियर-25 अभ्यास | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 18 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने भारतीय सेना तथा ब्रिटिश सेना के मध्य द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास अजय वारियर-25 के 8वें संस्करण की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु
- अभ्यास के बारे में:
- अजय वारियर भारतीय सेना और ब्रिटिश सेना के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो वर्ष 2011 से द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य अंतर-संचालनीयता बढ़ाना, सामरिक समन्वय में सुधार लाना तथा आतंकवाद-रोधी और शांति अभियानों में श्रेष्ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान करना है।
- यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत आयोजित किया जाता है, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अनुरूप, जो शांति के लिये खतरे, शांति भंग और आतंकवाद रोधी परिदृश्यों से सम्बंधित शांति स्थापना कर्तव्यों से संबंधित है।
- संस्करण 2025
- 8वाँ संस्करण 17 से 30 नवंबर, 2025 तक फॉरेन ट्रेनिंग नोड, महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, राजस्थान में आयोजित किया जा रहा है।
- इसमें दोनों सेनाओं से समान प्रतिनिधित्व के साथ कुल 240 कर्मी भाग ले रहे हैं। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सिख रेजिमेंट कर रही है।
- प्रशिक्षण में सिमुलेशन-आधारित परिदृश्य, ब्रिगेड-स्तरीय मिशन योजना तथा वास्तविक जीवन की आतंकवाद विरोधी परिस्थितियों से संबंधित क्षेत्रीय अभ्यास शामिल हैं।