113 वर्ष पुराने सरयू पुल का पुनर्निर्माण | उत्तराखंड | 10 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार ने बागेश्वर ज़िले में सरयू नदी पर स्थित ऐतिहासिक सस्पेंशन ब्रिज के पुनर्निर्माण के लिये 1.8 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- वर्ष 1913 में निर्मित यह पुल एक शताब्दी से अधिक समय से शहर के बाज़ार और आवासीय क्षेत्रों को जोड़ता रहा है तथा यह स्थानीय जीवन में गहरा महत्त्व रखता है।
- यह पुल स्थानीय जनजीवन, त्योहारों और दैनिक आर्थिक गतिविधियों की साक्षी रहा है, जिससे यह केवल एक अवसंरचनात्मक संपत्ति नहीं, बल्कि बागेश्वर की सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक विरासत का जीवित हिस्सा बन गया है।
- सरयू नदी:
- सरयू नदी (जिसे सरजू नदी भी कहा जाता है) उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले में सरमूल के पास ग्लेशियरों से निकलती है, जो कुमाऊँ हिमालय में नंदा कोट चोटी के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।
- यह नदी भारत-नेपाल सीमा के पास काली नदी (शारदा) में मिलने से पहले बागेश्वर और पिथौरागढ़ ज़िलों के कुछ हिस्सों से दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है।
- काली नदी अंततः घाघरा नदी (नेपाल में करनाली) में मिल जाती है, जो गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- इस क्षेत्र में इसके प्रवाह को बढ़ाने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ गोमती (बागेश्वर में इसमें मिलती है) और रामगंगा (पूर्व) हैं।
- यह नदी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर घाघरा नदी का निम्न भाग, जिसे अयोध्या में सरयू नदी के रूप में पूजा जाता है, जहाँ इसे भगवान राम से जोड़ा जाता है।

मालाबार अभ्यास 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 10 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय नौसेना का युद्धपोत INS सह्याद्री उत्तरी प्रशांत महासागर के गुआम में आयोजित बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार 2025’ में भाग लेने पहुँचा।
मुख्य बिंदु
- मालाबार अभ्यास:
- क्वाड (QUAD) रूपरेखा के तहत आयोजित यह एक बहुपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त समुद्री समन्वय, पारस्परिक संचालन क्षमता (interoperability) और संचालन तत्परता (operational readiness) को सुदृढ़ करना है।
- INS सह्याद्री की भागीदारी आत्मनिर्भर भारत अभियान और नौसैनिक स्वदेशीकरण (naval self-reliance) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- आयोजन स्थल- गुआम:
- गुआम का आयोजन स्थल के रूप में चयन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती भागीदारी और क्वाड के सामरिक लक्ष्यों के अनुरूप है।
- यह पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक असंबद्ध अमेरिकी क्षेत्र (Unincorporated U.S. Territory) है, जो फिलीपींस और हवाई के बीच स्थित है।
- यहाँ एंडरसन वायुसेना अड्डा और नेवल बेस गुआम जैसे प्रमुख अमेरिकी सैन्य अड्डे स्थित हैं, जो इसे हिंद-प्रशांत सुरक्षा अभियानों के लिये एक सामरिक केंद्र (strategic hub) बनाते हैं।
- INS सह्याद्री:
- यह शिवालिक-श्रेणी (प्रोजेक्ट 17) की एक निर्देशित प्रक्षेपास्त्र (guided missile) युक्त स्टील्थ फ्रिगेट है, जिसे वर्ष 2012 में भारत की पहली स्टील्थ फ्रिगेट शृंखला के अंतर्गत नौसेना में सम्मिलित किया गया।
- मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई द्वारा निर्मित इसे एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और एंटी-पनडुब्बी युद्ध सहित बहु-भूमिका संचालन के लिये डिज़ाइन किया गया है।

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 10 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के प्रवर्तन की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है। यह अधिनियम सभी नागरिकों, विशेषकर वंचित एवं दुर्बल वर्गों को निशुल्क और निष्पक्ष न्याय तक समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 1995 में प्रभावी हुआ था।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस:
- इस दिवस की शुरुआत विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा की गई थी ।
- यह दिवस नागरिकों के कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, सभी के लिये न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करने और समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये न्याय के सिद्धांत को बनाए रखने के लिये मनाया जाता है।
- विधिक ढाँचा:
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत गठित इस तंत्र में शामिल प्रमुख संस्थाएँ हैं-
- NALSA (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण): भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में।
- SLSA (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण): संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की अध्यक्षता में।
- DLSA (ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण): संबंधित ज़िला न्यायाधीशों की अध्यक्षता में।
- यह ढाँचा आर्थिक और सामाजिक रूप से कमज़ोर वर्गों को निशुल्क कानूनी प्रतिनिधित्व, परामर्श तथा सहायता प्रदान करता है, जिसका वित्तपोषण राष्ट्रीय, राज्य एवं ज़िला कानूनी सहायता निधियों के माध्यम से किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त, लोक अदालतें, कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (LADCS), फास्ट ट्रैक और विशेष न्यायालय तथा ग्राम न्यायालय तथा नारी अदालत जैसी पूरक संस्थाएँ एवं योजनाएं भी इस ढाँचे के अंतर्गत कार्यरत हैं, जो विवाद समाधान एवं न्याय तक पहुँच को अधिक सुलभ व प्रभावी बनाती हैं।
