दिसंबर 2018 | 15 Mar 2019

PRS की प्रमुख हाइलाइट्स

आर्थिक पूंजी के ढाँचे पर बिमल जालान समिति

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने मौजूदा आर्थिक पूंजी ढाँचे की समीक्षा के लिये एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति की अध्यक्षता भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. बिमल जालान करेंगे और इस समिति में RBI तथा वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग, दोनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर संशोधित नीति की घोषणा (Revised policy on foreign direct investment in e-commerce announced)


वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion) ने ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिये संशोधित दिशा-निर्देशों की घोषणा की।

मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार -

  1. ई-कॉमर्स के मार्केट प्लेस मॉडल (जहाँ ई-कॉमर्स इकाई/मंच, खरीदारों और विक्रेताओं/ वेंडर्स के बीच एक सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करता है) में स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्वीकार्य है।
  2. ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री आधारित मॉडल (जहाँ उपभोक्ताओं को बेची जाने वाली ‘वस्तु एवं सेवा’ पर ई-कॉमर्स इकाई का ही स्वामित्व होता है) में FDI की अनुमति नहीं है।

संशोधित नीति कुछ मौजूदा दिशा-निर्देशों में बदलाव करती है और कुछ अन्य शर्तों को भी निर्दिष्ट करती है।

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ऐसी एजेंसियों के लिये अधिसूचना जो कंप्यूटर उपकरणों पर जानकारी रोक सकती हैं

गृह मंत्रालय ने किसी भी कंप्यूटर डिवाइस पर संग्रहीत सूचनाओं की जाँच और निगरानी करने के उद्देश्य से दस सुरक्षा एजेंसियों को अधिसूचित किया है।

अधिसूचित एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation), राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) शामिल हैं।
इन एजेंसियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अधिसूचित किया गया है, जो केंद्र या राज्य सरकार को इस तरह की जानकारी की निगरानी या अंतर-ग्रहण के लिये किसी भी एजेंसी को लिखित रूप में निर्देशित करने की अनुमति देता है।

अधिनियम के अनुसार, इस प्रकार की जाँच अथवा निगरानी के लिये एजेंसियों को विभिन्न कारणों से अधिकृत किया जा सकता है, इन कारणों में शामिल हैं:

  1. भारत की रक्षा
  2. राष्ट्रीय सुरक्षा
  3. विदेशी सरकारों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
  4. सार्वजनिक व्यवस्था।

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इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग हेतु बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये दिशा-निर्देश

विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) ने इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग हेतु बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये दिशा-निर्देश और मानक जारी किये। ये दिशा-निर्देश एक सक्षम रूपरेखा प्रदान कर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। जारी किये गए दिशा-निर्देशों की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

  • उद्देश्य: जारी किये गए दिशा-निर्देशों के प्रमुख उद्देश्य हैं:
  1. सुरक्षित, सुलभ और सस्ते चार्जिंग पारितंत्र की व्यवस्था सुनिश्चित कर इलेक्ट्रिक वाहनों के अभिग्रहण को सरल बनाना।
  2. इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों और स्टेशन मालिकों के लिये परिव्ययनीय (chargeable) सस्ते टैरिफ को बढ़ावा देना।
  3. छोटे उद्यमियों के लिये आर्थिक अवसर पैदा करना।
  4. इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग व्यवसाय के लिये एक बाज़ार का निर्माण करना।
  • चार्जिंग स्टेशन : इन दिशा-निर्देशों के तहत निजी और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। निजी स्टेशन आवासों और कार्यालयों में उपलब्ध कराए जाएंगे। सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना एक गैर-लाइसेंस गतिविधि होगी। कोई भी व्यक्ति इन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित कर सकता है बशर्ते वह निर्दिष्ट तकनीकी और प्रदर्शन मानकों को पूरा करता हो। बिजली वितरण कंपनियाँ इन स्टेशनों को स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेंगी।
  • विनिर्देश : दिशा-निर्देश सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के लिये आवश्यक तकनीकी और बुनियादी ढाँचे का भी प्रावधान करते हैं। इनमें वोल्टेज संबंधी विनिर्देश, चार्जिंग पॉइंट की संख्या, संबंधित विद्युत उपकरण और सार्वजनिक सुविधाएँ शामिल हैं। ये आवश्यक अवसंरचनाएँ निजी इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के स्व-उपयोग के लिये स्थापित निजी चार्जिंग पॉइंट्स पर लागू नहीं होंगी।
  • सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थिति : 3 किमी. x 3 किमी. के ग्रिड में कम-से-कम एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध होना चाहिये। राजमार्गों/सड़कों के दोनों ओर प्रत्येक 25 किमी पर एक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाना चाहिये।
  • क्रियान्वयन योजना : चार्जिंग बुनियादी ढाँचे को दो चरणों में लागू किया जाएगा : चरण-I (एक से तीन वर्ष) और चरण II (तीन से पाँच वर्ष)।
  1. चरण-I के तहत चालीस लाख से ऊपर की आबादी वाले सभी बड़े शहरों और संबंधित एक्सप्रेस वे तथा राजमार्गों को कवर किया जाएगा।
  2. द्वितीय चरण में राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानियों को कवर किया जाएगा।

