एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) | 02 Apr 2021

 Last Updated: July 2022 

परिचय

  • एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसका उद्देश्य  एशिया में सामाजिक-आर्थिक परिणामों को बेहतर बनाना है।
  • इसकी स्थापना AIIB  आर्टिकल्स ऑफ एग्रीमेंट (25 दिसंबर, 2015 से लागू) नामक एक बहुपक्षीय समझौते के माध्यम से की गई है। समझौते के पक्षकारों  (57 संस्थापक सदस्य) में बैंक की सदस्यता अनिवार्य है।
  • इसका मुख्यालय बीजिंग में है और जनवरी 2016 में इसका परिचालन शुरू हुआ।
  • वर्ष 2020 के अंत तक एआईआईबी में 103 स्वीकृत सदस्य थे जो वैश्विक आबादी का लगभग 79% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 65% प्रतिनिधित्व करते है।
  • फ्राँस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित G-20 के 14 सदस्य AIIB के भी सदस्य हैं।
  • एशिया में स्थायी बुनियादी ढाँचे और अन्य संबंधित क्षेत्रों में निवेश कर एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (AIIB) आम लोगों, सेवाओं और बाज़ारों को बेहतर ढंग से जोड़ने का प्रयास करता है, जो समय के साथ अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा और एक बेहतर भविष्य का निर्माण करेगा।

लक्ष्य

  • अवसंरचना एवं अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश कर सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, संपत्ति अथवा धन का सृजन करना तथा एशिया में आधारिक संरचनाओं की कनेक्टिविटी/संयोजकता में सुधार करना।
  • अन्य बहुपक्षीय और द्विपक्षीय विकास संस्थानों के साथ मिलकर काम करके विकास की चुनौतियों के समाधान में क्षेत्रीय सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देना ।
  • विकास उद्देश्यों के लिये सार्वजनिक और निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देना, इसके तहत बुनियादी ढाँचे और अन्य उत्पादक क्षेत्रों के विकास पर विशेष रूप से ध्यान देना।
  • क्षेत्र में इस तरह के विकास के वित्तपोषण के लिये अपने संभव संसाधनों का उपयोग करने हेतु उन परियोजनाओं और कार्यक्रमों को शामिल करना जो क्षेत्र में  सामंजस्यपूर्ण आर्थिक संवृद्धि में सबसे प्रभावी रूप से योगदान करेंगे|
  • इस क्षेत्र में आर्थिक विकास में योगदान देने वाली परियोजनाओं, उद्यमों और गतिविधियों में निजी निवेश को बढ़ावा देना, जब निजी पूंजी उचित नियमों और शर्तों पर उपलब्ध नहीं हो।

शासन

शासक मंडल/बोर्ड ऑफ गवर्नर्स

  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर (Governor) और एक वैकल्पिक गवर्नर (Governor)  होता है।
    • गवर्नर और वैकल्पिक गवर्नर नियुक्त सदस्यों के प्रति सद्भावपूर्ण व्यवहार रखते हैं। AIIB की सभी शक्तियाँ बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में निहित हैं।
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स निम्नलिखित शक्तियों के अलावा अन्य किसी भी या शेष सभी शक्तियों को  निदेशक मंडल को सौंप सकता है:
    • नए सदस्यों को स्वीकृति और उनके प्रवेश की शर्तों का निर्धारण करने की शक्ति;
    • बैंक के अधिकृत पूंजी भंडार में वृद्धि या कमी करना;
    • बैंक के निदेशकों का चुनाव और निदेशकों तथा वैकल्पिक निदेशकों एवं  पारिश्रमिक पर भुगतान किये जाने वाले खर्चों का निर्धारण करना;
    • अध्यक्ष का चुनाव करना, उसके निलंबन या पद से हटाने, और पारिश्रमिक एवं सेवा की अन्य शर्तों का निर्धारण करना;
    • लेखा परीक्षकों (auditors’) की रिपोर्ट, सामान्य बैलेंस-शीट और बैंक के लाभ और हानि के विवरण की समीक्षा के बाद अनुमोदन करने की शक्ति ;
    • 'AIIB के आर्टिकल्स ऑफ एग्रीमेंट' में संशोधन।
  •  वार्षिक बैठक 
    • AIIB के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की पहली बैठक का आयोजन 2016 में  बीजिंग ( चीन) में किया गया था।
    • 2017 में इसकी दूसरी बैठक जेजू (कोरिया) में तथा 2018 में इसकी तीसरी बैठक का आयोजन मुंबई (भारत ) में किया गया था।
    • 12-13 जुलाई, 2019 को एशिया के बाहर आयोजित होने वाली AIIB की पहली वार्षिक बैठक की मेज़बानी लक्ज़मबर्ग (यूरोप ) ने की।
    • अक्तूबर 2021 में, AIIB की छठी वार्षिक बैठक आयोजित की गई थी।

