वैट बकाया माफ और जीएसटी (संशोधन) विधेयक मसौदा | छत्तीसगढ़ | 14 Jul 2025
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे व्यापारियों को राहत देते हुए 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों में 25,000 रुपए तक के मूल्य वर्धित कर (वैट) की राशि माफ करने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ GST (संशोधन) विधेयक, 2025 तथा छत्तीसगढ़ बकाया राशि निपटान (संशोधन) विधेयक, 2025 के प्रारूपों को भी मंज़ूरी दे दी है।
नोट:
मूल्य वर्धित कर (वैट): यह एक अप्रत्यक्ष कर है, जो बेची गई वस्तुओं पर लगाया जाता है और आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर लागू होता है। यह उन वस्तुओं पर लागू होता है, जो GST व्यवस्था से बाहर हैं, जैसे मादक पेय पदार्थ, पेट्रोलियम उत्पाद आदि।
मुख्य बिंदु
पुराने वैट बकाया माफ:
- पुराने वैट बकाये को माफ करने से 40,000 से अधिक छोटे व्यापारियों को लाभ मिलेगा और 62,000 से अधिक लंबित मामलों के समाधान में मदद मिलेगी, जिससे अनुपालन बोझ और मुकदमेबाज़ी के लंबित मामलों में उल्लेखनीय कमी आएगी।
जीएसटी से संबंधित संशोधन विधेयकों के मसौदे स्वीकृत:
- सरकार ने दो प्रमुख विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी है:
- छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025
- छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज और शास्ति निपटान (संशोधन) विधेयक, 2025
- दोनों विधेयक 14 जुलाई 2025 से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान पेश किये गए।
मसौदे की मुख्य विशेषताएँ:
- ये विधायी संशोधन राज्य में व्यापार को सुगम बनाने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
- प्रस्तावित परिवर्तन 55वीं GST परिषद की बैठक में लिये गए निर्णयों के अनुरूप हैं।
- मसौदा विधेयक में अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर करने के लिये केवल दंड वाले मामलों (जिनमें कोई कर मांग नहीं है) के लिये अनिवार्य पूर्व-जमा को 20% से घटाकर 10% करने का प्रस्ताव है।
- वाउचर की करदेयता से संबंधित "आपूर्ति के समय" प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि अग्रिम निर्णय प्राधिकरण के परस्पर विरोधी निर्णयों से उत्पन्न भ्रम को दूर किया जा सके तथा स्पष्टता और एकरूपता सुनिश्चित हो सके।
- एक प्रमुख संशोधन के तहत, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) के भीतर वेयरहाउसिंग लेनदेन को GST ढाँचे से बाहर रखने का प्रस्ताव है।
- यह उन सामानों पर लागू होगा, जो SEZ के गोदामों में रखे रहते हैं और बिना भौतिक परिवहन के बार-बार व्यापार में प्रयुक्त होते हैं। इसका उद्देश्य SEZ के भीतर व्यापार दक्षता को बढ़ावा देना है।
GST परिषद
- परिचय: GST परिषद् (जो कि अनुच्छेद 279-A के अंतर्गत 101वें संवैधानिक संशोधन, 2016 द्वारा गठित एक संवैधानिक निकाय है) द्वारा GST के कार्यान्वयन संबंधी सिफारिशें की जाती हैं।
- GST एक मूल्यवर्द्धित (एड वैलोरम) और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो भारत में वस्तुओं तथा सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- सदस्य: इस परिषद में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त) और प्रत्येक राज्य से एक वित्त या कोई अन्य मंत्री शामिल होते हैं।
- निर्णयों की प्रकृति: मोहित मिनरल्स मामले, 2022 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि GST परिषद की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, क्योंकि संसद एवं राज्यों दोनों के पास GST के संबंध में विधायी शक्तियाँ हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)
- परिचय: SEZ एक शुल्क-मुक्त क्षेत्र है, जिसे व्यापार, शुल्क और संचालन के उद्देश्य से विदेशी क्षेत्र माना जाता है। कोई भी निजी/सार्वजनिक/संयुक्त क्षेत्र या राज्य सरकार या उसकी एजेंसियाँ SEZ स्थापित कर सकती हैं।
- भारत में SEZ को पहली बार वर्ष 2000 में विदेश व्यापार नीति के तहत शुरू किया गया था, जिसने पहले के निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों (EPZ) की जगह ली थी। वे SEZ अधिनियम, 2005 और SEZ नियम, 2006 द्वारा शासित होते हैं।
- उद्यम एवं सेवा केंद्र विकास (DESH) विधेयक, 2022 का उद्देश्य SEZ अधिनियम, 2005 को प्रतिस्थापित करना तथा SEZ को अधिक अनुकूल एवं समावेशी विकास केंद्रों में परिवर्तित करना है।