अटल ज्योति योजना (अजय) के दूसरे चरण की शुरुआत

वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिये अटल ज्योति योजना (Atal Jyoti Yojana-AJAY) के दूसरे चरण की शुरुआत की गई।

  • AJAY योजना के तहत सार्वजनिक उपयोग के लिये सोलर स्ट्रीट लाइटिंग (Solar Street Lighting-SSL) सिस्टम प्रदान किया जाता है। इसके सार्वजनिक उपयोग में शामिल हैं:
  1. दूरस्थ ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों (जहाँ प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है) में सड़कों और चौराहों पर प्रकाश की व्यवस्था करना।
  2. बस स्टॉप, सार्वजनिक स्थलों, बाज़ारों में प्रकाश की व्यवस्था।
  • योजना के दूसरे चरण के तहत निम्नलिखित को कवर किया जाएगा :
  1. चरण I में शामिल किये गए वे राज्य जहाँ अब भी अतिरिक्त मांग है।
  2. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी राज्य।
  3. सिक्किम सहित उत्तर-पूर्वी राज्य।
  4. अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप।
  5. उपरोक्त राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के 48 आकांक्षी ज़िलों को शामिल करने वाले संसदीय क्षेत्र।
  • इस योजना की कुल अनुमानित लागत 761 करोड़ रुपए है। SSL प्रणाली की लागत का 75% नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा और शेष 25% MPLADS फंड से प्रदान किया जाएगा।
  • इस योजना की शुरुआत सितंबर 2016 में नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा उन राज्यों में SSL प्रणाली स्थापित करने के लिये की गई थी, जहाँ ग्रिड पावर 50% से कम घरों (2011 की जनगणना के अनुसार) को उपलब्ध हो पाई थी। ये राज्य थे - असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश।

सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016, लोकसभा में पारित

लोकसभा द्वारा सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 [Surrogacy (Regulation) Bill, 2016] पारित किया गया। विधेयक को नवंबर 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: प्रो. राम गोपाल यादव) को संदर्भित किया गया था। यह विधेयक सरोगेसी को एक प्रथा के रूप में परिभाषित करता है, जब एक महिला किसी इच्छुक दंपति के लिये बच्चे को जन्म देने के बाद उस बच्चे को उसे सौंप देती है।

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अलॉयड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन विधेयक, 2018

31 दिसंबर, 2018 को राज्यसभा में एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस विधेयक, 2018 (Allied and Healthcare Professions Bill, 2018) प्रस्तुत किया किया। यह विधेयक एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट एवं मानकीकृत करने का प्रयास करता है।

एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल :

  • विधेयक के अनुसार, ‘एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल’ उस एसोसिएट, टेक्नीशियन या टेक्नोलॉजिस्ट को कहा जाएगा जो कि किसी बीमारी, रोग, चोट या क्षति के निदान और उपचार में सहयोग देने के लिये प्रशिक्षित होता है।
  • एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल मेडिकल, नर्सिंग या किसी अन्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल द्वारा सुझाए गए स्वास्थ्य उपचार में सहयोग देने के लिये प्रशिक्षित होता है।
  • इसे डिप्लोमा या डिग्री धारी होना चाहिये जिसकी अवधि कम-से-कम 2,000 घंटे हो।