निदेशक मंडल

  • निदेशक मंडल बारह ऐसे सदस्यों से मिलकर बना होता है, जो बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य नहीं होंगे। इनमे शामिल हैं -
    • क्षेत्रीय सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ सदस्य, जिन्हें गवर्नर (Governors) द्वारा नियुक्त किया जाता है।
    • गैर-क्षेत्रीय सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्य, जिन्हें गवर्नर द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • बोर्ड के निदेशक आर्थिक और वित्तीय मामलों में उच्च योग्यता वाले व्यक्ति होते हैं।
  • निदेशक उन सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनका चुनाव उनके गवर्नर द्वारा किया गया है साथ ही ये उन सदस्यों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें गवर्नर द्वारा अपना वोट निर्दिष्ट किया गया हो।
  • परिचालन लागत को कम करने के लिये निदेशक मंडल एक गैर-आवासीय मंडल (Non-Resident Board) है।
  • यह बैंक के सामान्य संचालन के लिये ज़िम्मेदार है, जो कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा  सौंपी गई उन  सभी शक्तियों का उपयोग करता है, जिनमें  शामिल है:
    • बैंक की रणनीति, वार्षिक योजना और बजट को मंज़ूरी देना।
    • नीतियों की स्थापना।
    • बैंक परिचालनों से संबंधित निर्णय लेना।
    • बैंक के प्रबंधन और संचालन की देख रेख के लिये एक निगरानी तंत्र स्थापित करना।

वरिष्ठ प्रबंधन

  • AIIB कर्मचारियों का नेतृत्व अध्यक्ष (President) द्वारा किया जाता है, इन्हें AIIB शेयरधारकों द्वारा पाँच साल के कार्यकाल के लिये चुना जाता है और एक बार पुन: निर्वाचित होने के लिये पात्र होते हैं।
  • वरिष्ठ प्रबंधन में एक अध्यक्ष और पाँच उपाध्यक्ष होते  है , जो निम्नलिखित के लिये उत्तरदायी  होते हैं:
    • नीति और रणनीति 
    • निवेश संचालन, वित्त 
    • प्रशासन और कॉर्पोरेट सचिवालय तथा सामान्य परामर्शदाता
    • मुख्य जोखिम अधिकारी और मुख्य प्रोग्रामर अधिकारी

अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार पैनल (IAP)

  • बैंक ने एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार पैनल (IAP) की स्थापना की है जो अध्यक्ष  और वरिष्ठ प्रबंधन को बैंकों की रणनीतियों और नीतियों के साथ-साथ सामान्य परिचालन मुद्दों पर सहायता करेगा | 
  • अध्यक्ष IAP के सदस्यों को आरंभिक दो वर्षो  के कार्यकाल के लिये नियुक्त करता है , यह अवधि पूरी होने पर इसे पुनर्नवीकृत किया जा सकता है।
  • पैनल की वर्ष में कम-से-कम दो बार बैठक होती है, एक बार बैंकों की वार्षिक बैठक के साथ और दूसरी बार बैंक के मुख्यालय बीजिंग में।
  • पैनलिस्टों को वेतन के स्थान पर बहुत कम मानदेय (Honorarium) दिया जाता है। पैनल मीटिंग्स से जुड़ी उचित लागतों का भुगतान बैंक करता है।

सदस्यता

  • AIIB में सदस्यता विश्व बैंक या एशियाई विकास बैंक के सभी सदस्यों के लिये खुली है जो क्षेत्रीय और गैर-क्षेत्रीय सदस्यों के रूप में विभाजित है ।
    • क्षेत्रीय सदस्य वे हैं जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा एशिया और ओशिनिया के रूप में वर्गीकृत क्षेत्रों में स्थित हैं।
  • अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) के विपरीत AIIB गैर-संप्रभु संस्थाओं को AIIB सदस्यता के लिये आवेदन करने की अनुमति एक घरेलू सदस्य देश मानकर देता है।
    • इस प्रकार संप्रभु धन कोष (जैसे-चीन निवेश निगम) या सदस्य देशों के राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम संभवतः बैंक में शामिल हो सकते हैं।

