पर्सपेक्टिव: सतत्, संतुलित और समावेशी विकास | 16 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

G20, समावेशी विकास, सतत् विकास, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति

मेन्स के लिये:

नियम आधारित व्यापार प्रणाली, WTO सुधार, वित्तीय समावेशन, सतत् विकास

प्रसंग:

नई दिल्ली में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलता के बाद भारत अब इस वर्ष के अंत में G20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन के आयोजन की तैयारी कर रहा है जो भारत की अध्यक्षता के समापन का प्रतीक होगा। साथ ही 1 दिसंबर से ब्राज़ील G20 की अध्यक्षता संभालेगा।

इस शिखर सम्मेलन का विषय "वसुधैव कुटुंबकम" था, जिसका अर्थ है "विश्व एक परिवार है”। यह नई दिल्ली में नेताओं की घोषणा में अपनाए गए आठ व्यापक विषयों को प्रतिबिंबित करता है, जो एक सर्वव्यापी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं तथा विश्व को सीमाओं, भाषाओं और विचारधाराओं से परे एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।

G20 नेताओं द्वारा की गई पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतिबद्धता एक मज़बूत, टिकाऊ, संतुलित तथा समावेशी विकास का स्तर हासिल करना है। इसमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, विकास के लिये व्यापार को सुगम बनाने एवं वित्तीय समावेशन की दिशा में आगे बढ़ने तथा भ्रष्टाचार से लड़ने के बारे में चर्चा की गई।

वैश्विक आर्थिक स्थिति:

  • व्यापक संकट और दीर्घकालिक विकास:
    • व्यापक संकटों के कारण दीर्घकालिक विकास की चुनौतियाँ उभरी हैं। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिये सुव्यवस्थित व्यापक आर्थिक और संरचनात्मक नीतियों के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
    • सुभेद्य जनसंख्या की रक्षा करने, समान विकास को बढ़ावा देने और व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य जीवन-यापन की संकटपूर्ण स्थिति को हल करना एवं मज़बूत, टिकाऊ, संतुलित व समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
  • वैश्विक आर्थिक विकास और अनिश्चितता:
    • वर्तमान में वैश्विक आर्थिक वृद्धि अपने दीर्घकालिक औसत से नीचे है और असमान बनी हुई है। आर्थिक परिदृश्य में अत्यधिक अनिश्चितता व्याप्त है।
    • वैश्विक वित्तीय स्थितियों में उल्लेखनीय ऋण संकट, निरंतर मुद्रास्फीति से भू-आर्थिक स्थिति को और कमज़ोर कर सकता है
    • विकास को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिये बेहतर तरीके से सुनियोजित मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय एवं संरचनात्मक नीतियों पर जोर देता है। इस वृहद नीति में सहयोग और सतत्  विकास के लिये 2030 एजेंडा का समर्थन प्रमुख लक्ष्य हैं।
  • भारत के प्रयास:
    • विश्वास पुनर्बहाली के माध्यम से विकासशील देशों को बहुपक्षवाद के लाभों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना समय की मांग है। भारत ने अफ्रीकी संघ को G20 समूह में शामिल करके ऐसा किया है।
    • हालाँकि G20 को आर्थिक क्षमता की अभिव्यक्ति माना जाता है, लेकिन भारत की अध्यक्षता ने यह सुनिश्चित किया है कि विकास कुछ लोगों तक सीमित नहीं होना चाहिये, बल्कि यह सर्वव्यापी होना चाहिये।
    • G20 शिखर सम्मेलन का व्यापक परिणाम देशों के बीच ज़िम्मेदारी, विश्वास और सहयोग बहाली हेतु एक कवायद है।

समावेशी विकास के संबंध में G20 घोषणापत्र:

