वैष्णो देवी ट्रैक पर हुआ भूस्खलन | उत्तर प्रदेश | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में वैष्णो देवी मंदिर के लिये नए मार्ग पर भूस्खलन हुआ, जिससे भवन से 3 किमी. आगे पांची के पास का मार्ग प्रभावित हुआ।
मुख्य बिंदु
- वैष्णो देवी मंदिर: यह मंदिर त्रिकूट पर्वत पर 5,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक पर्यटक आते हैं। कटरा पहुँचने के लिये 12 किमी. की पैदल यात्रा करनी होती है।
- प्रमुख स्थल: दर्शनी ड्योढ़ी, बाणगंगा, चरण पादुका, इंद्रप्रस्थ, अधकुआरी, गर्भा जून, हिमकोटि, हाथी मठ, सांजी छत भवन, शेर का पंजा और भैरों मंदिर।
 
- रियासी, जम्मू-कश्मीर में एक शहर और अधिसूचित क्षेत्र समिति है, जो चिनाब नदी के तट पर स्थित है। यह 8वीं शताब्दी ई. में भीम देव द्वारा स्थापित भीमगढ़ राज्य का हिस्सा था।
- रियासी में केंद्रित भीमगढ़ राज्य 1822 तक स्वतंत्र रहा जब राजा गुलाब सिंह ने क्षेत्र के छोटे राज्यों को एकीकृत किया।
 
भूस्खलन
- भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है जिसमें ढलान पर चट्टान, मृदा और मलबे का ढेर नीचे की ओर खिसकता है। यह हलचल छोटे, स्थानीय बदलावों से लेकर बड़े पैमाने पर तथा  विनाशकारी घटनाओं तक हो सकती है
- भूस्खलन प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ढलानों पर हो सकता है तथा ये अक्सर भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि, मानवीय गतिविधियों (जैसे निर्माण या खनन) एवं भूजल स्तर में परिवर्तन जैसे कारकों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं।

     
    
    
      बिहार में मेगा इंडस्ट्री प्लेयर्स | बिहार | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार को वर्ष 2022 और 2024 के बीच 12,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जो वर्ष 2016 तथा  2022 के बीच प्राप्त 2,500 करोड़ रुपए की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

मुख्य बिंदु
- निवेशक: ब्रिटानिया, पेप्सिको, टाटा समूह और मेदांता जैसी प्रमुख कंपनियाँ राज्य में निवेश कर रही हैं।
- क्षेत्रीय केंद्र/फोकस: निवेश मुख्य रूप से कपड़ा, चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और सीमेंट उद्योगों में है।
- प्रमुख परियोजनाओं में अंबुजा सीमेंट्स की 1,600 करोड़ रुपए की इकाई, टाटा समूह का ताज होटल और मेदांता का अस्पताल शामिल हैं।
- निजी खिलाड़ियों के आने से स्वास्थ्य सेवा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे सरकारी अस्पतालों पर बोझ कम हुआ है।
- प्रचुर मात्रा में कच्चे माल द्वारा समर्थित खाद्य प्रसंस्करण में बिहार की ताकत को भविष्य के निवेश वृद्धि के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है।
 
- उद्योग के लिये सरकारी पहल: राज्य ने पिछले दो वर्षों में 5,000 एकड़ का भूमि बैंक बनाया है और 7,592 एकड़ भूमि पट्टे पर दी है।
- चुनौतियाँ: प्रगति के बावजूद, निवेशकों को भूमि की उपलब्धता, बुनियादी ढाँचे, व्यापार करने में आसानी और श्रमिक अशांति की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- सरकार ने एकल खिड़की प्रणाली को बढ़ाने और सरकारी प्रोत्साहन बढ़ाने के महत्त्व पर बल दिया।
 
 
    
    
      पेयजल परियोजना का शिलान्यास | बिहार | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार ने औरंगाबाद, डेहरी और सासाराम में पीने के लिये सोन नदी का जल उपलब्ध कराने हेतु 1,347 करोड़ रुपए की परियोजना की आधारशिला रखी।
मुख्य बिंदु
अन्य पहल: रोहतास ज़िले के डेहरी में एक राज्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, तकनीकी प्रयोगशालाओं, स्ट्रीट लाइटों और आँगनवाड़ी केंद्रों का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया।
बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (BRLP), जिसे जीविका (JEEViKA) के नाम से जाना जाता है, के अंतर्गत 1,864 स्वयं सहायता समूहों को 74.17 करोड़ रुपए का चेक वितरित किया गया।
जीविका (JEEViKA): विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित, यह एक ग्रामीण सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम है जो बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आता है।
सोन 
- सोन नदी एक बारहमासी नदी है जो मध्य भारत से होकर प्रवाहित होती है।
- सोन नदी यमुना नदी के बाद गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी (दाहिनी तट) सहायक नदी है।

     
    
