ज़ेनॉन गैस | 26 May 2025

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चार ब्रिटिश पर्वतारोही पहली बार ज़ेनॉन गैस का उपयोग करके अपनी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाकर माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचे।

  • ज़ेनॉन गैस: ज़ेनॉन एक दुर्लभ, रंगहीन, गंधहीन, रासायनिक रूप से स्थिर और गैर-प्रतिक्रियाशील गैस है जो पृथ्वी के वायुमंडल में अल्प मात्रा में पाई जाती है। यह ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में उपलब्ध है।
    • व्यावसायिक रूप से, ज़ेनॉन को वायु पृथक्करण प्रक्रिया के उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है, जहाँ वायु को आंशिक रूप से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन में आसवित किया जाता है।  
    • ज़ेनॉन एक नोबल गैस (निष्क्रिय गैस) है और इसलिये यह किसी अन्य तत्त्व के साथ अभिक्रिया नहीं करती है। हालाँकि, ज़ेनॉन फ्लोरीन और ऑक्सीजन के साथ मिलकर यौगिक बना सकती है।

ज़ेनॉन के अनुप्रयोग: 

  • पर्वतारोहण: इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जिससे ऑक्सीजन वितरण को बढ़ावा मिलने के साथ एल्टीट्यूड सिकनेस और हाइपोक्सिया से संबंधित क्षति से सुरक्षा मिलती है।
  • चिकित्सा: यह एक प्राकृतिक संवेदनाहारी है और ऑक्सीजन के साथ साँस द्वारा लिये जाने से इससे हार्मोन का उत्पादन उत्तेजित होता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। इसका उपयोग रक्त प्रवाह को मापने एवं मस्तिष्क, हृदय और फेफड़ों की इमेज बनाने के लिये भी किया जाता है।
  • लाइटिंग: इसका उपयोग उच्च तीव्रता वाली लाइटिंग जैसे फ्लैश लैंप, स्ट्रोब लाइट और कार हेडलाइट्स में किया जाता है क्योंकि इससे चमकदार सफेद प्रकाश उत्सर्जित होता है।
  • उद्योग: ज़ेनॉन का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में, टेलीविजन और रेडियो हेतु ट्यूबों में गैस भरने में और ज़ेनॉन डाइफ्लोराइड का उपयोग करके सिलिकॉन माइक्रोप्रोसेसरों की एचिंग के लिये किया जाता है। 
  • अंतरिक्ष अन्वेषण: इसका उपयोग उपग्रहों और गहन अंतरिक्ष मिशनों में आयन प्रणोदन प्रणालियों हेतु ईंधन के रूप में किया जाता है। 
  • विषाक्तता: ज़ेनॉन यौगिक मज़बूत ऑक्सीकरण एजेंट हैं जो अत्यधिक विषाक्त एवं विस्फोटक होते हैं। 

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