हरियाणा एआई विकास परियोजना | हरियाणा | 10 May 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने हरियाणा एआई विकास परियोजना (HAIDP) और वर्ष 2025-28 के लिये 474.39 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के गठन की योजना बनाई है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- राज्य सरकार का लक्ष्य हरियाणा को कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित विकास के लिये राष्ट्रीय केंद्र में परिवर्तित करना है।
- यह परियोजना तीन वर्षों (2025-2028)के लिये क्रियान्वित की जाएगी।
- कुल परिव्यय को विश्व बैंक और हरियाणा सरकार द्वारा 70:30 के अनुपात में वित्त पोषित किया जायेगा।
- प्रमुख सुविधाएँ:
- कौशल विकास केंद्र:
- इस परियोजना का उद्देश्य एआई, मशीन लर्निंग और डाटा साइंस जैसे क्षेत्रों में 50,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित करना और उन्हें आगे बढ़ाना है।
- HAIDP का उद्देश्य सार्वजनिक प्रशासन में एआई को एकीकृत करना तथा सरकारी विभागों में डाटा-संचालित सेवा वितरण को बढ़ाना है।
- स्टार्ट-अप और नवाचार के लिये समर्थन:
- यह परियोजना इनक्यूबेशन, मार्गदर्शन और साझा कंप्यूटिंग अवसंरचना प्रदान करके स्टार्ट-अप, अनुसंधान एवं विकास तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी।
विश्व बैंक
- परिचय
- विश्व बैंक एक वैश्विक विकास सहकारी संस्था है, जिसमें 189 सदस्य देश हैं।
- इन देशों या शेयरधारकों का प्रशासन एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा किया जाता है, जो आमतौर पर वित्त या विकास मंत्रियों से निर्मित होता है।
- बोर्ड की बैठक प्रतिवर्ष नीति निर्धारण और वैश्विक विकास में संस्था के कार्यों की देखरेख के लिये होती है।
- मिशन एवं कार्य:
- भारत में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित कुछ परियोजनाएँ हैं, भारत ऊर्जा दक्षता स्केल-अप कार्यक्रम, संकल्प, MSME प्रदर्शन में वृद्धि एवं तेज़ी (RAMP), ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर,एवं मुंबई शहरी परिवहन परियोजनाएँ आदि।
- विश्व बैंक का लक्ष्य गरीबी को कम करना एवं साझा समृद्धि को बढ़ावा देना है।
- यह देशों को जटिल विकास चुनौतियों से निपटने में सहायता प्रदान करने के लिये वित्तीय उत्पाद, तकनीकी सहायता और नीतिगत सलाह प्रदान करता है।
- विश्व बैंक प्रभाव को अधिकतम करने के लिये बहुपक्षीय संस्थाओं, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र के अभिकर्त्ताओं एवं संस्थाओं के साथ सहयोग करता है।
- विश्व बैंक ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे एवं पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में 15,000 से अधिक परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है।
बिहार में नीरा उत्पादन | बिहार | 10 May 2025
चर्चा में क्यों?
30 अप्रैल 2025 को शुरू की गई 'मुख्यमंत्री नीरा संवर्द्धन योजना' के तहत, बिहार सरकार का उद्देश्य ताड़ के वृक्षों के मालिकों और ताड़ी निकालने वाले श्रमिकों को रोज़गार के अवसर और वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो कि नीरा अर्थात अकिण्वित ताड़ के रस से पेय पदार्थ निकालते हैं।
मुख्य बिंदु
- योजना का कार्यान्वयन:
- यह योजना ताड़ी सीजन (अप्रैल से जुलाई 2025) तक चलती है और इसे निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग और जीविका (बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी) द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित किया जाता है।
- बिहार सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से 20,000 ताड़ी निकालने वालों को 8 रुपए प्रति लीटर नीरा उपलब्ध कराएगी।
- इस योजना का लक्ष्य बिहार में चिह्नित 2 लाख ताड़ के वृक्षों से उत्पादन करना है।
- ताड़ वृक्ष मालिकों के लिये सहायता:
- ताड़ वृक्ष मालिकों को 10 वृक्षों तक प्रति लीटर नीरा पर 3 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
- इसका मतलब है कि प्रति वृक्ष 585 रुपए और 10 वृक्षों के लिये अधिकतम 5,850 रुपए।
- जीविका द्वारा DBT के माध्यम से प्रोत्साहन राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा।
- नीरा के स्वास्थ्य लाभ:
- नीरा कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, सोडियम और फास्फोरस जैसे खनिजों से भरपूर है।
- यह एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है।
एसएमएएम की कस्टम हायरिंग योजना | मध्य प्रदेश | 10 May 2025
चर्चा में क्यों?
