'विकसित उत्तराखंड' : गणतंत्र दिवस परेड की झाँकी | 24 Jan 2024

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2024 में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने वाली गणतंत्र दिवस परेड की झाँकी 'विकसित उत्तराखंड' की थीम को प्रदर्शित करेगी।

  • यह निर्णय राज्य की झाँकी 'मानसखंड' की सफलता के बाद लिया गया है, जिसने वर्ष 2023 के गणतंत्र दिवस परेड में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था।

मुख्य बिंदु:

  • अधिकारियों के मुताबिक, सामने वाले हिस्से में पारंपरिक पोशाक पहने एक कुमाऊंनी महिला गर्मजोशी से स्वागत कर रही है।
  • झाँकी में राज्य पक्षी मोनाल के साथ-साथ मडुवा, झंगोरा, रामदाना और कौनी जैसी पारंपरिक फसलों की कृषि को भी दिखाया गया है। झाँकी के मध्य भाग में होमस्टे एक प्रमुख हिस्सा है।
  • झाँकी के समापन खंड में राज्य की विकासात्मक परियोजनाओं के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को दर्शाया गया है, जैसे कि चारधाम मार्ग की ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, रोपवे सिस्टम और माणा के लिये बढ़ी हुई सड़क कनेक्टिविटी।

झंगोरा

  • यह नैतिक रूप से उत्तरकाशी घाटी, उत्तराखंड के किसानों से प्राप्त किया गया है। यह मानव जाति के लिये ज्ञात सबसे पुराने अनाजों में से एक है, जो लगभग 3000 वर्ष पुराना है।
  • इसे सामान्यतः बंगाली में श्यामा, गुजराती में मोराइयो, हिंदी में संवा चावल, कन्नड़ में उदलु, तमिल में तेलगु और कुथिराईवली के नाम से जाना जाता है।

रामदाना

  • इसे हाथ से चुना जाता है और हिमालय घाटी से प्राप्त किया गया है। यह कश्मीर से भूटान तक फैले हिमालय क्षेत्र में 1,000-3,000 मीटर की ऊँचाई के बीच बहुतायत में उगता है।
  • यह एक संपूर्ण प्रोटीन है, जिसमें सभी नौ आवश्यक अमीनो एसिड और 14% प्रोटीन होता है। इसे अमरंथ, चुआ, चौलाई और पुंगिकिरी के नाम से भी जाना जाता है।

मोनाल

  • हिमालयन मोनाल, जिसे इम्पेयन मोनाल, इम्पेयन फैजेन्ट/तीतर के नाम से भी जाना जाता है, तीतर परिवार, फासियानिडे का एक पक्षी है।
  • यह उत्तराखंड का राज्य पक्षी है। इसे वर्ष 2018 में उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के शुभंकर के रूप में चुना गया है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार हिमालयन मोनाल अनुसूची- I सूचीबद्ध एक पक्षी है और IUCN द्वारा इसे ‘कम चिंताजनक (LC)’ प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है।