तनोट माता मंदिर और जैसलमेर किला | 24 May 2025

चर्चा में क्यों?

जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित 1,200 साल पुराना तनोट माता मंदिर, सीमा पार तनाव के कारण अस्थायी रूप से बंद रहने के बाद फिर से खुल गया।

  • जैसलमेर किले के अंदर स्थित जैसलमेर किला पैलेस संग्रहालय भी पुनः खुल गया।

मुख्य बिंदु 

तनोट माता मंदिर

  • परिचय:
    • यह राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है।
    • यह मंदिर हिंदू देवी हिंगलाज माता के स्वरूप तनोट राय को समर्पित है।
    • स्थानीय लोककथा के अनुसार, मंदिर की स्थापना मूल रूप से आदिवासी समुदायों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो तनोट राय को अपने संरक्षक देवता के रूप में पूजते थे।
    • समय के साथ यह एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो गया, जो पूरे क्षेत्र से तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
  • पृष्ठभूमि एवं युद्धकालीन महत्त्व:
    • वर्ष 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान इस मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिली।
    • वर्ष 1965 के युद्ध में गिराए गए कई अविस्फोटित बम अब मंदिरर परिसर में स्थित तानोट माता संग्रहालय में प्रदर्शित हैं।
    • वर्ष 1971 के युद्ध के बाद, भारत सरकार ने मंदिर का प्रबंधन सीमा सुरक्षा बल (BSF) को सौंप दिया।
  • विजय स्तम्भ और वार्षिक स्मरणोत्सव:
    • भारतीय सेना ने वर्ष 1971 के युद्ध में भारत की जीत के सम्मान में मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण कराया।
    • हर साल 16 दिसंबर को मंदिर में पाकिस्तान पर भारत की जीत का उत्सव मनाने के लिये एक स्मारक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

जैसलमेर किला

  • जैसलमेर का किला भारत का एकमात्र 'जीवित' किला है, जहाँ आज भी लोग निवास करते हैं, अतः उनके सुरक्षा की दृष्टि से इसका रख-रखाव अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • इसका निर्माण 1156 ईस्वी में राजा रावल सिंह द्वारा किया गया था। यह किला सामरिक दृष्टि से राज्य को आक्रमणों से बचाने के लिये बनाया गया था। 
  • यह रेशम मार्ग (Silk Route) पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था, जो भारत को मध्य एशिया से जोड़ता था।
  • पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला सूर्य के प्रकाश के साथ अपना रंग बदलता है, जिससे यह सुनहरा प्रतीत होता है। इसी कारण इसे "सोनार किला" अथवा "गोल्डन फोर्ट" भी कहा जाता है।
  • किले के भीतर स्थित राज महल (राजसी महल) सबसे बड़ा महल है, जिसमें अलंकृत झरोखे एवं बारीक नक्काशी की गई है। यह मध्यकालीन राजस्थानी वास्तुकला का भव्य उदाहरण है, जिसमें इस्लामी और राजपूत शैली का अद्वितीय समन्वय देखा जा सकता है।
    • जैसलमेर किला महल संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1982 में राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गई थी।
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) इस किले के रख-रखाव हेतु उत्तरदायी है।
  • राजस्थान के पहाड़ी किलों – चित्तौड़, कुंभलगढ़, रणथम्भौर, गागरोन, आमेर और जैसलमेर किले को वर्ष 2013 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
    • जैसलमेर किला, चित्तौड़, कुंभलगढ़ एवं रणथम्भौर के किलों के साथ प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (राष्ट्रीय महत्त्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 के तहत भारत के राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक के रूप में संरक्षित हैं।

सीमा सुरक्षा बल (BSF) क्या है?