हेल्थकेयर प्रोफेशनल :

  • विधेयक के अनुसार ‘हेल्थकेयर प्रोफेशनल’ उस साइंटिस्ट, थेरेपिस्ट या किसी अन्य प्रोफेशनल को कहा जाएगा जो कि निवारक, उपचारात्मक, पुनर्सुधार, थेराप्यूटिक या प्रमोशनल हेल्थ सर्विस का अध्ययन और शोध करते हैं, उन सेवाओं की सलाह देते हैं या ऐसी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • हेल्थकेयर प्रोफेशनल को डिग्री धारी होना चाहिये, जिसकी अवधि कम-से-कम 3,600 घंटे हो।

एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस :

  • यह विधेयक अनुसूची में एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस की कुछ मान्यता प्राप्त श्रेणियों को निर्दिष्ट करता है। इनमें लाइफ साइंस प्रोफेशनल्स, सर्जिकल और एनेस्थीसिया से जुड़े टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स, ट्रॉमा और बर्न केयर प्रोफेशनल्स, फिजियोथेरेपिस्ट्स और न्यूट्रीशन साइंस प्रोफेशनल्स शामिल हैं।
  • केंद्र सरकार एलाइड और हेल्थकेयर परिषद की सलाह से इस अनुसूची में संशोधन कर सकती है।

भारतीय एलाइड और हेल्थकेयर परिषद :

  • विधेयक भारतीय एलाइड और हेल्थकेयर परिषद की स्थापना करता है।

एलाइड और हेल्थकेयर परिषद के कार्य:

  1. एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट करने वाली नीतियाँ बनाना।
  2. शिक्षा एवं पाठ्यक्रम के न्यूनतम मानदंड बनाना, अधिकतम ट्यूशन फीस निर्धारित करना और सीटों के आनुपातिक वितरण का प्रावधान करना।
  3. एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिये एक समान एंट्रेंस और एग्जिट परीक्षा का प्रावधान करना।

भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018

लोकसभा में भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 [Indian Medical Council (Amendment) Bill, 2018] पारित किया गया। यह विधेयक भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 में संशोधन करता है और भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2018 [Indian Medical Council (Amendment) Ordinance, 2018] का स्थान लेता है। अधिनियम भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India-MCI) की स्थापना करता है जो भारत में चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास को नियंत्रित करता है।

  • MCI का अधिक्रमण : 1956 का अधिनियम MCI के अधिक्रमण और हर तीन वर्ष की अवधि के बाद उसके पुनर्गठन का प्रावधान करता है। अध्यादेश MCI के पुनर्गठन की अवधि को एक वर्ष करने के लिये इस प्रावधान में संशोधन करता है। इस अंतरिम अवधि के दौरान केंद्र सरकार बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन करेगी जो कि MCI की शक्तियों का उपयोग करेगा।
  • अधिनियम के अंतर्गत बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अधिकतम सात सदस्य हो सकते हैं जिनमें मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्ति भी शामिल होंगे। इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। केंद्र सरकार इनमें से एक सदस्य को बोर्ड का चेयरपर्सन चुनेगी। विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और कहता है कि बोर्ड में विशिष्ट एडमिनिस्ट्रेटर्स को भी चुना जाएगा।

दिव्यांगजनों के लिये राष्ट्रीय कल्याण कोष (संशोधन) विधेयक, 2018

लोकसभा में ऑटिज़्म सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल रीटार्डेशन और मल्टीपल डिसेबिलिटीज़ के शिकार लोगों के लिये राष्ट्रीय कल्याण कोष (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित हुआ। यह विधेयक ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल रीटार्डेशन और मल्टीपल डिसेबिलिटीज़ के शिकार लोगों के लिये राष्ट्रीय कल्याण कोष एक्ट, 1999 (National Trust for Welfare of Persons with Autism, Cerebral Palsy, Mental Retardation and Multiple Disabilities Act, 1999) में संशोधन करता है।

  • 1999 का अधिनियम एक राष्ट्रीय कोष की स्थापना करता है ताकि विकलांगता के शिकार लोग स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन जी सकें। इसके लिये कोष निम्नलिखित कार्य करता है :
  1. उनके माता-पिता की मृत्यु की स्थिति में उनके संरक्षण के उपाय करना।
  2. उनके अभिभावक और ट्रस्टीज़ को नियुक्त करना।
  3. समाज में उन्हें समान अवसर दिलाने में मदद करना।

