सैटेलाइट-लिंक्ड हेरॉन एमके II (UAVs) | 02 Dec 2025

चर्चा में क्यों?

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से प्राप्त अनुभवों के आधार पर, अतिरिक्त सैटेलाइट-लिंक्ड हेरोन एमके II मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) के लिये नए आपातकालीन खरीद आदेश जारी किये हैं।

मुख्य बिंदु 

  • तीनों सेनाओं में शामिल करना:
    • थलसेना और वायु सेना अपने मौजूदा हेरोन एमके II बेड़े (Fleet) का विस्तार कर रही हैं।जबकि भारतीय नौसेना इस प्लेटफॉर्म को पहली बार अपनाएगी। 
      • भारतीय नौसेना समुद्री निगरानी के लिये पुराने इज़रायली सर्चर UAVs से अधिक उन्नत हेरोन एमके II प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित होगी।
  • संचालन तैनाती: भारतीय सेना पहले ही हेरोन एमके II ड्रोन को उत्तरी क्षेत्र के अग्रिम आधारों पर खुफिया, निगरानी और सैन्य सर्वेक्षण के लिये तैनात कर चुकी है।
  • युद्ध मूल्य: हेरॉन एमके II जैसे UAVs उच्च-महत्त्व वाले खतरों, जिसमें उन्नत वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं, का पता लगाने, ट्रैक करने और निष्प्रभावी बनाने में महत्त्वपूर्ण हैं।
  • आपातकालीन सीमाएँ: आपातकालीन खरीद नियमों के तहत, 300 करोड़ रुपये तक की लागत वाली प्रणालियाँ बिना किसी लंबी प्रक्रिया के प्राप्त की जा सकती हैं।
  • स्वदेशीकरण को बढ़ावा: इज़रायली रक्षा उद्योग भारतीय सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ सहयोग कर उत्पादन, प्रशिक्षण, रखरखाव तथा प्रणाली एकीकरण को स्थानीयकरण कर रहा है, जो ‘मेक इन इंडिया के अनुरूप है।

हेरॉन एमके II 

  • उच्च प्रदर्शन: हेरोन एमके II एक मध्यम-ऊँचाई, दीर्घ-अवधि क्षमता वाला UAV है, जो लगभग 500 किग्रा पेलोड ले जा सकता है और लगातार 24 घंटे से अधिक उड़ान भर सकता है।
  • उन्नत सेंसर: यह सिंथेटिक एपर्चर राडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम तथा सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) सेंसर के माध्यम से सभी मौसम में खुफिया जानकारी प्रदान करता है।
  • दूरस्थ परिचालन: एन्क्रिप्टेड उपग्रह संचार तथा पूर्णतया स्वचालित टेक-ऑफ/लैंडिंग इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं, जो इसे दृष्टि-रेखा से परे मिशनों, लचीली परिचालन योजना तथा विभिन्न परिचालन क्षेत्रों में प्रभावी तैनाती को सक्षम बनाती हैं।