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) की कस्टम हायरिंग योजना मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को अत्याधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करा रही है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि हो रही है।
मुख्य बिंदु:
- कस्टम हायरिंग योजना के बारे में:
- यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
- यह केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत चल रही एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- इसके अंतर्गत कस्टम हायरिंग केंद्र (Custom Hiring Centers - CHCs) की स्थापना की जाती है।
- ये ऐसे केंद्र होते हैं जहाँ से किसान कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर, हैरो, रोटावेटर, सीड ड्रिल, रीपर, थ्रेशर, ड्रायर, स्प्रेयर आदि को किराए पर ले सकते हैं।
- CHC किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO), सहकारी समितियों, ग्राम पंचायतों अथवा निजी उद्यमियों द्वारा संचालित किये जा सकते हैं।
- योजना के तहत सरकार द्वारा अधिकतम 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी और तीन प्रतिशत तक की ब्याज छूट (Interest Subvention) दी जाती है।
- लाभार्थी पात्रता:
- योजना के अंतर्गत 18 से 40 वर्ष आयु के 12वीं पास बेरोज़गार किसान आवेदन कर सकते हैं।
- लॉटरी प्रणाली के माध्यम से चयन किया जाता है, और चयनित लाभार्थियों को प्रशिक्षण और फिर यंत्र खरीदने की अनुमति दी जाती है।
- महत्त्व:
- यह योजना यांत्रिकीकरण की पहुँच को विकेंद्रीकृत करती है।
- इससे फसल कटाई की समयबद्धता, श्रम की कमी की समस्या का समाधान और कृषि कार्यों की दक्षता में सुधार आता है।
- युवाओं को कृषि सेवा व्यवसाय में भागीदारी का अवसर मिलता है, जिससे गाँवों में रोज़गार के अवसर भी बढ़ते हैं।
मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना
- इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2014 में लॉन्च किया था।
- इसके तहत NER (पूर्वोत्तर क्षेत्र) राज्यों के अलावा अन्य राज्यों हेतु 40-50% की सीमा तक विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण और मशीनरी की खरीद हेतु सब्सिडी प्रदान की जाती है और NER राज्यों के लिये यह प्रति लाभार्थी 1.25 लाख रुपए तक 100% सीमित है।
- कृषि मंत्रालय ने एक बहुभाषी मोबाइल एप, 'सीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर)- फार्म मशीनरी' भी विकसित किया है जो किसानों को उनके क्षेत्र में स्थित कस्टम हायरिंग सर्विस सेंटर से जोड़ता है।
- लक्ष्य:
- लघु और सीमांत किसानों तथा उन दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ कृषि हेतु विद्युत की उपलब्धता कम है, कृषि मशीनीकरण की पहुँच बढ़ाना।
- उद्देश्य:
- लघु और खंडित भूमि जोत तथा व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं को दूर करने के लिये 'कस्टम हायरिंग सेंटर' और 'हाई-वैल्यू मशीनों के हाई-टेक हब' को बढ़ावा देना।
- प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना।
- पूरे देश में स्थित नामित परीक्षण केंद्रों पर कृषि मशीनों का प्रदर्शन, परीक्षण और प्रमाणन सुनिश्चित करना।
किसान उत्पादक संगठन
- परिचय: FPO एक प्रकार का उत्पादक संगठन (PO) है जिसके सदस्य किसान होते हैं और इसका संवर्द्धन लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) द्वारा समर्थित होता है।
- FPO वर्ष 2008 में अस्तित्व में आए, जो कि कंपनी अधिनियम, 1956 में अर्थशास्त्री वाई.के. अलघ द्वारा किये गए संशोधन की अनुशंसा (2002) से प्रेरित थे।
- FPO को कंपनी अधिनियम, 2013, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860, अथवा भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत लोक न्यास के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
- उत्पादक संगठन, उत्पादकों जैसे कृषक, अकृषक वर्ग अथवा शिल्पकारों द्वारा गठित समूह है, जो सदस्यों में लाभ साझा करते हुए उत्पादक कंपनियों अथवा सहकारी समितियों जैसे विधिक रूप ले सकता है।
- उद्देश्य एवं आवश्यकता: भारत के कृषि क्षेत्र में लघु और सीमांत किसानों का प्रभुत्व है (87% के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है), जो ऋतुनिष्ठ और बाज़ार जोखिमों का सामना करते हैं, तथा उचित मूल्य प्राप्त करने के लिये संघर्ष करते हैं।
- FPO लघु किसानों को थोक इनपुट खरीद की सुविधा, बेहतर सौदाकारी की शक्ति, तथा अल्प लागत पर बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करके सहायता करते हैं।
- ये आय को दोगुना करने और वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश करने के लक्ष्य में सहायता प्रदान करते हुए किसानों की बाज़ार पहुँच में भी सुधार करते हैं।
कोटा में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा | राजस्थान | 10 May 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने राजस्थान के कोटा में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के विकास के लिये सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है।
मुख्य बिंदु
- हवाई अड्डे के बारे में:
- प्रस्तावित हवाई अड्डा न केवल कोटा शहर- जिसे एक प्रमुख शिक्षा और औद्योगिक केंद्र के रूप में जाना जाता है- बल्कि व्यापक हाड़ौती क्षेत्र को भी सेवा प्रदान करेगा।
- इससे बूंदी, बारां और झालावाड़ जैसे ज़िलों को भी सीधा लाभ मिलेगा।
- इस परियोजना से क्षेत्र के हज़ारों छात्रों, व्यवसायियों और निवासियों के लिये यात्रा सुगम होगी और अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।
- हवाई अड्डे का विकास रोज़गार सृजन, निवेश आकर्षण और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय विकास को गति मिलेगी।
- यह परियोजना केंद्र सरकार की "उड़ान योजना (UDAN)" तथा विकासशील भारत में परिवहन ढाँचे के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक ठोस कदम है।
- ग्रीनफील्ड परियोजना (Greenfield Project):
- ‘ग्रीनफील्ड परियोजना’ का तात्पर्य ऐसी परियोजना से है, जिसमें किसी पूर्व कार्य/परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता है। अवसंरचना में अप्रयुक्त भूमि पर तैयार की जाने वाली परियोजनाएँ जिनमें मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें ‘ग्रीन फील्ड परियोजना’ कहा जाता है।

जीएसटी संग्रह में मेरठ शीर्ष पर | उत्तर प्रदेश | 10 May 2025
चर्चा में क्यों?
अप्रैल 2025 में उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़ोन ने राज्य कर विभाग के अंतर्गत जीएसटी संग्रह में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है।
मुख्य बिंदु
- जीएसटी संग्रह के बारे में:
- प्रदेश में लखनऊ का कॉरपोरेट सर्किल मुख्यालय दूसरे स्थान पर रहा। जबकि तीसरे, चौथे और पाँचवें स्थान पर क्रमशः गौतमबुद्ध नगर, लखनऊ द्वितीय जोन और बरेली ज़ोन रहे।
- राज्य कर विभाग के पोर्टल के अनुसार, अप्रैल 2024 में मेरठ ज़ोन द्वारा 147.34 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह किया गया था, जबकि अप्रैल 2025 के लिये 287.08 करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- मेरठ ज़ोन ने इस वर्ष अप्रैल में 211.87 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह कर लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त किया।
- आबकारी विभाग ने भी राजस्व में उल्लेखनीय योगदान दिया, जहाँ अप्रैल 2025 में शराब बिक्री से 103 करोड़ रुपए की आय हुई, जो पिछले वर्ष (अप्रैल 2024) में प्राप्त 78.96 करोड़ रुपए की तुलना में 42.04 करोड़ रुपए अधिक है।
- यह सफलता बढ़ती टैक्स अनुपालना, व्यापारियों की जागरूकता, आईटीसी नियमों में सुधार तथा डिजिटल निगरानी व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण से संभव हो पाई है।
- टेलीकम्युनिकेशन, निर्माण, शिक्षा और सेवा क्षेत्र जैसे उद्योगों के विस्तार ने इस संग्रह को गति दी है।
वस्तु एवं सेवा कर:
- परिचय: GST एक मूल्य वर्द्धित कर प्रणाली है, जो भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
- यह एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, जिसे 1 जुलाई, 2017 को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से 'एक राष्ट्र एक कर' के नारे के साथ भारत में लागू किया गया था।
- GST के लाभ:
- सरलीकृत कर व्यवस्था: GST ने कई अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित कर दिया, जिससे अनुपालन आसान हो गया और व्यवसायों के लिये कागज़ी कार्रवाई कम हो गई।
- पारदर्शिता में वृद्धि: ऑनलाइन GST पोर्टल कर प्रशासन को सरल बनाता है और प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
- कर का बोझ कम होना: व्यापक करों के समाप्त होने से कीमतें कम होने से उपभोक्ताओं को लाभ होता है।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: कर बाधाओं को दूर करके और दक्षता में सुधार करके, GST से उच्च आर्थिक विकास तथा रोज़गार सृजन में योगदान की उम्मीद है।
- GST परिषद: GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में GST के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279A (1) के अनुसार, GST परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था।