उत्तर प्रदेश द्वारा जाति-आधारित प्रथाओं पर प्रतिबंध | 23 Sep 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने सामाजिक सौहार्द को प्रोत्साहित करने हेतु जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने, जाति आधारित साइनबोर्ड हटाने और पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख करने पर रोक हेतु अधिसूचना जारी की है।

  • यह निर्णय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा प्रवीण छेत्री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दिये गए निर्णय के बाद आया है, जिसमें पुलिस रिकॉर्ड में जाति दर्ज करने को प्रतिगामी और आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष भारत के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया गया था।

मुख्य बिंदु

  • राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध: अधिसूचना में जातिगत पहचान के आधार पर राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, क्योंकि वे सामाजिक संघर्ष को बढ़ाती हैं और “लोक व्यवस्था” एवं “राष्ट्रीय एकता” के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।
  • वाहनों पर प्रदर्शन: जिन वाहनों पर जाति-आधारित स्टीकर, नारे या पहचान-चिह्न प्रदर्शित होंगे, उन पर केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
  • साइनबोर्ड पर प्रतिबंध: ऐसे सार्वजनिक साइनबोर्ड, जो किसी विशेष जाति का महिमामंडन करते हैं या भौगोलिक क्षेत्रों को जाति-आधारित क्षेत्र/संपदा घोषित करते हैं, उन्हें तुरंत हटाया जाएगा।
  • पुलिस अभिलेखों की प्रक्रिया में संशोधन:
    • आदेश के अनुसार, गिरफ्तारी ज्ञापन तथा वसूली अभिलेखों आदि से जाति का कॉलम हटाया जाएगा।
    • पुलिस डेटाबेस (CCTNS पोर्टल) से भी जाति-कॉलम हटाया जाएगा। इसके स्थान पर सभी अभिलेखों में पिता के नाम के साथ माता का नाम भी दर्ज किया जाएगा।
  • सोशल मीडिया की निगरानी: अधिकारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की निगरानी कर जाति आधारित घृणा फैलाने या किसी जाति समूह का महिमामंडन करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
  • SC/ST अधिनियम, 1989 हेतु अपवाद: जाति निषेध से छूट केवल SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 से जुड़े मामलों पर लागू होगी, जहाँ जाति की पहचान आवश्यक है।

भेदभाव के विरुद्ध प्रावधान 

  • संवैधानिक प्रावधान
    • विधि के समक्ष समता (अनुच्छेद 14): भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समान व्यवहार या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा।
    • भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15): राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
    • अस्पृश्यता का उन्मूलन (अनुच्छेद 17): यह अनुच्छेद अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त करता है।
  • वैधानिक प्रावधान
    • नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955: यह अधिनियम अनुच्छेद 17 को लागू करने हेतु बनाया गया, जिसने अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त कर दिया।
    • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: यह अधिनियम SC/ST समुदाय के सदस्यों को जाति-आधारित भेदभाव एवं हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है।