बुकर पुरस्कार 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 14 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
लेखक डेविड स्ज़ेले को उनके काल्पनिक उपन्यास फ्लेश (Flesh) के लिये वर्ष 2025 के बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- डेविड स्ज़ेले के बारे में:
- डेविड स्ज़ेले एक हंगेरियन-ब्रिटिश उपन्यासकार हैं, जो अपनी सटीक, संक्षिप्त शैली और पुरुषत्व पहचान तथा समकालीन यूरोपीय जीवन की गहरी खोज के लिये जाने जाते हैं।
- अपने उपन्यास फ्लेश के माध्यम से, उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को और मज़बूत किया है। वे साधारण पुरुषों के आंतरिक जीवन को असाधारण रूप से चित्रित करते हैं तथा उनके व्यक्तिगत संघर्षों को व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश के संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं।
- बुकर पुरस्कार के बारे में:
- बुकर पुरस्कार (पूर्व में मैन बुकर पुरस्कार) विश्व के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है।
- इसे वर्ष 1969 में स्थापित किया गया था और यह बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है।
- यह पुरस्कार अंग्रेज़ी में लिखा गया और यूके या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ मौलिक पूर्ण-कालिक उपन्यास को सम्मानित करता है। वर्ष 2014 से किसी भी राष्ट्रीयता के लेखक इसके लिये प्रतियोगिता में भाग लेने के पात्र हैं।
- इस पुरस्कार का उद्देश्य अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और पाठकों के व्यापक वर्ग को आकर्षित करना है।
- भारत के पुरस्कार विजेताओं में अरुंधति रॉय (1997), किरण देसाई (2006) और अरविंद अडिगा (2008) शामिल हैं।
बुकर पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के बीच अंतर
- बुकर पुरस्कार पहली बार वर्ष 1969 में प्रदान किया गया और यह मूलतः अंग्रेज़ी में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ एकल कथा कृति के लिये दिया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2005 में की गई और यह किसी भी अन्य भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवादित सर्वश्रेष्ठ एकल कथा कृति के लिये दिया जाता है।
- यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक दोनों की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।
हज़ारीबाग झील का सौंदर्यीकरण | झारखंड | 14 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ने पर्यटन को प्रोत्साहित करने और शहरी सार्वजनिक स्थलों में सुधार करने हेतु हज़ारीबाग झील के उन्नयन हेतु सौंदर्यीकरण परियोजना शुरू की।
मुख्य बिंदु
- हज़ारीबाग झील, जिसे हज़ारीबाग लेक के नाम से भी जाना जाता है, सात परस्पर जुड़ी कृत्रिम झीलों का समूह है, जिसे ब्रिटिश काल में जल प्रबंधन और नगर उपयोग के उद्देश्य से निर्मित किया गया था।
- हज़ारीबाग शहर के मध्य में स्थित यह झील प्रमुख मनोरंजन केंद्र, पारिस्थितिकी बफर (ecological buffer) और स्थानीय पर्यटन के लिये एक प्रमुख लैंडमार्क के रूप में कार्य करती है।
- झीलों को अद्वितीय प्रपात प्रणाली के अनुसार डिज़ाइन किया गया है, जहाँ पानी ऊपरी झील से निचली झील की ओर बहता है, जिससे स्व पुनःपूर्ति में सहायता मिलती है।
- विगत कुछ वर्षों में झील को गाद, प्रदूषण, अतिक्रमण और अवसंरचना क्षय का सामना कर पड़ा है, जिससे इसकी पर्यटन क्षमता प्रभावित हुई है।
- नई सौंदर्यीकरण योजना में तटबंधों को मज़बूत करना, संगीतमय फव्वारे लगाना, नौकायन सुविधाएँ शुरू करना, पैदल मार्ग और प्रकाश व्यवस्था को बढ़ाना तथा सार्वजनिक सुविधाओं में सुधार करना शामिल है।
- झील के पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बहाल करने हेतु गाद और खरपतवार हटाना तथा जल गुणवत्ता सुधार जैसे पारिस्थितिकी उपाय किये जाएंगे।