  • विकास के लिये व्यापार को सुगम बनाना :
    • नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति प्रतिबद्धता:
      • सदस्यों ने विश्व व्यापार संगठन के मूल में नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, निष्पक्ष, खुले, समावेशी, न्यायसंगत, टिकाऊ और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्त्व की पुष्टि की।
      • वर्ष 2024 तक सभी सदस्यों के लिये पूरी तरह से कार्यशील विवाद निपटान प्रणाली को सुलभ बनाने के लक्ष्य के साथ WTO सुधार को आगे बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता है।
    • वैश्विक मूल्य शृंखलाओं और डिजिटलीकरण को सुगम बनाना:
      • सदस्य देशों ने जोखिमों की पहचान करने और व्यापार में लचीलापन बढ़ाने में मदद के लिये वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (GVC) के मानचित्रण हेतु G20 जेनेरिक फ्रेमवर्क को अपनाना स्वीकार किया है।
      • उन्होंने व्यापार दस्तावेज़ों के डिजिटलीकरण पर उच्च-स्तरीय सिद्धांतों और अन्य देशों को इन सिद्धांतों पर विचार करने के लिये प्रोत्साहित करते हुए उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु समर्थन व्यक्त किया।
    • व्यापार, पर्यावरण और विकास सहायता:
      • सदस्यों ने यह सुनिश्चित करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला कि व्यापार और पर्यावरण नीतियाँ पारस्परिक रूप से सहायक तथा WTO एवं बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों के अनुरूप हैं।
      • उन्होंने विकासशील देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों (LDC) को स्थानीय मूल्य सृजन के माध्यम से वैश्विक व्यापार में प्रभावी ढंग से भाग लेने में सक्षम बनाने में WTO की 'व्यापार हेतु सहायता (Aid for Trade)' पहल के महत्त्व को पहचाना।
  • भविष्य के कार्य हेतु तैयारी:
    • कौशल-आधारित प्रवासन को बढ़ावा देना:
      • सदस्य अच्छी तरह से प्रबंधित, नियमित और कौशल-आधारित प्रवासन मार्गों की दिशा में काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
      • उन्होंने वैश्विक कौशल अंतराल की पहचान करने और बेहतर डेटा संग्रह तथा विश्लेषण के माध्यम से उन्हें संबोधित करने को प्राथमिकता देने के प्रयासों का स्वागत किया, विशेष रूप से G20 देशों में नौकरियों के डेटाबेस के लिये ILO एवं आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development- OECD) के कवरेज का विस्तार किया।
    • सामाजिक सुरक्षा, समावेशी विकास और श्रमिकों के अधिकार सुनिश्चित करना:
      • घोषणा का लक्ष्य सतत् रूप से वित्तपोषित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त करना है।
      • उन्होंने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी पर विचार करने पर ज़ोर दिया।
      • उन्होंने समावेशी विकास, सतत् विकास और कार्य के लिये सांस्कृतिक तथा रचनात्मक क्षेत्र के महत्त्व को पहचानते हुए नौकरियों एवं सामाजिक सुरक्षा हेतु संयुक्त राष्ट्र वैश्विक त्वरक के कार्यान्वयन का समर्थन किया।
      • उन्होंने गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिये पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा तथा सभ्य कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया।
  • वित्तीय समावेशन बढ़ाना:
    • नेताओं ने G20 प्रेषण लक्ष्य की दिशा में प्रगति पर नेताओं के वर्ष 2023 के अपडेट का समर्थन किया।
    • नेताओं ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के उन्नत डिजिटल वित्तीय समावेशन के लिये नियामक टूलकिट का समर्थन किया।
    • उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ बढ़ाने के लिये स्वैच्छिक तथा गैर-बाध्यकारी G20 नीतियों की सिफारिश का समर्थन किया।
    • उन्होंने समावेशी विकास और सतत् विकास के लिये वित्तीय समावेशन में वृद्धि हेतु डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
    • वे डिजिटल वित्तीय साक्षरता और उपभोक्ता संरक्षण की मज़बूती के लिये निरंतर प्रयासों का समर्थन करने पर सहमत हुए।
    • उन्होंने व्यक्तियों और MSME के वित्तीय समावेशन को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिये एक कार्य-उन्मुख और दूरंदेशी रोडमैप प्रदान करने हेतु G20 वर्ष 2023 वित्तीय समावेशन कार्य योजना (Financial Inclusion Action Plan- FIAP) का समर्थन किया।
  • भ्रष्टाचार के खतरे से निपटना:
    • देशों ने विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और भ्रष्टाचार से निपटने के संदर्भ में भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की
    • निम्नलिखित पर तीन G20 उच्च-स्तरीय सिद्धांतों का समर्थन करना:
      • भ्रष्टाचार से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन संबंधी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सूचना साझाकरण को मज़बूत करना।
      • भ्रष्टाचार से निपटने के लिये संपत्ति वसूली तंत्र को मज़बूत करना।
      • भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिये ज़िम्मेदार सार्वजनिक निकायों तथा प्राधिकरणों की ईमानदारी एवं प्रभावशीलता को बढ़ावा देना।
    • देशों ने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों और घरेलू कानूनी ढाँचे के अनुसार आपराधिक आय को जब्त करने एवं उसे पीड़ितों तथा राज्यों को वापस करने के वैश्विक प्रयासों के लिये समर्थन की पुष्टि की।
    • इन प्रयासों में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) और ग्लोबल नेटवर्क के संचालन का समर्थन करना
    • देशों ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAC) के अनुच्छेद 16 के अनुरूप विदेशी रिश्वतखोरी को अपराध घोषित करने तथा विदेशी रिश्वतखोरी कानून को लागू करने में ठोस प्रयासों को प्रदर्शित करने तथा जारी रखने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
    • देशों ने इस लक्ष्य की दिशा में प्रयास करने में भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह के प्रयासों का समर्थन किया और उचित रूप से OECD रिश्वत विरोधी सम्मेलन में भागीदारी बढ़ाने के लिये तत्पर हैं।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की प्रगति में तेज़ी लाना:
    • वर्तमान स्थिति और कार्रवाई हेतु प्रतिबद्धता:
      • SDG पर वर्तमान वैश्विक प्रगति तय समय से पीछे है, केवल 12 प्रतिशत लक्ष्य ही तय समय पर हैं।
      • G20 का लक्ष्य वर्ष 2030 एजेंडा को प्रभावी ढंग से लागू करने और समयबद्ध तरीके से SDG की दिशा में प्रगति में तेज़ी लाने के लिये अपने प्रभाव तथा सामूहिक प्रतिबद्धता का लाभ उठाना है।
        • इसका लक्ष्य भावी पीढ़ियों के लिये एक बेहतर दुनिया को आकार देना है।
    • SDG कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिये प्रमुख प्रतिबद्धताएँ:
      • G20, SDG पर प्रगति में तेज़ी लाने के लिये G20 वर्ष 2023 कार्य योजना के प्रभावी और समय पर कार्यान्वयन हेतु सामूहिक कार्रवाई करने के लिये प्रतिबद्ध है।
      • सदस्यों ने विकास के लिये डेटा (D4D) के उपयोग पर G20 सिद्धांतों और विकास क्षमता निर्माण पहल के लिये डेटा के लॉन्च का समर्थन किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पीछे न छूटे।
      • वे वर्ष 2030 एजेंडा को लागू करने में विकासशील देशों का समर्थन करने के लिये सभी स्रोतों से किफायती, पर्याप्त और सुलभ वित्तपोषण सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
      • यह सतत् सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये पर्यटन और संस्कृति के महत्त्व पर प्रकाश डालता है, जिसमें SDG प्राप्त करने के साधन के रूप में पर्यटन हेतु गोवा रोडमैप का उल्लेख किया गया है।
      • वर्ष 2030 एजेंडा को लागू करने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये G20 सहयोग और साझेदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। G20 ने SDG वित्तपोषण अंतर को दूर करने हेतु संयुक्त राष्ट्र की पहल के लिये समर्थन का वादा किया है।
    • सतत् वित्त और रिपोर्टिंग:
      • G20 ने स्थायी वित्त को बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और G20 सतत् वित्त रोडमैप का स्वागत किया।
      • G20 देशों की व्यक्तिगत विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार करते हुए सामाजिक प्रभाव वाले निवेश साधनों को अपनाने और प्रकृति से संबंधित डेटा एवं रिपोर्टिंग में सुधार को प्रोत्साहित करता है।