    
      छत्तीसगढ़ में 18 लंगूरों की गोली मारकर हत्या | छत्तीसगढ़ | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बेलगाँव में फसल की हानि के कारण लगभग 18 लंगूरों को गोली मार दी गई, जिसके बाद वन विभाग ने जाँच शुरू की।
मुख्य बिंदु 
- सांस्कृतिक संदर्भ: यह घटना असामान्य थी, क्योंकि ग्रामीण लोग आमतौर पर बंदरों को मारने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि इससे सूखा पड़ सकता है, जो वन्यजीवों के सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्त्व को उजागर करता है।
- कानूनी कार्रवाई: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
- अनुसूची I: यह कठोर दंड के साथ लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करता है; कुछ विशिष्ट मामलों को छोड़कर शिकार पर प्रतिबंध लगाता है (जैसे- काला हिरण, हिम तेंदुआ)।
- अनुसूची II: कुछ प्रजातियों के लिये उच्च सुरक्षा और व्यापार निषेध (जैसे- असमिया मैकाक, भारतीय कोबरा)।
- अनुसूची III और IV: उल्लंघन के लिये कम दंड के साथ गैर-लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करता है (जैसे- चीतल, फ्लेमिंगो)।
- अनुसूची V: उन कृमि प्रजातियों की सूची बनाता है जिनका शिकार किया जा सकता है (जैसे- आम कौवे, चूहे)।
- अनुसूची VI: निर्दिष्ट पौधों की खेती और व्यापार को नियंत्रित करता है, जिसके लिये पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है (जैसे- नीला वांडा, कुथ)।
 
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 जंगली पशुओं और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली पशुओं, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है
- इसमें उन पौधों और पशुओं की अनुसूचियाँ भी सूचीबद्ध की गई हैं जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर पर संरक्षण और निगरानी प्रदान की जाती है।
 
    
    
      राजस्थान के 17 नए ज़िलों पर समीक्षा बैठक | राजस्थान | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए 17 नए ज़िलों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिये एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
मुख्य बिंदु
- नए ज़िले और संभाग: राजस्थान में नए ज़िलों में अनूपगढ़, गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा, जयपुर शहर, खैरथल, ब्यावर, जयपुर ग्रामीण, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर शहर, फलौदी, डीडवाना, जोधपुर ग्रामीण, सलूंबर, दूदू, केकड़ी, सांचौर, और शाहपुरा शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, तीन नए संभाग-बांसवाड़ा, पाली और सीकर-बनाए गए हैं।
 
- लागत और प्रशासन: एक ज़िला बनाने में लगभग 2,000 करोड़ रुपए की लागत आती है (समीक्षा समिति की रिपोर्ट के अनुसार)।
- वर्ष 2008 में स्थापित प्रतापगढ़ ज़िला अभी भी अधूरा है और प्रशासनिक कार्य लंबित हैं।
 
- भविष्य की योजनाएँ: सेवानिवृत्त IAS अधिकारी ललित के. पवार को 17 नए ज़िलों की देख-रेख करने और जनता से फीडबैक एकत्र करने के लिये पुनः नियुक्त किया गया है।
- वह समिति के आगे के विचार के लिये तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार करने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
 
 
    
    
      NIA और बंदी प्रत्यक्षीकरण मामलों का पुनः निर्धारण | उत्तर प्रदेश | 03 Sep 2024
            चर्चा में क्यों?
हाल ही में न्यायमूर्ति श्रीधरन के कई फैसलों के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में NIA (राष्ट्रीय जाँच एजेंसी) और बंदी प्रत्यक्षीकरण मामलों को श्रीनगर में एक नई पीठ को सौंप दिया गया।
मुख्य बिंदु
- रोस्टर उच्च न्यायालय की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिये उसके सदस्यों को कार्य सौंपने की एक व्यवस्थित योजना है।
- रोस्टर में परिवर्तन: एक आदेश द्वारा NIA और बंदी प्रत्यक्षीकरण मामलों के लिये मौजूदा रोस्टर को संशोधित किया गया तथा उसे न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की पीठ से न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अकरम चौधरी की नई विशेष खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया गया।
 
- स्थानांतरण की दुर्लभता: किसी विशेष पीठ से मामलों को बीच में ही पूरी तरह से नई पीठ में स्थानांतरित करना एक दुर्लभ घटना है।
- न्यायमूर्ति श्रीधरन के महत्त्वपूर्ण निर्णय:
- सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 (PSA) मामला: जुलाई 2024 में न्यायमूर्ति श्रीधरन ने निवारक निरोध मामले में अस्पष्ट और भ्रामक तर्क के लिये ज़िला मजिस्ट्रेट पर ज़ुर्माना लगाया।
- कट्टरपंथी विचारधारा: उन्होंने एक बंदी को "कट्टरपंथी" के रूप में लेबल करने को चुनौती दी और अगस्त, 2023 के मामले में इसके अर्थ को स्पष्ट किया।
- पुलिसकर्मी ज़मानत मामला: हत्या के आरोपी पुलिसकर्मी को विलंबित सुनवाई के कारण अनुच्छेद 21 के उल्लंघन का हवाला देते हुए ज़मानत प्रदान की गई।
- फहद शाह मामला: पत्रकार फहद शाह के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) के आरोपों पर सवाल उठाया गया, जिसमें हिंसा भड़काने के अपर्याप्त सबूतों का उल्लेख किया गया।
 
बंदी प्रत्यक्षीकरण
- यह एक लैटिन शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘शरीर को अपने पास रखना’। इसके तहत न्यायालय किसी व्यक्ति को आदेश जारी करता है कि वह किसी अन्य व्यक्ति को हिरासत में लेकर उसके शव को उसके समक्ष प्रस्तुत करे। इसके बाद न्यायालय हिरासत के कारण और वैधता की जाँच करता है।
- यह रिट मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने के विरुद्ध व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक कवच है।
- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सार्वजनिक प्राधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों, दोनों के विरुद्ध जारी की जा सकती है।
- दूसरी ओर, रिट तब जारी नहीं की जाती है जब:
- हिरासत में रखना वैध है,
- कार्यवाही किसी विधायिका या न्यायालय की अवमानना के लिये है,
- हिरासत एक सक्षम न्यायालय द्वारा की गई है और
- हिरासत में लेना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।