पीआरएस कैप्सूल्स

जनवरी 2021 | 03 Feb 2021 | विविध

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

कोविड-19

दो वैक्सीन को मंज़ूरी 

विषय विशेषज्ञ समिति (Subject Expert Committee) के सुझावों के आधार पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation- CDSCO) ने दो वैक्सीन को सीमित आपातकालीन उपयोग के लिये मंज़ूरी दे दी है।  ये वैक्सीन निम्नलिखित हैं: 

(i) कोविशील्ड, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया।
(ii) भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) पुणे के सहयोग से बनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। 

कोविशील्ड को आपातकालीन स्थितियों में उपयोग की मंज़ूरी मिली है जो कि नियामक शर्तों के अधीन होगी। समिति ने सुझाव दिया था कि कोवैक्सीन का उपयोग नैदानिक परीक्षण मोड (Clinical Trial Mode) में किया जा सकता है ताकि वैक्सीन के लिये अनेक विकल्प हों, विशेष रूप से उत्परिवर्ती उपभेदों (Mutant Strains) के संक्रमण के मामले में।

CDSCO ने कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड को भी उसके नॉवेल कोरोनावायरस-2019 एनकोव-वैक्सीन (Novel Coronavirus-2019-nCov-Vaccine) के तीसरे चरण के ट्रायल के लिये मंज़ूरी दे दी है। 

वैक्सीनेशन कार्यक्रम 16 जनवरी को शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम में हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स (जो कि करीब तीन करोड़ लोग हैं) और उसके बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और को-मॉरबिडिटी वाले युवाओं (करीब 27 करोड़ लोग) को वरीयता दी जाएगी।

पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 

कोविड-19 महामारी के प्रभाव के मद्देनज़र पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (Environment Impact Notification), 2006 में संशोधन किया है।  संशोधन में निर्दिष्ट किया गया है कि 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 के बीच की अवधि को निम्नलिखित की वैधता अवधि की गणना में शामिल नहीं किया जाएगा: 

(i) पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी  
(ii) संदर्भ शर्तें 

उदाहरण के लिये खनन परियोजनाओं की मंज़ूरी की वैधता 30 वर्ष होती है। संशोधन में निर्दिष्ट अवधि खनन परियोजनाओं की इस 30 वर्ष की वैधता अवधि में शामिल नहीं होगी। 

निर्माण या संबंधित गतिविधियों (जैसे आधुनिकीकरण और विस्तार) को शुरू करने से पहले सभी परियोजनाओं को संबंधित नियामक प्राधिकरण (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय या राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण) से मंज़ूरी हासिल करनी होती है। यह मंज़ूरी पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी कहलाती है। इन परियोजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

(i) खनिजों का खनन। 
(ii) कोल वॉशरीज़। 
(iii) थर्मल पावर प्लांट्स।

परियोजनाओं को मंज़ूरी देने के लिये पर्यावरण प्रभाव आकलन करते समय नियामक प्राधिकरण प्रक्रिया में चीह्नित प्रासंगिक पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिये आवेदक को निर्देश दे सकता है। 


समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास

आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 29 जनवरी, 2021 को आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 प्रस्तुत किया। सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

GDP में 7.7% का संकुचन

प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में GDP (वर्ष 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर) में 7.7% के संकुचन का अनुमान है। वर्ष 2020-21 की पहली और दूसरी तिमाही में GDP में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले क्रमशः 23.9% और 7.5% का संकुचन हुआ।  वर्ष 2019-20 में GDP की वृद्धि 4.2% थी। 

आर्थिक क्षेत्रों में GDP का मूल्यांकन सकल मूल्य संवर्द्धन (Gross Value Added- GVA) के आधार पर किया जाता है। केवल कृषि और अन्य क्षेत्रों (बिजली और जलापूर्ति) में वर्ष 2020-21 के दौरान सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है। सबसे अधिक संकुचन जिन क्षेत्रों में हुआ है, वे हैं- व्यापार एवं हॉस्पिटैलिटी, निर्माण, खनन और विनिर्माण। 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिये लॉकडाउन के कारण आँकड़े एकत्र करने के कार्य पर असर पड़ा था। 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष: 2011-12, वर्ष-दर-वर्ष) वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही के मुकाबले वर्ष 2020-21 में इसी अवधि (अक्तूबर से दिसंबर 2020) के दौरान 6.4% थी। वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (पिछले वर्ष की इसी तिमाही) में मुद्रास्फीति 5.8% थी। वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (पिछली तिमाही) में मुद्रास्फीति 6.9% थी।