निष्कर्ष:

G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हासिल की गई सहमति पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • प्रभावी अनुवर्ती तंत्र:  प्रगति पर नज़र रखने और शिखर सम्मेलन के दौरान की गई प्रतिबद्धताओं के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु एक प्रणाली लागू करना।
  • समय पर निष्पादन: प्रत्येक प्रतिबद्धता के लिये स्पष्ट समयसीमा और कार्य योजना निर्धारित करना।
  • निगरानी और रिपोर्टिंग: उपलब्धियों और चुनौतियों का सामना करने के लिये नियमित रूप से प्रगति का आकलन करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये G20 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग को मज़बूत करना।
  • समावेशी संवाद: विविध दृष्टिकोणों पर विचार सुनिश्चित करने के लिये नागरिक समाज सहित सभी हितधारकों के साथ निरंतर संवाद और जुड़ाव को प्रोत्साहित करना।
  • लक्षित नीतियाँ और सुधार: शिखर सम्मेलन के दौरान पहचान की गई विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिये राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतियाँ विकसित करना एवं सुधार ।

इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में बनी सहमति को ठोस कार्यों में बदला जा सकता है जो वैश्विक चिंता के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न.‘‘G20 कॉमन प्रेमवर्क’’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. यह G20 और उसके साथ पेरिस क्लब द्वारा समर्थित पहल है। 
  2. यह अधारणीय ऋण वाले निम्न आय देशों को सहायता देने की पहल है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: C

व्याख्या:

  • कॉमन फ्रेमवर्क पेरिस क्लब के साथ G20 द्वारा समर्थित एक पहल है। G20 अर्थव्यवस्थाओं ने सबसे गरीब देशों के लिये सामान्य ढाँचे को अपनाया, जिससे चीन, भारत और तुर्की, जो कि पेरिस क्लब के सदस्य नहीं हैं, को एक समन्वित ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में लाया गया। अतः कथन 1 सही है।
  • DSSI (कॉमन फ्रेमवर्क) से परे ऋण उपचार के लिये सामान्य ढाँचा, पेरिस क्लब के साथ मिलकर G20 द्वारा समर्थित एक पहल है। जिसका उद्देश्य संरचनात्मक तरीके से कम आय वाले देशों को अस्थिर (Unsustainable) ऋण के साथ समर्थन करना है। अतः कथन 2 सही है। इसलिये विकल्प (c) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? 

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ल, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • G-20 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ 19 देशों तथा यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है।
  • मज़बूत वैश्विक आर्थिक विकास के लिये सदस्य देश जो कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 80% से अधिक का प्रतिनिधित्व और योगदान करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिये प्रमुख मंच पर आए, जिस पर सितंबर 2009 में पेंसिल्वेनिया (USA) में आयोजित पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।
  • G-20 के सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं। अतः विकल्प (a) सही है।

मेन्स:

प्रश्न. यह तर्क दिया जाता है कि समावेशी विकास की रणनीति का आशय समावेशिता और धारणीयता के उद्देश्यों को प्राप्त करना है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिये।(2019)