राष्ट्रीय शहरी सम्मेलन 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 10 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने भारत में शहरी परिवर्तन को गति देने हेतु यशोभूमि, नई दिल्ली में राष्ट्रीय शहरी सम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया।
- यह दो दिवसीय सम्मेलन “सतत शहरी विकास और शासन” के विषय पर आधारित है, जिसका उद्देश्य शहरी नवाचार, निवेश तथा शासन पर विचार-विमर्श करना है।
मुख्य बिंदु
शुरू की गई प्रमुख पहलें
- मिशन-मार्ग डंपसाइट सुधार (DRAP):
- DRAP एक वार्षिक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य पुरानी अपशिष्ट डंपसाइटों (legacy waste dumpsites) की त्वरित सफाई करना तथा सितंबर 2026 तक मूल्यवान शहरी भूमि का पुनः अर्जन करना है।
- यह 202 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में 214 उच्च प्रभाव वाले लैंडफिल स्थलों पर ध्यान केंद्रित करती है, जिनमें भारत का 8.8 करोड़ टन (80%) कचरा समाहित है।
- इसका कार्यान्वयन 5P ढाँचे के तहत किया जाता है- राजनीतिक नेतृत्व, सार्वजनिक वित्त, जन-सहायता, परियोजना प्रबंधन और साझेदारी।
- DRAP में प्रगति निगरानी और पारदर्शिता के लिये एक समर्पित राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग भी शामिल है।
- अर्बन इन्वेस्ट विंडो (UiWIN):
- आवास एवं शहरी विकास निगम (HUDCO) द्वारा संचालित UiWIN, शहरी अवसंरचना के लिये वन-स्टॉप निवेश सुविधा मंच है।
- इसका उद्देश्य निजी और बहुपक्षीय फंडिंग (जैसे, विश्व बैंक, एडीबी) को आकर्षित करना है, ताकि अपशिष्ट प्रबंधन, गतिशीलता, जल, सीवेज तथा जलवायु-प्रतिरोधी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये दीर्घकालिक तथा अनुदानात्मक वित्तपोषण उपलब्ध हो सके।
- स्वच्छ भारत मिशन – नॉलेज मैनेजमेंट यूनिट (KMU):
- यह SBM-अर्बन के तहत संस्थागत शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिये NIUA द्वारा संचालित एक समर्पित ज्ञान और क्षमता निर्माण मंच है।
- अमृत गान “जल ही जननी”:
भारत उष्ण कटिबंधीय वन निधि में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 10 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
भारत ब्राज़ील के नेतृत्व वाली ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो गया है, जो पेरिस समझौते के तहत बहुपक्षीय जलवायु कार्रवाई में उसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जिसकी इस वर्ष 10वीं वर्षगाँठ है।
मुख्य बिंदु
- ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) के बारे में:
- इसे ब्राज़ील द्वारा नवंबर 2025 में बेलेम, ब्राजील में आयोजित COP30 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से उष्ण कटिबंधीय वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिये देशों को पुरस्कृत करना है।
- इसका कार्य सार्वजनिक और निजी निवेश के माध्यम से 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना तथा वन संरक्षण एवं विस्तार में मापनीय सफलता के आधार पर राष्ट्रों को लाभ वितरित करना है।
- इस पहल का लक्ष्य वन संरक्षण और जलवायु अनुकूलन के लिये परिणाम-आधारित वैश्विक वित्त मॉडल का निर्माण करना तथा वैश्विक जलवायु एजेंडे में उष्ण कटिबंधीय देशों की भूमिका को सशक्त बनाना है।
- COP30 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन:
- UNFCCC सम्मेलन के 30वें सत्र, COP30 का आयोजन 10 से 21 नवंबर, 2025 तक ब्राज़ील के बेलेम में किया जा रहा है।
- यह पेरिस समझौते (2015-2025) की 10वीं वर्षगाँठ का प्रतीक है और इसके तहत की गई प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन पर केंद्रित है।
- एजेंडा में पेरिस लक्ष्यों पर प्रगति की समीक्षा करना, अद्यतन और महत्त्वाकांक्षी NDCs (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) के लिये प्रयास करना तथा जलवायु अनुकूलन एवं शमन के लिये अधिक वित्तपोषण व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुनिश्चित करना शामिल है।
- कार्रवाई के छह स्तंभ:
- उत्सर्जन शमन (Mitigation): ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना।
- अनुकूलन (Adaptation): जलवायु प्रभावों के प्रति लचीलापन विकसित करना।
- वित्त (Finance): सार्वजनिक और निजी जलवायु निधियों को जुटाना।
- प्रौद्योगिकी (Technology): नवाचार और स्वच्छ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
- क्षमता निर्माण (Capacity-Building): स्थानीय कार्यकर्त्ताओं और प्रणालियों को सशक्त करना।
- कार्यान्वयन साधन (Means of Implementation): सभी प्रयासों को व्यावहारिक और मूल परिवर्तन में एकीकृत करना।
भारत की जलवायु प्रगति
- भारत ने वर्ष 2005 से 2020 के बीच उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी प्राप्त की है, जो उसके प्रारंभिक NDC लक्ष्यों से अधिक है ।
- इसके अलावा, भारत ने 200 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की है, जो वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है तथा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत कुल विद्युत क्षमता का 50% से अधिक है।
- भारत का वन और वृक्षावरण अब 25.17% क्षेत्र में विस्तृत है, जिससे वर्ष 2005 से 2021 के बीच अतिरिक्त 2.29 बिलियन टन CO₂ समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण हुआ है ।
- वैश्विक स्तर पर, भारत प्रमुख हरित पहलों जैसे कि फ्राँस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) (2015) और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन तथा जैव ईंधन कार्यक्रम जैसे घरेलू प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है।