शहनाई को GI टैग मिला | उत्तर प्रदेश | 16 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बनारसी शहनाई और बनारसी तबला को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किये हैं, जिससे वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है।
मुख्य बिंदु
बनारसी शहनाई:
- बनारस शहनाई एक पारंपरिक वायु वाद्य यंत्र है, जिसकी जड़ें भारतीय शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
- इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के माध्यम से मिली, जिन्होंने भारत के प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर शहनाई बजाई थी।
- इस वाद्य यंत्र को दिव्य और शुभ दर्जा प्राप्त है, जिसे अक्सर शादियों, धार्मिक समारोहों और मंदिर अनुष्ठानों में बजाया जाता है।
- यह वाराणसी के आध्यात्मिक और कलात्मक चरित्र को दर्शाता है तथा शहर की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान में योगदान देता है।

बनारस तबला:
- बनारस तबला घराना, जिसे पूरब घराना के नाम से भी जाना जाता है, तबला वादन की एक अद्वितीय और प्रभावशाली शैली का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी उत्पत्ति वाराणसी (बनारस) में हुई थी।
- अपनी लयबद्ध परिष्कृतता और समृद्ध स्वर स्पष्टता के लिये जाना जाने वाला यह घराना एक सशक्त पखावज प्रभाव प्रदर्शित करता है, जो इसे अन्य शैलियों से अलग करता है।
- इसकी अभिव्यंजक और गतिशील रचनाएँ इसे कथक नृत्य के साथ संगत करने के लिये विशेष रूप से उपयुक्त बनाती हैं, जो कि उत्तर भारत में निहित एक शास्त्रीय शैली है।
- बनारस घराना को भारतीय शास्त्रीय संगीत में छह प्रमुख तबला घरानों में से एक माना जाता है।
- प्रसिद्ध प्रतिपादक पंडित अनोखेलाल मिश्र, पंडित किशन महाराज, पंडित समता प्रसाद हैं।

भौगोलिक संकेत (GI) टैग
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- विधिक ढाँचा:
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक फैक्ट्री पंजीकरण दर्ज | उत्तर प्रदेश | 16 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2024-25 में देश में सबसे अधिक फैक्ट्री पंजीकरण दर्ज किये हैं।
मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के बारे में:
- उत्तर प्रदेश में 2024-25 में 3,318 फ़ैक्टरियाँ पंजीकृत हुईं, जो 2020-21 में दर्ज 1,484 से लगभग दोगुनी हैं।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, प्रशासनिक दक्षता और नीतिगत निर्णयों के कारण यह वृद्धि हुई है।
- रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश अब छोटे और मध्यम उद्यमों के अलावा बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश के लिये भी एक प्रमुख और आकर्षक गंतव्य के रूप में तेज़ी से उभर रहा है।
- ASI फ्रेम में यूपी की हिस्सेदारी वर्ष 2022-23 में 7.6% हो गई, जो अब तक की सबसे अधिक है।
- यह प्रगति मुख्यमंत्री के 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- उत्तर प्रदेश का औद्योगिक सकल मूल्य वर्धित (GVA) वर्ष 2022-23 में 1.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जो देश के कुल औद्योगिक GVA में 6.1% का योगदान है।
- GVA उस मूल्य को दर्शाता है, जो उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया के दौरान वस्तुओं और सेवाओं में जोड़ते हैं।
- इसकी गणना कुल उत्पादन से इनपुट (मध्यवर्ती खपत) की लागत घटाकर की जाती है।
- यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक प्रमुख घटक है, जो आर्थिक संवृद्धि को दर्शाता है। GVA विकास दर क्षेत्रीय प्रदर्शन में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जिससे आर्थिक विश्लेषण और नीति निर्धारण में सहायता मिलती है।
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI)
- परिचय:
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आँकड़ों की कवरेज़ और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- ASI भारत में औद्योगिक आँकड़ों का प्राथमिक स्रोत है।
- 1953 के सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के अनुसार इसकी शुरुआत वर्ष 1960 में हुई थी, वर्ष 1959 को आधार वर्ष मानकर, वर्ष 1972 को छोड़कर, यह प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- ASI वर्ष 2010-11 से यह सर्वेक्षण सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के तहत आयोजित किया गया है, जिसे अखिल भारतीय स्तर पर विस्तारित करने के लिये वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था।
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) का एक हिस्सा, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ASI का संचालन करता है।
पीएम कुसुम योजना में उत्तर प्रदेश अग्रणी | उत्तर प्रदेश | 16 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने पीएम कुसुम योजना और पीएम सूर्य घर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका की सराहना की।
मुख्य बिंदु
- PM-कुसुम
- PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
- यह मांग-संचालित दृष्टिकोण पर कार्य करती है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
- PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
- उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीज़ल पर निर्भरता को कम करना है।
- इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके और उन्हें ग्रिड को अधिशेष सौर ऊर्जा बेचने में सक्षम बनाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके तथा सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- स्वच्छ और नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
- घटक:
- घटक-A: किसानों की बंजर/परती/चरागाह/दलदली/कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
- घटक-B: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
- घटक-C: 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइज़ेशन: व्यक्तिगत पंप सोलराइज़ेशन और फीडर लेवल सोलराइज़ेशन।
पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
- परिचय: यह पर्याप्त वित्तीय सब्सिडी प्रदान करके और इनस्टॉलेशन में सुविधा सुनिश्चित करके सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये एक केंद्रीय योजना है।
- उद्देश्य: इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं।
- परिवारों को प्रत्येक महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ: योजना का क्रियान्वयन दो स्तरों पर किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर: राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा प्रबंधित।
- राज्य स्तर: राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा प्रबंधित, जो संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की वितरण उपयोगिताएँ (डिस्कॉम) या विद्युत/ऊर्जा विभाग हैं।
- डिस्कॉम की भूमिका: SIA के रूप में डिस्कॉम रूफटॉप सौर ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने की दिशा में विभिन्न उपायों को सुविधाजनक बनाने के लिये उत्तरदायी हैं, जिसमें नेट मीटर की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समय पर निरीक्षण करना एवं प्रतिष्ठानों को चालू करना शामिल है।
- सब्सिडी संरचना: यह योजना सोलर रूफटॉप सिस्टम इनस्टॉलेशन की लागत को कम करने के लिये सब्सिडी प्रदान करती है। सब्सिडी अधिकतम 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित है।
- 2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम के लिये 60% सब्सिडी।
- 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच सोलर सिस्टम के लिये 40% सब्सिडी।