AIIB के वित्तीय संसाधन

  • AIIB की प्रारंभिक कुल पूंजी 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसमें 20% पेड-इन (Paid-in) और 80% प्रतिदेय (Callable) है।
    • पेड-अप शेयर कैपिटल (Paid-Up Share Capital): यह वह धनराशि है जो स्टॉक शेयरों के विनिमय के लिये निवेशकों द्वारा पहले ही भुगतान कर दी जाती है।
    • कॉल-अप शेयर कैपिटल (Called-Up Share Capital): कुछ कंपनियाँ निवेशकों को बेहतर तालमेल के साथ शेयर जारी कर सकती हैं, जिनका भुगतान उन्हें बाद की तारीख में करना होता है।
      • यह अधिक लचीली निवेश शर्तों की अनुमति देता है और निवेशकों को अधिक शेयर पूंजी का योगदान करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है , बशर्ते कि उन्हें प्रत्यक्ष रूप से  धनराशि प्रदान हो।
  • बैंक को चीन 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने वाला सबसे बड़ा शेयरधारक है।यह राशि प्रारंभिक सदस्यता पूंजी  का आधी है।
  • भारत 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है।

मताधिकार

  • बैंकों में 26.61% वोटिंग शेयरों के साथ चीन सबसे बड़ा शेयरधारक है, उसके बाद क्रमशः  भारत (7.6%), रूस (6.01%) एवं जर्मनी  (4.2 %) का स्थान है।
  • बैंक में कुल मतदान क्षमता  का 75% हिस्सा क्षेत्रीय सदस्यों का है।
  • AIIB में दो प्रमुख अंतरों के अतिरिक्त अन्य  बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs) के समान एक शासन संरचना होती है:-
    • इसमें कार्यकारी निदेशको का निवासी मंडल नहीं है जो दिन-प्रतिदिन के आधार पर सदस्य देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • AIIB क्षेत्रीय देशों और सबसे बड़े शेयरधारक चीन निर्णय लेने के संबंध में अधिक अधिकार देता है।

AIIB ऋण 

  • AIIB वित्तपोषण प्राप्तकर्ताओं में सदस्य देश (एजेंसी और संस्था या सदस्य क्षेत्र में उद्यम) शामिल हो सकते हैं, साथ ही वे अंतर्राष्ट्रीय या क्षेत्रीय एजेंसियाँ एशिया-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास से संबंधित हो,  इसमे शामिल हो सकती हैं।
  • AIIB ने विश्व बैंक के साथ सह-वित्तपोषण फ्रेमवर्क समझौते (Co-Financing Framework Agreement) पर हस्ताक्षर किये हैं जिनमें शामिल तीन गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन (एमओयू) निम्नलिखित हैं :
    • एशियाई विकास बैंक (ADB)
    • पुनर्निर्माण और विकास हेतु  यूरोपीय बैंक (EBRD)
    • यूरोपीय निवेश बैंक (EIB)
  • AIIB के परिचालन का अधिकेंद्र दक्षिण एशिया है।
  • बैंक एशिया के बाहर भी ऋण दे सकता है, बशर्ते कि वह एशिया के साथ जुड़ाव रखता हो  या यह ऋण एक वैश्विक सार्वजनिक हित के लिये हो जो एशिया को काफी लाभ पहुँचाता है।
    • गैर-क्षेत्रीय ऋणों के लिये अधिकतम सीमा  25% है।
  • बैंक का प्रमुख क्षेत्र ऊर्जा, परिवहन, जल और शहरी विकास है।
  • बैंक द्वारा स्वीकृत लगभग दो-तिहाई ऋण को विश्व बैंक और एडीबी सहित अन्य बहुपक्षीय ऋण संस्थानों के साथ सह-वित्तपोषित किया गया है।
  • ट्रिपल-A रेटिंग से प्रशासन, बढ़ी हुई पारदर्शिता और जवाबदेही के उच्चतम मानकों के बैंक की प्रतिबद्धता को स्टैंडर्ड एंड पूअर्स, मूडीज और फिच के रूप  में दर्शाते हैं।
  • अप्रैल, 2019 में AIIB का स्वीकृत निवेश परिचालन 7.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।