शैफाली वर्मा को हरियाणा सरकार ने सम्मानित किया | हरियाणा | 14 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हाल ही में ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये शैफाली वर्मा को सम्मानित किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मान समारोह के बारे में:
- शैफाली वर्मा को मुख्यमंत्री द्वारा 1.50 करोड़ रुपये का चेक तथा ‘ग्रेड ए’ खेल उन्नयन प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
- महिला खेलों में उनके योगदान के सम्मान में उन्हें हरियाणा राज्य महिला आयोग का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया।
- हरियाणा राज्य महिला आयोग:
- यह राज्य सरकार द्वारा गठित एक वैधानिक, अर्द्ध-न्यायिक निकाय है।
- इसका गठन वर्ष 1999 में किया गया, लेकिन हरियाणा राज्य महिला आयोग अधिनियम, 2012 के लागू होने के साथ इसे वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
- कार्य:
- यह महिला कल्याण, संरक्षण और सशक्तीकरण से संबंधित नीतियों, कानूनों तथा कार्यक्रमों पर राज्य सरकार के लिये सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।
- आयोग घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, दहेज संबंधी मुद्दे, तस्करी और महिलाओं के संवैधानिक तथा कानूनी अधिकारों से वंचित करने की शिकायतों की जाँच करता है।
- इसके पास सिविल कोर्ट के समान अधिकार हैं, जैसे व्यक्तियों को समन भेजना, दस्तावेज़ माँगना और पूछताछ करना।
- यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला सुरक्षा पहल और कार्यस्थल उत्पीड़न तंत्र जैसी महिला-केंद्रित योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
- आयोग गंभीर अधिकार हनन के मामलों में स्वतः संज्ञान भी ले सकता है।
सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य का विस्तार | राजस्थान | 14 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने नियामक समीक्षा और अनुमोदन के उपरांत सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य के बफर ज़ोन का विस्तार करते हुए उसमें 44,000 हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र को इसमें शामिल कर दिया है।
मुख्य बिंदु
- विस्तार के बारे में:
- इस विस्तारित क्षेत्र को बफर ज़ोन के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसमें मुख्य क्षेत्र के आसपास स्थित वन भूमि और राजस्व भूमि को एकीकृत किया गया है।
- यह विस्तार सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश के पश्चात किया गया है जिसमें महत्त्वपूर्ण बाघ आवास (CTH) की सीमाओं और उसकी संपर्कता की समीक्षा अनिवार्य की गई थी।
- सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य
- यह राजस्थान के अलवर ज़िले में स्थित है और अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है, जिसमें शुष्क पर्णपाती वन तथा चट्टानी भूभाग पाए जाते हैं।
- इसे वर्ष 1955 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया और वर्ष 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- यह वर्ष 2004 में स्थानीय विलुप्ति के पश्चात सफल बाघ पुन:प्रवेश कार्यक्रम के लिये प्रसिद्ध है, जिसके तहत बाघों को रणथंभौर से स्थानांतरित किया गया।
- यह क्षेत्र सरिस्का–रणथंभौर परिदृश्य को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारा बनाता है, जो दीर्घकालिक बाघ संरक्षण में सहायक है।
- इसके प्रमुख वन्यजीवों में बंगाल टाइगर, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, कैराकल, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर तथा विविध पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।
- इसमें घाटियाँ, पठार, मौसमी धाराएँ (नाले) तथा सिलिसेढ़ और मानसरोवर जैसी झीलें हैं, जो आवास (habitat) को पोषण प्रदान करती हैं।
- अभयारण्य में कांकवारी किला जैसी एतिहासिक संरचनाएँ भी स्थित हैं, जो इसके सांस्कृतिक महत्त्व में वृद्धि करती हैं।

NGT ने आसन नदी में कचरे की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी | उत्तराखंड | 14 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने देहरादून नगर निगम से आसन नदी के निकट लेगेसी वेस्ट की निकासी पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश नदी के बाढ़ क्षेत्र में रिसाव (leachate) की संभावनाओं के मद्देनज़र जारी किया गया है।
मुख्य बिंदु
- आसन नदी के बारे में:
- आसन नदी, जिसे आसन बैराज धारा भी कहा जाता है, मसूरी के निकट उद्गमित होती है और दून घाटी से होकर बहती हुई उत्तराखंड–हिमाचल सीमा के पास स्थित आसन संरक्षण रिज़र्व में यमुना नदी से मिल जाती है।
- यह नदी प्राकृतिक झरनों तथा पहाड़ी धाराओं से पोषित होती है और पश्चिमी दून के भूजल स्तर तथा जैवविविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- आसन बैराज (1967) के निर्माण से एक जलाशय अस्तित्व में आया, जो सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन (कुल्हाल और खोदरी विद्युत् गृह के माध्यम से) तथा पक्षी आवासों को आधार प्रदान करता है।
- यही क्षेत्र आसन वेटलैंड (आसन संरक्षण रिज़र्व) का निर्माण करता है, जिसे उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल (2020) घोषित किया गया और जो रूडी शेल्डक, कॉमन पोचार्ड, यूरेशियन कूट तथा बार-हेडेड गीज़ जैसे प्रवासी पक्षियों के लिये प्रमुख आवास-स्थल है।

- लेगेसी वेस्ट (Legacy Waste) के बारे में:
- लेगेसी वेस्ट से आशय उन दशकों पुराने ठोस कचरे से है जो नगर-निकायों के डंपसाइट/लैंडफिल में जमा होकर मिश्रित रूप में पड़ा रहता है।
- इसमें मुख्यतः प्लास्टिक, निर्माण-ध्वंस अवशेष, जैविक पदार्थ, वस्त्र, काँच, धातु तथा अन्य जड़ (inert) पदार्थ सम्मिलित होते हैं।
- ऐसे विशाल कचरा ढेर मीथेन उत्सर्जन, आग लगने की लगातार घटनाएँ, दुर्गन्ध, भू-जल प्रदूषण तथा वाहक-जनित (vector-borne) रोगों के जोखिम उत्पन्न करते हैं।
- लेगेसी वेस्ट के वैज्ञानिक उपचार में बायो-माइनिंग, बायो-रीमेडिएशन या बायो-ट्रीटमेंट-सह-कैपिंग जैसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो भूमि की पुनर्प्राप्ति, प्रदूषण में कमी, शहरी सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के पर्यावरणीय उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होती हैं।