अक्तूबर 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति 11% से घटकर दिसंबर 2020 में 3.4% हो गई, जो वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही के लिये 7.9% थी। यह वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में 10.7% की मुद्रास्फीति और वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में 9.7% की मुद्रास्फीति से कम है।

थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) मुद्रास्फीति वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 1.4% थी, वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 1.1% से अधिक और वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 0.4% से अधिक थी। 


कृषि

वर्ष 2020 में लागू तीन केंद्रीय कृषि कानूनों पर स्टे 

सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित केंद्रीय कृषि कानूनों पर स्टे लगाया है: 

(i) कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020। 
(ii) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक, 2020। 
(iii) अनिवार्य वस्तुएँ (संशोधन) विधेयक, 2020। 

इन तीनों कृषि कानूनों को सितंबर 2020 में अधिनियमित किया गया था और ये 5 जून, 2020 से लागू हुए थे। इन तीनों कानूनों का सामूहिक उद्देश्य हैं: 

(i) विभिन्न राज्य APMC कानूनों के अंतर्गत अधिसूचित बाजारों के बाहर कृषि उपज का बाधा मुक्त व्यापार करना।
(ii) कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिये फ्रेमवर्क बनाना। 
(iii) कृषि उपज की स्टॉक लिमिट तय करना, केवल तभी जब रिटेल कीमतों में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हो।

सर्वोच्च न्यायालय में निम्नलिखित के संबंध में याचिकाएँ दायर की गई थीं: 

(i) तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती। 
(ii) कानूनों और किसानों के लिये उनके लाभ की संवैधानिक वैधता को समर्थन। 
(iii) दिल्ली की सीमा के निकट किसानों द्वारा रास्ता रोके जाने (कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए) को चुनौती क्योंकि इससे अन्य लोगों की आजादी से आवाजाही और अपना काम करने के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन होता है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता (किसानों के मुद्दों को हल करने के लिये) के बावजूद समस्या का कोई हल दिखाई नहीं देता।  

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत के लिये विशेषज्ञ समिति का गठन किये जाने से माहौल सौहार्दपूर्ण हो सकता है और किसानों का भरोसा बढ़ सकता है। उसने यह भी कहा कि तीनों कृषि कानूनों पर स्टे लगाने से आहत किसान शांत हो सकते हैं। इससे वे विश्वास और नेक-नीयत से बातचीत के लिये प्रेरित हो सकते हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित के संबंध में अंतरिम आदेश पारित किया: 

(i) अगले आदेश तक तीनों कानूनों को लागू करने पर स्टे। 
(ii) कानूनों पर किसानों की शिकायतों और सरकार के विचार सुनने के लिये विशेषज्ञ समिति का गठन जो इस संबंध में अपने सुझाव देगी। 

उसने चार सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया: 

(i) बी.एस. मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (इस्तीफा दे दिया)। 
(ii) डॉ. पी. के. जोशी, निदेशक दक्षिण एशिया, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट। 
(iii) डॉ. अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री। 
(iv) अनिल घनवट, अध्यक्ष, शेतकारी संगठन। समिति दो महीने में सर्वोच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।


स्वास्थ्य

यूनीक हेल्थ आइडेंटिफायर नियम, 2021 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने यूनिक हेल्थ आइडेंटिफायर नियम(Unique Health Identifier Rules), 2021 अधिसूचित किया है। इन नियमों को आधार (वित्तीय एवं अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के अंतर्गत जारी किया गया है। अधिनियम में भारत में रहने वाले व्यक्तियों को सब्सिडी और लक्षित सेवाओं के लिये विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की गई है, जिसे आधार संख्या कहा जाता है।

इसका उद्देश्य UHID बनाना है ताकि मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न हेल्थ आईटी एप्लीकेशन में लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन किया जा सके। UHID के निर्माण से हेल्थ डेटा इकट्ठा होगा और नागरिकों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड दर्ज किया जाएगा। नियमों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध तथा व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, सप्लाई एवं वितरण का रेगुलेशन) अधिनियम, 2003 में मसौदा संशोधन जारी किये हैं। यह अधिनियम भारत में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री, उत्पादन और वितरण को रेगुलेट करता है।  प्रस्तावित मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:


गृह मामले 

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश 

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश, 2021 जारी किया गया। यह अध्यादेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश एवं लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में पुनर्गठित करने का प्रावधान करता है। अध्यादेश की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

आयुष्मान CAPF योजना 


वित्त

डिजिटल ऋण पर कार्यकारी समूह का गठन 

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप के माध्यम से डिजिटल ऋण सहित सभी ऋणों पर एक कार्यकारी समूह का गठन किया। इस समूह के अध्यक्ष RBI के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और पाँच अन्य सदस्य (आंतरिक और बाहरी) होंगे। 

समूह के संदर्भ की शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

(i) RBI द्वारा विनियमित की जाने वाली संस्थाओं की डिजिटल ऋण गतिविधियों का मूल्यांकन और आउटसोर्स्ड डिजिटल ऋण गतिविधियों के मानकों का आकलन। 
(ii) अनियमित डिजिटल ऋण से वित्तीय स्थिरता और उपभोक्ताओं को होने वाले जोखिमों को चीह्नित करना।
(iii) डिजिटल ऋण के व्यवस्थित विकास को बढ़ावा देने के लिये विनियामक परिवर्तनों का सुझाव देना।
(iv) उपभोक्ताओं की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये उपाय सुझाना।


कॉर्पोरेट मामले

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति 

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) ने कंपनी (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति) संशोधन नियम, 2021 जारी किया है। ये नियम कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत जारी वर्ष 2014 के नियमों में संशोधन करते हैं। अधिनियम के अंतर्गत कुछ कंपनियों को अपने पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का 2% CSR पर खर्च करना होता है। नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

नए नियमों में प्रत्येक संस्था को CSR गतिविधियों के लिये 1 अप्रैल, 2021 से केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत करना होगा। यह शर्त उन परियोजनाओं के लिये नहीं है जिन्हें इन नियमों के पहले लागू किया जा चुका है। 


वाणिज्य एवं उद्योग

नई केंद्रीय क्षेत्र की योजना

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ( Cabinet Committee on Economic Affairs) ने जम्मू और कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिये केंद्रीय क्षेत्र की योजना को मंज़ूरी दी है। योजना नए और मौजूदा व्यापार में निवेश करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करती है। केंद्र सरकार विशेष श्रेणी के राज्यों जैसे- पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के औद्योगिक विकास के लिये कई योजनाएँ संचालित करती है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास को वर्ष 2018 में अधिसूचित किया गया था और यह 31 मार्च, 2021 तक मान्य है। नई योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

सरकार ने इस योजना के लिये वर्ष 2020-21 से वर्ष 2036-37  की अवधि तक 28,400 करोड़ रुपए के परिव्यय का प्रस्ताव रखा है।

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) ने वर्ष 2021-25 के लिये स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (Startup India Seed Fund Scheme) को अधिसूचित किया है।  यह योजना सभी क्षेत्रों के स्टार्टअप्स का अवधारणा, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये वित्तीय सहायता देती है। योजना के तहत 945 करोड़ रुपए का कोष होगा और इसे इनक्यूबेटर्स (Incubators) को अनुदानों के माध्यम से स्टार्टअप्स में वितरित किया जाएगा। योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय समावेश, रक्षा इत्यादि में सॉल्यूशंस देने वाले स्टार्टअप को वरीयता दी जाएगी। एक स्टार्टअप को सिर्फ एक बार सीड फंडिंग मिलेगी।


श्रम एवं रोज़गार 

आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना 

कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम (Employees Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act), 1952 में कुछ प्रतिष्ठानों में अंशदान आधारित कर्मचारी भविष्य निधि (Employee Provident Fund- EPF) योजना का प्रावधान है। श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने ऐसे भविष्य निधि अंशदानों पर सब्सिडी देने के लिये ‘आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना’ को अधिसूचित किया है। योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 


सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण

माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक पर स्थायी समिति की रिपोर्ट 

सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण संबंधी स्थायी समिति ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह विधेयक माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 में संशोधन करता है जो कि वरिष्ठ नागरिकों के लिये वित्तीय सुरक्षा, कल्याण तथा संरक्षण का प्रावधान करता है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:


शिक्षा

इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस के नियमों में संशोधनों को अधिसूचित किया है। इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस योजना को वर्ष 2017 में शुरू किया गया था। योजना के अंतर्गत 10 सार्वजनिक और 10 निजी संस्थानों को इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस घोषित किया गया था। मुख्य संशोधनों में इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस को ऑफ-शोर कैंपस (भारत के बाहर कैंपस) और ऑफ-कैंपस सेंटर (भारत में मुख्य कैंपस के बाहर सेंटर) स्थापित करने की अनुमति दी गई है।   

इंस्टीट्यूट्स के ऑफ-कैंपस सेंटर्स और ऑफ-शोर कैंपस के कामकाज की समीक्षा एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तीन वर्षों में एक बार की जाएगी जो कि ऑफ-कैंपस सेंटर/ऑफ-शोर कैंपस को बंद करने का भी सुझाव दे सकती है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने सुझाव दिया था कि उच्च स्तरीय प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को दूसरे देशों में कैंपस बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।


परिवहन

अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने केंद्रीय मोटर वाहन (पहला संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। ये नियम अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट (International Driving Permit- IDP) हासिल करने के लिये केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन करते हैं। संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

प्रमुख बंदरगाहों के लिये दिशा-निर्देश

शिपिंग मंत्रालय (Ministry of Shipping) ने प्रमुख बंदरगाहों के लिये ड्राफ्ट ड्रेज़िंग दिशा-निर्देशों को जारी किया है। ये दिशा-निर्देश में वर्ष 2016 में जारी दिशा-निर्देशों का स्थान लेते हैं। ड्रेज़िंग समुद्र की सतह की सफाई की प्रक्रिया होती है जिससे जहाज़ों की आवाजाही आसान होती है। इसमें निम्नलिखित कार्य शामिल होते हैं: 

(i) रख-रखाव ड्रेज़िंग के माध्यम से जमा वस्तुओं को हटाना।
(ii) पूंजी ड्रेज़िंग के माध्यम से मिट्टी और चट्टान के कटाव को हटाकर गहरा करना। 

मसौदा दिशा-निर्देश भारत के मुख्य बंदरगाहों में सभी प्रकार की ड्रेज़िंग को विनियमित करने का प्रयास करते हैं। मसौदा दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 


पर्यावरण

नारंगी रंग की श्रेणी में वर्गीकृत उद्योग 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने कुछ उद्योगों को नारंगी रंग की श्रेणी में वर्गीकृत किया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने प्रदूषण सूचकांक स्कोर के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत किया है। प्रदूषण सूचकांक 0 से 100 अंकों वाला एक स्केल होता है जो उद्योगों के प्रदूषण की संभाव्यता को मापता है। मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट श्रेणियाँ निम्नलिखित अंकों पर आधारित हैं:

इनमें जिन उद्योगों को वर्गीकृत किया गया है, वे हैं

(i) 20,000 वर्ग मीटर के बिल्ड-अप एरिया वाले और प्रतिदिन 50 किलो लीटर या उससे अधिक वेस्ट वॉटर उत्पन्न करने वाले भवन निर्माण और निर्माण परियोजनाएँ। 
(ii) निर्माण और डेमोलिशन वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट्स। 
(iii) गोल्ड एसेइंग और हॉलमार्किंग सेंटर्स। 

अगर संबंधित भवन निर्माण और निर्माण परियोजनाओं से उत्पन्न वेस्ट वॉटर प्रतिदिन 100 किलो लीटर या उससे अधिक है तो परियोजनाओं को लाल रंग की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। 

वर्गीकरण का उद्देश्य ज़िम्मेदारी के साथ पूर्ण व्यापार करने हेतु सुगमता को बढ़ाना है। सफेद रंग की श्रेणी वाले संगठनों को छोड़कर अन्य सभी संगठनों को भवन निर्माण या संबंधित गतिविधियों (जैसे- आधुनिकीकरण और विस्तार) को शुरू करने से पहले संबंधित नियामक प्राधिकरणों से मंज़ूरी लेनी होगी।