AIIB के निर्माण की चीन की प्रेरणा

  • AIIB का निर्माण चीनी विदेश और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति के व्यापक पुनर्संरचना का हिस्सा है जो वर्ष 2012 में शी जिनपिंग के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और वर्ष 2013 में राष्ट्रपति बनने के बाद से हुआ है।
  • "वन बेल्ट, वन रोड" (OBOR) पहल
    • इसमें उन 65 देशों की पहचान की गई है  जो इस पहल में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य चीन और दर्जनों देशों के बीच भूमि मार्ग (सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट) और एक समुद्री मार्ग (21वीं सदी के समुद्री रेशम मार्ग) के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये व्यापार संवर्द्धन, बुनियादी ढाँचे का विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी का उपयोग करना है।  
    • इस दृष्टिकोण को अपनाकर चीन AIIB सहित कई संस्थानों और पहलों में निवेश कर रहा है, इसके अतिरिक्त अन्य फंडिंग मैकेनिज़्म जैसे कि सिल्क रोड फंड (2014 में स्थापित) और न्यू डेवलपमेंट बैंक ( 2014 में स्थापित वर्तमान ब्रिक्स बैंक) का ब्राज़ील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका के साथ एक सामूहिक समझौता है।
  • चीन क्षेत्रीय व्यापार और निवेश संबंधों की उभरती संरचना को भी प्रभावित करना चाहता है।
    • OBOR की वित्तीय मदद करने से AIIB इन संबंधों को प्रभावित कर सकता है। यह एक क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे को भी सुदृढ़ कर सकता है जो चीन को अपना केंद्र बनाता है।
    • इसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएँ जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी अन्य अर्थव्यवस्थाओं के बजाय चीन के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने के लिये  इच्छुक हो सकती हैं।

AIIB और भारत

चीन का प्रभाव 

  • भारत और चीन के बीच विभिन्न मुद्दे हैं:
    • परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह में भारतीय सदस्यता। (चीन का कहना है कि वह भारत की प्रविष्टि का तब तक समर्थन नहीं करेगा, जब तक कि उन सभी देशों के आवेदन स्वीकार करने का एक सार्वभौमिक फार्मूला न हो, जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं),
    • हिमालय में क्षेत्रीय विवाद
    • कश्मीर में विवादित क्षेत्र के बीच चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का मुद्दा।
  • भारत ने अपने क्षेत्र में चीनी विदेश नीति और ओबीओआर पहल पर विशेष रूप से गंभीर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि बीजिंग पड़ोसी देशों में अपने  प्रभाव बढ़ाने में रुचि ले रहा है |
  • भारत और चीन के बीच पूर्वोक्त मुद्दों के बावजूद , AIIB आम सहमति निर्माण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
    • AIIB को एक बहुपक्षीय ऋण पहल का दर्जा प्राप्त है, इसलिये द्विपक्षीय मतभेदों को नज़रअंदाज़ करना और AIIB में एक साथ काम करना भारत या चीन के लिये कोई समस्या नहीं है।
    • भारत AIIB के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश के अवसर प्रदान कर  सकता है।
    • AIIB की तीसरी वार्षिक बैठक की मेज़बानी भारत (मुंबई,2018) ने की  जिसका मुख्य विषय ‘मोबिलाइजिंग फाइनेंस फॉर इंफ्रास्ट्रक्चर: इनोवेशन एंड कोलैबोरेशन’ (Mobilising Finance for Infrastructure: Innovation and Collaboration) था जिस पर भारत ने बुनियादी ढाँचे के सहयोग के लिए अपने खुलेपन को दोहराया है।