बोर्ड का कार्यकाल :

  • अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय कल्याण कोष बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल उनकी नियुक्ति की तिथि से तीन साल तक या फिर जब तक उनका उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं होता, तब तक होता है। इनमें से जो भी अवधि लंबी होगी उस अवधि तक ये लोग अपने पद पर बने रहेंगे।
  • विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है ताकि बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन साल निर्धारित किया जा सके। इसके अतिरिक्त विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार बोर्ड के अध्यक्ष या किसी सदस्य के कार्यकाल के समाप्त होने के छह महीने पहले उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू कर देगी।

अध्यक्ष का त्यागपत्र :

  • अधिनियम के अनुसार, अगर बोर्ड के अध्यक्ष या सदस्य अपने पद से त्यागपत्र देते हैं तो भी केंद्र सरकार द्वारा उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति किये जाने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे। लेकिन विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और बोर्ड के अध्यक्ष या सदस्यों को इस बात की अनुमति देता है कि केंद्र सरकार द्वारा त्यागपत्र मंज़ूर किये जाने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे।

अध्यक्ष पद की रिक्ति :

  • अध्यक्ष पद की रिक्ति के मामले में केंद्र सरकार अध्यक्ष के कार्यों को करने के लिये उचित स्तर के एक अधिकारी को निर्देश दे सकती है जब तक कि इस तरह की रिक्ति भर नहीं जाती है।

होम्योपैथी विधेयक, 2018 के लिये राष्ट्रीय आयोग के मसौदे को मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने होम्योपैथी विधेयक, 2018 के लिये राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Homoeopathy Bill, 2018) के मसौदे को मंज़ूरी दी। इस मसौदा विधेयक में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (National Commission for Homoeopathy) की स्थापना करने और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (Central Council of Homoeopathy) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया गया है। केंद्रीय परिषद वर्तमान में होम्योपैथिक शिक्षा और अभ्यास को नियंत्रित करती है।

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भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के लिये राष्‍ट्रीय आयोग (NCIM) विधेयक, 2018

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के लिये राष्‍ट्रीय आयोग विधेयक, 2018 [National Commission for Indian Medical Systems (NCIM) Bill, 2018] के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है। मसौदा विधेयक भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिये मौजूदा केंद्रीय परिषद को भारतीय चिकित्सा प्रणाली के राष्ट्रीय आयोग में बदलने का प्रयास करता है।

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ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक

लोकसभा द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक (Transgender Persons (Protection of Rights) Bill) को 27 संशोधनों के साथ पारित किया गया। इस विधेयक को दो वर्ष पूर्व सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। यह वर्तमान में राज्यसभा में लंबित है।

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उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018

हाल ही में ‘उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण (Public Distribution) मंत्रालय’ द्वारा प्रस्तावित ‘उपभोक्ता संरक्षण विधेयक’ लोकसभा में पारित हो गया। गौरतलब है कि यह विधेयक 1986 के अधिनियम की जगह लेगा।

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मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2018

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 [Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2018] लोकसभा में पारित हुआ। यह 19 सितंबर, 2018 को जारी अध्यादेश का स्थान लेता है। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल, 2017 को लोकसभा में 28 दिसंबर, 2017 को पेश और पास किया गया था। 2017 के विधेयक को वापस लेने के लिये सूचीबद्ध किया गया है।

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लोकसभा में पेश किया गया कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2018

कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने 20 दिसंबर, 2018 को लोकसभा में कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2018 [Companies (Amendment) Bill, 2018] पेश किया। यह विधेयक 2 नवंबर, 2018 को जारी अध्यादेश का स्थान लेता है। यह विधेयक कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के अन्य प्रावधानों के साथ-साथ विभिन्न दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन करता है।

कुछ अपराधों का पुनर्वर्गीकरण:

  • 2013 के अधिनियम में ऐसे 81 कंपाउंडिंग अपराध हैं जिनके लिये ज़ुर्माना या कैद अथवा दोनों सज़ा का प्रावधान है। इन अपराधों की सुनवाई अदालतों द्वारा की जाती है। विधेयक इनमें से 16 अपराधों को सिविल डिफॉल्ट में वर्गीकृत करता है, जिनमें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एडजुडिकेटिंग ऑफिसर्स/निर्णयन अधिकारी ज़ुर्माना वसूल सकते हैं। इन अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  1. छूट पर शेयर जारी करना।
  2. सालाना रिटर्न फाइल न करना।

छूट पर शेयर जारी करना:

  • अधिनियम किसी कंपनी को छूट पर शेयर जारी करने से प्रतिबंधित करता है, सिवाय कुछ मामलों को छोड़कर।
  • ऐसा न करने पर कंपनी को एक लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक का ज़ुर्माना भरना पड़ता है।
  • इसके अतिरिक्त डिफॉल्ट करने वाले प्रत्येक अधिकारी को छह माह तक के कारावास की सज़ा भुगतनी पड़ती है या एक लाख रुपए से लेकर पाँच लाख रुपए तक की राशि जुर्माने के रूप में भरनी पड़ती है।
  • प्रस्तावित विधेयक अधिकारियों के कारावास की सज़ा को हटाता है।

व्यवसाय शुरू करना:

  • प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, कोई भी कंपनी अपना व्यवसाय तभी शुरू कर सकती है:
  1. जब वह अपने संस्थापन के 180 दिनों के अंदर इस बात की पुष्टि करेगी कि कंपनी के मेमोरेंडम के तहत प्रत्येक सबस्क्राइबर ने अपने सभी शेयर्स का मूल्य चुका दिया है
  2. जब वह संस्थापन के 30 दिनों के अंदर कंपनी रजिस्ट्रार में पंजीकृत अपने कार्यालय के पते का सत्यापन फाइल कर देगी।
  • अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है और यह पाया जाता है कि उसने अपना व्यवसाय शुरू नहीं किया है तो कंपनी का नाम, कंपनी रजिस्ट्रार से हटाया जा सकता है।

मंज़ूरी देने वाली अथॉरिटी में परिवर्तन:

  • अधिनियम के अंतर्गत विदेशी कंपनी से जुड़ी किसी कंपनी के वित्तीय वर्ष की अवधि में परिवर्तन को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण द्वारा मंज़ूरी दी जाती है। इसी प्रकार अगर कोई सार्वजनिक कंपनी अपने संस्थापन संबंधी दस्तावेज़ में कोई ऐसा बदलाव करती है जिससे कंपनी प्राइवेट कंपनी में बदल जाए तो इसके लिये भी न्यायाधिकरण से मंज़ूरी की ज़रूरत होती है।
  • विधेयक के अंतर्गत इन अधिकारों को केंद्र सरकार को हस्तांतरित कर दिया गया है।

कम्पाउंडिंग:

  • अधिनियम के अंतर्गत एक क्षेत्रीय निदेशक पाँच लाख रुपए तक की सज़ा वाले अपराधों को कम्पाउंड (सेटल) कर सकता है। विधेयक इस सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपए करता है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018

14 दिसंबर, 2018 को मानव संसाधन विकास मंत्री ने लोकसभा में केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2018 [Central Universities (Amendment) Bill, 2018] पेश किया। यह विधेयक केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन का प्रयास करता है। अधिनियम 2009 विभिन्न राज्यों में शिक्षण और अनुसंधान के लिये विश्वविद्यालयों की स्थापना का प्रावधान करता है।
यह विधेयक आंध्र प्रदेश में दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों- आंध्र प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University of Andhra Pradesh) और आंध्र प्रदेश केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (Central Tribal University of Andhra Pradesh) की स्थापना का प्रावधान करता है। केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय विशेष रूप से देश के जनजातीय लोगों के लिये जनजातीय कला, संस्कृति और परंपराओं से संबंधित उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान सुविधाएँ प्रदान करने के लिये अतिरिक्त उपाय करेगा।

उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 (Andhra Pradesh Reorganisation Act, 2014) के अंतर्गत राज्य में केंद्रीय विश्वविद्यालय और केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना करना बाध्यकारी है।


राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2018

18 दिसंबर, 2018 को लोकसभा में राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2018 [National Institute of Design (Amendment) Bill, 2018] पेश किया गया। यह विधेयक राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान अधिनियम, 2014 (National Institute of Design Act, 2014) में संशोधन करता है जो कि अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित करता है।

