‘AI भारत @ MP’ कार्यशाला | मध्य प्रदेश | 12 May 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के भोपाल में “AI भारत @ एमपी” शीर्षक से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- कार्यशाला के बारे में:
- इसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आधार तकनीक और डिजिटल नवाचारों के माध्यम से शासन को अधिक सक्षम, पारदर्शी और नागरिकोन्मुखी बनाना था।
- इस कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से किया गया।
- कार्यशाला में तकनीकी सत्रों के अंतर्गत डाटा प्रोटेक्शन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल स्वास्थ्य (ई-संजीवनी), DIKSHA प्लेटफॉर्म और डिजिटल शिक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
- इस कार्यशाला ने मध्य प्रदेश को डिजिटल प्रशासन के एक मॉडल राज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे में मध्य प्रदेश की उपलब्धियाँ:
- मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ SD-WAN सक्षम स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (SWAN) 2 Gbps की गति से संचालित हो रहा है।
- राज्य के पास 1 पेटाबाइट क्षमता वाला स्वयं का डाटा सेंटर उपलब्ध है, जो डिजिटल सेवाओं के सुरक्षित और त्वरित संचालन को सुनिश्चित करता है।
- ‘संपदा 2.0’ तथा एंड-टू-एंड सेवा ऑटोमेशन जैसे डिजिटल नवाचारों के माध्यम से राज्य डिजिटल गवर्नेंस में अग्रणी बना है।
- नीति निर्माण व नवाचार:
- प्रदेश सरकार ने AVGC (Animation, Visual Effects, Gaming & Comics), ड्रोन टेक्नोलॉजी, ग्लोबल कैप्टिव सेंटर (GCC) और सेमीकंडक्टर निर्माण जैसे क्षेत्रों के लिये नीतियाँ और दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- इन प्रयासों से राज्य में उद्योग, निवेश और रोज़गार के नए अवसर सृजित होने के संभावना है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( AI)
- AI को मशीनों और प्रणालियों का ज्ञान प्राप्त करने, इसे लागू करने और बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहार करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है।
- “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” शब्द का सर्वप्रथम उपयोग अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक जॉन मैककार्थी ने किया था। उन्हें AI का जनक माना जाता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता की आदर्श विशेषता ऐसे कार्य करने और उन्हें तर्कसंगत बनाने की क्षमता है जिनमें किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अच्छी संभावना होती है।
ई-संजीवनी:
- ई-संजीवनी देश के डॉक्टरों के मध्य टेलीमेडिसिन सेवा है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारंपरिक प्रत्यक्षतः परामर्श का विकल्प प्रदान करती है।
- ई-संजीवनी आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का महत्त्वपूर्ण अंग है और ई-संजीवनी एप्लिकेशन के माध्यम से 45,000 से अधिक आभा संख्या जारी की गई हैं।
- इसका उपयोग करने वाले दस अग्रणी राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, तेलंगाना और गुजरात।
मालवा उत्सव | मध्य प्रदेश | 12 May 2025
चर्चा में क्यों?
6 से 12 मई 2025 तक इंदौर के लालबाग परिसर में आयोजित मालवा उत्सव में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए।
मुख्य बिंदु
- यह एक पाँच दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव था, जिसका संचालन लोक संस्कृति मंच द्वारा किया गया था।
- यह उत्सव पिछले 25 वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- लोक संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार।
- स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच और बाज़ार उपलब्ध कराना।
- राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- लोककलाओं और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी:
- इस उत्सव में देश के विभिन्न प्रदेशों तथा मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने लोकनृत्य और संगीत प्रस्तुत किये।
- बुनकरों और हस्तशिल्प कलाकारों ने बुनकरी, मिट्टी और धातु की कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं।
- उत्सव में भित्तिचित्र, रेजा कार्य, बटिक प्रिंट, ताँबे व पीतल की मूर्तियाँ तथा आदिवासी चित्रकला विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।
मध्य प्रदेश के लोक नृत्य
- काठी: यह बलाई समाज द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें मोर पंख से सजे वस्त्रों और बाँस की 'काठी' का प्रयोग होता है। यह नृत्य 'ढाक' वाद्य पर किया जाता है।
- गणगौर: चैत्र माह में महिलाएँ देवी पार्वती की पूजा करते हुए ताली और थाली पर नृत्य करती हैं। इसके दो रूप – थलरिया और थोला प्रसिद्ध हैं।
- फाफरिया: यह पुरुषों और महिलाओं द्वारा साथ में किया जाने वाला पुंगी की ध्वनि पर आधारित समूह नृत्य है।
- मदाल्या: इसमें महिलाएँ ढोल की थाप पर हाथ-पाँव की मुद्राओं के साथ तीव्र गति से नृत्य करती हैं।
- आदा-खड़ा: यह नृत्य विवाह, जन्म व मृत्यु जैसे अवसरों पर स्त्रियों द्वारा ढोल की थाप पर किया जाता है।
- डंडा नृत्य: यह चैत्र-वैशाख की रातों में पुरुषों द्वारा डंडे के साथ ढोल व थाली की ताल पर किया जाता है।
- मटकी: महिलाएँ सिर पर कई मटकियाँ संतुलित कर गोलाकार घुमते हुए ढोल की थाप पर नृत्य करती हैं। आड़ा-खड़ा इसका एक रूप है।
- राई: बेड़िया जनजाति द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य शृंगार व सामाजिक विषयों पर आधारित संवादात्मक रूप में होता है। राम सहाय पाण्डेय इसके प्रमुख कलाकार हैं।
- सायरा: वर्षा के लिये भगवान इंद्र की प्रार्थना स्वरूप यह नृत्य लाठी लिये युवाओं द्वारा ढोलक व बाँसुरी के साथ किया जाता है।
- जवारा: महिलाएँ सिर पर फसल की टोकरी रखकर संतुलन बनाते हुए यह नृत्य करती हैं, जो फसलों की महत्ता को दर्शाता है।