AIIB का आर्थिक योगदान

  • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के मामले में AIIB द्वारा वित्तपोषण का भारत सबसे बड़ा लाभार्थी है। AIIB ने भारत में पाँच परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। जो इस प्रकार हैं-
    • बैंगलोर मेट्रो रेल परियोजना (USD 335 मिलियन)।
    • ट्रांसमिशन सिस्टम सुदृढ़ीकरण परियोजना।
    •  गुजरात ग्रामीण सड़क (MMGSY) परियोजना (गुजरात राज्य के 33 ज़िलों में 4,000 गाँवों को सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये 13 साल के ऋण के माध्यम से 329 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद प्रदान की गई है)।
    • इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फंड।
    • आंध्र प्रदेश 24 × 7 - पावर फॉर ऑल प्रोजेक्ट।
  • AIIB द्वारा पाँच भारतीय परियोजनाओं को स्वीकृत कुल ऋण 1.074 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह कुल धन राशि का लगभग 28% है जिसे बैंक ने दुनिया भर में 24 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये ऋण दिया है। AIIB ने नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर ऋण  देने के लिये मंज़ूरी दे दी है ।
    • NIIF देश के बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में दीर्घकालिक पूंजी प्रदान करने के लिये स्थापित भारत सरकार समर्थित एक इकाई है। इसके पोर्टफोलियो में बंदरगाहों और रसद, अचल संपत्ति तथा  नवीकरणीय क्षेत्र में निवेश शामिल है।
  • फरवरी  2019 में AIIB और भारत सरकार ने आंध्र प्रदेश ग्रामीण सड़क परियोजना को वित्त प्रदान करने के लिये 455 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किये, जो 250 से अधिक की आबादी के साथ 3,300 बस्तियों को जोड़ेगी और लगभग दो मिलियन लोगों को लाभान्वित करेगी।

AIIB की चिंता

  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने AIIB का विरोध किया है और वह  AIIB  को बहुपक्षीय वित्तीय प्रणाली में अवांछित घुसपैठ करने के रूप में मानता है।
    • चीन द्वारा वित्तपोषित AIIB का उद्भव, आधी सदी से अधिक समय तक दुनिया की वित्तीय प्रणाली पर संयुक्त राज्य के एकाधिकार के लिये  खतरा है।
  • निम्नलिखित चिंताओं के कारण दुनिया की प्रमुख औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएँ,  जापान और अमेरिका AIIB के सदस्य नहीं हैं:
    • इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि बैंक अपनी कठोर लोन-स्क्रीनिंग प्रथाओं को बनाए रखेगा या अपने धन संचालन को चीन की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं से अलग रखेगा।
    • AIIB में शामिल होने से इकाई को एक बड़ा वित्तीय योगदान देने की आवश्यकता होगी।
  • एशिया अवसंरचना निवेश की जरूरतें इतनी अधिक  हैं कि कोई भी संस्थागत ऋणदाता उस मांग को स्वयं पूरा नहीं कर सकता है।
    • अमेरिकी सरकार संरक्षणवाद और व्यापार युद्ध के माध्यम से नीतियों को आगे बढ़ाने पर आमादा है।
  • धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार युद्ध के कारण बैंकिंग परियोजना वित्त में गिरावट की संभावना बनी रहती है।
    • धीमी अर्थव्यवस्थाओं के कारण सरकारें  AIIB  के प्रति संविदात्मक दायित्वों को पूरा करने में विफल हो सकती हैं और व्यापार घर्षण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की क्षमता को नष्ट कर सकता है।
  •  AIIB  का गैर -निवासी मंडल, पारदर्शिता और जवाबदेही को रोकता है।
    • यह इस धारणा  की  पुष्टि करता है कि AIIB में  चीनी सरकार द्वारा सर्वाधिक केंद्रीय नियंत्रण है।

निष्कर्ष

  • यह आर्थिक विकास और विकास के इतिहास में अच्छी तरह से साबित है कि मज़बूत वित्तीय संस्थानों का निर्माण और विकास बाज़ार की ताकतों को समाज के व्यापक विकास के लिये  और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना देंगी।
  •  AIIB  पूरे एशिया और अन्य क्षेत्रों में लाखों गरीब लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में निरंतर आर्थिक विकास में योगदान देकर अपना स्थान बना सकता है।
  •  AIIB अभी भी अपने विकासवादी चरण में है , जिसे आईएमएफ और विश्व बैंक में यूएसए की तरह एकल-देश के प्रभुत्व (चीनी प्रभुत्व) से बचने वाले लोकतांत्रिक सिद्धांतों का अनुसरण करना होगा।
  • विकासशील देशों के गरीब लोगों के लिये AIIB की नींव को आकार देने में भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।