  • यह विधेयक अमरावती, भोपाल, जोरहाट और कुरुक्षेत्र स्थित चार अन्य राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान घोषित करने का प्रयास करता है।
  • वर्तमान में ये चारों संस्थान सोसायटी पंजीकरण एक्ट, 1860 के अंतर्गत सोसायटी के रूप में पंजीकृत हैं और इन्हें डिग्री या डिप्लोमा देने का अधिकार नहीं है। राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित होने के बाद चारों संस्थानों को डिग्री और डिप्लोमा देने की शक्ति मिल जाएगी।

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लोकसभा में प्रस्तुत किया गया बांध सुरक्षा विधेयक, 2018

12 दिसंबर, 2018 को बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक में देश भर में निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान किया गया है। यह विधेयक बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत तंत्र स्थापित करने का भी प्रावधान करता है।

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भूजल दोहन के संदर्भ में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के दिशा-निर्देश

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority-CGWA) ने भूजल दोहन के नियमन और नियंत्रण के लिये दिशा-निर्देश अधिसूचित किये। ये दिशा-निर्देश पूरे देश में 1 जून, 2019 से लागू होंगे।

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जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2018

28 दिसंबर, 2018 को लोकसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2018 [Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill, 2018] पेश किया गया। यह विधेयक जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 (Jallianwala Bagh National Memorial Act, 1951) में संशोधन करता है। 1951 का अधिनियम अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को मारे गए और घायल लोगों की स्मृति में राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण का प्रावधान करता है। इसके अतिरिक्त यह अधिनियम राष्ट्रीय स्मारक के प्रबंधन के लिये एक ट्रस्ट की स्थापना करता है।

ट्रस्ट की संरचना :

  • 1951 के अधिनियम के अंतर्गत स्मारक के ट्रस्टीज़ में निम्नलिखित शामिल हैं:
  1. अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री
  2. भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष
  3. संस्कृति मंत्री
  4. लोकसभा में विपक्ष का नेता
  5. पंजाब का गवर्नर
  6. पंजाब का मुख्यमंत्री
  7. केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रख्यात व्यक्ति
  • यह बिल इस प्रावधान में संशोधन करता है और ट्रस्टी के रूप में नामित भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष को हटाता है। इसके अतिरिक्त बिल स्पष्ट करता है कि जब लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाया जाएगा।
  • अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रख्यात व्यक्तियों का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा और उन्हें दोबारा नामित किया जा सकता है। विधेयक प्रावधान करता है कि केंद्र सरकार कोई कारण बताए बिना कार्यकाल खत्म होने से पहले से नामित ट्रस्टी को हटा सकती है।

कृषि निर्यात नीति, 2018

हाल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि निर्यात नीति (Agriculture Export Policy, 2018) को मंज़ूरी दे दी। गौरतलब है कि यह मंज़ूरी किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से दी गई है। यह नीति कृषि निर्यात के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसमें आधारभूत संरचना का आधुनिकीकरण, उत्पादों का मानकीकरण, नियमों को सुव्यवस्थित करना, कृषि संकट को बढ़ावा देने वाले फैसलों को कम करना और अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।

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बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्‍सो) अधिनियम, 2012 में संशोधन को मंज़ूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्‍चों के खिलाफ यौन अपराध पर दंड को अधिक कठोर बनाने के लिये बाल यौन अपराध संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) अधिनियम में संशोधन के लिये अपनी मंज़ूरी दी। पॉक्सो अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिये लागू किया गया था। सरकार की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ये संशोधन बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिये दी जाने वाली सज़ा को और अधिक सख्त बनाने की मांग करते हैं।

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जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना पर प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट

प्राक्कलन समिति (अध्यक्ष: डॉ. मुरली मनोहर जोशी) ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना/नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज (National Action Plan On Climate Change-NAPCC) के प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिये NAPCC को जून 2008 में लॉन्च किया गया था।

NAPCC का विनियमन:

  • NAPCC में कुल आठ मिशन शामिल हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
  1. राष्ट्रीय सौर मिशन
  2. राष्ट्रीय जल मिशन
  3. ग्रीन इंडिया/हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन।
  • प्रत्येक मिशन को एक मंत्रालय के तहत अनुबंधित किया जाता है, जो इसके कार्यान्वयन, बजटीय प्रावधानों और कार्रवाई की प्राथमिकताओं के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MoEF) NAPCC का समन्वयक मंत्रालय है। केंद्र सरकार की व्यापक नीतिगत पहलों की पूर्ति राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्तर पर की जाने वाली कार्रवाइयों के माध्यम से की जाती है।

राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission) :

  • इस मिशन के ज़रिये वर्ष 2021-22 तक लगभग 6,00,000 करोड़ रुपए की लागत से 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता का उत्पादन अपेक्षित है।
  • समिति के अनुसार, लक्षित सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये आवश्यक निधि की पूर्ति बजटीय सहायता तथा आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण की माध्यम से की जाएगी।
  • हालाँकि समिति ने मिशन के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में धन की कमी के बारे में चिंता भी व्यक्त की है। समिति ने रिपोर्ट में जिक्र किया है कि 12वीं योजना अवधि के लिये सरकार का परिव्यय 13,690 करोड़ रुपए है, जो आवश्यक निवेश का केवल एक छोटा सा हिस्सा है।
  • समिति ने सिफारिश की है कि सरकार द्वारा प्रत्येक स्रोत से प्राप्त वित्तीय सहायता का विश्लेषण किया जाए और वित्त पोषण के स्रोतों का संकेत देते हुए एक संशोधित मिशन दस्तावेज़ लाया जाए।

बढ़ी ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन
(National Mission on Enhanced Energy Efficiency-NMEEE)

  • समिति के अनुसार, इस मिशन को आवंटित धन का पूरा उपयोग नहीं किया गया था। यह पाया गया है कि 2010-11 और 2016-17 के बीच इस मिशन के लिये बजटीय व्यय 914 करोड़ रुपए था, जिसे संशोधित कर 259 करोड़ रुपए कर दिया गया। लेकिन इसमें से केवल 208 करोड़ रुपये खर्च हुए। समिति के अनुसार, आवंटन में कमी का एक प्रमुख कारण अनुमोदनों में की जाने वाली देरी थी।
  • समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि धन का उपयोग उन्हीं योजनाओं के लिये किया जाए जिनके लिये उसे आवंटित किया गया है।

राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission)

समिति द्वारा उल्लेख किया गया है कि मिशन के प्रमुख घटकों में एक व्यापक जल डेटाबेस का विकास और जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन शामिल है। इसे भारत के सभी जल निकायों की माप के लिये चलाई जा रही एक प्रक्रिया के बारे में सूचित किया गया था।

  • इस संबंध में समिति ने उन अध्ययनों का उल्लेख किया जो दर्शाते हैं कि पुरानी संग्रह तकनीकों और कार्यप्रणाली के उपयोग से प्राप्त जल उपलब्धता संबंधी डेटा अविश्वसनीय है।
  • साइलो सूचना संग्रह और साझाकरण, विशेष रूप से राज्यों के बीच लागत और अक्षमताओं को जोड़ता है। समिति ने डेटा संग्रह की तकनीकों और कार्यप्रणाली की समीक्षा करने तथा सभी जल निकायों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने की सिफारिश की है।

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ) अधिसूचना, 2018

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तटीय क्षेत्रों में आर्थिक एवं विकास गतिविधियों को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप नियंत्रित करने हेतु तटीय नियमन ज़ोन (Coastal Regulation Zone-CRZ) अधिसूचना, 2018 को मंज़ूरी दे दी। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस अधिसूचना (Notification) की पिछली समीक्षा वर्ष 2011 में की गई थी और फिर उसी वर्ष इसे जारी भी किया गया था।

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गगनयान कार्यक्रम

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम (Gaganyaan Programme) को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

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मालदीव के राष्ट्रपति का भारत दौरा

मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया। भारत और मालदीव के बीच विभिन्न क्षेत्रों में चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए, इनमें शामिल हैं - (i) सांस्कृतिक सहयोग (ii) कृषि व्यवसाय के लिये पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार (iii) संचार और सूचना प्रौद्योगिकी।


राष्ट्रपति का म्याँमार दौरा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने म्यांमार का दौरा किया। भारत और म्यामाँर ने न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिये दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये।